मनपा ने फूड स्टॉल्स पर शुरू की कार्रवाई!…सात दिनों में ३,००० सामानों को किया जप्त

सामना संवाददाता / मुंबई

मुंबई मनपा अनधिकृत खाद्य व पेय पदार्थों वाले स्टॉल्स पर सख्त कार्रवाई कर रही है। इसके तहत गठित विशेष टीम ने कार्रवाई करते हुए सात दिनों में ७१३ ठेलों, १,२४६ विभिन्न प्रकार के सामानों और १,०३७ सिलिंडरों समेत कुल ३,००० सामानों को जप्त किया है। इस कार्रवाई में मुंबई की सड़कों पर चलनेवाले चाइनीज फूड और अन्य अनधिकृत स्टॉल्स पर विशेष कार्रवाई की जा है। मुंबई हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक, अनधिकृत फेरीवालों, लावारिस वाहनों, फुटपाथों पर अतिक्रमण करनेवालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। सड़क किनारे खाना पकाना और बेचना कानून का खुला उल्लंघन है। इसके साथ ही मुंबई हाई कोर्ट ने हॉकरों पर गैस सिलिंडर का इस्तेमाल करने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। इसके बावजूद कारोबार जारी रखने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। फेरीवालों का खाना खाने से बीमारियां के पैâलने का खतरा रहता है। इसे ध्यान में रखते हुए मनपा आयुक्त भूषण गगरानी ने निर्देश दिए कि मुंबई को फेरीवालों से मुक्त करने और नागरिकों का रास्ता साफ करने के लिए फुटपाथों पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। इसी के तहत अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की गई है।
लगातार की जाएगी कार्रवाई
उपायुक्त किरण दिघावकर ने कहा है कि यह सुनिश्चित करने के लिए उपाय किए जा रहे हैं कि मुंबई के नागरिक फुटपाथों का उपयोग आसानी से कर सकें। साथ ही सड़कों पर ट्रैफिक जाम से बचने के लिए फुटपाथ अतिक्रमण से मुक्त रहें। उन्होंने कहा है कि स्वास्थ्य के लिहाज से मुंबईकरों को गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध हो, खुले और अस्वच्छ भोजन विक्रेताओं को रोकने के लिए लगातार कार्रवाई की जाएगी।

गूगल ने कर दी गुगली… मैप ने मौत के मुहाने तक पहुंचाई कार!

-उफान मार रही नदी में फंसे, बची जान

सामना संवाददाता / मुंबई

आज लोगों की जिंदगी तकनीक के सहारे चल रही है, लेकिन कई बार इनका सहारा लेना लोगों को भारी पड़ जाता है। इसी तरह का एक मामला केरल में सामने आया है, जहां कार से चल रहे दो युवक अपना रास्ता तलाशने के लिए गूगल मैप का सहारा लेते हैं, लेकिन वह उन्हें गुगली दे देता है। साथ ही उन्हें मौत के मुहाने पर पहुंचा देता है। वे उफान मारती नदी में पहुंच गए। हालांकि, उनकी किस्मत बहुत अच्छी रही कि कार केरल के सुदूर उत्तरी कासरगोड जिले में एक पेड़ से फंस गई, जिस कारण वे बाल-बाल बच गए।
मिली जानकारी के अनुसार, उत्तरी कासरगोड के पल्लंची में उफनती नदी में फंसी गाड़ी को सुरक्षित निकालने के लिए अग्निशमन कर्मियों को भारी मशक्कत करनी पड़ी। नदी में फंसी कार और घंटों तक चले बचाव अभियान के वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गए। नदी में गिरने के बाद दोनों युवक इसलिए बाहर निकल पाए, क्योंकि पानी की धार में बहती उनकी कार एक पेड़ में फंस गई। कार से बाहर निकलकर उन्होंने अग्निशमन कर्मियों से संपर्क किया और बचाव अभियान शुरू किया।
वे जा रहे थे अस्पताल
नदी में फंसे दोनों युवकों ने बताया कि वे तड़के पड़ोसी राज्य कर्नाटक में एक अस्पताल के लिए जा रहे थे और इसके लिए वे गूगल मैप्स का इस्तेमाल कर आगे बढ़ रहे थे। दो युवकों में से एक अब्दुल रशीद ने कहा कि गूगल मैप्स ने एक संकरी सड़क दिखाई और उन्होंने अपनी कार को उसमें से निकाला। गाड़ी की हेडलाइट का इस्तेमाल करके हमने यह महसूस किया कि हमारे सामने कुछ पानी है, लेकिन हमने यह नहीं देख पाए कि दोनों तरफ नदी बह रही है और बीच में एक पुल भी है। पुल पर कोई साइडवॉल भी नहीं था। इस बीच कार अचानक पानी की तेज धाराओं में चली गई और अनियंत्रित होकर बहने लगी, लेकिन बाद में नदी के बीच एक पेड़ में फंस गई।
मुश्किल से बची जिंदगी
नदी में फंसी गाड़ी से वो दोनों किसी तरह कार का दरवाजा खोलने और वहां से बाहर निकलने में कामयाब रहे। इसके बाद दोनों फायर फोर्स कर्मियों से किसी तरह संपर्क करने में कामयाब रहे और उन्हें वहां का लोकेशन भेज दिया। जानकारी मिलने के बाद फायर फोर्स के कर्मी घटनास्थल पर पहुंचे और उन्होंने रस्सियों का इस्तेमाल करते हुए दोनों लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला।

