चेंबूर रेलवे स्टेशन के शेड से पानी का रिसाव!

सामना संवाददाता / मुंबई 

मुंबई में मानसून पूर्व किए गए बड़े-बड़े दावे धाराशायी हो चुके हैं। सड़कोें पर जमा होने वाले पानी से लोग परेशान तो हैं ही, साथ ही अब रेलवे स्टेशन पर भी लोग टपकते पानी से भीगने को मजबूर हैं। तेज बरसात के दौरान चेंबूर रेलवे स्टेशन की छत लीक होने लगी, जिसकी वजह से कई यात्री भीग गए, तो कई यात्रियों को प्लेटफॉर्म पर ही छाता खोलने के लिए मजबूर होना पड़ा। चेंबूर रेलवे स्टेशन को महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन के रूप में जाना जाता है। इस क्षेत्र में मेट्रो, मोनो, सांताक्रूज-कुर्ला लिंक रोड, ईस्ट एक्सप्रेसवे द्वारा जल्दी पहुंचा जा सकता है। यही वजह है कि चेंबूर क्षेत्र की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। फिलहाल, चेंबूर स्टेशन कुर्ला, गोवंडी, मानखुर्द स्टेशन की छत से पानी टपक रहा है। चेंबूर रेलवे स्टेशन के खंभों और छतों में भी दरारें पड़ गई हैं और कुछ जगहों पर जंग लग गई है इसलिए बारिश का पानी सीधे प्लेटफार्म पर गिरता है। हर साल मानसून के सीजन की शुरुआत में रेलवे स्टेशन के रखरखाव के लिए रेलवे लाखों रुपए खर्च करता है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से हो रही बारिश के कारण रेलवे प्रशासन की लापरवाही सामने आई है।

कैच ने पलटी मैच

भारत ने दक्षिण अफ्रीका को हराकर आईसीसी टी-२० विश्वकप २०२४ का खिताब अपने नाम किया है। भारत ने साल २००७ में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ आईसीसी टी-२० विश्वकप का खिताब अपने नाम किया था और उसके बाद से टीम इंडिया कोई खिताब नहीं जीत पाई थी। लेकिन अब रोहित शर्मा की अगुवाई में भारतीय टीम ने १७ साल का लंबा इंतजार खत्म करते हुए टी-२० विश्वकप का खिताब अपने नाम किया है। भारतीय टीम को जीत के लिए आखिरी ओवर में १६ रन डिफेंड करने थे और हार्दिक पंड्या ने सिर्फ ८ रन दिए। इस दौरान उन्होंने ओवर की पहली ही गेंद पर डेविड मिलर को अपना शिकार बनाया. हालांकि, यह विकेट सूर्यकुमार यादव के खाते में जाना चाहिए, ऐसा कहना गलता नहीं होगा क्योंकि उन्होंने आखिरी ओवर की पहली गेंद पर बाउंड्री लाइन पर एक शानदार कैच लपककर पूरा मैच ही पलट दिया। सूर्या कैच के दौरान अपना बेलेंस खो चुके थे, लेकिन उन्होंने उसी को देखते हुए अंदर गेंद को उछाला और दोबारा में खुद अंदर आते हुए कैच को पूरा किया। भारत के लिए यह कैच काफी अहम साबित हुआ।

बाल-बाल बचे बोमन

कभी-कभार जल्दबाजी खतरनाक हो सकती है। उसका परिणाम हास्यास्पद हो सकता है और लोग जमकर मजाक उड़ा सकते हैं। मामला टी२० वर्ल्ड कप के फाइनल का है। १६ वें ओवर तक खेल अफ्रीकी झोली में जा चुका था। खासकर छक्कों की बरसात के बाद। ऐसे में अभिनेता बोमन ईरानी द. अफ्रीका की जीत का संदेश लिखने जा रहे थे, तभी पासा पलटा और पांड्या ने छक्केबाज को चलता कर दिया। यह देखकर बोमन ठमक गए। बाद में बोमन ने लिखा, ‘दक्षिण अफ्रीका के लिए मुबारकबाद पोस्ट लिखने जा रहा था, फिर यह खेल हुआ। भारत की अविश्वसनीय जीत।’ उन्होंने आगे लिखा, ‘इसे ही तो फाइनल कहते हैं, अच्छा खेले बॉयज।’ अब जरा सोचिए, अगर जल्दबाजी में बोमन ने वो मुबारकबाद लिखकर पोस्ट कर दिया होता तो क्या होता?

