लोक विमर्श : प्रवासी भारतीयों की कमाई पर ट्रंप की है तिरछी नजर!

लोकमित्र गौतम

जेब पर डाका!

जब से डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं, उनका हर कदम किसी न किसी देश, किसी न किसी कम्युनिटी और किसी न किसी कॉरपोरेट क्षेत्र में कहर बनकर टूट रहा है। उनके हाल ही में साइन किए गए एक और बिल, ‘वन बिग ब्यूटीफुल बिल’ में एक ऐसा प्रावधान मौजूद है, जिसका सबसे बड़ा भार प्रवासी भारतीयों पर पड़ेगा। अमेरिका बड़े तरीके से प्रवासी भारतीयों की जेब से अरबों डॉलर निकाल लेगा।
दरअसल, अमेरिका ग्रीन कार्ड धारकों और एच-१बी वीजा जैसे अस्थायी वीजा कर्मचारियों से सभी विदेशी कर्मचारियों के उनके अपने देश में भेजे जाने वाले पैसे पर ३.५ फीसदी टैक्स लगाने जा रहा है।
जैसा कि सब जानते हैं कि अमेरिका में बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासी हैं।
हालांकि, मैक्सिको से कम हैं, लेकिन भारतीय न केवल अमेरिका में बाकी समुदायों के मुकाबले ज्यादा बेहतर कमाते हैं, बल्कि भारतीय बाकी समुदायों के विपरीत अपने देश में रह रहे अपने मां-बाप और परिवार को किसी और प्रवासी के मुकाबले कहीं ज्यादा पैसे भेजते हैं।
इसलिए ट्रंप के टैक्स का सबसे बड़ा शिकार भारतीय ही होंगे। इस कैटेगिरी में जिन और देशों के प्रवासी शिकार होंगे, उनमें मैक्सिको, चीन, फिलीपींस, फ्रांस, पाकिस्तान और बांग्लादेश हैं। अगर आरबीआई के आंकड़ों के हिसाब से बात करें तो साल २०२३ में अमेरिका में रहनेवाले भारतीयों ने भारत में रह रहे अपने परिवारों को करीब ११९ अरब डॉलर भेजे थे। ये राशि भेजी तो प्रवासियों द्वारा अपने घरों को जाती है, लेकिन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास जमा होनेवाली ये विदेशी मुद्रा भारत के फॉरेन रिजर्व रेशियों का एक बड़ा हिस्सा बनती है और इससे हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है। अमेरिका में रह रहे भारतीय जितना पैसा भेजते हैं, उससे भारत सरकार अपने कम से कम दो से तीन महीने के आयात बिल अदा करती है इसलिए अमेरिका से प्रवासियों द्वारा भेजे जानेवाले ये पैसे हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। देश में होनेवाले विदेशी निवेश के मामले में यह धनराशि या तो उसके बराबर है या थोड़े ही कम। इससे भी इस भेजी जानेवाली धनराशि का महत्व समझा जा सकता है।
अमेरिका में रह रहे प्रवासी भारतीयों द्वारा भारत में रहनेवाले अपने मां-बाप की दवाओं, परिजनों की पढ़ाई, घर खरीदने, कर्जा अदा करने और बहुत से दूसरे मदों के लिए पैसा भेजा जाता है। लेकिन ट्रंप की नजर इन प्रवासी भारतीयों के पैसे पर टिकी है और वे टैक्स के जरिए इसका एक बड़ा हिस्सा छीनना चाहते हैं। अगर अंतिम समय तक कोई बात नहीं बनी और भारतीयों को इस टैक्स की कीमत अदा करनी ही पड़ी तो ये भारत को विदेश से मिलनेवाले पैसे पर बड़ी चोट साबित होगी।
भारतीय हावी
गौरतलब है कि विदेशों से भारत को दुनिया में सबसे ज्यादा पैसा भेजा जाता है। इसे रेमिटेंस कहते हैं, क्योंकि दुनियाभर में भारतीय लगभग ढाई करोड़ से ज्यादा फैले हैं इसलिए बड़े पैमाने पर भारत को विदेश कमाने गये अपने इन नागरिकों से विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। पिछले लगभग १७-१८ सालों से भारत विदेश से पैसा पाने वाले देशों की लिस्ट में पहले नंबर पर बना हुआ है। इस सदी के शुरुआत में जहां पूरी दुनिया के प्रवासियों द्वारा अपने घरों को भेजे जानेवाले कुल पैसे में ११ फीसदी पैसे अकेले भारतीयों के होते थे, वहीं अब तक ये बढ़कर १५ फीसदी हो चुके हैं और आनेवाले सालों में भी नहीं लगता कि कोई और देश भारतीयों की जगह ले लेगा, क्योंकि न केवल पहले से ही दुनिया में सबसे ज्यादा प्रवासी भारतीय हैं, बल्कि आने वाले सालों में उनकी तादाद और बढ़ने जा रही है, खासकर तकनीक के क्षेत्र में। आज दुनियाभर के सर्विस सेक्टर पर भारतीय हावी हैं। पूरी दुनिया के सर्विस सेक्टर में करीब १३ फीसदी भारतीय हैं, जिनके साल २०३० तक बढ़कर १७ से १८ फीसदी हो जाने की उम्मीद है। एक अनुमान के मुताबिक, साल २०२९-३० में प्रवासी भारतीयों द्वारा भारत को १६० से १७० अरब डॉलर तक रेमिटेंस भेजा जाएगा।
