डोंबिवली में ५८ अवैध इमारतों का बिजली-पानी होगा बंद! …हाई कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई

सामना संवाददाता / डोंबिवली
बॉम्बे हाई कोर्ट ने कल्याण-डोंबिवली मनपा को डोंबिवली शहर के विभिन्न हिस्सों में ६५ अवैध इमारतों को ध्वस्त करने का आदेश दिया है। इन अवैध इमारतों में से सात इमारतों को मनपा ने ढहा दिया है। वॉर्ड सहायक आयुक्त ने शेष ५८ अवैध इमारतों पर विध्वंस कार्रवाई करने के लिए इन इमारतों की बिजली और पानी की आपूर्ति काटने के लिए मनपा के जल आपूर्ति विभाग, महावितरण को पत्र भेजा है।
बता दें कि ५८ अवैध इमारतों में डेढ़ हजार से ज्यादा परिवार रह रहे हैं। हाई कोर्ट ने इन इमारतों को खाली कराने की जिम्मेदारी पुलिस को दी है। मनपा को अगले तीन माह में इन ५८ अवैध इमारतों को ध्वस्त करना है। इन इमारतों को समय पर ढहाने के लिए कमिश्नर डॉ. इंदुरानी जाखड़, अतिरिक्त आयुक्त योगेश गोडसे, अतिक्रमण नियंत्रण उपायुक्त अवधूत तावड़े के स्तर पर योजना बनाई जा रही है। मनपा वॉर्ड स्तर पर एच, जी, ई, आई और जे वॉर्डों के सहायक आयुक्तों ने अपनी सीमा के भीतर इन अवैध इमारतों के डेवलपर्स को १० दिन में इमारतें खाली कराने के लिए नोटिस भेज दिया है। सहायक आयुक्त ने ५८ अवैध भवनों के विकासकर्ताओं को सूचित किया है कि अवैध निर्माण करने वाले स्वयं ही भवन खाली कर दें, अन्यथा न्यायालय के आदेशानुसार इन भवनों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी और पुलिस बल का प्रयोग कर इनमें रहने वाले निवासियों को इमारत से खाली करा दिया जाएगा।
इन नोटिसों के कारण डेवलपर्स और निवासियों के बीच विवाद पैदा हो गया है। ५८ अवैध इमारतों की बिजली और पानी की आपूर्ति काटने के बाद इन इमारतों के निवासियों की सेवाएं बंद हो जाएंगी। पुलिस द्वारा इन अवैध इमारतों को खाली कराकर मनपा को सौंपने के बाद मनपा इन इमारतों को ध्वस्त करना शुरू कर देगी।

इमारतें खाली कराने के लिए पत्राचार शुरू
इमारतों को खाली कराने के लिए मनपा उपायुक्त स्तर से पुलिस से पत्राचार किया जा रहा है। वॉर्ड सहायक आयुक्त ने स्थानीय महावितरण इंजीनियरों को पत्र भेजकर अपने वॉर्ड में अवैध इमारतों की बिजली काटने की मांग की है। जल आपूर्ति विभाग को संबंधित भवनों में पानी की आपूर्ति काटने के लिए सूचित कर दिया गया है। आई वॉर्ड के सहायक आयुक्त भारत पवार, जी वॉर्ड के सहायक आयुक्त संजय कुमार कुमावत व एच वॉर्ड के सहायक आयुक्त राजेश सावंत ने नोटिस भेजने की प्रक्रिया पूरी कर ली है।

पुणे-मुंबई एक्सप्रेसवे पर नियम से चलाओ वाहन वर्ना …. ५२ ‘एआई’ कैमरे देख रहे हैं!

सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे पर वाहन चलाते समय नियमों का पूरी तरह से पालन करना है, वर्ना आप मुसीबत में फंस सकते हैं। इस एक्सप्रेसवे के दोनों किनारों पर ५२ स्थान चुनकर वहां ‘इंटेलिजेंट ट्रैफिक मॉनिटरिंग सिस्टम’ प्रणाली के एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) आधारित कैमरे लगाए गए हैं। इस तकनीक से वाहनों की गति मापने के साथ ही अन्य चीजें भी देखी जा रही हैं। नियमों के उल्लंघन होने पर तुरंत मामला दर्ज करके मुकदमा चलाया जाएगा।
इसके तहत निर्धारित गति से अधिक गति से गाड़ी चलाने पर मामला दर्ज किया जा रहा हैै।
बता दें कि सीटबेल्ट नहीं पहनने पर कई बार पुलिस एक्शन नहीं लेती थी, पर अब एआई कैमरे आने के बाद यदि किसी ने सीट बेल्ट नहीं लगाई है, तो उसके ऊपर तुरंत एक्शन हो जाएगा। महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम ने मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे पर आईटीएमएस प्रणाली लागू की है। इसके तहत दोनों तरफ ५२ स्थानों पर ‘एआई’ आधारित कैमरे लगाए गए हैं। इस प्रणाली के तहत लगाए गए कैमरों के माध्यम से यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहनों जैसे सीट बेल्ट न लगाना, गाड़ी चलाते समय मोबाइल का उपयोग करना, लेन अनुशासन का पालन न करना आदि पर ई-चालान किया जा रहा है। उप प्रादेशिक परिवहन अधिकारी राहुल जाधव ने अपील की है कि सभी वाहन चालक वाहन चलाते समय सभी नियमों का पालन करें तथा गति सीमा का उल्लंघन न करें। इनमें से किसी भी नियम का उल्लंघन करने पर एआई कैमरा तुरंत उसे दर्ज कर लेगा और वाहन चालक व सवारों के खिलाफ फौरन कार्रवाई हो जाएगी।

उप प्रादेशिक परिवहन अधिकारी राहुल जाधव ने अपील की है कि सभी वाहन चालक वाहन चलाते समय सभी नियमों का पालन करें तथा गति सीमा का उल्लंघन न करें। नियमों में से किसी भी नियम का उल्लंघन करने पर एआई कैमरा तुरंत उसे दर्ज कर लेगा।

सरकार अपने में व्यस्त, छात्र पेपर लीक से त्रस्त …एमबीबीएस के ४ पेपर लीक!

सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य में सरकार गठन को लेकर १२ दिन चले खेल और फिर अब सरकार में मंत्रिमंडल को लेकर हो रही टालमटोल से राज्य का कामकाज प्रभावित हो रहा है। महायुति की सरकार अपनी मौज में है, जबकि राज्य में पेपर लीक का मामला गंभीर होता जा रहा है। पिछले एक सप्ताह में चार पेपर लीक होने के मामले सामने आए हैं। वो भी एमबीबीएस परीक्षा के पेपर लीक होने से हेल्थ यूनिवर्सिटी की हालत खराब हो गई है।
सत्ता में चूर महायुति सरकार प्रदेश में पेपर लीक के मामले में अंकुश लगाने में असफल साबित हुई है। प्रदेश में चल रही एमबीबीएस परीक्षाओं में पेपर लीक का यह चौंकानेवाला मामला सामने आया है। ऐसा देखा जा रहा है कि एमबीबीएस परीक्षाओं में जमकर गड़बड़ी हुई है। पिछले सोमवार से शुरू हुई परीक्षाओं में सभी चार पेपर लीक हो गए हैं इसलिए समय पर पेपर बदलने की प्रक्रिया हेल्थ यूनिवर्सिटी ने किया। पेपर लीक नहीं रोक पाने से युनिवर्सिटी भी शर्मिंदा है।
पेपर लीक होने के कारण आरोग्य विश्वविद्यालय ने कुछ स्थानों पर दोबारा परीक्षा आयोजित की है। परीक्षा समय पर शुरू नहीं हुई, क्योंकि पेपर के फॉर्माकोलॉजी और पैथोलॉजी दोनों परीक्षा के पेपर लीक हुए। परीक्षार्थियों की शिकायत है कि यूनिवर्सिटी की लापरवाही के कारण ये परीक्षाएं आधे घंटे देर से शुरू हो रही हैं। इन छात्रों को काफी परेशानी हो रही है। इन घटनाओं को लेकर हेल्थ यूनिवर्सिटी की ओर से म्हासरुल पुलिस स्टेशन और क्राइम ब्रांच में शिकायत दर्ज कराई गई है।

