कॉलम ३ : कब होगी मछुआरों की रिहाई?

एम एम सिंह

पिछले सप्ताह, २५ जून की सुबह श्रीलंकाई नौसेना ने जाफना के पास कांकेसंतुरई के पास श्रीलंकाई जलक्षेत्र में ‘भारतीय अवैध शिकार करने वाले ट्रॉलरों के एक समूह को खदेड़ने’ के लिए एक अभियान चलाया था। इस अभियान में एक ट्रॉलर-पोत जब्त कर लिया गया और १० मछुआरों को पकड़ लिया गया, जिनमें से आठ तमिलनाडु और बाकी आंध्र प्रदेश से थे। भारतीय (तमिलनाडु) मछुआरों के मरने के भी कई मामले सामने आए हैं। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने जहाज और लोगों को छुड़ाने के लिए विदेश मंत्री एस. जयशंकर से हस्तक्षेप की मांग की। गुरुवार को मुख्यमंत्री को भेजे अपने जवाब में जयशंकर ने कहा कि भारतीय उच्चायोग न्यायिक हिरासत में बंद ३४ मछुआरों और सजा काट रहे छह अन्य मछुआरों की शीघ्र रिहाई की मांग कर रहा है।
आश्चर्य की बात है कि विदेश मंत्री इस मौके को दोनों देशों के लिए बातचीत की प्रक्रिया को पुनर्जीवित करने के एक अवसर के तौर पर नहीं देख रहे हैं, जो विशेष रूप से मत्स्य पालन विवाद से निपटने के लिए, अपनी समुद्री सीमा रेखाओं के सीमांकन के लिए द्विपक्षीय समझौतों के मद्देनजर गंभीर हो गया था।
स्टालिन ने जयशंकर को संयुक्त कार्य समूह की बैठक बुलाने की याद दिलाकर अच्छा किया है, जो आखिरी बार, तकरीबन दो साल पहले आयोजित की गई थी। अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा को पार करने वाले भारतीय मछुआरों के सीमा लांघने के मामले पर पक्षपाती हुए बिना उनके आजीविका के अवसरों की सुरक्षा से संबंधित कारकों को समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के महत्व से अलग नहीं किया जा सकता है। तमिलनाडु के मछुआरों द्वारा उपयोग किए जा रहे बॉटम ट्रॉलर को धीरे-धीरे बदलना जरूरी है। लेकिन मछुआरों को गहरे समुद्र में मछली पकड़ने, समुद्री पिंजरे में खेती, समुद्री शैवाल की खेती और प्रसंस्करण और समुद्री पशुपालन के विविधीकरण के लिए तैयारी करने के लिए समय की आवश्यकता होती है, उन्हें एक वक्त लगेगा। केंद्र द्वारा क्रियान्वित की जा रही गहरे समुद्र में मछली पकड़ने की परियोजना के अनुभव के चलते साफ तौर पर माना जा सकता है कि यह केंद्र सरकार की विफलता है। कार्यान्वयन के लगभग सात वर्षों के बाद, गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाले केवल ६१ जहाजों को लाभार्थियों को सौंपा गया है, जबकि १९ और निर्माणाधीन हैं। क्या नई दिल्ली और कोलंबो उत्तरी प्रांत के मछुआरों को नहीं चाहिए कि वे और भी अधिक मदद करने के लिए अतिरिक्त योजनाएं तैयार करें।
हमेशा की तरह केंद्र सरकार इस मामले में भी गंभीर नहीं दिख रही है। जो मछुआरे पहले से वैâद में हैं और जो अभी-अभी पकड़े गए हैं उनको वापस लाने के लिए यह जरूरी है कि मामले की नजाकत को समझते हुए त्वरित निर्णय और कार्रवाई की जाए। साथ ही मछुआरों की तकलीफों को समझने की कोशिश की जाए कि आखिर क्यों वे उस इलाके में मछली पकड़ने जाते हैं, जहां पर उन्हें जान का खतरा होता है? यानी यह उनकी मजबूरी है! केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों को मिलकर उनकी इस मजबूरी को दूर करना होगा। फिलवक्त उससे ज्यादा महत्वपूर्ण है मछुआरों की रिहाई।
(लेखक पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।)

