सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र और देश में दलितों, शोषितों और पीड़ितों के सशक्तीकरण में छत्रपति शाहू ने अमूल्य योगदान दिया है। शाहू महाराज ने राज्य और देश को प्रगतिशील विचाधारा दी, जो शाहू महाराज छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज हैं, उन्हें पराजित करने के लिए नरेंद्र मोदी कोल्हापुर में आ रहे हैं। यह सुनकर मुझे बिल्कुल भी झटका नहीं लगा है। इतना जरूर है कि थोड़ा-सा मुझे अचरज जरूर हुआ है। हालांकि, छत्रपति के सिंहासन के आगे मोदी कुछ भी नहीं हैं। इस तरह बरसते हुए शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता व सांसद संजय राऊत ने कहा कि भाजपा ने शिवराय का अपमान किया है।
लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के लिए प्राधानमंत्री मोदी कोल्हापुर में प्रचार सभा कर रहे हैं। खासकर प्रधानमंत्री मोदी की दो दिनों में महाराष्ट्र में छह प्रचार सभाएं होंगी। इस पर सांसद संजय राऊत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा की जमकर खबर ली। संजय राऊत ने कहा कि श्रीमंत छत्रपति शाहू और उनके सिंहासन के पिछले सभी उत्तराधिकारियों ने महाराष्ट्र के निर्माण में अहम योगदान दिया है। हालांकि, भाजपा या उसके सहयोगियों द्वारा छत्रपति शाहू के खिलाफ उम्मीदवारों को मैदान में उतारना गलत है। हम चाहते थे कि छत्रपति शाहू निर्विरोध चुने जाएं और महाराष्ट्र में शाहू, फुले, आंबेडकर की परंपरा का सम्मान किया जाना चाहिए। कोल्हापुर सीट शिवसेना की थी। फिर भी केवल यह कहने के बाद कि छत्रपति शाहू महाराज खड़े हो रहे हैं, हमने उनके लिए वह सीट छोड़ दी, लेकिन महाराष्ट्र के लोग यह कभी नहीं भूलेंगे कि नरेंद्र मोदी भाजपा की ओर से शाहू के खिलाफ प्रचार करने आ रहे हैं। इस तरह की चेतावनी सांसद संजय राऊत ने भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी को दी। छत्रपति के सिंहासन के आगे मोदी कुछ भी नहीं हैं। कोल्हापुर की सीट मोदी की कुर्सी नहीं है। यह वह कुर्सी नहीं है जिस पर मोदी बैठते हैं, यह छत्रपति शिवाजी महाराज का सिंहासन है। भाजपा उस सिंहासन का अपमान कर रही है। मान और मत दोनों ही सिंहासन के लिए हैं। ये कोल्हापुर की जनता का नारा है। संजय राऊत ने कहा कि कोल्हापुर ने मोदी और उनकी पार्टी का पूरा कार्यक्रम महाराष्ट्र में करने का फैसला किया है।
आपका संबंध क्या जय भवानी, जय शिवाजी से है?
मोदी कोल्हापुर में छत्रपति शाहू को हराने के लिए आ सकते हैं, उस सिंहासन का नारा ही ‘जय भवानी, जय शिवाजी’ है। उस सिंहासन का सम्मान शिवाजी महाराज का सम्मान है। शिवाजी महाराज की प्रेरणा लेकर ही जय भवानी, जय शिवाजी का उद्घोष हम करते हैं। भवानी माता छत्रपति और महाराष्ट्र की कुलदेवी हैं। उन कुलदेवी और शिवाजी महाराज पर आघात कर रहे हैं। फिर से शिवाजी महाराज के सिंहासन के खिलाफ में मतलब प्रत्यक्ष श्रीमंत छत्रपति शाहू के खिलाफ प्रचार के लिए आ रहे हैं इसलिए जय भवानी, जय शिवाजी यह हमारा जयघोष है। वह प्रचार का नारा नहीं है। हम उस घोषणा पर वोट नहीं मांग रहे हैं। पिछली कई पीढ़ियों से छत्रपति शिवकाल से यह घोषणा महाराष्ट्र में प्रयोग की जा रही है। इस पर देवेंद्र फडणवीस और उनकी कंपनी का क्या कहना है? ये वे बताएं। संजय राऊत ने सीधे सवाल पूछा कि ‘जय भवानी, जय शिवाजी’ से आपका क्या रिश्ता है?