एक छात्र ने बताया कि सोमवार को अफवाह उड़ी कि पैथोलॉजी द्वितीय का पेपर भी लीक हो गया है इसलिए वह पेपर भी समय पर बदल दिया गया। पिछले सप्ताह बुधवार यानी ४ दिसंबर को पैथोलॉजी विषय का प्रश्न-पत्र लीक होने के कारण दूसरा प्रश्न-पत्र बेसमय पर दिया गया और परीक्षा करायी गई। इसके चलते परीक्षार्थियों को आधे घंटे की देरी से प्रश्न-पत्र मिलता है। दो दिसंबर को फॉर्माकोलॉजी ऑफ हेल्थ साइंसेज का एक पेपर भी लीक हो गया था। बाद में यह घोषणा की गई कि परीक्षा रद्द कर दी जाएगी और दोबारा परीक्षा आयोजित की जाएगी।

मुंबईकरों ने मेट्रो-३ से मुंह मोड़ा! …दूसरे महीने यात्रियों की संख्या ६८ हजार से ज्यादा घटी

-प्रतिदिन साढ़े ४ लाख यात्रियों के सफर की थी उम्मीद
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबईकरों ने ‘कुलाबा-बांद्रा-सीप्ज मेट्रो ३’ रूट के आरे-बीकेसी सेक्शन से मुंह मोड़ लिया है। इस रूट पर यात्रियों की ओर से कोई रिस्पांस नहीं मिल रहा था। अब इस रूट पर दैनिक यात्रियों की संख्या भी काफी कम हो गई है। दूसरे महीने में यात्रियों की संख्या में सीधे तौर पर ६८ हजार ८९६ की कमी आई है, जबकि दैनिक यात्रियों की संख्या में २,९०३ की कमी आई है।
इस रूट के शुरू होने के बाद से दो महीनों में कुल १३ हजार ४८० फेरी मेट्रो चलाई गई। इसमें कुल ११ लाख ९७ हजार ५२२ यात्रियों ने मेट्रो से यात्रा की। उल्लेखनीय है कि शुरुआत के बाद पहले महीने में इस रूट पर ६ लाख ३३ हजार २०९ यात्रियों ने यात्रा की। दूसरे महीने में यह संख्या सिर्फ ५ लाख ६४ हजार ३१३ थी। मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ३३.५ किमी लंबी भूमिगत मेट्रो लाइन का निर्माण कर रहा है। मार्ग का १२.५ किमी लंबा आरे-बीकेसी खंड ७ अक्टूबर को सेवा में लाया गया था। एमएमआरसी सहित सभी को उम्मीद थी कि इस मार्ग को लोगों का भारी प्रतिसाद मिलेगा। हकीकत में इस रूट को बहुत कम रिस्पॉन्स मिल रहा है।
इस रूट से प्रतिदिन साढ़े चार लाख यात्रियों के सफर करने की उम्मीद थी। हालांकि, ७ अक्टूबर से ७ नवंबर के बीच इस रूट पर प्रतिदिन यात्रियों की औसत संख्या २१ हजार १०६ थी। दूसरे महीने यानी ७ नवंबर से ७ दिसंबर के बीच दैनिक यात्रियों की संख्या में कमी आई। इस दौरान रूट पर दैनिक यात्रियों की औसत संख्या १८ हजार २०३ रही। इस डेटा से यह स्पष्ट है कि दूसरे महीने में दैनिक यात्रियों की संख्या में २,९०३ की कमी आई है। कहा जा रहा है कि मेट्रो स्टेशन से वांछित गंतव्य और पूरे रूट पर जाने की कोई सुविधा नहीं है।
कुछ यात्रियों की प्रतिक्रिया जानने के बाद उनमें से कई ने कहा कि वे ट्रेन और बेस्ट बस से यात्रा करने के आदी हैं और यह विकल्प आसान है। उधर, इस बारे में पूछे जाने पर एमएमआरसी के वरिष्ठ अधिकारियों से कोई जवाब नहीं मिल सका।

