उल्हासनगर बना नशाखोरों और डांस बारों का अड्डा! …शिवसेना हुई आक्रामक

 आयुक्त को सौंपा ज्ञापन, जन आंदोलन की दी धमकी
अनिल मिश्रा / उल्हासनगर
उल्हासनगर में विगत कुछ माह पूर्व एक नशेड़ी कारचालक ने एक ऑटोरिक्शा, बाइक व पैदल चलने वाले को उड़ा दिया था। इस हादसे में तीन से चार लोगों की जान गई थी। पुलिसिया जांच के दौरान कार में कुछ पाउडर मिला था। ठीक ऐसी ही एक दुर्घटना पुणे में हुई थी। वहां नशे की हालत में एक नाबालिग युवक द्वारा हिट और रन का मामला पूरे महाराष्ट्र को हिलाकर रख दिया। इस मामले को लेकर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्ष की नेता सुषमा अंधारे और आमदार धानगेकर ने आक्रामक रुख अपनाया। उसके बाद पुणे पुलिस विभाग और इक्साइज विभाग द्वारा अवैध डांस बार, पब और ढाबे से बांधे गए रिश्वत की पोल खुल गई। इस घटना के चलते शिंदे सरकार की फजीहत हो गई।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मनपा सहित पुलिस विभाग को सख्त कार्रवाई का आदेश दिया था, परंतु उस आदेश का कोई खास असर दिखाई नहीं दिया। उल्हासनगर मनपा प्रशासन ने सिर्फ दो डांस बारों पर दिखावटी कार्रवाई कर अन्य करीब बारह डांस बारों को नोटिस देकर हमेशा की तरह कागजी जांच का बहाना लेकर मामले की लीपापोती करने में लगी है। इस बात से विचलित होकर कल्याण जिलाप्रमुख व पूर्व सभाग्रह नेता धनंजय बोड़ारे, उप जिलाप्रमुख राजेंद्र साहू, उप शहरप्रमुख दिलीप मिश्रा, शिवाजी जावले, राजन वेलकर, विभागप्रमुख सुरेश पटेल, दशरथ चौधरी, युवा सेना उपशहर अधिकारी महेश फुंदे सहित दर्जनों अधिकारी के साथ मनपा आयुक्त अजीज शेख से मुलकात की। इस दौरान अवैध डांस बार, लॉजिंग बोर्डिंग पर कार्रवाई करने की बात कही गई अन्यथा सड़क पर उतर कर शिवसेना स्टाइल में जनता को साथ लेकर जनहित आंदोलन करने की चेतावनी दी गई।
कल्याण जिलाप्रमुख धनंजय बोडारे ने बताया कि आज उल्हासनगर में नशा की मंडी बन गई है। नशाखोरी के कारण उल्हासनगर में अपराध काफी बढ़ा है। पुलिस को भी चेतावनी दी कि नशा के सौदागरों को संरक्षण देने की बजाय उन पर कठोर कार्रवाई करें, अन्यथा शिवसेना उग्र आंदोलन करेगी। वैसे इसके पहले शिवसेना के द्वारा नशा के अड्डों को बंद करने को लेकर शिवसेना कई बार जन आंदोलन कर चुकी है। शर्मनाक बात तो यह है कि पुलिस कठोर कार्रवाई के बदले मानो संरक्षण दे रही है। कल्याण जिलाप्रमुख धनंजय बोडरे के ज्ञापन व मुलाकात को मनपा आयुक्त अजीज शेख ने गंभीरता से लेते हुए अवैध डांस बार पर तोड़क कार्रवाई करने का संबंधित विभाग को आदेश दिया।

 

पुराना है बाबाओं का विवादों से नाता! … हाथरस कांड से विवाद में फंसे नारायण साकार हरि

उत्तर प्रदेश के हाथरस में चल रहे सत्संग में भगदड़ मचने से १२१ लोगों की मौत हो गई। इस दुर्घटना ने यूपी प्रशासन की दुर्व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी। अस्पतालों में लाशों की ढेर लगी रही। इस घटना के बाद सत्संग करने वाले नारायण साकार हरि विवादों में आ गए हैं। जहां पर उनका सत्संग चल रहा था, वो जगह छोटी थी और लोगों की संख्या बहुत ज्यादा थी। अब बाबा नारायण साकार हरि खासा विवादों में फंस गए हैं। वैसे यह पहली बार नहीं है, जब किसी बाबा पर विवाद पनपा हो, इससे पहले भी समय-समय पर कई बाबा विवादों में रहे हैं।