 

पालघर में नहीं थम रहा बाल विवाह… प्रशासन की विफलता से बालिका बन रही वधू!

-आदिवासी नाबालिग गर्भवती किशोरी की मौत…पुलिस ने दस लोगों पर किया केस दर्ज

योगेंद्र सिंह ठाकुर / पालघर

पालघर जिले के ग्रामीण इलाकों में रहनेवाले आदिवासियों में आज भी बाल विवाह एक बड़ी समस्या है। यहां कुछ दिन पहले ही एक बालिका को वधू बनाया गया था, जिसके गर्भवती होने पर मौत का सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां के मोखाड़ा इलाके में स्थित अस्पताल में एक गर्भवती आदिवासी किशोरी की मौत हो गई। यह किशोरी कातकरी समुदाय से थी। मौत के बाद पता चला कि यह लड़की सिर्फ १६ साल की थी। उसे गर्भवस्था से संबंधित परेशानियां आने के कारण मोखाड़ा के ग्रामीण अस्पताल में भर्ती किया गया था। पुलिस ने मृतका के पति सहित १० लोगों पर पॉक्सो अधिनियम सहित बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है।
लड़की को हुईं
गर्भावस्था से जुड़ी परेशानियां
मिली जानकारी के मुताबिक, २१ वर्षीय जयेश रामदास नामक आरोपी दो साल से इस लड़की से संबंध बना रहा था। इस दौरान वह गर्भवती हो गई। जब लड़की के घर वालों को इस बात का पता चला तो उन्होंने इन दोनों की शादी करा दी। बताया जाता है कि यह लड़की कम उम्र में गर्भवती हुई थी इसलिए गर्भावस्था में उसे कई परेशानियां आ रही थीं। घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने २२ जून को पति सहित उन सभी लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज की है, जो नाबालिग लड़की की शादी में उपस्थित थे।
ग्रामीण इलाकों में नहीं थम रहे मामले
बता दें कि पालघर जिले के कुछ आदिवासी समुदायों में बाल विवाह आम है, किशोर युवावस्था में पहुंचने पर एक साथ रहना शुरू कर देते हैं, जिससे बाल विवाह की समस्या अभी बनी हुई है। पालघर में बालिकाओं को वधू बनने से रोकने में सरकार और प्रशासन दोनों ही विफल हैं। इसके अलावा यह भी सवाल उठता है कि आदिवासी समुदाय आमतौर पर कस्टमरी लॉ से चलते हैं। इस मामले में लड़की के परिवार ने कोई शिकायत भी दर्ज नहीं कराई है, तो क्या अदालत में यह मामला टिक पाएगा?