अडानी पर चर्चा से डरती है बीजेपी … प्रियंका का मोदी सरकार पर करारा प्रहार

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने मंगलवार को संसद में अडानी मुद्दे पर भाजपा और केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा अडानी मामले पर चर्चा करने से डरती है। प्रियंका गांधी ने कहा कि वे (भाजपा) अडानी मुद्दे पर चर्चा से डरते हैं। मैं संसद में नई हूं, लेकिन अब तक प्रधानमंत्री को संसद में नहीं देखा गया, आखिर हम यह मुद्दा क्यों न उठाएं?
संसद परिसर में अडानी मामले पर विपक्षी सांसदों ने अनोखे अंदाज में विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने काले झोलों का इस्तेमाल किया जिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उद्योगपति गौतम अडानी के कार्टून छपे थे। झोलों पर ‘मोदी-अडानी भाई-भाई’ लिखा हुआ था। बीजेपी द्वारा सोनिया गांधी और जॉर्ज सोरोस के बीच संबंध का आरोप लगाने पर प्रियंका गांधी ने कहा, ‘यह सबसे हास्यास्पद बात है जो वे कह सकते थे। वे १९९४ की किसी बात का जिक्र कर रहे हैं, जिसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। किसी को पता नहीं है कि वे क्या कह रहे हैं। वे यह सब सिर्फ इसलिए कर रहे हैं, ताकि अडानी मुद्दे पर चर्चा न हो।
संसद के बाहर भी विरोध प्रदर्शन
सांसदों ने संसद की सीढ़ियों पर विरोध प्रदर्शन किया और अडानी विवाद पर सरकार से जवाब मांगा। कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने सरकार पर संसद न चलने देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘सरकार कह रही है कि विपक्ष संसद चलने नहीं दे रहा, लेकिन सच्चाई यह है कि सरकार ही संसद चलाना नहीं चाहती।’

प्रियंका गांधी ने सरकार पर अडानी मुद्दे पर चर्चा से बचने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘हम हर दिन चर्चा की मांग करते हैं, लेकिन सरकार चर्चा नहीं चाहती। यही कारण है कि वे किसी न किसी बहाने सदन की कार्यवाही स्थगित करवा देते हैं।

बीजेपी से ज्यादा वफादारी दिखा रहे हैं धनखड़! …विपक्ष ने कहा- राज्यसभा सभापति का पक्षपातपूर्ण आचरण अस्वीकार्य

जगदीप को पद से हटाने के लिए लाया अविश्वास प्रस्ताव

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
संसद में जारी गतिरोध के बीच अब विपक्ष राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ गोलबंद हो गया है। विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन जगदीप धनखड़ को पद से हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया है। विपक्षी गठबंधन ने राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल को इस आशय का प्रस्ताव सौंप दिया है। जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर ६० सदस्यों के हस्ताक्षर हैं।
जानकारी के मुताबिक, विपक्षी पार्टियों ने संविधान के आर्टिकल ६७-बी के तहत उपराष्ट्रपति को पद से हटाने की मांग को लेकर राज्यसभा में प्रस्ताव पेश कर दिया। यह प्रस्ताव उपराष्ट्रपति को हटाने की मांग को लेकर लाया गया है, जो राज्यसभा के पदेन सभापति भी हैं। इस प्रस्ताव पर सोनिया गांधी और किसी भी दल के फ्लोर लीडर्स ने हस्ताक्षर नहीं किए हैं। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस, राजद, टीएमसी, सीपीआई, सीपीआई-एम, जेएमएम, आप, डीएमके समेत करीब ६० विपक्षी सांसदों ने नोटिस पर हस्ताक्षर किए हैं। कांग्रेस की अगुआई में यह नोटिस विपक्षी दलों और राज्यसभा के सभापति के बीच जारी गतिरोध के मद्देनजर आया है। कांग्रेस की ओर से जयराम रमेश और प्रमोद तिवारी के साथ ही तृणमूल कांग्रेस के नदीम उल हक और सागरिका घोष ने यह प्रस्ताव राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल को सौंपा। विपक्षी पार्टियों ने अविश्वास प्रस्ताव में आरोप लगाया है कि उनको बोलने नहीं दिया जाता। चेयरमैन पक्षपात कर रहे हैं। विपक्षी पार्टियों ने एक दिन पहले का उदाहरण देते हुए कहा है कि ट्रेजरी बेंच के सदस्यों को बोलने का मौका दिया गया, लेकिन जब विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे बोल रहे थे तो उनको रोका गया। विपक्ष के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि सभापति का आचरण अस्वीकार्य है। वे भाजपा के प्रवक्ता से भी ज्यादा वफादार दिखने का प्रयास कर रहे हैं।
५० है प्रस्ताव के लिए न्यूनतम संख्या
उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए प्रस्ताव पेश करने के लिए न्यूनतम आवश्यक संख्या ५० है। दरअसल, विपक्ष कई मुद्दों को लेकर धनखड़ से नाराज है। इसमें सबसे ताजा मामला यह है कि उन्होंने उच्च सदन में सत्ता पक्ष के सदस्यों को कांग्रेस-सोरोस संबंध का मुद्दा उठाने की अनुमति दी। जयराम रमेश ने इसे लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट कर राज्यसभा के सभापति पर पक्षपातपूर्ण तरीके से उच्च सदन की कार्यवाही के संचालन का आरोप लगाया है।