मुंबई में दोगुने हुए साइबर क्राइम!…क्रेडिट कार्ड, कस्टम पार्सल, महंगे गिफ्ट के नाम सर्वाधिक ठगी 

सामना संवाददाता / मुंबई

साइबर क्राइम से जुड़े अपराधों को नियंत्रित करने और जागरूकता के लिए मुंबई पुलिस कई अभियान चला रही है। इसके बावजूद मीम्स, स्पूफिंग मेल, फेक कस्टम अधिकारी बनकर ठगी, महंगे गिफ्ट के नाम पर धोखाधड़ी, नौकरी, निवेश और क्रिप्टो-करंसी से जुड़े साइबर अपराधों में इस साल की पहली तिमाही में इजाफा देखा गया है। मुंबई पुलिस के विश्लेषण से पता चलता है कि पिछले साल की तुलना में इस साल इन मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। मुंबई पुलिस के अनुसार, वर्ष २०२३ में फिशिंग के १३ मामलों की तुलना में २०२४ में २२ मामले दर्ज किए गए, वहीं नौकरी के नाम पर धोखाधड़ी के साल २०२४ में १५८ मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि २०२३ में मात्र ६५ मामले सामने आए थे। साथ ही निवेश धोखाधड़ी के भी २०२४ में १७० मामले सामने आए, जबकि २०२३ में २३ मामले दर्ज हुए थे।

संसद की रिपोर्टिंग करनेवाले पत्रकारों पर से हटाएं पाबंदियां!

-कांग्रेस सांसद की लोकसभा अध्यक्ष से मांग

सामना संवाददाता / नई दिल्ली

कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने रविवार को कहा कि उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर उनसे संसद की कार्यवाही की रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों पर कोविड पाबंदियां हटाने का अनुरोध किया। उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में बिरला को २७ जून को लिखे अपने पत्र की एक प्रति साझा की। टैगोर ने पोस्ट में कहा, ‘संसद की कार्यवाही की रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों पर कोविड पाबंदियां हटाने के लिए माननीय लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा। प्रतिष्ठित पत्रकारों को पाबंदियों के नाम पर रोका जा रहा है। मीडिया की पहुंच बहाल करने और उन्हें उनका उचित स्थान देने का वक्त आ गया है।’
बिरला को लिखे एक पत्र में उन्होंने कहा कि एक दशक से अधिक समय से संसद की कार्यवाही की रिपोर्टिंग कर रहे कई पत्रकार कोविड-१९ संबंधी प्रोटोकॉल के नाम पर पाबंदियों का सामना कर रहे हैं। कांग्रेस सांसद ने पत्र में कहा, ‘उन्हें संसद तक पहुंचने से रोकने से न केवल उनके पेशेवर कर्तव्यों में बाधा आती है, बल्कि जनता तक सटीक जानकारी पहुंचाने में भी समस्या होती है। हमारे देश के लोकतांत्रिक लोकाचार को संरक्षित करने के लिए यह जरूरी है कि सभी मान्यता प्राप्त पत्रकारों को बिना किसी बाधा के कार्यवाही को कवर करने की अनुमति दी जाए।’टैगोर ने कहा, ‘‘मैं आपसे मौजूदा पाबंदियों पर पुनर्विचार करने और सभी मान्यता प्राप्त पत्रकारों को संसद की कार्यवाही कवर करने देने का अनुरोध करता हूं। ऐसा कोई भी कदम स्वतंत्र प्रेस की हमारी प्रतिबद्धता को मजबूत करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि हमारा लोकतंत्र मजबूत तथा पारदर्शी बना रहे।’