नहीं सुधर रही उल्हासनगर की दशा!…आयुक्त के आदेशों की हो रही अनदेखी

सामना संवाददाता / उल्हासनगर 

उल्हासनगर में असक्षम इंजीनियरों व लापरवाह ठेकेदारों के भरोसे किए जा रहे काम के चलते उल्हासनगर शहर की दशा नहीं सुधर रही है। उल्हासनगर में मूलभूत कार्यों पर मोटी रकम खर्च होने के बावजूद विकास की ऐसी की तैसी हो गई है। मानसून पूर्व सड़कों की खुदाई फिर उसकी मरम्मत का काम ठीक से न किए जाने के चलते सड़क पर गड्ढे हो गए हैं, जिसमें थोड़ी सी बारिश होने पर ही पानी जमा हो जाता है और हादसों की आशंका भी बढ़ जाती है। उल्हासनगर के जागरूक नागरिक राजन अंबावने ने बताया कि उल्हासनगर शहर अनियोजित व्यापारिक शहर है। यहां के ठेकेदार, नगरसेवक, समाजसेवक, अधिकारी सभी लोग मानो विकास कार्य को व्यापार समझ रहे हैं। एक बड़ी रकम कमीशन में बांटी जाती है। शहर में कई जगह ऐसी भी हैं, जहां गटर में ही पानी की पाइप बिछाई गई हैं। इन्हीं में से होकर पानी लोगों के घरों तक जाता है। कई बार लीकेज होने की वजह से इन पाइपों में गटर का पानी घुस जाता है, जो घरों तक पहुंचता है, और दूषित पानी के कारण लोग बीमार होते हैं। आयुक्त अजीज शेख ने मानसून से पहले सफाई, निर्माण, जलापूर्ति सहित सभी विभागों को इस बात की विशेष हिदायत दी थी कि शहर में कहीं भी कचरा न जमा होने पाए। साथ ही पानी निकासी की भी पूरी व्यवस्था की जाए, इसके बावजूद शहर में जगह-जगह पर जलजमाव हो रहा है। शहर के सपना गार्डन, शांति नगर श्मशान भूमि, गोल मैदान, बिरला गेट सहित अन्य जगहों पर होने वाले जलजमाव से यह साबित होता है कि संबंधित विभागों को आयुक्त के आदेशों की कोई परवाह नहीं है।