मनपा की उपेक्षा का शिकार बना उद्यान!

सामना संवाददाता / मुंबई

मनपा के वॉर्ड क्रमांक १८६ में स्थित धारावी का एन. शिवराज उद्यान इन दिनों मनपा की उपेक्षा का शिकार बना हुआ है, यहां आलम यह है कि इस उद्यान में हरियाली के नाम पर तो कुछ है ही नहीं। साथ ही कचरे व गंदगी के चलते यह उद्यान चलने लायक भी नहीं रह गया है। यहां खुलेआम नशेड़ी नशा करते दिखाई दे रहे हैं, जिसकी वजह से अब यहां लोगों की आवाजाही भी नहीं होती। धारावी के संत कक्वैâया मार्ग पर संत कक्वैâया मनपा स्कूल के बगल में स्थानीय रहिवासियों के घूमने-फिरने तथा बच्चों को खेलने के लिए इस उद्यान को बनाया गया था, पर मौजूदा समय में स्थिति इतनी दयनीय हो चुकी है कि यहां घूमना-फिरना तो दूर रहिवासी बैठ भी नहीं सकते। गंदगी और कीचड़ से भरे इस मैदान में बच्चे खेलने को मजबूर हैं। पता चला है कि इसके पुनर्निर्माण को लेकर दो बार कोशिशें की गईं पर इसका पुनर्निर्माण हो नहीं पाया। मनपा अधिकारियों तथा स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने इसके पुनर्निर्माण में जमकर लूट की और मरम्मत कर फिर उसे उसके हाल पर छोड़ दिया गया। स्थानीय निवासी मनपा प्रशासन के प्रति आक्रोशित हैं। अब यहां पर होनेवाली सभाएं भी स्थानीय लोगों के लिए परेशानी का सबब बनती जा रही हैं, यहां पर सभाओं के होने की वजह से यहां रहनेवालों को आने-जाने में काफी दिक्कतें होती हैं। बता दें कि यह उद्यान आस-पास के हजारों बच्चों, बूढ़ों के लिए एकमात्र ऐसी खुली जगह है, जहां पर खुली सांस ली जा सकती है। इस मैदान के पुनर्निर्माण की मांग स्थानीय निवासी कर रहे हैं।