जयराम रमेश ने राज्यसभा सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने को कष्टकारी निर्णय बताते हुए आगे कहा है कि संसदीय लोकतंत्र के हित में यह अभूतपूर्व कदम उठाना पड़ा है। यह प्रस्ताव अभी राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल को सौंपा गया है। यह देश के संसदीय इतिहास में पहला मौका है, जब किसी उपराष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए विपक्षी दल राज्यसभा में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए हैं।

‘आम आदमी पार्टी’ के सांसद संजय सिंह ने संसद परिसर में संवाददाताओं को बताया कि करीब ६० सांसदों के हस्ताक्षर वाला नोटिस राज्यसभा सभापति के सचिवालय को दिया गया है। विपक्षी दलों ने अगस्त में ही आवश्यक हस्ताक्षर जुटा लिए थे, लेकिन उन्होंने धनखड़ को ‘एक और मौका देने’ का निर्णय लिया था। हालांकि, सोमवार को उनके आचरण को देखते हुए विपक्ष ने आगे बढ़ने का पैâसला किया।

कब मिलेगी दिसंबर की किस्त? … महायुति सरकार से पूछ रही हैं लाडली बहनें

सामना संवाददाता / मुंबई
महायुति ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद ‘लाडली बहन’ योजना की राशि २,१०० रुपए प्रतिमाह होगी, लेकिन महायुति इस वादे को पूरा करने के प्रति उदासीन नजर आ रही है। बताया जाता है कि अब लाडली बहनों के आवेदनों की जांच की जाएगी। इसके अलावा इस योजना की दिसंबर की किस्त अभी तक नहीं मिलने से यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या राज्य की महिलाओं को आगे भी पैसा मिलेगा या नहीं।
राज्य में विधानसभा चुनाव के नतीजे आए १७ दिन बीत चुके हैं। इस नतीजे के १२ दिन बाद महायुति ने सरकार बना ली। ५ दिसंबर को देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। शपथ ग्रहण के पांच दिन बाद भी सरकार का काम शुरू होता नजर नहीं आ रहा है। दिसंबर का महीना शुरू हो गया है, लेकिन राज्य में लाडली बहन योजना की दिसंबर की किस्त अभी तक बहनों के खाते में नहीं आई है।
राज्य में महायुति ने लाडली बहन योजना की राशि बढ़ाकर २,१०० रुपए करने का वादा किया था, लेकिन सत्ता में आने के बाद इस राशि को शुरू करने को लेकर महायुति में उदासीनता है। ऐसे में सवाल है कि लाडली बहनों को किस्त कब मिलेगी। बीजेपी नेता सुधीर मुनगंटीवार ने भविष्यवाणी की है कि यह किस्त अगले तीन से चार दिनों में मिल जाएगी। २,१०० रुपए के लिए हमें अगली किस्त का इंतजार करना होगा।