सम-सामयिक : सुरक्षित अमरनाथ यात्रा मोदी ३.० सरकार की पहली प्राथमिकता हो

लोकमित्र गौतम

पाकिस्तान के आतंकी गुट द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) की अमरनाथ यात्रियों पर हमले की खुली धमकियों तथा खुफिया एजेंसियों को हाथ लगे डरावने इनपुट्स के बीच २९ जून २०२४ से १९ अगस्त २०२४ तक यानी कुल ५२ दिनों की अमरनाथ यात्रा-२०२४ शुरू हो चुकी है। सीआरएफ की २३१ गाड़ियों में सवार होकर ४,६०३ तीर्थयात्रियों का पहला जत्था जब २९ जून को बालटाल और पहलगाम बेस कैंप पहुंचा तो स्थानीय वालंटियरों और सुरक्षाबालों का उत्साह देखने लायक था, लेकिन चुनौती यह है कि यह उत्साह अगले दो महीनों तक लगातार बना रहना चाहिए। क्योंकि पवित्र अमरनाथ यात्रा को आतंकी अपने कुत्सित इरादों के चलते छिन्न-भिन्न करना चाहते हैं, इसलिए इस बार की अमरनाथ यात्रा हाल के दूसरे सालों की यात्रा की तरह नहीं है। इस बार की यात्रा पर आत्मघाती हमलों की आशंकाएं मंडरा रही हैं। दरअसल साल २०१९ में जम्मू-कश्मीर से धारा ३७० हटाने के बाद यह पहला ऐसा साल है, जब अमरनाथ यात्रा डर और दहशत के माहौल में हो रही है।
इसकी वजह है, जिस तरह से जम्मू-कश्मीर में हाल के लोकसभा चुनावों के दौरान मतदाताओं ने मतदान में बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी की थी, उससे आतंकी चिढ़ गए हैं। उनकी यह चिढ़ इसलिए भी उन्हें परेशान कर रही है क्योंकि जल्द ही जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं और आतंकियों को पता लग चुका है तब मतदाता और भी ज्यादा उत्साह से मत डालेंगे। इसलिए आतंकी चाहते हैं कि वह तुरत-फुरत में ऐसा कुछ कर दें कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव ही न हो। इसके लिए वो अमरनाथ यात्रियों पर कोई आत्मघाती हमला कर सकते हैं। क्योंकि कश्मीर में सफल लोकसभा चुनाव के बाद प्रदेश में सक्रिय आतंकी ही नहीं पड़ोस में बैठे उनके आका भी अंदर तक हिल गए हैं। ऐसे में वह किसी भी कीमत पर जम्मू-कश्मीर में खासकर अब तक शांत रहने वाले इसके जम्मू प्रभाग में दहशत का ऐसा माहौल बनाना चाहते हैं, जिससे दुनिया मान ले कि जम्मू-कश्मीर में शांति नहीं है।
यह आतंकियों की किस तरह मजबूत योजना का हिस्सा है, इसका पता इसी बात से लगता है कि जिस समय मोदी सरकार ३.० का राजधानी दिल्ली में औपचारिक रूप से गठन हो रहा था, ठीक उसी समय जम्मू में आतंकी दहशतगर्दी का माहौल बनाने के लिए आम लोगों विशेषकर तीर्थयात्रियों पर हमले कर रहे थे। मोदी ३.० सरकार के गठन के ७२ घंटों के भीतर जम्मू-कश्मीर में ३ जबरदस्त आतंकी हमले हुए। साल २०१७ के बाद यह पहली बार है, जब रियासी जिले में श्रद्धालुओं से भरी एक बस पर हमला किया गया, जिसमें १० श्रद्धालुओं की मौत हो गई। वैसे सुरक्षा तैयारियों के लिहाज से इस साल अमरनाथ यात्रा कहीं ज्यादा चाक-चौबंद है, लेकिन खुफिया एजेंसी को जिस तरह के इनपुट्स हाल में मिले हैं, उसके बाद से ही जम्मू क्षेत्र में सुरक्षा की ऐसी कवायद देखी गई है, जैसे हाल के दिनों में नहीं देखी गई थी।
इससे जाहिर है कि इस साल की यात्रा पर जबरदस्त खतरा मंडरा रहा है, इसलिए मोदी सरकार को अतिरिक्त सतर्कता बरतते हुए आशंका के मुकाबले कहीं ज्यादा निपटने का इंतजाम करना होगा। वैसे देखा जाए तो ऐसे इंतजाम हुए भी हैं। यह पहला ऐसा मौका है, जब अमरनाथ यात्रा पर जाने वाले यात्रियों के बेस कैंप की सुरक्षा की जिम्मेदारी आईजी रैंक के अधिकारी संभालेंगे। इससे पहले एसएसपी रैंक के अधिकारी बेस कैंप की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालते थे। वास्तव में पिछले दिनों जम्मू संभाग में ताबड़तोड़ हुए