आज भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुकी है, फिर भी इस अर्थव्यवस्था में ३ फीसदी हिस्सा इन प्रवासियों द्वारा भेजे जानेवाले पैसों का है इसलिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद में भी भारतीयों का योगदान बहुत महत्वपूर्ण है।
कृतघ्न ट्रंप
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देखा जाए तो अमेरिका में प्रवासी भारतीयों की आबादी पिछली सदी के ९० के दशक से लगातार बढी है और अमेरिका के सभी राष्ट्रपति, अमेरिका के तकनीकी क्षेत्र में खासकर कंप्यूटर के क्षेत्र में काम कर रहे भारतीयों की तारीफ करते रहे हैं। सच बात तो ये है कि जॉर्ज बुश जूनियर से लेकर ओबामा तक भारतीयों को अपनी अर्थव्यवस्था में और अधिक योगदान देने के लिए लगातार प्रेरित करते रहे हैं मगर ट्रंप पहले ऐसे राष्ट्रपति हैं, जो भारतीयों से बड़े पैमाने पर चंदा तो लेते हैं, गाहे-बगाहे उनके परिश्रमी और बुद्धिमान होने की बात भी करते हैं, लेकिन उन्हें अमेरिका में कमाई करनेवाले भारतीय फूटी आंख नहीं सुहाते।
उन्हें लगता है कि भारतीय यहां से कमाकर अपने देश को भर रहे हैं। जबकि अर्थशास्त्र का सीधा-सीधा सांख्यिकी अनुमान होता है कि कोई भी प्रवासी किसी देश की अर्थव्यवस्था में जब सौ अरब डॉलर का योगदान देता है, तब उस देश की अर्थव्यवस्था और सिस्टम मुश्किल से उस प्रवासी को १० डॉलर देता है। इस तरह अगर अमेरिका से १०० अरब डॉलर भारतीय प्रवासी अपने देश भेजते हैं तो एक हजार अरब डॉलर वे अमेरिका की संपत्ति में इजाफा करते हैं, लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप को यह नहीं दिख रहा, उनकी तनख्वाह दिख रही है और उनकी कमाई पर सेंध लगाने का षड्यंत्र सूझ रहा है। ट्रंप इस बात से कतई मुतमईन नहीं हैं, न कि थैंकफुल हैं कि परिश्रमी भारतीयों द्वारा अमेरिका की अर्थव्यवस्था फल-फूल रही है। दुनिया के दूसरे देशों में अपने परिवारों को भेजे जाने वाले पैसे भारतीयों द्वारा ही नहीं, दूसरे प्रवासियों द्वारा भी सबसे ज्यादा अमेरिका से ही भेजे जाते हैं। साल
अमेरिकी चक्रव्यूह
२०२०-२१ में जहां अमेरिका से २३.४ फीसदी पैसा भेजा जाता था, वह २०२३-२४ में बढ़कर २८ फीसदी हो गया है, क्योंकि २०२२ में अमेरिका में विदेशों से आए मजदूरों की संख्या में करीब ६.३ फीसदी की वृद्धि हुई है इसलिए अब यह रकम और भी बढ़ गई है। जहां तक भारतीयों का सवाल है, उससे ट्रंप इसलिए भी और चिढ़ते हैं, क्योंकि ७८ फीसदी भारतीय प्रवासी मैनेजमेंट, साइंस, बिजनेस और आर्ट जैसे उच्च आयवाले २,७७७ क्षेत्रों में काम करते हैं। टैक्स और करेंसी कन्वर्जन पर लगने वाली लागत पहले ही लंबे समय से वैश्विक चिंता का विषय है, क्योंकि इसका सीधा असर मजदूरों के परिवारों पर पड़ता है। लेकिन अब अमेरिका जैसे देश और भी चक्रव्यूह बनाकर मजदूरों की कमाई का बड़ा हिस्सा हड़पना चाहते हैं।
भारत के जिन राज्यों में विदेशों से सबसे ज्यादा पैसा आता है, उनमें पहले नंबर पर महाराष्ट्र, दूसरे नंबर पर केरल और तीसरे नंबर पर तमिलनाडु है। अगर यह कानून सख्ती से लागू हुआ तो उन प्रदेशों की अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर पड़ेगा, क्योंकि जो पैसा यहां रह रहे परिवारों के पास आता है, वह अंतत: खर्च तो यहीं होता है और इस खर्च के कारण इन प्रदेशों की अर्थव्यवस्थाएं फलती-फूलती हैं। इस तरह देखा जाए तो प्रवासियों पर नकेल कसकर ट्रंप सिर्फ अपनी तिजोरी ही नहीं भर रहे, बल्कि भारत जैसी अर्थव्यवस्था को कमजोर करने की साजिशें कर रहे हैं।
(लेखक विशिष्ट मीडिया एवं शोध संस्थान, इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर में वरिष्ठ संपादक हैं)