‘नीट मामले में बड़े मगरमच्छों को छोड़ा जा रहा’…-कांग्रेस ने फिर बोला हमला

सामना संवाददाता / अमदाबाद

कांग्रेस ने नीट को लेकर एक बार फिर से केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है। गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद शक्ति सिंह गोहिल ने आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी सरकार को मेडिकल प्रवेश परीक्षा (नीट) पेपर लीक मामले की जानकारी थी और सारे सबूत होने के बावजूद झूठ बोलकर सुप्रीम कोर्ट को गुमराह किया गया, साथ ही इस घोटाले से जुड़े मामले के आरोपियों को बचाने की लगातार कोशिश भी केंद्र सरकार द्वारा की जा रही है।
शक्ति सिंह गोहिल ने आगे कहा कि आरिफ वोहरा भाजपा के अल्पसंख्यक विभाग का वाइस प्रेसिडेंट है। इसने पेपर लीक से जुड़ा अपना काम बड़ी ही सफाई से कर दिया था। जब कुछ लोगों ने कलेक्टर से धांधली की शिकायत की, तब मामले की जांच हुई जिसमें पता चला कि कई स्कूलों में नीट पेपर लीक की धांधली हुई है। इस बारे में उन्होंने आगे कहा कि गोधरा के पुलिस उपाधीक्षक ने सत्र न्यायालय में जो हलफनामा दाखिल किया है, उसमें कहा गया है कि पेपर लीक हुआ है, और इसके लिए पहले से ही सेटिंग की गई और उसके तहत छात्रों को गोधरा का एक खास परीक्षा केंद्र चुनने को कहा गया। परीक्षा होने के बाद स्कूल में उत्तर पुस्तिकाओं पर सही उत्तर लिखवाया गया, लेकिन अब तक स्कूल के चेयरमैन को गिरफ्तार नहीं किया गया है।

एमपी पुलिस की बर्बरता…पिलाया पेशाब, तोड़ा पैर!…ऑटोचालक को बेरहमी से पीटा…झूठे मामले में फंसाने का आरोप

सामना संवाददाता / भोपाल

भाजपा शासित सभी राज्यों में सुशासन के दावे बड़े ही जोर-शोर से किए जाते हैं, लेकिन हकीकत बिलकुल ही अलग होती है। ताजा मामला एक बार फिर मध्य प्रदेश से सामने आया है, जहां एक ऑटोचालक ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। ऑटो चालक ने अपनी शिकायत में बताया कि पुलिसवालों ने उसे पहले बेरहमी से पीटा। इसके बाद उन्होंने जबरदस्ती पेशाब पिलाया, फिर उसके पैर तोड़ दिए। ऑटोचालक की पहचान दीपक शिवहरे के रूप में हुई है। उसने बताया कि पुलिस उसे जबरन एक लूट के मामले में फर्जी रूप से फंसाना चाह रही है। यह मामला ग्वालियर जिले का बताया जाता है।
क्या है मामला?
बताया जाता है कि घटना १७ जून को हुई थी। शहर के एक सर्राफा व्यापारी की कार से १५ लाख रुपए के गहने चोरी हो गए थे। पुलिस ने कथित तौर पर सीसीटीवी फुटेज के आधार पर दीपक शिवहरे को हिरासत में लिया और उसी को अपराधी माना। सीसीटीवी फुटेज में दीपक का ऑटो कार के पास दिखा था। शिवहरे का आरोप है कि कोई आपराधिक रिकॉर्ड न होने के बावजूद पुलिस ने उसे पूछताछ के लिए हिरासत में लिया। दीपक ने आरोप लगाया है कि पूछताछ के लिए हिरासत के दौरान पुलिस ने उसे बेरहमी से पीटा और उसे पेशाब पीने को मजबूर किया। इतना ही नहीं पुलिस ने उसका पैर भी तोड़ दिया।
एसपी ने दिए जांच के आदेश
मामले के सामने आने के बाद ग्वालियर एसपी धर्मवीर सिंह ने जांच के आदेश दिए हैं। पुलिस का कहना है कि प्रथम दृष्टया कुछ सबूत शिवहरे को चोरी से जोड़ते हैं। हालांकि पुलिस के पास कुछ पुख्ता सबूत नहीं हैं। एक्स-रे रिपोर्ट में कथित तौर पर शिवहरे के पैर में फ्रैक्चर दिखाया गया है।

दिल्ली एयरपोर्ट संभालने वाली कंपनी भाजपा को सर्वाधिक चंदा देने वाली डोनर!

