पटरी से उतरे मालगाड़ी के पहिए, करनाल में टला बड़ा हादसा …०८ कंटेनर पटरियों पर गिरे

-३ किमी तक ट्रैक भी टूटा
-कई ट्रेनें रद्द, रूट भी डायवर्ट
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
कल सुबह हरियाणा के तरावड़ी स्टेशन से कुछ ही दूरी पर उस वक्त हड़कंप मच गया, जब चलती मालगाड़ी से ८ कंटेनर पटरी पर गिर गए। मौके पर पहुंचने के बाद अफसरों ने बताया कि मालगाड़ी के दो पहिए भी पटरी से उतरे हुए थे। हालांकि, राहत की बात यह रही कि हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई। हादसे के बाद दोनों तरफ से आने वाली ट्रेनों को रुकवा दिया गया। घटना की सूचना मिलने पर रेलवे के अधिकारी और पुलिस की टीम मौके पर पहुंची। कंटेनर गिरने की वजह से रेलवे ट्रैक के साथ-साथ बिजली की लाइनों को भी नुकसान पहुंचा।
हादसे की वजह से १४ पैसेंजर और एक्सप्रेस ट्रेनों को रद्द किया गया, वहीं ३८ ट्रेनों के रूट को डायवर्ट किया गया। इस रूट पर करीब ६० से ७० रेलगाड़ियां रोजाना अप-डाउन करती हैं। हादसे की वजह से वो प्रभावित हुर्इं। शुरुआती जांच में पता चला है कि मालगाड़ी का एक्सल टूटने की वजह से एकदम से झटका लगा और आठ कंटेनर रेलवे ट्रैक पर जा गिरे। मालगाड़ी के कुछ पहिए भी पटरी से उतर गए। पुलिस इंस्पेक्टर दिनेश कुमार ने बताया कि मुझे सुबह करीब ४ बजकर ४० मिनट पर सूचना मिली थी कि तरावड़ी रेलवे स्टेशन पर एक मालगाड़ी पटरी से उतर गई है। उसके ८ कंटेनर गिर गए हैं, इसकी जांच की जाएगी। हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई है। रेलवे ट्रैक करीब ३ किलोमीटर तक डैमेज हो गया है। इसे जल्द ही ठीक कर लिया जाएगा। सभी ८ कंटेनर खाली बताए जा रहे हैं। डीआरएम समेत मंडल के सभी बड़े अधिकारी मौके पर पहुंचे हैं। रेलवे की तरफ से जांच की जा रही है।
हर साल कितने हादसे?
सरकार का दावा है कि २००४ से २०१४ के बीच हर साल औसतन १७१ रेल हादसे होते थे, जबकि २०१४ से २०२३ के बीच सालाना औसतन ७१ रेल हादसे हुए। आंकड़े बताते हैं कि भारत में ट्रेन हादसों में बीते कई दशकों में कमी आई है। रेलवे की ईयर बुक के मुताबिक, १९६०-६१ से १९७०-७१ के बीच १० साल में १४,७६९ ट्रेन हादसे हुए थे। २००४-०५ से २०१४-१५ के बीच १,८४४ दुर्घटनाएं हुर्इं, वहीं २०१५-१६ से २०२१-२२ के बीच छह सालों में ४४९ ट्रेन हादसे हुए। इस हिसाब से १९६० से लेकर २०२२ तक ६२ सालों में ३८,६७२ रेल हादसे हुए हैं। यानी हर साल औसतन ६०० से ज्यादा दुर्घटनाएं हुर्इं।

अर्थव्यवस्था पर आंकड़े छुपा रही सरकार : अब मनमर्जी नहीं जनमर्जी चलेगी … लोकसभा में बोले अखिलेश