मधु का डरावना ‘किस’

९० के दशक में एक्ट्रेस मधु शाह का बॉलीवुड में खूब बोल-बाला था। मधु ने उस दौर में कई बड़ी फिल्मों को रिजेक्ट भी किया था, क्योंकि वो इंटीमेट सीन्स नहीं करना चाहती थीं। मगर एक फिल्म में मधु को जबरदस्ती किसिंग सीन देना पड़ा था, जिसे उन्होंने सबसे डरावना अनुभव बताया। मधु के अनुसार, वह कोई लंबा नहीं था बल्कि छोटा सा किस था, लेकिन उन्हें बहुत बुरा लगा। मधु बोलीं, ‘मुझे शूटिंग से पहले इस सीन के बारे में नहीं बताया गया था। जब मुझे बताया गया तो वो मुझे एक तरफ ले गए और हमने बातचीत की। फिर काफी देर बात करने के बाद उन्होंने समझाया कि ये सीन फिल्म में क्यों जरूरी था? उस वक्त मैं काफी छोटी थी। थोड़ी नासमझ भी थी।

पिंक सेल्फी!

अभिनेत्री दिशा पटनी का जन्मदिन हो तो उनकी खास सहेली मौनी रॉय उन्हें विश वैâसे भूल सकती हैं भला। सो दोनों ने खूब मस्ती की और मौनी ने पिंक ड्रेस में ये खास सेल्फी वाली तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट की है, जिसे पैंâस खूब पसंद कर रहे हैं।

