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मुंबई में पौधारोपण के लिए नहीं बची है जगह …मनपा के पास सुरक्षित बचे पेड़ों के आंकड़े नहीं

सामना संवाददाता / मुंबई
मनपा की तरफ से भले ही साल २०१८ में हुए वृक्ष सर्वेक्षण में दावा किया गया है कि मुंबई में पेड़ों की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। हालांकि, पर्यावरण प्रेमियों ने चिंता जताते हुए कहा है कि मौजूदा स्थिति ऐसी हो गई है कि मुंबई में पौधारोपण के लिए जगह ही नहीं बची है। इसके साथ ही शहर में कितने पेड़ सुरक्षित बचे हुए हैं, इसके आंकड़े ही मनपा के पास मौजूद नहीं हैं। मुंबई के बांद्रा में आयोजित अंतरराष्ट्रीय आर्बोरिकल्चर सम्मेलन में ‘ए जर्नी थु द आर्बोरियल लिगेसी ऑफ मुंबई’ विषय पर एक सत्र में मुंबई के टैक्सनॉमिस्ट और सेंट जेवियर्स कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. राजेंद्र शिंदे ने कहा कि हिंदुस्थान में पहली बार एमेनिटी केयर ट्री एसोसिएशन के तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय आर्बोरिकल्चर सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस दौरान उन्होंने कहा कि साल २०१८ में वृक्षों की गणना का डेटा अभी तक जारी नहीं किया गया है। मनपा ने हमें यह डेटा नहीं दिया है। यह जनता के लिए उपलब्ध नहीं है। शिंदे ने आगे कहा कि हमने दो करोड़ पेड़ लगाने की सरकारी घोषणा सुनी है। उन्हें कहां और किन स्थानों पर लगाया गया है। इसकी कोई भी जानकारी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि शहर में एक मात्र स्थान सड़क का किनारा वृक्षारोपण के लिए बचा है।
पेड़ बचाने के लिए करना पड़ा संघर्ष
बताया गया कि शहर में तेजी से बुनियादी ढांचे का विकास चल रहा है। ऐसी स्थिति में हर पेड़ को बचाना एक बड़ा संघर्ष है। उन्होंने कहा कि पर्यावरणविदों और वृक्ष प्रेमी लोगों के बीच पर्यावरण संवर्धन के बारे में जागरूकता पैदा किया जा रहा है। इसे लेकर सभी की तरफ से सकारात्मक प्रतिसाद मिल रहे हैं। हालांकि, मनपा पेड़ों के संवर्धन को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं दिखाई दे रही है।
आर्बोरीकल्चरल एसोसिएशन के सीईओ जॉन पार्कर ने कहा कि ‘आर्बोरीकल्चर’ के बारे में जागरूकता वैâसे बढ़ाई जानी चाहिए और इसके लिए एक आसान शब्द ‘ट्री केयर’ का प्रयोग कर रहे हैं। इससे हिंदुस्थान में आमतौर पर पेड़ों की प्रजातियों, पत्तियों, फूलों और फलों के लगने और परिपक्वता के पैटर्न के बारे में डिजिटल रूप से टिप्पणियों को रिकॉर्ड करने से मदद मिल रही है।

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