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केंद्र से नहीं मिली सूखा राहत राशि… फिर धरने पर बैठे सीएम सिद्धारमैया… बोले- मोदी सरकार कर रही सौतेला व्यवहार

सामना संवाददाता / बंगलुरु

दक्षिण भारत राज्य कर्नाटक इस समय सूखे की चपेट में है. राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कई बार केंद्र की मोदी सरकार से राहत पैकेज की मांग की, लेकिन केंद्र ने एक न सुनी। जिसके बाद सिद्धारमैया सरकार ने केंद्र सरकार के खिलाफ एक बार फिर मोर्चा खोल दिया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार सहित कई नेताओं ने केंद्र द्वारा दिए जाने वाले सूखा राहत राशि को लेकर रविवार को धरना दिया। राज्य सरकार का आरोप है कि केंद्र सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है।
‘लोटा’ लेकर सड़क पर उतरे मंत्री
कांग्रेस नेताओं ने विधान सभा परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने धरना दिया।  इस मौके पर उन्होंने अपने हाथों में खालीपन और धोखे का प्रतीक ‘लोटा’ लिए हुए था. कर्नाटक के नेताओं ने केंद्र पर धोखा देने का आरोप लगाया। नेताओं का कहना है कि सूखे का सामना करने के लिए केंद्र सरकार ने पर्याप्त राहत राशि जारी नहीं की है।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था कर्नाटक
उन्होंने कहा कि केंद्र से मुआवजा मांगने के बाद भी जब नहीं मिला तो राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
केंद्र ने ३,४९९ करोड़ रुपए किए मंजूर
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (एनडीआरएफ) के नियमों के अनुसार राज्य को १८१७१ करोड़ रुपए का भुगतान किया जाना था, लेकिन केंद्र सरकार ने ३,४९८.९८ करोड़ रुपए की मंजूरी दी। हालांकि, केंद्र सरकार ने कर्नाटक को केवल ३,४५४ करोड़ रुपए ही मिले।
मुआवजे के लिए जारी रहेगी लड़ाई
सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि सूखा राहत राशि जारी करने के पीछे कारण चाहे जो भी हो, मैं केंद्र सरकार का धन्यवाद करना चाहता हूं। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जल्द से जल्द बकाया मुआवजा जारी करने का आग्रह करता हूं।
सूखे की चपेट में कई जिले 
कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की ओर से हमने केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध किया। राज्य के २३६ में से २२६ तालुके सूखे पड़े हैं। वहीं, ४८ लाख हेक्टेयर भूमि में फसल का नुकसान हुआ है। सूखा राहत के लिए १८,१७२ करोड़ रुपये की मांग की, लेकिन केंद्र सरकार ने केवल ३,४५४ करोड़ रुपये जारी करने का आदेश दिया। वह भी तब जब राज्य ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने कहा कि यह राशि राज्य की मांग का एक चौथाई भी नहीं थी।

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