शिव धाम है मार्कंडेय महादेव

शीतल अवस्थी

महादेव की कृपा से मौत भी टल जाती है। इसी सत्य का साक्षात प्रमाण वाराणसी से करीब ३० किमी की दूरी पर स्थित अत्यंत प्राचीन मार्कंडेय महादेव मंदिर। यह शिव का धाम है और यहां के कण-कण में भगवान भोलेनाथ समाए हैं। कैथी स्थित मार्कंडेय महादेव, मध्यमेश्वर स्थित मृत्युंजय महादेव, केदारघाट स्थित केदारेश्वर, बंगाली टोला स्थित तिलभांडेश्वर, रामेश्वर महादेव और माधोपुर स्थित शूलटंकेश्वर महादेव मंदिरों में वर्ष भर दर्शन-पूजन हेतु श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। इसी तरह गढ़चिरौली से २० किलोमीटर दूर चंद्रपुर मार्ग पर चामोरसी मार्कंडेय नामक जगह पर आज भी हजारों वर्ष पुराना एक मंदिर बना हुआ है। यहां चारों ओर बिखरे छोटे-बड़े शिवलिंग और प्राचीन नक्काशीदार मंदिर आज भी पुराना इतिहास जीवित रखे हुए हैं।
भगवान शिव की कृपा से ही मार्कंडेय का जन्म हुआ था और उन्हीं की कृपा से उन्हें सप्त कल्पांत जीवन मिला। गंगा और गोमती के संगम पर बसा कैथी गांव का संबंध इसी पौराणिक घटना से है। यहां मार्कंडेय धाम से लोगों की असीम आस्था जुड़ी है। माना जाता है कि यहीं मृकंड ऋषि ने अपनी पत्नी संग तपस्या की थी। भगवान शिव उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए और यहीं उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया था। शिव वरदान से उन्हें पुत्र मार्कंडेय हुआ। जब मार्कंडेय के १६ वर्षीय जीवन पूर्ण होने पर यमराज के दूत उन्हें लेने आए। मार्कंडेय शिव तपस्या में लीन थे। यमदूत का साहस नहीं हुआ उन्हें अपने संग ले जाने का। यमदूत यमराज के पास लौट आए और उसने संपूर्ण घटनाक्रम बताया। यमराज विवश थे, अत: वे बालक को लेने पृथ्वी पर आए। मार्कंडेय पूर्व की भांति शिव की तपस्या में लीन था। तब यम ने उन्हें भयभीत करना चाहा। जब यह दृश्य शिवजी ने देखा तो वे अपने इस नन्हें भक्त की रक्षा करने के लिए प्रकट हो गए। उन्होंने न केवल मार्कंडेय को भयमुक्त किया, बल्कि दीर्घायु का वरदान भी दिया। उसी घटना की स्मृति में यहां शिवजी का मंदिर है। माना जाता है कि यहां भगवान की वंदना करने से वे अकाल मृत्यु का संकट टाल देते हैं और भक्त को दीर्घायु का वरदान देते हैं।

सिरोसिस से परेशान सना

‘बिग बॉस ओटीटी-३’ की विजेता अभिनेत्री सना मकबूल इन दिनों काफी परेशान हैं। वे लीवर सिरोसिस से पीड़ित हैं। सना ने बताया, ‘मैं कुछ समय से ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस से जूझ रही हूं और इलाज के दौरान मुझे लीवर सिरोसिस से पीड़ित होने का पता चला।’ उन्होंने कहा, ‘डॉक्टर और मैं लीवर ट्रांसप्लांट से बचने की कोशिश कर रहे हैं। मैंने इम्यूनोथेरेपी शुरू की है, जिसमें बहुत थकान होती है।’ अब इस बीमारी से सना तो परेशान हैं ही, उनके पैंâस भी परेशान हो गए हैं और उनके जल्द सवस्थ होने की दुआ कर रहे हैं।

मां-बेटी दोनों का प्यार

अभिनेत्री अनुष्का शर्मा जब भी कुछ करती हैं तो वह खास हो जाता है। अब देखिए न, उन्होंने अपने पिता और पति को फादर्स डे की शुभकामनाएं दी हैं। पिता तो ठीक, पर पति को? चलिए ये राज आपको बता देते हैं। अनुष्का ने अपनी पोस्ट में २ तस्वीरें साझा की हैं, पहली उनके पिता की है और दूसरी फोटो वामिका की लिखे एक ग्रीटिंग की है। वामिका के बनाए ग्रीटिंग को पढ़कर बाप-बेटी की जोड़ी के बारे में कुछ क्यूट चीजें पता चलती हैं। जैसे विराट कोहली अपनी बेटी के साथ मेकअप-मेकअप खेलते हैं और उनका बेटा अकाय पिता पर गया है। अनुष्का ने अपनी पोस्ट के कैप्शन में लिखा, ‘उस पहले इंसान के नाम जिसे मैंने प्यार किया और उस पहले इंसान के नाम जिसे मेरी बेटी ने प्यार किया!

`मेरे मित्र ‘, क्या बदलने वाला है यूपी का सियासी चित्र ?