बता दें कि कई तरह के चमत्कार का दावा करने वाले सत्य सार्इं बाबा अपने जीवन में कई विवादों में भी घिरे। उन पर यौन शोषण के आरोप भी लगाए गए। हालांकि, बाबा ने इस तरह के आरोपों को कभी नहीं माना। निर्मल बाबा अपने प्रवचन में जिस तरह की सलाह देते थे उसके लिए भी उन्होंने खासी सुर्खियां बटोरीं। ऐसे ही एक डायबिटीज पेशेंट को निर्मल बाबा ने खीर खाने की सलाह दी थी। इसके बाद भक्त ने आरोप लगाया था कि खीर खाने से उसका ब्लड शुगर बढ़ गया और तबीयत बिगड़ गई। इस आरोप में निर्मल बाबा को गिरफ्तार किया गया था। गुरमीत राम रहीम, जिसे साल २०१७ में रेप केस में सजा सुनाई गई, तभी से वो रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है और कई बार पैरोल पर बाहर आता-जाता रहता है।

इसके अलावा सूरत में लोग आसाराम को विवादीराम बापू कहते हैं। नाबालिग लड़की का यौन शोषण करने के आरोप में गिरफ्तार हुए आसाराम का शायद ही देश में ऐसा कोई आश्रम होगा, जहां विवाद न हो। सूरत के आश्रम की बुनियाद ही विवादित जमीन पर सन १९८३ में रखी गई थी। ३१ अगस्त २०१३ को आसाराम बापू की गिरफ्तारी हुई थी, तब से जेल के बाहर की खुली हवा बापू को फिर कभी नसीब नहीं हुई।

घाती सरकार के लिए अब जी का जंजाल बना जीका! …तीन महीनों में मिले ८ केस

-मनपा से लेकर केंद्र सरकार की खुली नींद
-जीका के लिए जारी हुई गाइडलाइन
सामना संवाददाता / मुंबई
पिछले तीन महीने से पुणे, नगर और कोल्हापुर में जीका वायरस के मरीज मिल रहे थे। इसके बावजूद राज्य की घाती सरकार की तरफ से इसे नजरअंदाज किया गया। यही नजरअंदाज अब घाती सरकार के जी का जंजाल बन गया है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, प्रदेश में इस साल अब तक कुल आठ केस मिले हैं। इसके साथ ही न केवल मुंबई मनपा और शिंदे सरकार, बल्कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की भी नींद भंग हुई है। साथ ही जीका वायरस की भयावहता को देखते हुए केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र के साथ ही सभी राज्यों को गाइडलाइन जारी किया है।
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में जीका का पहला मामला जुलाई २०२१ के दौरान मिला था। तब से लेकर अब तक राज्य में जीका के कुल २९ मामले सामने आए हैं, जिनमें से ८ मामले २४ मई से अब तक मिले हैं। इस साल मई महीने के दौरान कोल्हापुर, नगर में क्रमश: एक-एक जून व जुलाई के बीच पुणे में छह मरीज मिले हैं। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, जीका मच्छरों से पैâलने वाली एक वायरल बीमारी है। यह मुख्य रूप से एडीज मच्छर द्वारा प्रसारित वायरस के कारण होता है, जो दिन के दौरान काटता है। जीका वायरस फ्लेविवायरस जीनस से संबंधित है और एडीज मच्छर द्वारा पैâलता है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक गर्भावस्था के दौरान जीका वायरस के संक्रमण से शिशु का जन्म माइक्रोसेफली और अन्य जन्म दोषों के साथ हो सकता है, जिसे जन्मजात जीका सिंड्रोम कहा जाता है।
ये हैं लक्षण
जीका से संक्रमित अधिकांश रोगियों में कोई लक्षण नहीं होते हैं। यह आमतौर पर डेंगू के समान होते हैं। इससे संक्रमित मरीजों में बुखार, शरीर पर दाने, आंखों में जलन, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, थकान और सिरदर्द जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। ये लक्षण आमतौर पर हल्के होते हैं और २ से ७ दिनों तक रहते हैं। जीका के मामले में अधिकांश मामलों में मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ती है साथ ही इसमें मृत्यु दर नगण्य है।
केंद्र का सभी राज्यों को एडवाइजरी
महाराष्ट्र में जीका वायरस के मामलों का पता चलने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी किया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों से गर्भवती महिलाओं में संक्रमण की जांच और जीका से संक्रमित गर्भवती महिलाओं के भ्रूण के विकास की निगरानी के जरिए लगातार नजर रखने को कहा है। एडवाइजरी में राज्यों को रेसिडेंशियल एरिया, वर्कप्लेस, स्कूल, कंस्ट्रक्शन साइट, इंस्टीट्यूशन और हेल्थ पैâसिलिटी वाली जगह पर निगरानी को मजबूत करने और वेक्टर कंट्रोल एक्टिविटीज को तेज करने के लिए कहा गया है।

