धीरेंद्र उपाध्याय
७२ वर्षीय दादा रिचर्ड कोस्जारेक कहते हैं कि वे मोटापे से पिछले कई सालों से जूझ रहे हैं। वजन बढ़कर १९३ किलों तक पहुंचने के कारण उनका चलना-फिरना और सोना तक दुश्वार हो गया। साथ ही उन्हें दैनिक क्रियाओं को करने के लिए भी अपने परिवार पर निर्भर रहना पड़ता था। इसी बीच मेरा चलना पूरी तरह से बंद हो गया था। पैरों में असहाय दर्द महसूस होने लगा था। ऐसे में मैंने जीने की उम्मीद पूरी तरह से छोड़ दी थी। इस बीच मुझे मुंबई के जसलोक अस्पताल में भर्ती कराया गया। चिकित्सकीय जांच में पता चला कि मेरा घुटना पूरी तरह से खराब हो चुका है। इस असहनीय दर्द से छुटकारा पाने के लिए केवल रिप्लेसमेंट सर्जरी ही एकमात्र विकल्प है। हालांकि, वजन अधिक होने के कारण सर्जरी चुनौतीपूर्ण थी।
आर्थोपेडिक्स डॉ. राजेश नवलकर ने उपकरण निर्माताओं से अद्वितीय शारीरिक संरचना वाले विशेष उपकरण रचना करने के लिए कहा, ताकि मेरी सर्जरी के अपेक्षित परिणाम मिल सकें। इसके अलावा विस्तृत प्रि-ऑपरेटिव परीक्षण किए गए और मुझे परामर्श दिए गए, ताकि मैं इसके लिए तैयार रहूं। डॉक्टरों की सशक्त योजना और विशेषज्ञ क्रियान्वयन के कारण प्रक्रिया के दौरान कोई भी जोखिम उत्पन्न नहीं हुआ। इसके बाद डॉ. नवलकर के नेतृत्व में डॉ. अल्ताफ पटेल, डॉ. प्रेरणा गोम्स और डॉ. धीमंत गोलेरिया की टीम ने टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी की, जो दुनिया में पहली बार इतने वजन की सर्जरी हुई है। इसके बाद डॉ. स्टेनली के मार्गदर्शन में समूचित तरीके से देखभाल की गई। इस अद्वितीय शल्य चिकित्सा की चुनौतियों के बारे में डॉ. राजेश नवलकर ने कहा कि हर मरीज अलग होता है और सर्जरी की तकनीकों को उनकी विशेष परिस्थितियों के अनुरूप अनुकूलित होना बहुत आवश्यक है। अपने दृष्टिकोण को अनुकूलित करके और अपने सहयोगियों की मदद से हमने मरीज के मोटापा ग्रसित होने की चुनौतियों को पार कर लिया और सफल परिणाम प्राप्त किए। डॉ. प्रेरणा गोम्स ने कहा कि टोटल नी रिप्लेसमेंट कराने वाले अत्यधिक मोटे लोगों को एनेस्थेसिया देने के लिए उनकी शारीरिक जरूरतों और संभावित जोखिमों को पूरी तरह से समझना बहुत जरूरी होता है। हमारी टीम ने सर्जरी के इस पहलू को बहुत सावधानी से संभाला, ताकि पूरी प्रक्रिया में मरीज की सुरक्षा और आराम बना रहे। यह सर्जरी करके जसलोक अस्पताल की हड्डी रोग विशेषज्ञ शल्य चिकित्सा के क्षेत्र में एक बड़ा कीर्तिमान बनाया है।