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पंचनामा : हिंदुस्थान में कम नहीं हो रहा कैश का इस्तेमाल … मोदी का ‘डिजिटल इंडिया’ हुआ फेल?

देश में १६५ फीसदी बढ़ा कैश का सर्कुलेशन
काम में नहीं आई यूपीआई
रिपोर्ट्स से हुआ खुलासा

संतोष तिवारी

कोरोना काल में मोदी सरकार द्वारा जब लॉकडाउन लगाया गया था तो उस समय ऑनलाइन ट्रांजेक्शन को काफी बढ़ावा मिला था, जिसके बाद यूपीआई की लोकप्रियता में भी काफी बढ़ोतरी हुई थी। इसके अलावा केंद्र सरकार भी ‘डिजिटल इंडिया’ को भुनाने में लगी हुई थी, लेकिन अब अचानक ऐसा क्या हुआ कि देश में १६५ फीसदी तक कैश का सर्कुलेशन बढ़ गया है। एक हालिया रिपोर्ट बताती है कि वित्त वर्ष २०१६-१७ से लेकर वित्त वर्ष २०२३-२४ तक भारत में कैश का सर्कुलेशन लगभग १६५ फीसदी बढ़ा है। सवाल उठ रहा है कि आखिर क्यों हिंदुस्थान में कैश का इस्तेमाल कम नहीं हो रहा है? क्या ‘डिजिटल इंडिया’, यूपीआई सहित ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के लिए किए जा रहे उपाय काम में नहीं आ रहे हैं।
ढाई गुने से भी ज्यादा बढ़ा कैश का इस्तेमाल 
रिपोर्ट्स की मानें तो कैश सर्कुलेशन में पिछले ७ वित्त वर्ष के दौरान आई १६३.२९ फीसदी की तेजी है। यानी इन सालों में कैश का इस्तेमाल ढाई गुने से भी ज्यादा बढ़ा है। एचएसबीसी पीएमआई एंड सीएमएस कैश इंडेक्स के अनुसार, वित्त वर्ष २०१६-१७ में जहां हिंदुस्थान में १३.३५ लाख करोड़ रुपए का कैश सर्कुलेशन में था, वहीं सर्कुलेशन में कैश की मात्रा बढ़कर मार्च २०२४ में यानी वित्त वर्ष २०२३-२४ के अंत में ३५.१५ लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई।
यूपीआई से मुंह मोड़ रहे हैं लोग 
वर्ष २०१६-१७ के दौरान यूपीआई की शुरुआत हुई थी। कोविड महामारी के दौरान यूपीआई के इस्तेमाल में जबरदस्त तेजी आई। फरवरी २०२४ के आंकड़ों के अनुसार, यूपीआई ट्रांजेक्शन की मात्रा अब बढ़कर रिकॉर्ड १८.०७ लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई है। यही नहीं विदेशों में भी इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है, लेकिन जानकारों का कहना है कि यूपीआई के लिए बढ़ते शुल्क और फ्राॅड के खतरे को देखते हुए अब लोग इससे मुंह मोड़ रहे हैं।
सबसे बढ़ा घोटाला है नोटबंदी? 
वित्त वर्ष २०१६-१७ के दौरान नवंबर २०१६ में नोटबंदी की गई थी। वैâश के इस्तेमाल को कम करने और डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देने के लिया ही नोटबंदी को लाया गया था, लेकिन विपक्ष के नेताओं सहित कई मीडिया रिपोर्ट्स में नोटबंदी को सबसे बढ़ा घोटाला बताया गया है।

कैशलेस होने के फायदे
वित्तीय लेनदेन में आसानी डिजिटल पेमेंट सिस्टम के लिए सबसे अच्छी बात है। आपको कैश ढोने, प्लास्टिक कार्ड, बैंक या एटीएम की लाइन में लगने की जरूरत नहीं है। खासतौर पर जब आप सफर में हों तो खर्च करने का यह सेफ और इजी विकल्प है, साथ ही कार्ड से खरीदारी करने पर छूट भी मिलती है। इसके अलावा सभी लेन-देन का हिसाब रखा जा रहा है और खर्च पर भी काबू पाना आसान हो जाता है। टैक्स के साथ-साथ बचत भी होती है।

डिजिटल ट्रांजेक्शन के नुकसान
आर्थिक मामलों के जानकार लोगों का कहना है कि डिजिटल ट्रांजेक्शन में सबसे बड़ा जोखिम आइडेंटिटी थेफ्ट का है। हम डिजिटल ट्रांजेक्शन के अभ्यस्त नहीं हैं, जबकि बहुत पढ़े-लिखे और समझदार लोग भी फिशिंग ट्रैप में फंस जाते हैं, ऑनलाइन प्रâॉड के बढ़ते खतरे के दौर में अधिकतर लोगों के डिजिटल ट्रांजेक्शन प्लेटफॉर्म पर आने से हैकिंग के खतरे बढ़ेंगे।

शुल्क बढ़ोतरी से बढ़ रहा बोझ 
ऑनलाइन ट्रांजेक्शन से यूपीआई सहित बैंक भी चार्ज करते हैं। कई व्यापारियों का कहना है कि ऑनलाइन ट्राजेक्शन से उन्हें दोहरा झटका लगता है। उन्हें एक तरफ यूपीआई जैसे थर्ड पार्टी को शुल्क देना पड़ता है तो वहीं बैंक भी लेन-देन के लिए चार्ज करते हैं। इसके अलावा सालाना खर्च अलग से देना पड़ता है। कई व्यापारी अब कैश को अहमियत दे रहे हैं।

अधूरी तैयारी के साथ लाया गया यूपीआई 
यूपीआई को जिस उद्देश्य के लिए लाया गया था, वह पूरा नहीं हो रहा है। पहली बात तो इसे आधी-अधूरी तैयारी के साथ लाया गया है। ऑनलाइन ट्रांजेक्शन तो जरुर बढ़े हैं लेकिन फ्राॅड भी बढ़े हैं। फ्राॅड को रोकने के लिए कोई उपाय नहीं किए जा रहे हैं। हिेंदुस्थान जैसे देश में जहां अभी भी शिक्षा का स्तर काफी कम है, वहां आसानी से लोग प्रâॉड का शिकार हो जाते हैं। इसलिए इस पर सरकार को तैयारी करने की जरूरत है।
दीपक हरपुडे, ठाणे

ऑनलाइन सुरक्षा की जरूरत 
ऑनलाइन फ्राॅड की खबरें हर दिन अखबारों में छपती हैं। हर दिन यह सुनने में आता है कि लोगों के हजारों, लाखों रुपए अपने आप बैंक से कट गए। यह सब ऑनलाइन सुरक्षा की कमी की वजह से हो रहा है। जब तक सुरक्षा पुख्ता नहीं होगी, तब तक इसे लेकर हमेशा संदेह और डर बना रहेगा। सरकार को इस पर भी ध्यान देना चाहिए।
अग्रज कुमार, मुंबई

अधिक शुल्क पड़ता है भारी 
सबसे बड़ी चीज सुरक्षा और शुल्क है। आज क्यूआर कोड फेरीवालोें से लेकर बड़ी-बड़ी दुकानों तक में यूज किया जा रहा है। इससे दुकानदारों को दोहरा झटका लग रहा है। आज लोग ५-५ रूपए भी ऑनलाइन भेजते हैं, जबकि उस ५ रुपए ट्राजेक्शन का शुल्क बैंक वाले अधिक लेते हैं। इससे अच्छा तो ऑनलाइन सिस्टम ही बंद हो जाना चाहिए।
प्रमिला जाधव, मुंबई 

 

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