झांकी : अनुप्रिया का चिट्ठी बम

अजय भट्टाचार्य

लगता है दिल्लीशाही उत्तर प्रदेश में लोकसभा की हार को पचा नहीं पा रही है और सीधे-सीधे कोई एक्शन/प्रतिक्रिया से बचते हुए बाबाजी को घेरने की रणनीति पर लग गई है। केंद्रीय राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल के कंधे पर बंदूक रखकर बाबा पर पहला निशाना साधा गया है। अनुप्रिया ने उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार पर सवाल उठाते हुए योगी को एक पत्र लिखा है और उस पत्र में कहा है, प्रदेश सरकार की साक्षात्कार वाली नियुक्तियों में ओबीसी, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों को यह कहकर छांट दिया जाता है कि वे योग्य नहीं हैं और बाद में इन पदों को अनारक्षित घोषित कर दिया जाता है।’ वैसे उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में यह कोई नई बात नहीं है। परचा लीक के बाद अगर सबसे ज्यादा चर्चा उत्तर प्रदेश में होती है तो यही कि फलाने विश्वविद्यालय या विद्यालय में कोई भी रिजर्व सीट उपयुक्त न मिलने यानी नॉट फाउंड सुटेबल कर दी गई यानी उस सीट के लिए आरक्षित वर्ग का कोई भी अभ्यर्थी मिला ही नहीं और बाद में उसे अनारक्षित करके सामान्य वर्ग में लाकर भर दिया जाता है। यह उच्च शिक्षा वाली सीटों में होने वाले खेल का फॉर्मूला अब नौकरियों में भी अजमाया जाने लगा है। कम से कम अनुप्रिया की चिट्ठी से तो यही निष्कर्ष निकलता है। जानकार कहते हैं कि साक्षात्कार वाली नियुक्तियों की अगर ढंग से जांच कराई जाए तो बहुत बड़ा घोटाला सामने आ सकता है। बहरहाल, २०१४ से अब तक अनुप्रिया पटेल राजग के साथ ही हैं और उन्होंने कभी भी इस तरह से प्रदेश सरकार पर सवाल नहीं उठाया है, उनका पहली बार इस तरह सवाल उठाना चौंकाता है। लखनऊ के दारुलसफा की कानाफूसियों पर भरोसा किया जाए तो भाजपा वही सीटें हारी है, जिनकी टिकटें वाराणसी आधारित जनसत्ता के एक पूर्व पत्रकार के जरिए बेचीं गई थीं। कहा जा रहा है बाबाजी ने इन उम्मीदवारों के प्रति नाराजगी भी जताई थी, मगर पार्टी अनुशासन के चलते बाबाजी चुप करा दिए गए। पूर्व पत्रकार छोटे सुल्तान का करीबी बताया जाता है। अनुप्रिया के चिट्ठी बम की ड्राफ्टिंग में पत्रकार हाथ या पैर शामिल है कि नहीं, बाबाजी यही पता करने की कोशिश कर रहे हैं।
कांग्रेस बनाम बिकाऊ
हिमाचल प्रदेश की तीन विधानसभा सीटों देहरा, नालागढ़ और हमीरपुर में पर १० जुलाई को उपचुनाव होने वाले हैं। निर्दलीय विधायक होशियार सिंह ने भाजपा में शामिल होने के बाद देहरा सीट से इस्तीफा दिया था और अब भाजपा ने उन्हें ही उम्मीदवार बनाया है, जबकि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की पत्नी कमलेश ठाकुर कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में हैं। क्षेत्र में यह चर्चा आम है कि निर्दलीय विधायक होशियार सिंह ने कमल खरीदा है और बिका हुआ कमल कभी नहीं खिलता। भाजपा के ईमानदार कार्यकर्ता भी बिकाऊ पूर्व विधायक होशियार सिंह को टिकट मिलने से खुश नहीं हैं। देहरा का उपचुनाव कांग्रेस और भाजपा के बीच नहीं, बल्कि कांग्रेस बनाम बिकाऊ विधायक हो चला है। १५ महीने पहले देहरा की जनता ने पांच साल के लिए जिसे विधायक चुनकर भेजा था, तब जनता ने वोट देते समय नहीं सोचा था कि सरकार कांग्रेस की बनेगी या भाजपा की। जनता ने आजाद विधायक चुनकर भेजा था। आजाद विधायक किसी भी सरकार से काम करवा सकते थे, लेकिन उन्होंने कांग्रेस सरकार बनने के बाद अपने काम को प्राथमिकता दी। जनता के कोई काम नहीं करवाए। आजाद विधायक १४ महीने में ही बिक गया। विधानसभा अध्यक्ष ने इस्तीफे का कारण पूछने के साथ बिकाऊ विधायक से कहा भी कि अगर आपके काम नहीं हो रहे थे तो भाजपा के साथ बैठ जाते। निर्दलीय विधायक यही कहते रहे कि इस्तीफा मंजूर कर लो। बिकाऊ विधायक अब इस्तीफा देकर भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। गलती से जीत भी गए तो उनके काम वैâसे होंगे, क्योंकि प्रदेश में साढ़े तीन साल तक कांग्रेस की पूर्ण बहुमत की सरकार है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और देश की कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में इनके स्तंभ प्रकाशित होते हैं।)

