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RSS ने दिए विधानसभा चुनाव में तटस्थता के संकेत! … तीन राज्यों में भाजपा का हो सकता है सफाया … मोदी और संघ के रिश्ते हैं तल्ख

 नागपुर झुकने को नहीं है तैयार
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
लोकसभा चुनाव में आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) ने अपना हाथ खींच लिया था इसलिए मोदी को अपनी औकात समझ में आ गई थी। बाद में उन्होंने कुछ समय के लिए संघ के सामने अपना सिर झुका लिया था पर अब तीसरी बार शपथ लेने के बाद वे फिर से अपने पुराने तेवर में लौटते हुए नजर आ रहे हैं। अगर मोदी का पुराना तेवर जारी रहा तो आगामी तीन राज्यों में आरएसएस तटस्थ हो जाएगी। अगर ऐसा हुआ तो नागपुर में मुख्यालय होने के कारण महाराष्ट्र में भाजपा को भारी नुकसान होगा।
बता दें कि लोकसभा चुनाव के बाद अब तीन राज्यों में विधानसभाओं के चुनाव होने हैं। ये हैं महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड। बिहार से भी समय पूर्व विधानसभा चुनाव कराए जाने की खबरें आ रही हैं। अगर ऐसा होता है तो चार राज्यों में चुनाव हो जाएंगे। अब इन सभी राज्यों में भाजपा के खिलाफ माहौल है। महाराष्ट्र में तो ‘इंडिया’ गठबंधन ने लोकसभा चुनाव में भाजपा को करारी शिकस्त दी है। यह हार कितनी जोरदार थी, यह इसी से समझा जा सकता है कि परिणाम के बाद उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसकी जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की पेशकश तक कर डाली थी। हरियाणा का परिणाम भी भाजपा के लिए खराब रहा। वहां जाट मोदी के खिलाफ हो गए हैं। इसका नतीजा लोकसभा चुनाव में दिख गया है। तीसरा प्रदेश झारखंड है जहां आदिवासी सेंटिमेंट खुलकर मोदी के खिलाफ हो गया है।

आरएसएस चाहता है
मोदी का कद छोटा हो!
आरएसएस पीएम मोदी से काफी नाराज बताया जा रहा है। इसकी वजह मोदी का अहंकार है। ऐसे में हालिया लोकसभा चुनाव में संघ ने तटस्थ भूमिका अपना रखी थी। अब ऐसी चर्चा है कि आरएसएस मोदी का ‘पर’ कतरना चाहता है, ताकि उन्हें उनकी औकात बताई जा सके। इसके लिए तीन राज्यों की आगामी विधानसभा चुनावों में भी वह तटस्थ रहकर मोदी का कद छोटा करना चाहता है।
महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं। झामुमो सरकार के मुखिया हेमंत सोरेन को जेल में बंद कर देने के कारण वहां यह समुदाय काफी नाराज है और विधानसभा चुनाव में यह खुलकर भाजपा के खिलाफ वोट डालनेवाला है। महाराष्ट्र में तो भाजपा की हालत काफी पतली है। हरियाणा में भी ‘इंडिया’ गठबंधन की दमदार वापसी हुई है। बिहार में भी पिछली बार के मुकाबले इस बार भाजपा की सीटें काफी घटी हैं। ऐसे में अगर लोकसभा चुनाव के बाद अगर बिहार समेत ये तीनों राज्य मोदी के हाथ से निकल जाएंगे तो मोदी का कद काफी बौना हो जाएगा। संघ यही चाहता है कि मोदी का कद छोटा हो। मोदी का कद घटने का मतलब है कि कोर्ट वगैरह और भी मुखर हो जाएंगे। ऐसे में संभव है कि मोदी संघ के सामने झुक भी जाएं। बता दें कि पिछले १० वर्षों में मोदी ने कभी भी संघ की प्रशंसा किसी भी मंच से नहीं की है, बल्कि डैमेज ही किया है। गुजरात मॉडल में अपने विरोधियों को खत्म करने की तर्ज पर संघ को भी साइडलाइन करने की मुहिम चलाई गई। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में हार को सामने देखकर मोदी नागपुर गए थे और संघ मुख्यालय जाकर मत्था टेका था। अब मोदी को अगर सरकार बचाए रखनी है तो उन्हें संघ के सामने झुकना ही पड़ेगा। संघ प्रमुख भागवत ने चुनाव प्रचार के दौरान इस्तेमाल की गई अभद्र भाषा की भी निंदा की, मणिपुर में एक साल से अधिक समय से चल रही हिंसा के समाधान का आह्वान किया और सत्तारूढ़ पार्टी से विपक्ष का सम्मान करने को कहा।

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