अजीत पवार और एकनाथ शिंदे के घोषणापत्र का उपयोग नहीं
सांसद संजय राऊत ने कहा कि अजीत पवार और एकनाथ शिंदे के घोषणापत्र का कोई भी उपयोग नहीं है, क्योंकि दोनों गुटों के एक भी सांसद चुनकर नहीं आनेवाले हैं। ये मैं इससे पहले भी कई बार कह चुका हूं। उसे मैं आज फिर से दोहरा रहा हूं। संजय राऊत ने कहा कि कल वे शिर्डी लोकसभा क्षेत्र में थे। प्रचार के लिए कहीं नहीं दिखे, लेकिन विमान से बहुत कुछ सामान आया, अलग तरीके की प्रचार वस्तुएं आर्इं। ऐसा लोग कह रहे हैं। इसकी वहां बहुत चर्चाएं थीं। चुनाव आयोग क्या कर रहा है? निरीक्षक क्या कर रहे हैं? उनका पूरा दरोमदार पैसा वितरण पर है। वोटों और प्रचार पर नहीं, विचारों पर नहीं।
महाराष्ट्र के किसानों को रोकना, यही मोदी की नीति
गुजरात में दो हजार मैट्रिक टन प्याज मुंबई के न्हावा-शेवा बंदरगाह से विदेश जानेवाला है। ठीक चुनाव में गुजरात के व्यापारियों और ठेकेदारों को मालामाल करने की यह साजिश है। यह रिश्वत है। महाराष्ट्र का प्याज सड़ाया जा रहा है उसे गारंटी मूल्य नहीं मिल रहा है। यहां आपने निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। प्याज और दूध उत्पादक किसानों को पैसे मिल रहे हैं, बस इतना सुनते ही आप तुरंत निर्यात पर प्रतिबंध लगा देते हो, लेकिन गुजरात के व्यापारी महाराष्ट्र में आकर खरीदी करके फिर से गुजरात में चले जाते हैं। वहां प्याज निर्यात प्रतिबंध हटाए जाने से उपज अब आसानी से विदेश भेजी जाएगी यानी गुजरात का सफेद प्याज मोदी को प्रिय है और महाराष्ट्र का प्याज सड़कों पर फेंको, सड़ाओं। महाराष्ट्र के किसानों को रोके रखो, यही मोदी की नीति है। इस तरह का हमला संजय राऊत ने बोला। शरद पवार ने आज ही एक उदाहरण दिया कि महाराष्ट्र में अकाल पड़ा है। महाराष्ट्र के अकालग्रस्त क्षेत्रों में मवेशियों के लिए गुजरात की अमूल डेयरी ने चारा भेजा इसलिए नरेंद्र मोदी ने अमूल के निदेशकों पर मामले दर्ज कराकर केस चलाया। यह मोदी का महाराष्ट्र द्वेष है। महाराष्ट्र के किसान, मवेशी तड़पकर मर जाने चाहिए। इस तरह की मोदी और शाह की नीति है। गुजरात से प्याज निर्यात प्रतिबंध उठाने के पीछे की भूमिका यही है। महाराष्ट्र में किसान तड़पकर मरने चाहिए, लेकिन गुजरात के किसान जीने चाहिए, इस तरह की उनकी भूमिका है। संजय राऊत ने तीखा तंज कसते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी देश के नहीं, बल्कि गुजरात के प्रधानमंत्री हैं।