-२०१९ में हवाई अड्डे के विस्तार का काम किया था शुरू

-टर्मिनल-१ की कैनोपी गिरने से सुर्खियों में आई

सामना संवाददाता / नई दिल्ली

दिल्ली एयरपोर्ट इन दिनों टर्मिनल-१ की कैनोपी गिरने से सुर्खियों में है। इस घटना में १ व्यक्ति की मौत हो गई थी और करीब ६ लोग घायल हो गए थे। खबर है कि एयरपोर्ट का संचालन करनेवाला जीएमआर समूह २०१८ से एक चुनावी ट्रस्ट के माध्यम से सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को चंदा देता रहा है। यह चंदा अप्रत्यक्ष रूप से मुहैया कराया जाता रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, २०१८ से इसका नाम प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट में सबसे अधिक चंदा देने वालों में शुमार रहा है। यह ट्रस्ट अपने फंड का सबसे अधिक हिस्सा भाजपा को देता रहा है।
बता दें कि जीएमआर (एयरपोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड) के नेतृत्व वाली दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डीआईएएल) ने २०१९ में दिल्ली हवाई अड्डे के विस्तार का काम शुरू किया था।
चुनावी बॉन्ड और चुनावी ट्रस्ट के बीच मुख्य अंतर यह है कि इस साल की शुरुआत तक बॉन्ड को व्यक्तियों और कॉरपोरेट संस्थाओं द्वारा केवल विशिष्ट समय के दौरान गुमनाम रूप से खरीदा जा सकता था, जबकि चुनावी ट्रस्ट पूरे साल भर योगदान ले सकते हैं। ट्रस्ट उन्हें दिए गए दान के पैसे को राजनीतिक दलों को भेजते हैं। इस बात का भी सार्वजनिक रिकॉर्ड है कि किसने किस चुनावी ट्रस्ट को क्या योगदान दिया है। चुनावी बॉन्ड योजना नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई थी।
हालांकि, जीएमआर का नाम चुनाव आयोग द्वारा जारी चुनावी बॉन्ड दानकर्ताओं की सूची में नहीं है, लेकिन सार्वजनिक रिकॉर्ड से पता चलता है कि कंपनी अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा, जो चुनावी बॉन्ड योजना का भी सबसे बड़ा लाभार्थी थी, को प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट के माध्यम से वित्त पोषित कर रही है। १५ चुनावी ट्रस्टों में यह सबसे बड़ा और सबसे अमीर है।
एडीआर रिपोर्ट
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के चुनावी ट्रस्टों के साल-दर-साल विश्लेषण के अनुसार भी प्रूडेंट भाजपा का सबसे बड़ा चंदादाता है। एडीआर की चुनावी ट्रस्टों पर २०१८-१९ की रिपोर्ट में प्रूडेंट को एकमात्र ऐसे ट्रस्ट के रूप में उल्लिखित किया गया है, जिसने वित्तीय वर्ष २०१३-१४ से अपने योगदान की घोषणा चुनाव आयोग के समक्ष की थी। उस रिपोर्ट में कहा गया था कि २०१८-१९ में चुनावी ट्रस्टों को सभी कॉरपोरेट और व्यक्तिगत दानदाताओं द्वारा दिए गए चंदे में जीएमआर हैदराबाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड ने सबसे बड़ा योगदान (२५ करोड़ रुपए) दिया था। एडीआर के अनुसार, प्रूडेंट ने २०१८-१९ में भाजपा को ६७.२५ करोड़ रुपए और उससे पहले के वित्तीय वर्ष में १५४.३० करोड़ रुपए का दान दिया था। एडीआर के २०१९-२० के अध्ययन में भी भाजपा को चुनावी ट्रस्ट योजना का सबसे बड़ा लाभार्थी दिखाया गया था, जिसे ट्रस्टों द्वारा घोषित योगदान का ७६ फीसदी मिला। प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट ने २०१९-२० में भाजपा को २१७.७५ करोड़ रुपए का दान दिया था। प्रूडेंट को सबसे अधिक राशि देनेवालों में जीएमआर समूह, भारती एयरटेल, डीएलएफ और अपोलो टायर्स शामिल थे।
एडीआर के विश्लेषण के अलावा, २०१९ में भाजपा ने चुनाव आयोग को सौंपे अपने प्रस्तुतीकरण में भी प्रूडेंट को पार्टी का प्रमुख चंदादाता बताया था। उस समय एक रिपोर्ट में बताया गया था कि ‘प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट के प्रमुख योगदानकर्ता भारती एंटरप्राइजेज, जीएमआर एयरपोर्ट डेवलपर्स और डीएलएफ लिमिटेड हैं।