तीन आत्मघाती हमलों सहित रियासी जिले में तीर्थयात्रियों पर किया गया हमला, आतंकियों के मसूबों का सुराग दे दिया है, इस कारण सुरक्षा व्यवस्था को जबरदस्त तरीके से मजबूत बनाया गया है। यह पहला मौका है जब पूरे यात्रा मार्ग पर ड्रोन तैनात रहेंगे और पूरे यात्रा के दौरान १० सीसीटीवी सेंटर बनाए गए हैं, जहां पल-पल की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया जाएगा और जहां भी जरा सी खामी दिखेगी, तुरंत सीआरपीएफ की क्विक रिएक्शन टीम वहां मोर्चा संभालेगी। इस बार की अमरनाथ यात्रा के लिए सुरक्षा की तीन मजबूत लेयर बनाई गई है। जम्मू-कश्मीर पुलिस, फिर सेना और अंत में आतंकियों से निपटने वाली सीआरपीएफ की क्विक रिएक्शन टीम को तैनात किया गया है। यही नहीं पिछले एक महीने से विभिन्न स्तरों की सुरक्षा व्यवस्था में गहरा तालमेल बनाने के लिए लगातार आपातकालीन स्थितियों से निपटने हेतु मॉक ड्रिल हो भी रही है, जिससे अमरनाथ यात्रियों की सौ फीसदी सुरक्षा व्यवस्था हर हाल में सुनिश्चित की जाए।
वैसे अमरनाथ यात्रा के लिए हमेशा सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रही है, इसके बावजूद १९९० से लेकर २०१७ तक यानी लगभग तीन दशकों में आतंकियों ने तीर्थयात्रियों पर ३६ बार हमले किए हैं और इन हमलों में ६७ लोग मारे गए हैं। तीर्थयात्रियों पर आतंकियों का सबसे बड़ा हमला अगस्त २००० में हुआ था, जब पहलगाम में आतंकियों ने तीर्थयात्रियों के पड़ाव पर हमला किया था और ३२ लोगों को मार डाला था। ६० लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। मगर इसके बाद से छोटी-मोटी घटनाएं तो होती रही हैं, वैसी बड़ी घटना नहीं हुई। अगर आंकड़ों के लिहाज से देखें तो २०१९ के बाद से आतंकियों के अरेस्ट होने और जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की विभिन्न घटनाओं पर काफी कमी आई थी, लेकिन हाल के कुछ महीनों में जैसे कि आतंकी आत्मघात के जरिए दुनिया को यह संदेश देना चाहते हों कि जम्मू-कश्मीर में किसी तरह की शांति नहीं है, इसलिए पिछले चार महीनों में आतंकवादियों की आत्मघाती घटनाओं में काफी इजाफा हुआ है। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि आतंकियों के पास अब ऐसे उन्नत हथियार आ गए हैं, जिससे जरा सा मौका पाकर वे बहुत बड़ी दहशत फैला सकते हैं। खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, इस समय जम्मू-कश्मीर में सक्रिय करीब २०० आतंकियों के पास छोटी मिसाइल सहित ४ तरह के घातक हथियार हैं, जिनमें छोटी मिसाइलें यानी हैंड ग्रेनेड के अलावा आईआईडी, चिपकने वाला बम और हमलावार ड्रोन भी उनके पास एक हथियार है, जिसकी बदौलत वो दूर से भी हमला कर सकते हैं।
मगर सरकार ने भी जबरदस्त सुरक्षा व्यवस्था बनाई है, इससे शायद ही आतंकी कुछ कर सकें। फिर भी यह यात्रा मोदी ३.० सरकार के लिए इसलिए अग्निपरीक्षा होगी, क्योंकि सुरक्षा व्यवस्था के ऐसे ही बड़े-बड़े दावों के बीच पिछले एक महीने के भीतर जम्मू-कश्मीर में ४ आतंकी हमले हो चुके हैं, इनमें से ३ हमले तो मौजूदा केंद्र सरकार की गठन प्रक्रिया शुरू होने के बाद से हुए हैं, महज ७२ घंटों के भीतर। इन ताबड़तोड़ हमलों के जरिए आतंकी पूरी दुनिया को यह संदेश देना चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर में कतई शांति नहीं, बल्कि उथल-पुथल का माहौल है। किसी भी कीमत में इन आतंकियों को अपने मंसूबों पर सफल नहीं होने देना चाहिए। इसके लिए सरकार को आशंका से कहीं ज्यादा सतर्क रहना होगा।
(लेखक विशिष्ट मीडिया एवं शोध संस्थान, इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर में वरिष्ठ संपादक हैं)