ठाणेकरों को कब मिलेगा पर्याप्त पानी? …. सरकार सो रही है क्या? …१० माह में बैठक के लिए नहीं मिला समय

सामना संवाददाता / ठाणे
ठाणे मनपा ने बढ़ती जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए ठाणेकरों के लिए जलापूर्ति बढ़ाने की योजना बनाई है। योजनानुसार सूर्या, बारवी, एमआईडीसी, देहरजी और स्टेम प्रशासन को जलापूर्ति बढ़ाने के लिए पत्र लिखा है, लेकिन पिछले १० महीने से इसे लेकर कोई बैठक नहीं होने के कारण ठाणेकरों को बढ़ा हुआ पानी कब मिलेगा? यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। इस अतिरिक्त जलापूर्ति के संदर्भ में अब जून माह में मुख्यमंत्री सचिवालय के अपर मुख्य सचिव को रिमाइंडर भेजकर बैठक का अनुरोध किया गया है। इससे स्पष्ट होता है कि सरकार को ठाणेकरों की पड़ी ही नहीं है।
बता दें कि ठाणे मनपा क्षेत्र में लगभग २.७ लाख की आबादी को ५८५ मिलियन लीटर पानी की आपूर्ति की जा रही है, लेकिन ठाणे में ६०० मिलियन लीटर पानी की जरूरत है। ठाणे मनपा को वर्तमान में प्रतिदिन ६१६ डीएल का कोटा स्वीकृत है। वर्ष २०५५ तक की आबादी को ध्यान में रखते हुए प्रतिदिन १,११६ डीएल पानी की आपूर्ति की उम्मीद है और मनपा द्वारा योजना बनाने की उम्मीद है। वहीं यह आवश्यक है कि भविष्य के कालू बांध से मनपा को ४०० डीएल प्रतिदिन जल भंडारण उपलब्ध कराया जाए। इसकी मंजूरी के लिए मनपा आयुक्त, एमएमआरडीए और प्रमुख सचिव, जल संसाधन विभाग को एक प्रस्ताव भेजा था। इसके अलावा भविष्य में प्रस्तावित मुमरी बांध से १०० मिलियन लीटर पानी की आपूर्ति करने के लिए भी पत्राचार किया गया है। लेकिन इन विभागों द्वारा अब तक बैठक का आयोजन नहीं किए जाने के कारण ठाणेकरों को पानी कब मिलेगा, यह सवाल सताने लगा है। इस संबंध में मनपा के जल आपूर्ति विभाग ने १८ जून २०२४ को अपर मुख्य सचिव को बैठक आयोजित करने के संबंध में रिमाइंडर भेजा है। अगले दो-तीन महीने में फिर से विधानसभा चुनाव की गहमागहमी शुरू हो जाएगी। पहले लोकसभा चुनाव के कारण यह बैठक नहीं हो पाई थी। अब मनपा दोबारा विधानसभा चुनाव से पहले यह बैठक कराने की कोशिश कर रही है।
कितने जल की जरूरत?
ठाणे शहर को मनपा की अपनी जल आपूर्ति योजना से २५० मिलियन लीटर, महाराष्ट्र औद्योगिक विकास प्राधिकरण १३५ मिलियन लीटर, स्टेम वॉटर डिस्ट्रीब्यूशन और इंप्रâा कंपनी से ११५ मिलियन लीटर की जलापूर्ति की जाती है, वहीं बृहन्मुंबई मनपा द्वारा रोजाना ८५ मिलियन लीटर पानी की आपूर्ति की जाती है, लेकिन अगले ३० वर्षों में शहर की बढ़ती आबादी को ध्यान में रखते हुए ठाणे शहर में पानी की समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक में अतिरिक्त पानी आपूर्ति को मंजूरी दी गई थी। इस बैठक में ठाणे मनपा की योजना के माध्यम से वर्तमान में भातसा बांध से २५० मिलियन लीटर पानी उठाया जाता है। वहीं मुख्यमंत्री ने अतिरिक्त कोटा ५० मिलियन लीटर बढ़ाकर स्वीकृत करने के निर्देश दिए थे। जल संसाधन विभाग से ५० डीएलएल का कोटा उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया था। वहीं सूर्या डैम से ५० मिलियन लीटर जलापूर्ति की उम्मीद है।