हिमांशु राज

लखनऊ में आयोजित 60,000 पुलिस भर्ती अभ्यर्थियों के नियुक्ति पत्र वितरण समारोह के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के एक शब्द ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में नए सिरे से चर्चा शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस कार्यक्रम को भव्य तरीके से आयोजित किया था और गृह मंत्री को विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया था। हालांकि, अमित शाह ने अपने संबोधन में योगी की कानून-व्यवस्था की प्रशंसा करने के बाद उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को “मेरे मित्र” बताकर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी।
इस छोटे से शब्द ने योगी आदित्यनाथ के चेहरे पर आश्चर्य और तनाव की लकीरें खींच दीं, जबकि केशव मौर्य मुस्कुराते नजर आए। यह घटना इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उत्तर प्रदेश में भाजपा के भीतर नेतृत्व को लेकर चल रहे मौन संघर्ष को उजागर करती है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अमित शाह ने जानबूझकर यह शब्द इस्तेमाल किया होगा, जिससे यह संकेत मिलता है कि पार्टी 2027 के विधानसभा चुनावों में केशव मौर्य को प्रमुख भूमिका में ला सकती है।
कुछ लोग इसे योगी के प्रभुत्व को चुनौती देने वाला कदम मान रहे हैं, तो कुछ का कहना है कि भाजपा उत्तर प्रदेश में एक नया नेतृत्व विकसित करना चाहती है। केशव मौर्य पिछड़ी जातियों में अपनी पकड़ रखते हैं, जो भाजपा के लिए महत्वपूर्ण वोट बैंक है। ऐसे में, अगर पार्टी योगी के बजाय मौर्य को आगे करती है, तो यह सामाजिक समीकरण को ध्यान में रखकर लिया गया रणनीतिक निर्णय हो सकता है।
इस घटना के बाद अब यह देखना दिलचस्प होगा कि योगी आदित्यनाथ और केशव मौर्य के बीच तनाव बढ़ता है या फिर पार्टी इसे सामंजस्यपूर्ण तरीके से संभालती है। साथ ही यह भी स्पष्ट होगा कि क्या भाजपा वास्तव में 2027 में मौर्य को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बनाने की तैयारी कर रही है।

यूपी में सड़क हादसों में सात की मौत!

मनोज श्रीवास्तव / लखनऊ

उत्तर प्रदेश में रविवार को एक बार फिर सड़क दुर्घटनाओं में हुई मौतों ने हिला दिया है। अमेठी के पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर तेज रफ्तार एंबुलेंस और पिकअप की जोरदार हुई टक्कर में एंबुलेंस में बैठे 5 लोगों की मौके पर दर्दनाक मौत गई, जबकि एक व्यक्ति घायल है। घटना के संबंध में मिली जानकारी के मुताबिक, लखनऊ से गाजीपुर तक जाने वाले पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर अमेठी जिले में 59.7 किलोमीटर पर तेज रफ्तार प्राइवेट एंबुलेंस अनियंत्रित होकर सामने धीरे-धीरे चल रही पिकअप वाहन से टकरा गई। बताया जा रहा है कि टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि एंबुलेंस के परखच्चे उड़ गए। हरियाणा के सोहना से बिहार का रहने वाला शर्मा परिवार अपने परिजन की एक डेड बॉडी लेकर प्राइवेट एंबुलेंस से बिहार जा रहे थे।
इस एंबुलेंस पर एंबुलेंस का ड्राइवर तथा उसके साथी के मृतक के चार अन्य परिजन सवार थे। एंबुलेंस लखनऊ से पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर चढ़ी ही थी कि सुबह साढ़े पांच बजे जैसे ही अमेठी जिले के बाजार शुकुल थाना क्षेत्र अंतर्गत 59.7 किलोमीटर पर पहुंची थी, तभी वह दुर्घटनाग्रस्त हो गई। मरने वालों में एंबुलेंस का ड्राइवर और उसका साथी सरफराज निवासी हरियाणा एवं आबिद पुत्र हामिद फिरोजपुर जनपद हरियाणा भी शामिल है। साथ मृतक के तीन परिजनों की भी मौत हो गई है, जिनमें बिहार निवासी राजकुमार शर्मा उर्फ सतीश शर्मा पुत्र अशोक शर्मा, दूसरा रवि शर्मा पुत्र बलराम शर्मा, तीसरा फूलों शर्मा पुत्र स्व. राम प्रसाद शर्मा का नाम शामिल है। इसी के साथ एकमात्र बच्चा गंभीर रूप से घायल व्यक्ति शंभू राय पुत्र योगेश्वर राय निवासी पुरीनाही थाना वारिसनगर समस्तीपुर बिहार के रहने वाले हैं।
दूसरी घटना अमरोहा में दिल्ली हाईवे पर ट्रैक्टर टाॅली में बाइक घुसने से रामपुर के शाहबाद थाना क्षेत्र के गांव अनवे निवासी विशाल (20) और उसके चचेरे भाई राजेश (19) की मौत हो गई। दोनों चचेरे-तहेरे भाई नाईपुरा के सामने बने अंडरपास के ढाल पर हादसे का शिकार हुए। सीओ श्वेताभ भास्कर ने बताया कि रविवार सुबह पुलिस को सूचना मिली कि हाईवे पर नाईपुरा के सामने हादसा हो गया है। जब बाइक सवार दोनों युवक अंडरपास के ढाल पर आए तो सामने से ट्रैक्टर टाॅली आ गया, जिसमें बाइक घुस गई। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि ट्रैक्टर टाॅली घूमकर हाईवे पर आ गई, जिससे हाईवे पर वाहनों का आवागमन बाधित हो गया। जाम की स्थिति बन गई। पुलिस ने ट्रैक्टर टाॅली को हटवाया, तब जाकर यातायात सुचारु हो सका।