राजस्थान में बिजली का `कटआउट’… सब्र भी हुआ कटआउट!

-ट्रक, ट्रैक्टर और बाइक से मोबाइल हो रही चार्ज

राजस्थान में भजनलाल सरकार में नागरिकों की हालत खराब है। राज्य का जिला भीलवाड़ा में बिजली का `कटआउट’ ज्यादा होने से लोगों का सब्र `कटआउट’ हो गया है। बिना घोषणा के हो रहे बिजली कट से जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। लोग अपने मोबाइल फोन पर निर्भर हैं, लेकिन चार्जिंग के लिए उन्हें ट्रैक्टर, ट्रक और बाइक से जुगाड़ करना पड़ रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार, भीलवाड़ा के लोग अब बिना बिजली के दिन गुजार रहे हैं। कई घंटों तक बिजली जाने से घरों में अंधेरा छा जाता है, पंखे और कूलर बंद हो जाते हैं और खाना बनाना भी मुश्किल हो जाता है। कनेक्टिविटी के लिए मोबाइल एकमात्र साधन है, लेकिन चार्ज करने की समस्या लोगों को परेशान कर रही है। स्थानीय लोग बिजली कंपनी की कार्रवाई से नाखुश हैं और उन्होंने बिजली कट को लेकर शिकायत की है। वे मांग कर रहे हैं कि बिजली कंपनी बिजली कट की समस्या का समाधान करे। नागरिकों का कहना है कि बिना बिजली के हम कितने लाचार हैं। सरकार और बिजली कंपनियों को बिजली सप्लाई में सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने की जरूरत है। जिले में बिजली कट की समस्या का समाधान हो और लोगों को राहत मिले, इसके लिए सरकार और बिजली कंपनी को ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

अब ब्लड की नहीं होगी बर्बादी!… ब्लड बैंकों का समन्वय हुआ बेहतर

सामना संवाददाता / मुंबई

मुंबई में पिछले चार वर्षों में ब्लड बैंकों में रक्त की बर्बादी में ५० फीसदी की कमी आई है। आंकड़ों के अनुसार, बीते दस सालों में ४९,९७१ यूनिट खून की बर्बादी हुई है। हालांकि, बीते छह महीनों में केवल १,७९८ यूनिट ही खून बर्बाद हुआ है। इस तरह की जानकारी राज्य रक्त आधान परिषद द्वारा सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में दी गई है। इसमें यह भी खुलासा हुआ है कि पिछले कई सालों से ब्लड बैंकों से राज्य रक्त आधान परिषद का समन्वय बेहतर हुआ है। इस कारण हर साल खून की बर्बादी कम हो रही है। फिलहाल, एक अधिकारी ने कहा है कि परिषद को सभी रक्त बैंकों पर नजर रखने और यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि हर साल रक्त की बर्बादी कम हो। एसबीटीसी का ओर से खून की हो रही बर्बादी को रोकने के लिए ब्लड बैंकों को सख्त दिशा-निर्देश जारी किए गए थे, जिस कारण इसके आंकड़ों में कमी आती जा रही है। इसके साथ ही ब्लड बैंकों के बीच समन्वय बेहतर हो रहा है और जिसके पास ज्यादा खून होता है, वे दूसरे ब्लड बैंकों को संपर्क करके पूछता है कि क्या उन्हें खून चाहिए। इसके अलावा रक्तदान शिविर भी आयोजित किए जा रहे हैं।