तड़का : राहत देता ईवीएम

कविता श्रीवास्तव

तमाम राजनीतिक चर्चाओं के बीच एक अच्छी खबर यह आई कि लोकसभा चुनाव में ईवीएम का उपयोग होने से लगभग दो लाख पेड़ों को बचाया जा सकता है। जाहिर सी बात है कि यदि बैलेट पेपर पर चुनाव होते तो भारी मात्रा में कागज का उपयोग होता और उतनी संख्या में पेड़ काटे जाते। चूंकि ईवीएम इलेक्ट्रॉनिक माध्यम है। उसके प्रयोग से डिजिटल वोटिंग हुई और उसी तरह गिनती भी हुई। इससे भारी मात्रा में कागज को बचाया जा सकता है। यह बात मन को शीतलता प्रदान करती है, क्योंकि ग्लोबल वॉर्मिंग ने सारी दुनिया की चिंता बढ़ाई है। इस साल भारत में भी लोगों ने गर्मी में कुछ ज्यादा ही तपिश महसूस की। हम जानते हैं कि पेड़ों की बेतहाशा कटाई से पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है। ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण धरती के ऊपर गर्मी से बचाने वाली ओजोन परत का भी क्षरण हो रहा है। हर तरफ कोशिश हो रही है कि वनभूमि को, हरियाली को, पेड़ों को बचाया जाए। तमाम विरोधों और बारंबार मांग के बावजूद सरकार ने बीते लोकसभा चुनाव में ईवीएम का इस्तेमाल किया। इस वजह से दो लाख पेड़ कटने से बच गए। यह बात देश के पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने इसे बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि भारत ने दो लाख पेड़ों को कटने से बचाया। उनकी बात सच है, क्योंकि बैलेट पेपर को तैयार करने के लिए निश्चित ही बड़ी संख्या में पेड़ों की बली चढ़ती। उन्हें बचाकर हमने सच में पर्यावरण के क्षेत्र में भी इसने अहम भूमिका निभाई है। दरअसल, ईवीएम से चुनाव कराने से पूरी दुनिया को यह मैसेज गया कि कैसे हम इस टेक्नोलॉजी का यूज करके पेड़ों को बचा सकते हैं। ध्यान रहे कि कागज बनाने के लिए लकड़ियां प्रदान करने वाली वन भूमि की कमी से ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ती है। पेड़ों के कटने से अन्य पौधे और जानवरों के आवास को नुकसान पहुंचता है। जैव विविधता भी नष्ट हो जाती है। इसी तरह कागज को चमकाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली ब्लीचिंग प्रक्रिया क्लोरीन छोड़ती है, जो एक ऐसा विष है, जो पर्यावरण को विषाक्त करता है। लेकिन अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ढेर सारे काम डिजिटल हो रहे हैं। तमाम फाइलें और रिकॉर्ड्स भी डिजिटल हो रहे हैं। कागज के कम से कम प्रयोग पर जोर दिया जा रहा है। पर्यावरण की रक्षा को लेकर इस तरह की खबरें वाकई राहत देती हैं। ईवीएम से पर्यावरण को लाभ हुआ है तो यह भी बहुत बड़ी उपलब्धि है। हमें अपनी टेक्नोलॉजी अपने कामकाज में और आम जनजीवन में भी इसी तरह पर्यावरण को बचाने के लिए जो भी संभव उपाय हो उन पर ध्यान देना जरूरी है, ताकि किसी भी तरह ग्लोबल वॉर्मिंग को कम करने में हमारा साथ हो। अपने पर्यावरण को हम सुरक्षित रख पाएं ताकि मानव जीवन सुरक्षित रहे।

पाकिस्तानी के ‘पल्लू’ में फैंस को नहीं आया रास

बॉलीवुड एक्ट्रेस माधुरी दीक्षित के देश-विदेश में करोड़ों दीवाने हैं। पर आजकल कुछ ऐसा हुआ है कि फैंस कुछ नाराजगी दिखा रहे हैं और सोशल मीडिया पर उन्हें जमकर ट्रोल कर रहे हैं। मामला अमेरिका में होने वाले एक कार्यक्रम का है। इसके पोस्टर पर पाकिस्तानी इवेंट मैनेजर रेहान सिद्दीकी का नाम देखा जा रहा है। हालांकि, इस बारे में अभी तक माधुरी की ओर से कोई भी ऑफिशियली बयान नहीं आया है। पाकिस्तानी प्रमोटर का सहयोग करने के चलते उन्हें निशाने पर लिया गया है। यही वजह है कि एक्ट्रेस के हिंदुस्थानी फैंस भी उनसे नाराज हो रहे हैं। इतना ही नहीं, भारत सरकार ने भी रेहान को ब्लैक लिस्ट कर रखा है। यह शो ह्यूस्टन, टेक्सास में आगामी स्वतंत्रता दिवस के ठीक एक दिन बाद होने वाला है। अब हो सकता है कि माधुरी को इसका पता नहीं हो और एकाध दिन में उनकी प्रतिक्रिया सामने आ जाए।