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झूठ पर टिका है पीएम का प्रचार! …५ दिनों में पकड़े गए १७ असत्य तथ्य

स्क्रॉल ने हकीकत के साथ खोली कलई
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
अपनी चुनावी सभाओं में प्रधानमंत्री धड़ल्ले से झूठ बोल रहे हैं। २१ अप्रैल से २५ अप्रैल के बीच के ५ दिनों की चुनावी सभाओं में उन्होंने १७ असत्य तथ्य पेश किए। अब ‘स्क्रॉल’ ने उनकी इन सभाओं का पैâक्ट चेक कर हकीकत के साथ पीएम के भाषणों की कलई खोली है।
स्क्रॉल के पैâक्ट-चेक के अनुसार, मोदी ने इन सभाओं में बार-बार झूठ बोला है। मोदी ने अपनी ये सभाएं बांसवाड़ा, अलीगढ़, टोंक-सवाई माधोपुर, सागर, सरगुजा, बैतूल, आगरा, मुरैना और आंवला में की थीं। बांसवाड़ा की रैली में मोदी ने दावा किया कि कांग्रेस के घोषणापत्र में विवाहित हिंदू महिलाओं के मंगलसूत्र सहित निजी संपत्ति का सर्वे कर उसे जब्त कर मुसलमानों में बांट देने का जिक्र है। तथ्य ये है कि घोषणापत्र में निजी संपत्ति जब्त करने का कोई जिक्र नहीं है, महिलाओं का मंगलसूत्र छीनना तो दूर की बात है।

चुनावी रैलियों में बार-बार झूठे दावे कर रहे हैं मोदी! …‘स्क्रॉल’ ने खोली पीएम की पोल

पीएम मोदी चुनावी रैलियों में बार-बार झूठे दावे कर रहे हैं। इस बात की पोल ‘स्क्रॉल’ ने खोली है। मोदी ने दावा किया कि कांग्रेस की पिछली सरकार ने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। यहां मोदी ने २००९ में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह द्वारा दिए गए एक भाषण का जिक्र किया था। मोदी ने पूर्व पीएम के शब्दों को तोड़-मरोड़कर पेश किया था। मोदी ने दावा किया कि कांग्रेस आपकी संपत्ति इकट्ठा करके ‘घुसपैठियों’ और ‘जिनके ज्यादा बच्चे हैं’ उन्हें बांट देगी। जबकि इस बात का कोई तथ्यात्मक आधार नहीं है कि मुसलमान ‘घुसपैठिए’ हैं।
इसी तरह मोदी ने वही झूठा दावा फिर दोहराया कि कांग्रेस के घोषणापत्र में निजी संपत्ति का सर्वेक्षण करने और उसे जब्त करने की बात कही गई है। जबकि कांग्रेसी घोषणापत्र में कहा गया है कि कांग्रेस भूमि सीमा अधिनियम के तहत गरीबों को सरकारी भूमि और अधिशेष भूमि के वितरण की निगरानी के लिए एक प्राधिकरण स्थापित करेगी। मोदी ने कहा था कि आपके घर में अगर बाजरे के डिब्बे के अंदर भी कुछ रखा है, तो वो भी एक्स-रे करके खोजा जाएगा। कांग्रेस के घोषणापत्र में इसका कोई उल्लेख नहीं है। इसी भाषण में, मोदी ने वापस पहले वाला झूठा दावा दोहराया कि मुसलमानों का देश के संसाधनों पर पहला अधिकार है। इसी तरह मोदी ने दावा किया कि कर्नाटक में कांग्रेस ने गैरकानूनी तरीकों से धर्म के आधार पर आरक्षण की व्यवस्था की है। जबकि तथ्य यह है कि १९६२ में कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि आर. नागणा गौड़ा आयोग की सिफारिश पर मुस्लिम समुदायों की कुछ जातियों को ओबीसी में शामिल किया था। मोदी ने दावा किया कि कांग्रेस ने बरसों पहले आंध्र प्रदेश में धर्म के आधार पर आरक्षण देने के प्रयास को पूरे देश में लागू करने की योजना बनाई। जबकि तथ्य यह है कि २००५ में मुसलमानों को ५ फीसदी आरक्षण देने के कानून को हाई कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया था। इसी भाषण में मोदी ने दोहराया कि कांग्रेस ने कर्नाटक में धर्म के आधार पर कोटा लागू किया था। जबकि तथ्य यह है कि मार्च २०२३ में कर्नाटक में भाजपा सरकार ने मुस्लिम ओबीसी के लिए ४ फीसदी उप-कोटा खत्म कर दिया था व राज्य के प्रभुत्वशाली समुदायों, लिंगायतों को हस्तांतरित कर दिया। मोदी ने एक और दावा किया कि कांग्रेस विरासत कर लगाएगी। जबकि कांग्रेस के घोषणापत्र में इसका कोई उल्लेख नहीं है। इसी तरह मोदी ने दावा किया कि कांग्रेस एससी, एसटी और ओबीसी समूहों से आरक्षण छीनकर उन्हें विशेष वोट बैंक को देना चाहती है। मगर कांग्रेस का घोषणापत्र न तो धर्म आधारित आरक्षण की बात करता है और न ही संपत्ति के पुनर्वितरण की।
इसके बाद मोदी ने दावा किया कि कांग्रेस की धर्म के आधार पर आरक्षण देने के लिए ओबीसी के २७ फीसदी कोटा का एक हिस्सा चुराने की योजना है। जबकि कांग्रेस के घोषणापत्र में धर्म आधारित आरक्षण का कोई जिक्र नहीं है। फिर मोदी ने दावा किया कि कांग्रेस की योजना परिवार के लोगों को मिलने से पहले ५५ फीसदी संपत्ति जब्त करने की है, जबकि कांग्रेस के घोषणापत्र में इसका कोई संदर्भ नहीं है। मोदी ने दावा किया कि इंदिरा गांधी के निधन के बाद राजीव गांधी को विरासत में उनकी संपत्ति मिलनी थी तो संपत्ति को बचाने के लिए प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने विरासत कर को खत्म कर दिया था। जबकि तथ्य यह है कि १९८५ में तत्कालीन वित्त मंत्री वीपी सिंह ने मृत व्यक्ति की संपत्ति पर लगाया जाने वाला संपत्ति शुल्क खत्म किया था, न कि विरासत कर। इसी तरह मोदी ने दावा किया कि सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि कांग्रेस का इरादा संस्थाओं और दफ्तरों का भी सर्वे कराने का है। जबकि कांग्रेस ने न तो अपने घोषणापत्र में और न ही उसके नेताओं ने भाषणों में पिछड़े वर्ग या दलित परिवारों से नौकरियां छीनने की बात कही है।

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