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
लोकसभा की कार्यवाही एक बार फिर कल शुरू हुई। केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग, नीट और अग्निपथ जैसे मुद्दों को लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरा। इस दौरान दोनों सदनों में जमकर हंगामा हुआ। लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के लिए धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा सांसद अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था पर आंकड़े छुपा रही है।
यह गिरने वाली सरकार
अखिलेश यादव ने पहले लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को बोलने का मौका देने पर धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि सबसे पहले उन सभी मतदाताओं को धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने लोकतंत्र को एकतंत्र बनाने से रोका। चुनाव के समय ऐसा कहा गया कि ४०० पार, पर समझदार जनता को फिर से धन्यवाद। उन्होंने कहा, ‘अवाम ने तोड़ दिया हूकुमत का गुमान, दरबार तो लगा है, मगर बड़ा गमगीन बेनूर है और पहली बार ऐसा लग रहा है कि हारी हुई सरकार विराजमान है। जनता कह रही है कि चलने वाली नहीं, यह गिरने वाली सरकार है। क्योंकि ऊपर से जुड़ा कोई तार नहीं, नीचे कोई आधार नहीं, अधर में जो लटकी, वो तो कोई सरकार नहीं।

इस चुनाव में पूरे इंडिया गठबंधन की जीत हुई है। यह इंडिया की सकारात्मक जीत हुई है। २०२४ का परिणाम हम इंडिया वालों के लिए जिम्मेदारी से भरा पैगाम भी है। हम यह भी कहेंगे कि १५ अगस्त १९४७ अगर आजादी का दिन था, तो ४ जून २०२४ देश के लिए सांप्रदायिक राजनीति से आजादी का दिन रहा। सबसे अच्छी बात यह है कि सांप्रदायिक राजनीति की हार हो गई।
-अखिलेश यादव, सपा सांसद

सिटीजन रिपोर्टर : मैनहोल के खुले ढक्कन में बांस का सहारा … एमबीएमसी की लापरवाही उजागर

मीरा रोड
मीरा रोड-पूर्व के आइडियल पार्क एरिया में मैनहोल का ढक्कन पिछले कई दिनों से खुला पड़ा है, जिससे आने-जाने वाले लोगों को भारी असुविधा और खतरे का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय निवासियों ने किसी बड़े हादसे से बचने के लिए मैनहोल के खुले ढक्कन में बांस लगा दिया है। स्थानीय लोगों ने कम से कम इतना तो कर दिया, लेकिन एमबीएमसी को इसकी जरा भी परवाह नहीं है। मनपा की इस लापरवाही को देखते हुए शहर के जिम्मेदार नागरिक नामवर सिंह ने सिटीजन रिपोर्टर बनकर इस खबर को ‘दोपहर का सामना’ तक पहुंचाया है।
मनपा कर रही हादसे का इंतजार
नामवर सिंह ने बताते हैं कि हमारे इलाके में मैनहोल का ढक्कन कई दिनों से खुला पड़ा है। स्थानीय निवासियों ने दुर्घटना की आशंका को देखते हुए गटर में बांस खड़ा कर दिया है, ताकि लोग दूर से ही देख सकें और दुर्घटना से बच सकें। उन्होंने आगे कहा कि इस तरह की लापरवाही से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। बच्चे, बुजुर्ग और वाहन चालकों के लिए यह स्थिति अत्यंत खतरनाक है। महानगरपालिका की यह जिम्मेदारी है कि वह तुरंत इस खुले मैनहोल को बंद करे और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करे। महानगरपालिका की ओर से इस समस्या का समाधान न किए जाने पर नामवर सिंह ने इसे अखबार में भेजकर जनता और अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की है। ‘दोपहर का सामना’ के माध्यम से उन्होंने प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता
नामवर सिंह का कहना है कि ऐसी समस्याओं के समाधान के उपाय होने चाहिए। महानगरपालिका को खुले मैनहोल और गटरों को तुरंत बंद करने के लिए टीम भेजनी चाहिए। मैनहोल के ढक्कनों की नियमित जांच और मरम्मत का प्रावधान होना चाहिए। खतरनाक स्थानों पर चेतावनी संकेत और बैरिकेड्स लगाए जाने चाहिए। लोगों को इस तरह की समस्याओं की रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। इसे लेकर एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया जाना चाहिए जहां लोग ऐसी समस्याओं की तुरंत रिपोर्ट कर सकें। नामवर सिंह की इस नागरिक पहल ने एक बार फिर प्रशासन की लापरवाही को उजागर किया है। अब देखना यह है कि महानगरपालिका कब तक इस समस्या का समाधान करती है और नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देती है।