भावनाओं की भाषा नहीं होती

कहते हैं भावनाओं की कोई भाषा नहीं होती। मौका खुशी का हो या गम का…भावनाएं तो बस आंसू के सहारे बह जाती हैं। शनिवार का दिन इमोशंस से भरा हुआ था। टीम इंडिया की ऐतिहासिक जीत पर तो सभी जश्न मना रहे हैं, लेकिन ऐसे भी कई हैं जिनकी आंखों में खूशी के आंसू देखने को मिले। उनमें से सदी के महानायक हैं। हम सभी जानते हैं कि बिग बी क्रिकेट के कितने बड़े फैन हैं। लेकिन फाइनल मैच इसलिए नहीं देखा क्योंकि उन्हें लगता है कि जब वे ऐसा करते हैं, तो हम हारते हैं! बिग बी भारत की जीत से इतने खुश हुए कि वे अपने आंसू नहीं रोक सके। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा `वर्ल्ड चैंपियन भारत! टी-२० वर्ल्डकप २०२४… एक्साइटमेंट और भावनाएं और आशंका…सब कुछ किया गया और खत्म हो गया। बस टीम की आंसुओं के साथ आंसू बह रहे हैं!’ जहां एक ओर इस जीत पर बिग के आंसू छलक प़ड़े, वहीं इरफान पठान लाइव टीवी पर रो पड़े। उन्होंने फाइनल में जीत दिलाने वाले हर खिलाड़ी को धन्यवाद कहा। उनका एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। पठान ने रोते हुए कहा कि मैं बुमराह का शुक्रगुजार हूं, मैं रोहित शर्मा और हार्दिक पांड्या का शुक्रगुजार हूं। इसके अलावा इरफान पठान ने कहा, `सूर्यकुमार यादव का कैच तो मुझे जिंदगी भर नहीं भूलना। आखिरी सांस चल रही होगी, तब भी मैं सूर्यकुमार यादव का कैच याद रखूंगा।’

मीरा-भायंदर न्यायालय शुरू करो… नहीं तो होगा आंदोलन

सामना संवाददाता / मीरा रोड

मीरा-भायंदर शहर का स्वतंत्र न्यायालय बनकर तैयार है। अब जब भवन बनकर तैयार हो गया है तो राज्य सरकार इसकी कोई सुध नहीं ले रही है। जिसके बाद न्यायालय जल्द से जल्द शुरू हो अन्यथा १५ अगस्त के बाद हम भूख हड़ताल करेंगे, ऐसी चेतावनी ‘भायंदर एडवोकेट एसोसिएशन’ ने दी। ज्ञात हो कि मीरा-भायंदर के लिए एक स्वतंत्र न्ययालय की मांग काफी दिनों से चल रही थी। शहर की आबादी को देखते हुए कनकिया परिसर के साल २०१३ में न्यायालय भवन का निर्माण शुरू किया गया। हालांकि, कई अड़चनों के बाद लगभग ८ वर्ष में तीन मंजिला भवन बनकर तैयार हुआ, लेकिन पिछले दो वर्षों से न्यायालय उद्घाटन का इंतजार कर रहा है। एसोसिएशन का कहना है कि मीरा-भायंदर से प्रति वर्ष लगभग तीन से साढ़े तीन हजार अपराध के मामले एवं लगभग दो हजार सिविल के मामले ठाणे कोर्ट में ट्रांसफर किए जाते हैं। अगर यहां का न्यायालय शुरू हो जाता है तो आम लोगों, पुलिस व अधिवक्ता तीनों का समय का बचेगा।