बीजेपी मंत्री के बेटे ने जुहू के सेंटॉर होटल के गटके रु. ३,२०० करोड़! … दक्षिण मुंबई में एक धनी भाजपा नेता के साथ एक ‘अजीब’ सेटिंग

– लाभार्थी मैक्रोटेक डेवलपर्स को सरकार द्वारा प्रोत्साहन
सामना संवाददाता / मुंबई
घोटालेबाजों को क्लीनचिट देकर सरकार में शामिल करने वाले बीजेपी मंत्री के बेटे ने जुहू स्थित सेंटॉर होटल के ३,२०० करोड़ रुपए गटके जाने का मामला सामने आया है। यह बात भी सामने आई है कि दक्षिण मुंबई के एक अमीर बीजेपी नेता ने आईसीबी का दुरुपयोग कर मैक्रोटेक कंपनी की झोली में ८८८ करोड़ रुपए डाल दिया। यह कंपनी बीजेपी मंत्री मंगलप्रभात लोढ़ा की मानी जाती है। कंपनी ऊंचा टावर खड़ा कर करीब १३ हजार ५०० करोड़ रुपए की कमाई करने वाली है। खास बात यह है कि सरकार ने इस कंपनी पर रियायतों की भी बरसात कर दी है। इस घोटाले से भाजपा का कपटपूर्ण चेहरा एक बार फिर सामने आया है।
जुहू का ये होटल है वी. होटल्स लिमिटेड और जिन बैंकों ने इसका अधिग्रहण किया, उनमें बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक, केनरा बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, विजया बैंक और इंडियन बैंक शामिल थे। ३७ प्रतिशत ऋण केनरा बैंक और इंडियन बैंक के साथ पेगासस नामक कंपनी के पास था और शेष ६३ प्रतिशत एक सेट भारतीय पुनर्निर्माण कंपनी (एआरसीआईएल) को सौंपा गया था। बैंकों ने २०१० में इन कंपनियों को अपना अधिग्रहण बेच दिया। इसके बाद २०११ में सोची-समझी योजना के मुताबिक, कंपनी १५० करोड़ रुपए लौटाने में नाकाम रही। नतीजा यह हुआ कि आर्सिल ने हर महीने २२ फीसदी ब्याज और किश्तें देने की योजना लागू की थी। वर्ष २०१३ में यह योजना अचानक रद्द कर दी गई। इसके बाद २०१५ से २०१९ तक अलग-अलग कर्ज वसूली केंद्रों में कानूनी लड़ाई चली। आखिरकार मुंबई हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने पैâसला सुनाया कि आर्सिल इस तरह से योजना में बदलाव नहीं कर सकता और कर्जदार इसके बारे में शिकायत भी नहीं कर सकता। इसके बाद, मई २०१९ में, आर्सिल ने कंपनीr के खिलाफ दिवालियापन की कार्रवाई शुरू करने के लिए एक आवेदन दायर किया।

मानसिक रोगियों के पुनर्वसन पर राज्य सरकार साबित हुई फिसड्डी! …कानून का प्रभावी तरीके से नहीं हो रहा है पालन