`माइक्रो चीटिंग’ बेवफाई नहीं!

मनमोहन सिंह

अपनी जिंदगी के ४० वसंत देख चुकी सीमा को जब जिम में वर्कआउट करते वक्त ३० साल के अमीत अहलावत ने हंसते हुए कहा, अरे आपको वर्कआउट करने की क्या जरूरत है? आप तो एकदम फिट हैं तो हल्की सी शरमा गई उसे उसका टोकना बुरा नहीं लगा। यह सिलसिला अलग-अलग जगह पर अलग-अलग तरीके से जारी रहा। शाम के वक्त जब मंजू अपनी महिला साथियों के साथ जॉगिंग पर जाती अमित से टकरा जाती।
लगभग महीना बीत गया। एक शाम जब सीमा जॉगिंग कर रही थी अमित ने उसे इशारों से रोकने को कहा और वह रुक भी गई। उसके दोस्त आगे निकल गए। अमित ने कहा, `कहां इन लोगों के साथ अब जॉगिंग कर रही हैं? कहां ये और कहां आप! आपको देखकर तो मॉडल भी शरमा जाए।’ सीमा ने जॉगिंग के लिए फिटिंग पहन रखी थी उस उसको समझ में आ रहा था कि अमित का इशारा किस तरफ था।
`तुम भी किसी मॉडल से कम नहीं हो
मॉडलिंग क्यों नहीं करते अमित?’
`बिल्कुल करूंगा तुम साथ रहो तो…’
`दोनों मिलकर करते हैं…’ कहते हुए सीमा आगे बढ़ गई, क्योंकि उसके दोस्त उसे बुला रहे थे!
जब वो घर पहुंची तो उसका पति पवन आज जल्दी घर पहुंच चुका था, उसने चाय बनाने के लिए कहा। वो किचन में जा ही रही थी कि उसके फोन में एक मैसेज चमक उठा। यह अमित का मैसेज था। वो चेंज करने अपने बेडरूम में पहुंची। उसने दरवाजा बंद किया और मैसेज चेक करने लगी। मैसेज में जॉगिंग करते हुए उसकी एक तस्वीर थी। तस्वीर की एंगल कुछ इस तरह थी कि वह खुद ही शरमा गई। तुरंत मैसेज आया।
`गुस्सा तो नहीं हो? क्या करुं… खुद को रोक नहीं पाया… यू आर सच ए स्वीट एंड….’
उसने तुरंत टेक्स्ट कर पूछा, `स्वीट एंड व्हाट?’
उसका कोई जवाब नहीं आया। उसने फिर वही सवाल दोहराया, `आय एम स्वीट एंड व्हाट?’
वहां से जवाब आया, `सेक्सी’
साथ में आया एक इमोजी दिल का। सीमा ने भी दो दिल वाला इमोजी भेज दिया।
बाहर से पवन की आवाज आई, `चाय का क्या हुआ…?’
उसने जवाब दिया, `चेंज कर रही हूं इतनी भी क्या जल्दी है…?’
जबकि हमेशा वो पवन के आते खुद ही चाय बना कर उसे दे देती थी। आज उसे आने में भी देरी हुई थी फिर भी पवन को ही सुना रही थी। पवन को आश्चर्य हुआ, लेकिन रिएक्ट नहीं किया।
सीमा ने टेक्स्ट किया, `चाय बना रही हूं उनके लिए… बाद में चैट करती हूं!’
`थोड़ा रुक जाओ’
`प्लीज समझो चाय जरूरी है, वरना नाराज हो जाएंगे ‘
`…और हमारी नाराजगी?’
`प्लीज गुस्सा मत करो’
`कैच यू डिनर के बाद’
`पक्का’
रात के १० बज गए थे, सीमा अमित के मैसेज का इंतजार कर रही थी। वो बार-बार मैसेज चेक कर रही थी। सीमा अपने पति के साथ ड्राइंग रूम में बैठकर टीवी देख रही थी। फिल्म सीमा के फेवरेट सलमान खान की थी, लेकिन आज उसका ध्यान फिल्म पर नहीं था। आखिरकार पवन ने पूछा ही लिया, `क्या बात है आज तुम्हारा ध्यान सलमान खान पर नहीं, बल्कि तुम्हारे फोन पर है?’
सीमा ने कोई रिएक्ट नहीं किया। उसने फिर हंसते हुए पूछा, `क्या सलमान ने शादी से मना कर दिया?’ सीमा ने इस दफा भी कोई जवाब नहीं दिया। वो उठकर बेडरूम में चली गई। उसने अमित को मैसेज किया,
`कहां गायब हो गए कब से वेट कर रही हूं… फिक्र ही नहीं है!’
कुछ सेकेंड के बाद अमित का हंसता हुआ इमोजी आया।
`अब पता चला इंतजार क्या होता है? मैं तो रोज इंतजार करता रहता हूं तुम्हारे दीदार का’
`सॉरी किचन में ज्यादा टाइम लग गया। अब से तुम्हें कोई शिकायत नहीं होगी’
`पक्का’
`बिल्कुल पक्का’
और सीमा अपने पति पवन के साथ अपने फेवरेट हीरो सलमान खान की फिल्म छोड़कर अमित के साथ चैट में बिजी हो गई। फिल्म खत्म हो गई पवन बेडरूम में आ गया।
उसने तुरंत फोन बंद कर दिया। अमीत ने पूछा, `तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है?’
`हल्का सा सिरदर्द है सो जाती हूं, ठंड सी लग रही है’ कहते हुए सीमा ने ब्लैंकेट ओढ़ लिया। पवन ने पूछा, `एसी बंद कर दूं।’ सीमा ने कोई जवाब नहीं दिया। नींद सीमा से कोसों दूर थी। उसका ध्यान उन मैसेज पर था जो लगातार उसके फोन पर आ रहे थे। आधा घंटा बीत गया। उसने ब्लैंकेट हटाया। पवन सो गया था।
क्रमश:

कॉलम ३ : कब होगी मछुआरों की रिहाई?