किसानों की जमीन पर अन्यायकारक आरक्षण! …किसानों ने की उद्धव ठाकरे से मुलाकात

सामना संवाददता / ठाणे
आगासन में किसानों की जमीन पर ठाणे मनपा प्रशासन द्वारा गलत तरीके से किए गए आरक्षण को रद्द करने को लेकर ग्रामीणों की लड़ाई जारी है। मानसून सत्र में किसानों ने अपनी मांग को लेकर शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे और विरोधी पक्षनेता अंबादास दानवे से मुलाकात कर अपनी समस्या बताई और इस संबंध में सदन में मुद्दा उठाने की बात कही। ‘आगासन गांव संघर्ष समिति’ के अध्यक्ष और दिवा शहर के आयोजक रोहिदास मुंडे ने उक्त निवेदन दिया।
आसनगांव के नागरिकों के संघर्ष को ‘आगरी-कोली सामाजिक संगठन’ और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे सहित) ने ग्रामीणों को पहले ही समर्थन दे दिया है। आगासन गांव में शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे और विपक्ष के नेता अंबादास दानवे से मुलाकात के बाद इस मामले की गंभीरता से उन्हें अवगत कराया कि मनपा ने मनमाने तरीके से ग्रामीणों की निजी जमीन पर आरक्षण लगा दिया है, वहीं इस निवेदन के माध्यम से ग्रामीणों ने मांग की है कि क्लस्टर विकास में उक्त सुविधाओं के लिए जगह उपलब्ध कराई जाए। किसानों की ओर से ‘आगासन गांव संघर्ष समिति’ ने शिवसेना पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे और अंबादास दानवे से यह मांग की है।

मुंबई में ३६ महीनों में आग से जलकर ६५ की मौत! … ४७३ बुरी तरह झुलसे

-इमारतों में अग्निसुरक्षा की हुई जांच
-२७८ में मिली खामियां

सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई के विभिन्न इलाकों में पिछले ३६ महीनों की कालावधि में आग लगने की कुल १३ हजार घटनाएं हुई हैं। इसमें ६५ लोगों की मौत हुई है, जबकि ४७३ लोग बुरी तरह से झुलसे हैं। आग लगने और उसकी चपेट में आकर हुई इन मौतों के बाद जागी राज्य सरकार ने पिछले साल १,२७० इमारतों में लगे फायर सिस्टम की जांच की। इनमें से २७८ इमारतों में अग्निरोधक व जीवनरक्षा उपायों में खामियां पाई गर्इं।
उल्लेखनीय है कि इस समय मानसून सत्र चल रहा है। इस सत्र में विपक्ष जमकर सत्ता पक्ष पर सवालों की बौछार कर रहा है। इस बीच सदन में सदस्य मौखिक और लिखित सवालों की भरमार कर रहे हैं। इस बीच कल विधानसभा के कई सदस्यों ने मुंबई में आग की घटनाओं में हुई मौत को लेकर कई सवाल लिखित तौर पर पूछे। इसे लेकर मुख्यमंत्री ने लिखित जवाब में कहा है कि मुंबई में तीन सालों में आग की १३ हजार घटनाएं घटित हुई हैं। इन घटनाओं में ६५ लोगों की मौत हुई है, जबकि ४७३ लोग झुलसे हैं। इससे सबक लेते हुए मुंबई में इमारतों में अग्निसुरक्षा की जांच की गई है। जुटाई गई है जानकारी
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने लिखित जवाब में कहा है कि जनवरी से दिसंबर २०२३ के बीच मुंबई मनपा ने कुल १,२७० इमारतों में लगे फायर सिस्टम की जांच की है, जिसमें से २८७ के फायर सिस्टम में खामियां पाई। इन खामियों को तत्काल दूर करने के लिए संबंधित इमारतों को नोटिस जारी किया गया, इसके बाद सभी ने नोटिस को गंभीरता से लिया और खामियों को दूर कर दिया।

भाजपा को हिंदी भाषियों का वोट तो चाहिए पर विधान परिषद का टिकट नहीं देना-कांग्रेस ने बोला जोरदार हमला