-विपक्ष ने विप में उठाए सवाल
सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य के मेंटल अस्पतालों में ठीक हुए मरीजों के पुनर्वसन को लेकर मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण नोडल एजेंसी के तौर पर नियुक्त है, जो मेंटल हेल्थ सर्विस एक्ट २०१७ का प्रभावी तरीके से पालन नहीं कर रहा है। ऐसे में समाज से तिरस्कृत मानसिक रोगियों का पुनर्वसन अभियान तो राज्य सरकार द्वारा चलाया गया, लेकिन वह फिसड्डी साबित हो रहा है। इस तरह का सवाल प्रश्नोत्तर के माध्यम से विपक्ष ने विधान परिषद में उपस्थित किया। विपक्ष के लिखित सवालों के जवाब में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि न केवल मेंटल एक्ट का सही तरीके से पालन किया जा रहा है, बल्कि ठीक हुए मानसिक रोगियों को भी समाज से जोड़ने के साथ ही उनके नौकरी से लेकर जरूरी सभी जरूरतों को पूरा करते हुए उनका पुनर्वसन किया जा रहा है।
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्ष के विधायक सुनील शिंदे ने राज्य सरकार से सवाल पूछा कि क्या यह सच है कि मानसिक बीमारी से ठीक हुए रोगियों को उनके परिवार वाले स्वीकार नहीं करते है। इसके साथ ही उनके पुनर्वसन केंद्र का काम नहीं किया जा रहा है। इसीलिए हाई कोर्ट ने पुनर्वसन केंद्र शुरू करने का आदेश दिया। राज्य मानसिक स्वास्थ्य मानसिक बीमारी से उबरने वालों के लिए प्राधिकरण और पुनर्वास केंद्र महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। इसके लिए राज्य सरकार ने २०२४ के बीच निधि उपलब्ध कराने का आदेश दिया है। विपक्ष ने सवाल किया है कि नोडल एजेंसी के तौर पर प्राधिकरण मानसिक स्वास्थ्य सेवा कानून २०१७ का सही तरीके से क्रियान्वयन नहीं कर रहा है। इसके साथ ही कोर्ट के आदेश के बाद भी कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है। स्वास्थ्य मंत्री तानानी सावंत ने लिखित जवाब में कहा है कि मानसिक बीमारी से ठीक हुए रोगियों को उनके परिवार वाले स्वीकार नहीं करते है। इसके लिए उनके लिए पुनर्वास केंद्र का काम नहीं किया जा रहा है।

मरीजों के बोझ ने किया बेहाल …साहब, कब तक उठाएं परेशानी, अब तो बढ़ा दें कर्मचारी

जेजे अस्पताल में अनिश्चितकालीन काम बंद हड़ताल
१,२०० से अधिक कर्मचारी हुए शामिल

सामना संवाददाता / मुंबई
जेजे अस्पताल में बीते कई सालों से बड़ी संख्या में कर्मचारी सेवानिवृत्ति हो रहे हैं, जबकि नई भर्तियां नहीं हो रही हैं। हालांकि, इस अस्पताल में मरीजों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, जिसके बोझ ने इन कर्मचारियों को बेहाल कर दिया है। ऐसे में कल से चतुर्थ श्रेणी के १,२०० से अधिक कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू करते हुए घाती सरकार से गुहार लगाई है कि साहब हम कब तक परेशानी उठाएं, अब तो कर्मचारियों की संख्या को बढ़ा दें।
उल्लेखनीय है कि जेजे अस्पताल में १,२०० से अधिक चतुर्थ कर्मचारी कार्यरत हैं। बता दें कि सरकारी नियम के मुताबिक, हर ३० मरीज पर पांच वार्ड ब्वॉय होने चाहिए। हालांकि, वर्तमान में प्रत्येक ४० से ५० मरीजों पर एक वार्डब्वॉय काम कर रहा है, जिन्हें अलग-अलग और अतिरिक्त काम करना पड़ता है। इसके अलावा उन्हें इसके अलावा साप्ताहिक की छुट्टी के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है। आलम यह है कि यदि आठ दिन की छुट्टी लेनी होती है, तो उन्हें प्रशासन को स्पष्टीकरण देना होता है। इसलिए कर्मचारियों ने पिछले ९ से १० सालों से रिक्त हुए पदों को तत्काल भरने के लिए कर्मचारियों की तुरंत भर्ती की मांग को लेकर हड़ताल की शुरू की गई है।
हमारी मांगों पर नहीं है किसी का ध्यान
जेजे अस्पताल में इस समय ३५० चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पद रिक्त हैं, जिसे भरने का अधिकार अस्पताल प्रशासन स्तर पर लिया जा सकता है। जेजे समूह अस्पताल के चतुर्थ श्रेणी राज्य सरकारी कर्मचारी संगठन के कृष्णा रेणोसे ने कहा कि हमारी मांगों की ओर जाय ध्यान नहीं देता है। यदि हमारी मांगें तत्काल मान्य नहीं होती हैं तो मुंबई के चार प्रमुख अस्पतालों में भी सभी कर्मचारी काम बंद हड़ताल शुरू करेंगे।