एम एम सिंह

पिछले सप्ताह, २५ जून की सुबह श्रीलंकाई नौसेना ने जाफना के पास कांकेसंतुरई के पास श्रीलंकाई जलक्षेत्र में ‘भारतीय अवैध शिकार करने वाले ट्रॉलरों के एक समूह को खदेड़ने’ के लिए एक अभियान चलाया था। इस अभियान में एक ट्रॉलर-पोत जब्त कर लिया गया और १० मछुआरों को पकड़ लिया गया, जिनमें से आठ तमिलनाडु और बाकी आंध्र प्रदेश से थे। भारतीय (तमिलनाडु) मछुआरों के मरने के भी कई मामले सामने आए हैं। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने जहाज और लोगों को छुड़ाने के लिए विदेश मंत्री एस. जयशंकर से हस्तक्षेप की मांग की। गुरुवार को मुख्यमंत्री को भेजे अपने जवाब में जयशंकर ने कहा कि भारतीय उच्चायोग न्यायिक हिरासत में बंद ३४ मछुआरों और सजा काट रहे छह अन्य मछुआरों की शीघ्र रिहाई की मांग कर रहा है।
आश्चर्य की बात है कि विदेश मंत्री इस मौके को दोनों देशों के लिए बातचीत की प्रक्रिया को पुनर्जीवित करने के एक अवसर के तौर पर नहीं देख रहे हैं, जो विशेष रूप से मत्स्य पालन विवाद से निपटने के लिए, अपनी समुद्री सीमा रेखाओं के सीमांकन के लिए द्विपक्षीय समझौतों के मद्देनजर गंभीर हो गया था।
स्टालिन ने जयशंकर को संयुक्त कार्य समूह की बैठक बुलाने की याद दिलाकर अच्छा किया है, जो आखिरी बार, तकरीबन दो साल पहले आयोजित की गई थी। अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा को पार करने वाले भारतीय मछुआरों के सीमा लांघने के मामले पर पक्षपाती हुए बिना उनके आजीविका के अवसरों की सुरक्षा से संबंधित कारकों को समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के महत्व से अलग नहीं किया जा सकता है। तमिलनाडु के मछुआरों द्वारा उपयोग किए जा रहे बॉटम ट्रॉलर को धीरे-धीरे बदलना जरूरी है। लेकिन मछुआरों को गहरे समुद्र में मछली पकड़ने, समुद्री पिंजरे में खेती, समुद्री शैवाल की खेती और प्रसंस्करण और समुद्री पशुपालन के विविधीकरण के लिए तैयारी करने के लिए समय की आवश्यकता होती है, उन्हें एक वक्त लगेगा। केंद्र द्वारा क्रियान्वित की जा रही गहरे समुद्र में मछली पकड़ने की परियोजना के अनुभव के चलते साफ तौर पर माना जा सकता है कि यह केंद्र सरकार की विफलता है। कार्यान्वयन के लगभग सात वर्षों के बाद, गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाले केवल ६१ जहाजों को लाभार्थियों को सौंपा गया है, जबकि १९ और निर्माणाधीन हैं। क्या नई दिल्ली और कोलंबो उत्तरी प्रांत के मछुआरों को नहीं चाहिए कि वे और भी अधिक मदद करने के लिए अतिरिक्त योजनाएं तैयार करें।
हमेशा की तरह केंद्र सरकार इस मामले में भी गंभीर नहीं दिख रही है। जो मछुआरे पहले से वैâद में हैं और जो अभी-अभी पकड़े गए हैं उनको वापस लाने के लिए यह जरूरी है कि मामले की नजाकत को समझते हुए त्वरित निर्णय और कार्रवाई की जाए। साथ ही मछुआरों की तकलीफों को समझने की कोशिश की जाए कि आखिर क्यों वे उस इलाके में मछली पकड़ने जाते हैं, जहां पर उन्हें जान का खतरा होता है? यानी यह उनकी मजबूरी है! केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों को मिलकर उनकी इस मजबूरी को दूर करना होगा। फिलवक्त उससे ज्यादा महत्वपूर्ण है मछुआरों की रिहाई।
(लेखक पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।)

मुंबई में दोगुने हुए साइबर क्राइम!…क्रेडिट कार्ड, कस्टम पार्सल, महंगे गिफ्ट के नाम सर्वाधिक ठगी 

सामना संवाददाता / मुंबई

साइबर क्राइम से जुड़े अपराधों को नियंत्रित करने और जागरूकता के लिए मुंबई पुलिस कई अभियान चला रही है। इसके बावजूद मीम्स, स्पूफिंग मेल, फेक कस्टम अधिकारी बनकर ठगी, महंगे गिफ्ट के नाम पर धोखाधड़ी, नौकरी, निवेश और क्रिप्टो-करंसी से जुड़े साइबर अपराधों में इस साल की पहली तिमाही में इजाफा देखा गया है। मुंबई पुलिस के विश्लेषण से पता चलता है कि पिछले साल की तुलना में इस साल इन मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। मुंबई पुलिस के अनुसार, वर्ष २०२३ में फिशिंग के १३ मामलों की तुलना में २०२४ में २२ मामले दर्ज किए गए, वहीं नौकरी के नाम पर धोखाधड़ी के साल २०२४ में १५८ मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि २०२३ में मात्र ६५ मामले सामने आए थे। साथ ही निवेश धोखाधड़ी के भी २०२४ में १७० मामले सामने आए, जबकि २०२३ में २३ मामले दर्ज हुए थे।

संसद की रिपोर्टिंग करनेवाले पत्रकारों पर से हटाएं पाबंदियां!

