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‘घाती’ सरकार से हिंदू धर्म को बचाओ! …भाजपा नेता का महाराष्ट्र सरकार पर निशाना

पंढरपुर मंदिर मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई

सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य की ‘घाती’ सरकार हिंदुत्व की रक्षा की बात करती है। पर देखा जाए तो यह उसका दिखावा मात्र है। अब खुद भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने इस ‘घाती’ सरकार की पोल खोल दी है। स्वामी ने कल साफ कहा है कि महाराष्ट्र की सरकार से हिंदू धर्म को बचाओ।
बता दें कि पंढरपुर के मंदिर मामले की हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है। अब इस मामले में पूर्व राज्यसभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कल महाराष्ट्र सरकार पर निशाना साधा है। स्वामी ने पंढरपुर मंदिर अधिनियम को लेकर भाजपा-शिंदे व अजीत गुट के गठबंधन वाली ‘घाती’ सरकार पर सवाल खड़े किए। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए कहा कि हमें हिंदू धर्म को महाराष्ट्र सरकार से बचाने की जरूरत है। भाजपा नेता ने पंढरपुर मंदिर अधिनियम को लेकर मुंबई हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई में महाराष्ट्र सरकार की ओर से दिए गए हलफनामे का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा कि महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट से कहा कि पंढरपुर मंदिर अधिनियम भक्तों के अधिकारों को नुकसान नहीं पहुंचाता है, बल्कि उन्हें ‘पुजारी वर्ग की क्रूरता’ से बचाने के लिए है।
स्वामी ने ही दाखिल की है जनहित याचिका
सुब्रह्मण्यम स्वामी ने अपने बयान के साथ लाइव लॉ का एक लेख भी शेयर किया है। इस आर्टिकल में हाई कोर्ट में पंढरपुर मंदिर अधिनियम की हालिया सुनवाई का जिक्र है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि हमें हिंदू धर्म को महाराष्ट्र सरकार की असभ्य लोलुपता से बचाना है। हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कहा कि पंढरपुर में विट्ठल और रुक्मिणी मंदिरों पर महाराष्ट्र सरकार को नियंत्रण देने वाला पंढरपुर मंदिर अधिनियम १९७३ अपने धर्मनिरपेक्ष भक्तों और तीर्थयात्रियों को ‘पुजारी वर्गों की क्रूरता’ से राहत देने के लिए बनाया गया था। इसे लेकर ही अब सियासी बवाल मचा हुआ है। गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार की ओर से विट्ठल और रुक्मिणी मंदिरों का प्रशासन अपने कब्जे में लेने के खिलाफ सुब्रह्मण्यम स्वामी ने हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। इसी याचिका पर सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार ने ये बात हाई कोर्ट में कही।

क्या है पंढरपुर मंदिर एक्ट?
पंढरपुर मंदिर अधिनियम १९७३ के तहत महाराष्ट्र सरकार ने पंढरपुर में भगवान विट्ठल और रुक्मिणी के मंदिरों के शासन-प्रशासन के लिए पुजारियों के वंशानुगत अधिकारों और विशेषाधिकारों को खत्म कर दिया था। इस एक्ट से अब मंदिरों के प्रशासन और धन प्रबंधन पर सरकार का नियंत्रण है।

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