सरकारी उदासीनता से ईवी को लगा फटका!…१४ फीसदी घटी इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री

 पर्यावरण अनुकूल वाहनों पर सब्सिडी कर दी बंद
सामना संवाददाता / मुंबई
पर्यावरण अनुकूल इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति पिछले कुछ वर्षों में लोगों की रुझान बढ़ी थी, लेकिन केंद्र और राज्य सरकार द्वारा इन वाहनों पर दी जानेवाली सब्सिडी बंद किए जाने से इनकी बिक्री में काफी गिरावट आई है।
उल्लेखनीय है कि केंद्र और राज्य सरकारें इलेक्ट्रिक वाहनों पर सब्सिडी देती थीं। इस वजह से महंगी होने के बावजूद लोगों का झुकाव इन गाड़ियों की तरफ बढ़ा था। लोग इन गाड़ियों को इस वजह से भी खरीदते थे क्योंकि ये गाड़ियां पेट्रोल-डीजल की तुलना में काफी किफायती साबित हो रही थीं। बताया जाता है कि जब से इलेक्ट्रिक वाहनों पर मिलनेवाली सब्सिडी सरकार ने बंद की है, तब से इनकी बिक्री में गिरावट दर्ज की जा रही है। देश में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की बिक्री में मई के मुकाबले जून २०२४ में १४ प्रतिशत की गिरावट आई है। वाहन विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंंकि सरकारी नीतियों में बदलाव के कारण इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति लोगों की उदासीनता प्रमुख कारक हो सकता है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के वाहन बिक्री के आंकड़ों के अनुसार, जून २०२४ में ईवी की बिक्री मई में की गई १,२३,७०४ ईवी की तुलना में १४ प्रतिशत से भी ज्यादा घटकर १,०६,०८१ रह गई। यह इस वर्ष में बिक्री की सबसे कम संख्या है। इस साल अब तक करीब ८,३९,५४५ इलेक्ट्रिक वाहन बेचे गए हैं, जो कुल बिके १,२५,४१,६८४ वाहनों का करीब ६.६९ प्रतिशत है। इलेक्ट्रिक वाहनों की कम बिक्री का दूसरा सबसे बड़ा कारक ई-दोपहिया वाहनों के लिए कम प्रोत्साहन, हाईब्रिड में उपभोक्ताओं का बढ़ता विश्वास, चार्जिंग के दमदार बुनियादी ढांचे की कमी बताई जा रही है। उल्लेखनीय है कि इलेक्ट्रिक वाहनों के मामले में इस साल और पिछले साल जून का महीना सबसे खराब प्रदर्शन करनेवाला रहा है।
बता दें कि पिछले साल इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के लिए अधिकतम सब्सिडी को लगभग ६० हजार रुपए से घटाकर लगभग २२,५०० रुपए करने का केंद्र सरकार के पैâसले की वजह से ईवी की बिक्री में गिरावट आई थी। सरकार के इस कदम में ई. दोपहिया वाहनों की औसत कीमत में २० फीसदी से ज्यादा का इजाफा हो गया, जो आमतौर पर ८०,००० रुपए से १,५०,००० रुपए के बीच होती है। ऐसे में यही कहा जा रहा है कि सरकार ईवी वाहनों को बढ़ावा देने से कतरा रही है।
वाहन विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार नहीं चाहती है कि इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में इजाफा हो। इसके पीछे जो कारण बताया जा रहा है, वह पेट्रोल और डीजल पर लगनेवाला ‘वैट’ है क्योंकि वैट से सरकारों की काफी कमाई होती है। यदि इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ी तो पेट्रोल-डीजल की बिक्री प्रभावित होगी।

 