-कांग्रेस सांसद की लोकसभा अध्यक्ष से मांग

सामना संवाददाता / नई दिल्ली

कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने रविवार को कहा कि उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर उनसे संसद की कार्यवाही की रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों पर कोविड पाबंदियां हटाने का अनुरोध किया। उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में बिरला को २७ जून को लिखे अपने पत्र की एक प्रति साझा की। टैगोर ने पोस्ट में कहा, ‘संसद की कार्यवाही की रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों पर कोविड पाबंदियां हटाने के लिए माननीय लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा। प्रतिष्ठित पत्रकारों को पाबंदियों के नाम पर रोका जा रहा है। मीडिया की पहुंच बहाल करने और उन्हें उनका उचित स्थान देने का वक्त आ गया है।’
बिरला को लिखे एक पत्र में उन्होंने कहा कि एक दशक से अधिक समय से संसद की कार्यवाही की रिपोर्टिंग कर रहे कई पत्रकार कोविड-१९ संबंधी प्रोटोकॉल के नाम पर पाबंदियों का सामना कर रहे हैं। कांग्रेस सांसद ने पत्र में कहा, ‘उन्हें संसद तक पहुंचने से रोकने से न केवल उनके पेशेवर कर्तव्यों में बाधा आती है, बल्कि जनता तक सटीक जानकारी पहुंचाने में भी समस्या होती है। हमारे देश के लोकतांत्रिक लोकाचार को संरक्षित करने के लिए यह जरूरी है कि सभी मान्यता प्राप्त पत्रकारों को बिना किसी बाधा के कार्यवाही को कवर करने की अनुमति दी जाए।’टैगोर ने कहा, ‘‘मैं आपसे मौजूदा पाबंदियों पर पुनर्विचार करने और सभी मान्यता प्राप्त पत्रकारों को संसद की कार्यवाही कवर करने देने का अनुरोध करता हूं। ऐसा कोई भी कदम स्वतंत्र प्रेस की हमारी प्रतिबद्धता को मजबूत करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि हमारा लोकतंत्र मजबूत तथा पारदर्शी बना रहे।’

‘नीट मामले में बड़े मगरमच्छों को छोड़ा जा रहा’…-कांग्रेस ने फिर बोला हमला

सामना संवाददाता / अमदाबाद

कांग्रेस ने नीट को लेकर एक बार फिर से केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है। गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद शक्ति सिंह गोहिल ने आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी सरकार को मेडिकल प्रवेश परीक्षा (नीट) पेपर लीक मामले की जानकारी थी और सारे सबूत होने के बावजूद झूठ बोलकर सुप्रीम कोर्ट को गुमराह किया गया, साथ ही इस घोटाले से जुड़े मामले के आरोपियों को बचाने की लगातार कोशिश भी केंद्र सरकार द्वारा की जा रही है।
शक्ति सिंह गोहिल ने आगे कहा कि आरिफ वोहरा भाजपा के अल्पसंख्यक विभाग का वाइस प्रेसिडेंट है। इसने पेपर लीक से जुड़ा अपना काम बड़ी ही सफाई से कर दिया था। जब कुछ लोगों ने कलेक्टर से धांधली की शिकायत की, तब मामले की जांच हुई जिसमें पता चला कि कई स्कूलों में नीट पेपर लीक की धांधली हुई है। इस बारे में उन्होंने आगे कहा कि गोधरा के पुलिस उपाधीक्षक ने सत्र न्यायालय में जो हलफनामा दाखिल किया है, उसमें कहा गया है कि पेपर लीक हुआ है, और इसके लिए पहले से ही सेटिंग की गई और उसके तहत छात्रों को गोधरा का एक खास परीक्षा केंद्र चुनने को कहा गया। परीक्षा होने के बाद स्कूल में उत्तर पुस्तिकाओं पर सही उत्तर लिखवाया गया, लेकिन अब तक स्कूल के चेयरमैन को गिरफ्तार नहीं किया गया है।