सामना संवाददाता / मुंबई
उत्तर भारतीयों को लेकर मुंबई में राजनीति चरम पर रहती है। भाजपा को उत्तर भारतीयों व हिंदी भाषियों का वोट तो चाहिए लेकिन हिंदी भाषियों को राजनीति में अवसर नहीं देना चाहती है। भाजपा किसी भी हिंदी भाषी को विधान परिषद में टिकट या किसी प्रमुख पद पर नियुक्त नहीं करना है। हिंदी भाषियों को इस्तेमाल करने की भाजपा की इस नीति को लेकर मुंबई कांग्रेस के कोषाध्यक्ष संदीप शुक्ला ने भाजपा पर हमला बोला है।
उत्तर भारतीय समाज विधानसभा
चुनाव में देगा जवाब
शुक्ला ने कहा कि विधान परिषद में ११ सीटें रिक्त हो रही हैं, जिसके लिए आगामी १२ जुलाई को मतदान होना है, लेकिन आश्चर्य है कि इन ११ सीटों में से एक सीट पर भी भाजपा की ओर से एक भी उत्तर भारतीय को मौका नहीं दिया गया है। उन्होंने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि भाजपा उत्तर भारतीयों को सिर्फ इस्तेमाल करना जानती है। शुक्ला ने कहा कि कहीं न कहीं उत्तर प्रदेश के लोग यह समझ गए हैं इसलिए उन्होंने भाजपा को लोकसभा में उचित जवाब दिया। अब महाराष्ट्र का उत्तर भारतीय समाज आगामी विधानसभा चुनाव में इसका जवाब देगा।
एक भी हिंदी भाषी को टिकट नहीं
बता दें कि विधान परिषद में महायुति के कोटे में ११ सीटें हैं, जिनमें से ५ पर भाजपा अपना उम्मीदवार उतारेगी, बाकी सीटें उसके सहयोगी दलों के खाते में गई हैं। इन ११ में से भाजपा कोटे में गई विधान परिषद की ५ सीटों में से एक भी उत्तर भारतीय समाज के पाले में नहीं आई है। भाजपा ने ५ उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की है। इसमें पंकजा मुंडे, सदाभाऊ खोत और परिणय फुके, योगेश टिलेकर, अमित गोरखे के नाम शामिल है।
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र विधान परिषद की ११ सीटें २७ जुलाई को खाली हो रही हैं। इन सीटें के उम्मीदवारों के लिए विधानसभा सदस्यों को मतदान करना है।

दिंडोशी में म्हाडा, पीएमजीपी कॉलोनियों का पुनर्विकास करो पूरा! … विधानसभा में शिवसेना विधायक सुनील प्रभु की मांग

सामना संवाददाता / मुंबई
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के प्रतोद सुनील प्रभु ने कल विधानसभा में सरकार से दिंडोशी हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी और न्यू म्हाडा दिंडोशी कॉलोनी के पुनर्विकास के लिए स्थानीय निवासियों के संगठन के साथ एक संयुक्त बैठक बुलाने की मांग में की। इसके साथ ही, वनराई और अंधारी की पीएमजीपी कॉलोनी के पुनर्विकास में तेजी लाने की मांग की है।
उक्त कॉलोनी के पुनर्विकास की ओर इशारा करते हुए सुनील प्रभु ने कहा कि मेरे निर्वाचन क्षेत्र में दिंडोशी हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी और न्यू म्हाडा डिंडोशी कॉलोनी को बनाए रखना म्हाडा के लिए असंभव था। ऐसे समय में ये सभी मंडल पुनर्विकास के लिए तैयार होंगी। इसलिए उन्हें म्हाडा से मदद की जरूरत है। लेकिन म्हाडा मदद नहीं कर रहा है। उस संबंध में वहां के जनप्रतिनिधि और महासंघ को बुलाकर निर्णय लें। जोगेश्वरी डिविजन में हाईवे से सटी म्हाडा की वन कॉलोनी है। इस कॉलोनी के निर्माण को कई साल बीत चुके हैं, लेकिन म्हाड द्वारा कॉलोनी की नालियां, रखरखाव और अन्य कार्य नहीं किए जा सके हैं। ये निवासी पुनर्विकास के लिए तैयार हैं। लेकिन इस कॉलोनी का पुनर्विकास तय नहीं हो सका है। डेवलपर्स आते हैं और चले जाते हैं। लेकिन कोई पुनर्विकास नहीं हुआ है। उस संबंध में रहवासी संघ को बुलाकर निर्णय लिया जाना चाहिए। अंधेरी की पीएमजीपी कॉलोनियां जर्जर हो चुकी हैं। लोग पुनर्विकास के लिए तैयार हैं। पिछली बार एक डेवलपर पुनर्विकास के लिए आगे आया था। लेकिन आगे कुछ नहीं हुआ। दो दिन पहले कॉलोनी में एक मकान का स्लैब गिर गया और एक बीमार महिला बाल-बाल बच गई। इमारत कभी भी गिर सकती है। इस सत्र के दौरान फेडरेशन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को बुलाकर पुनर्विकास पर निर्णय लें। अन्यथा, सरकार को यह भी बताना होगा कि पीएमजीपी कॉलोनी के ढहने से हुई जनहानि के मामले में किस पर मामला दर्ज किया जाएगा? सुनील प्रभु द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए आवास मंत्री अतुल सावे ने कहा कि अगर दोनों म्हाडा कॉलोनियां स्व-पुनर्विकास के लिए तैयार हैं, तो उन्हें जल्द ही अनुमति दी जाएगी।