आकाशीय कहर : बदलापुर और चंदवक में गिरी बिजली…4 की मौत, 3 घायल

मंगलेश्वर त्रिपाठी / जौनपुर

जिले में रविवार की शाम आसमान से मौत बरसी। तेज बारिश, हवा और गरज के बीच बदलापुर और चंदवक क्षेत्रों में आकाशीय बिजली गिरने से कुल 4 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि तीन अन्य घायल हो गए।
बदलापुर : किशोरी की मौत, दो घायल
कोतवाली क्षेत्र के खजुरन गांव में तेज बारिश के दौरान आकाशीय बिजली गिरने से सुल्तानपुर जनपद के लउआ गांव निवासी धीरेंद्र गौतम की 14 वर्षीय बेटी अनामिका की मौके पर ही मौत हो गई। वह अपने ननिहाल उमाकांत गौतम के घर आई थी और आम बीनने के लिए बाग में गई थी, वहीं महराजगंज के मीरापुर केवल निवासी पप्पू की बेटी अंकिता घायल हो गई, जो अपने फूफा के घर आई थी।
दूसरी घटना जमुनीपुर गांव में हुई, जहां घनश्यामपुर निवासी 35 वर्षीय रमाशंकर बर्फ बेच रहे थे। बिजली गिरने से वह गंभीर रूप से झुलस गए। रमाशंकर को जिला अस्पताल रेफर किया गया है, जबकि अनामिका को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
चंदवक : बगीचे में आम बीनते समय तीन की मौत
इधर चंदवक क्षेत्र में भी आकाशीय बिजली का कहर टूटा। एक बगीचे में आम बीनने के दौरान आकाशीय बिजली गिरने से दो सगे भाइयों समेत तीन लोगों की मौत हो गई।
घटना के बाद गांव में मातम का माहौल है। ग्रामीणों ने प्रशासन से पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने की मांग की है।

भाजपा का एक और शिगूफा-31 मार्च 2026 तक देश नक्सलवाद से मुक्त हो जाएगा

प्राथमिकी दर्ज होने के तीन वर्ष के भीतर हो मुकदमों का निस्तारण!

मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि सरकार अगले पांच साल में ऐसी व्यवस्था बनाने जा रही है जिससे हर नागरिक को प्राथमिकी दर्ज होने के तीन साल के अंदर न्याय मिल सके। शाह ने यह भी दावा किया कि 31 मार्च 2026 तक देश नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त हो जाएगा। गृह मंत्री ने उत्तर प्रदेश पुलिस में 60,244 नवनियुक्त सिपाहियों को नियुक्ति पत्र वितरण के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, यह तीनों कानून “मैं आज आप सबके सामने बोलकर जा रहा हूं कि पांच साल के अंदर देश में ऐसी व्यवस्था बन जाएगी कि कोई भी प्राथमिकी दर्ज हुई तो नागरिक को उच्चतम न्यायालय तक तीन साल के अंदर न्याय मिल जाएगा।’ उन्होंने कहा, ‘सीसीटीएनएस, आईसीजेएस और फॉरेंसिक साइंस की सारी सुविधाओं और तकनीक के आधार पर न्याय को आगे बढ़ाने की व्यवस्था करनी है।’ शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के 11 साल के कार्यकाल में देश सुरक्षित हुआ है। ‘सबसे बड़ी बात है कि मोदी जी के 11 साल में देश सुरक्षित हुआ है। देश के 11 राज्यों में नक्सलवाद हुआ करता था। अब 11 सालों में 11 राज्यों में से नक्सलवाद तीन जिलों में बचा है और मेरी बात याद रखना, 31 मार्च 2026 को यह देश नक्सलवाद से मुक्त हो जाएगा।’