ड्रेस कोड का उल्लंघन करनेवाले छात्रों को कॉलेज के गेट से बाहर निकाला

सामना संवाददाता / मुंबई
चेंबूर में एनजी आचार्य और डीके मराठे कॉलेज के कुछ छात्र ड्रेस कोड का उल्लंघन करते हुए पाए गए। इसके बाद प्रशासन ने उन्हें मेन गेट से बाहर कर दिया। बीते साल कॉलेज में हिजाब और बुर्का पहनने पर रोक लगा दी गई थी। इसके बाद इस साल नए साल में एक नया ड्रेस कोड पेश किया, जिसमें लड़कियों के लिए फॉर्मल शर्ट-पैंट, इंडियन आउटफिट और वेस्टर्न कपड़े पहनने की अनुमति दी गई थी। गत २७ जून को एक नया नोटिस जारी कर कॉलेज वैंâपस में टी-शर्ट, जींस और जर्सी पहनने पर भी बैन लगा दिया गया था।
कॉलेज प्रशासन ने गत १ जुलाई से छात्रों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया। छात्रों ने दावा किया कि मुंबई हाई कोर्ट द्वारा उनकी याचिका खारिज करने के बाद कॉलेज ने ड्रेस कोड लागू करना शुरू कर दिया। २७ जून के सर्वुâलर में कॉलेज के अनुशासनात्मक नियमों को दोहराते हुए कहा गया कि छात्र ऐसा कोई कपड़े नहीं पहनेंगे जो धर्म को उजागर करता हो या सांस्कृतिक असमानता दिखाता हो। ग्राउंड फ्लोर पर कॉमन रूम में नकाब, हिजाब, बुर्का, स्टोल, टोपी, बैज आदि हटा दिए जाएंगे। इसके अलावा फटी जींस, टी-शर्ट, अंग प्रदर्शन वाले कपड़े और जर्सी की भी अनुमति नहीं दी जाएगी।

राज्यपाल ने किया ‘वाग्धारा कला महोत्सव’ का उद्घाटन …अजय कौल, जयंत देशमुख व रूमी जाफरी को राष्ट्रसेवा सम्मान

सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस ने वाग्धारा कला महोत्सव का उद्घाटन करते हुए कहा कि कला और कलाकार को प्रोत्साहन देने के लिए कला उत्सव आयोजित होते रहने चाहिए।
अंधेरा-पश्चिम के मुक्ति ऑडिटोरियम में आयोजित भव्य समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि देशभर से कलाकार मुंबई शहर में आते हैं। कुछ लोगों के सपने साकार होते हैं तो वो महान हो जाते हैं। फिर उन सफल लोगों से प्रेरणा लेकर युवा मुंबई की ओर खिंचे चले आते हैं। सपनों को पूरा करने के लिए हौसला बरकरार रहना जरूरी है। डॉ.वागीश सारस्वत व भार्गव तिवारी ने राज्यपाल का पुष्पगुच्छ व फलों की टोकरी देकर स्वागत किया। कंचन अवस्थी ने स्वागत वक्तव्य दिया तो वागीश सारस्वत ने वाग्धारा की भावी योजनाओं पर प्रकाश डाला।
इस समारोह का शुभारंभ विनोद दुबे के लोकगीतों से हुआ। फिल्मकार रूमी जाफरी से रवि यादव की बातचीत का दौर रोचक व रोमांचक रहा। नाटककार देव फौजदार की टीम के कलाकारों ने अपने नाटक के गीतों का ओजपूर्ण प्रदर्शन किया। गायक सुधाकर स्नेह की संगीत संध्या ने रंग जमा दिया। इस बीच सविता असीम, नंदिता माजी शर्मा, त्रिलोचन सिंह अरोड़ा और रवि यादव ने अपनी कविताएं प्रस्तुत कीं। कमला छाबड़ा रैपेटरी के कलाकारों ने रंगभूमि नाटक प्रस्तुत किया।
डॉ. वागीश सारस्वत के नेतृत्व में आयोजित इस समारोह में राज्यपाल रमेश बैस ने कला निर्देशक जयंत देशमुख, रूमी जाफरी, अजय कौल, प्रशांत काशिद, कंचन अवस्थी, रवि यादव और सविता रानी आदि को राष्ट्रसेवा सम्मान से सम्मानित किया किया। भार्गव तिवारी के संयोजन में बेला बारोट, विनीता टंडन यादव, मनीषा जोशी आदि की टीम ने समारोह का कुशल व्यवस्थापन किया। गीतकार अरविंद शर्मा राही ने वाग्धारा का परिचय दिया। गायिका श्रद्धा मोहते गीतों और कॉमेडियन सुनील पाल की फुलझड़ियों ने उत्सव में हास्य की उमंग भर दी।