विपक्ष का सरकार से सवाल : मंत्री के ड्राइवर का वेतन ३० हजार तो एसटी ड्राइवर का वेतन १२ हजार क्यों?

सामना संवाददाता /मुंबई
एसटी निगम कर्मचारियों की लंबित मांगों को लेकर कल विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ। एसटी ड्राइवरों के वेतन को लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरा। विपक्ष ने सवाल उठाया कि मंत्री के ड्राइवर को ३० हजार और एसटी ड्राइवर को सिर्फ १२ हजार रुपए वेतन क्यों दिया जा रहा हैं? प्रहार जनशक्ति पार्टी के विधायक बच्चू कडू ने सरकार पर जोरदार हमला बोलते हुए कहा कि सरकार को शर्म आनी चाहिए। विपक्षी दल के सदस्यों ने एसटी कर्मचारियों के विभिन्न मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाया और परिवहन मंत्री की इस विषय पर जमकर छीछालेदर हुई।
विधानसभा में कल एसटी कर्मचारियों की वेतन वृद्धि, महंगाई भत्ता और मकान किराया जैसे मुद्दों को लेकर विपक्ष ने अहम सवाल उपस्थित किया। इस पर विस्तार से चर्चा हुई। परिवहन मंत्री दादा भुसे ने कुछ आंकड़े पेश कर इसे संक्षेप में बताने की कोशिश की, लेकिन विपक्ष ने कई मामलों पर उन्हें घेर लिया। इस मौके पर विधायक बच्चू कडू ने कहा कि एसटी निगम के ड्राइवर को केवल १२ हजार रुपए वेतन के रूप में भुगतान किए जाते हैं, जो दिन की गर्मी में भी जनता की सेवा करता है? इस चर्चा में भाग लेते हुए अन्य सदस्यों ने कहा कि न्यूनतम वेतन कानून के मुताबिक १४ हजार रुपए से ज्यादा वेतन मिलना चाहिए, लेकिन अगर सरकार कानून तोड़ रही है तो किससे न्याय की अपेक्षा की जाए? बच्चू कडू ने गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि सरकार को शर्म आनी चाहिए।

आईला…रु. ३५ लाख की चीनी खा गए बंदर! …शुगर मिल की ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा

प्रबंधक समेत ६ अधिकारी दोषी
सामना संवाददाता / अलीग़ढ़
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ की एकमात्र साथा चीनी मिल में १,१०० क्विंटल चीनी के घोटाले का मामला सामने आया है। बताया गया कि तकरीबन ३५ लाख की चीनी बारिश में बही और बंदर खा गए, जबकि यह चीनी मिल २६ महीने से बंद है। अब इस मामले में जांच रिपोर्ट आने के बाद प्रबंधक समेत ६ अधिकारी दोषी पाए गई हैं। इसके अलावा गोदाम कीपर सहित दो पर मुकदमा दर्ज किया गया है।
इस मामले में प्रबंधक, लेखाधिकारी सहित ६ मिल के अधिकारियों को दोषी पाया गया है, जिसके बाद अब इनसे धनराशि की रिकवरी की तैयारी हो रही है। ऑडिट रिपोर्ट में बड़ी गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। अलीगढ़ में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जहां छेरत स्थित साथा चीनी मिल में करीब ३५ लाख रुपए की १,१०० क्विंटल चीनी बंदर खा गए। सुनने में ये अजीब लग रहा होगा, लेकिन ये खुलासा द किसान सहकारी चीनी मिल्स लिमिटेड की ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है। इस मामले में प्रबंधक, लेखाधिकारी सहित ६ मिल के अधिकारियों को दोषी पाया गया है। अब इनसे धनराशि की रिकवरी की तैयारी हो रही है। बता दें कि अलीगढ़ में मौजूद साथा चीनी मिल की वर्ष १९७५ में स्थापना की गई थी। इस चीनी मिल के अलीगढ़ में लगने से आसपास के गन्ने की खेती करने वाले किसानों ने राहत की सांस ली थी। हालांकि, इस चीनी मिल के बीच में कई बार बंद होने व गन्ना किसानों के भुगतान न होने पर किसानों ने प्रदर्शन भी किए, लेकिन अब ये मिल किसानों को नई उम्मीद देती हुई नजर आ रही थी। इसी बीच एक ऐसी घटना सामने आई जिसको सुनने के बाद हर कोई हैरत में पड़ गया। मामला जब उजागर हुआ तो अधिकारी भी संशय में पड़ गए। बात बढ़ी तो विभागीय अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया गया।

एक जैसे तेवर ‘यूपी के दो लड़के’ …संसद में जुगलबंदी से बढ़ रही भाजपा को चुनौती

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
लोकसभा चुनाव में यूपी में भाजपा को शिकस्त देने के बाद ‘यूपी के दो लड़कों’ की जुगलबंदी संसद में भी नजर आ रही है। सोमवार को विपक्ष के नेता राहुल गांधी तो आज सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने जमकर तंज कसे। दोनों ने अग्निवीर से लेकर पेपर लीक पर भाजपा को घेरा। संसद में विपक्ष के नेता नीट पेपर लीक के मुद्दे को खूब उठा रहे हैं। पेपर लीक के मुद्दे को उठाते हुए अखि‍लेश यादव ने सवाल किया कि पेपर लीक क्यों हो रहे हैं? कहा कि सच तो यह है कि सरकार ऐसा इसलिए कर रही है ताकि उसे युवाओं को नौकरी न देनी पड़े। आगे बोले कि यूपी में हर परीक्षा का पेपर लीक हुआ है। सरकार नौकरी नहीं देना चाहती है। भाजपा को घेरते हुए सपा प्रमुख ने कहा कि शिक्षा माफिया का जन्म इनकी उपलब्धि है। राहुल गांधी ने सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सबसे पहले नीट का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि संसद में नीट पर चर्चा होनी चाहिए। यह युवाओं से जुड़ा मुद्दा है, पहले इस पर चर्चा हो।
राहुल गांधी ने भगवान शिव, पैगंबर मोहम्मद, गुरु नानक, ईसा मसीह, भगवान बुद्ध और भगवान महावीर का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने निडरता का विचार उनकी शिक्षाओं से लिया है। इन शब्दों को रिकॉर्ड से हटाया दिया गया। इसके साथ ही पक्ष-विपक्ष के नेता तरह-तरह की टिप्पणी करने लगे।

सभी विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक में सर्वसम्मति बनी थी कि आज हमें नीट पेपर लीक पर चर्चा चाहिए। संसद में कुछ ऐसा भी हुआ, जिसे लेकर माहौल अभी तक गरमाया हुआ है। हिंदू, मणिपुर, नीट, किसान, अग्निवीर के साथ-साथ कई मुद्दों पर अपनी राय रखी, जिसके बाद सियासी घमासान शुरू हो गया। भाषण के कुछ हिस्सों को रिकॉर्ड से हटा दिया गया।
-राहुल गांधी, विपक्ष के नेता