वडाला-घाटकोपर-ठाणे-कासारवडवली मेट्रो-४ … जानलेवा ट्रैफिक जाम से जूझ रहे हैं लोग

सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई और ठाणे को जोड़नेवाली महत्वाकांक्षी परियोजना वडाला-घाटकोपर-ठाणे-कासारवडवली मेट्रो-४ अभी तक पूरी नहीं हुई है। सरकार की आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में पिछले चार साल से कई बार की डेडलाइन दी गई हैं और अब नई डेडलाइन दी गई है कि मेट्रो-४ दिसंबर २०२५ के बाद ही ठाणे से चलेगी।
जानलेवा ट्रैफिक जाम से जूझ रहे नागरिकों के लिए मेट्रो-४ परियोजना बेहद अहम है। हालांकि, चार बार समय-सीमा बीत जाने के बाद भी परियोजना अभी तक पूरी नहीं हो पाई है, इससे स्पष्ट है कि नेता और राज्य सरकार इस परियोजना को लेकर लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने में विफल रहे हैं।
ठाणे शहर में, मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन अथॉरिटी ने २०१७ से मेट्रो परियोजना का काम शुरू किया। पिछले ८ सालों में बड़े पैमाने पर हाईवे पर बैरिकेडिंग कर मेट्रो पिलर खड़े करने का काम चल रहा है और ये काम अंतिम चरण में पहुंच चुका है। एमएमआरडीए ने बताया है कि कुछ जगहों पर मेट्रो स्टेशनों का निर्माण कार्य चल रहा है और अब तक वडाला-घाटकोपर-ठाणे-कासारवडवली मेट्रो परियोजना का ६७ प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा हो चुका है, लेकिन ऐसा लगता है कि जिस गति से काम पूरा होने की उम्मीद थी, उस गति से काम नहीं चल रहा है। नई मुंबई मेट्रो प्रोजेक्ट की तरह ही मेट्रो-४ प्रोजेक्ट भी रुका हुआ है। अब जब इस प्रोजेक्ट की शुरुआत के लिए एमएमआरडीए की ओर से दिसंबर २०२५ की नई तारीख दी गई है, तो संभावना है कि मेट्रो-४ से सफर करने के लिए नागरिकों को २०२६ की सुबह का इंतजार करना होगा।
नई मुंबई मेट्रो के उद्घाटन को पूरा होने के बाद भी एक साल तक विलंबित करने के पिछले अनुभव के कारण, ठाणे मेट्रो के बारे में भी और देरी की आशंका जताई जा रही है। अब नागरिक सवाल उठा रहे हैं कि यह प्रोजेक्ट कब पूरा होगा।
काम पूरा करने की अब तक की समय-सीमा
शुरुआत में मेट्रो को २०२१-२२ में पूरा करने की योजना थी। इसके बाद कोरोना के कारण मेट्रो प्रोजेक्ट का काम रोक दिया गया।
इस प्रोजेक्ट के लिए फरवरी २०२४ की नई तारीख दी गई। इस तिथि पर भी प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो सका। इसके बाद जून २०२५ की नई तारीख तय की गई, लेकिन हाल ही में प्रकाशित आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट से अब यह प्रोजेक्ट दिसंबर २०२५ के बाद पूरा हो सकता है।
इसके अलावा, कासारवडवली-गायमुख परियोजना जो इस परियोजना का दूसरा चरण है, वह भी दिसंबर २०२५ के बाद ही वास्तविकता बन पाएगी।

मनपा अधिकारी मेहरबान … अतिक्रमण करने वाले पहलवान! …गोल्डन नेस्ट के फुटपाथ पर पैदल चलना भी हुआ मुश्किल

सड़क तक कब्जा जमाए बैठे हैं दुकान वाले

प्रेम यादव / भायंदर
मनपा अधिकारी मेहरबान तो फुटपाथ पर अतिक्रमण करने वाले पहलवान। यही हाल इस समय भायंदर पूर्व स्थित गोल्डन नेस्ट सर्कल का इलाके का है। यहां ऑटो पार्ट्स की दुकानों, गैराज, बाइक की दुकान वाले और फर्नीचर विक्रेताओं ने फुटपाथ और सड़क पर कब्जा कर रखा है। इन अवैध कब्जों के चलते स्थानीय निवासियों और राहगीरों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऑटो पार्ट्स की कई दुकानों में दोपहिया और चारपहिया वाहनों के नंबर प्लेट, रेडियम लगाने और मरम्मत का काम सीधे सड़क पर किया जाता है। इससे न केवल यातायात बाधित होता है, बल्कि दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ जाता है। वहीं, क्षेत्र में मौजूद फर्नीचर की दुकानें नए और पुराने फर्नीचर बेचने के लिए फुटपाथ और सड़क के बड़े हिस्से पर कब्जा जमाए हुए हैं।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि दुकानदार अपने प्रतिष्ठानों के सामने की पूरी जगह घेरकर व्यवसाय करते हैं। पैदल चल ने वालों के लिए फुटपाथ का इस्तेमाल करना असंभव हो गया है।
अतिक्रमण विभाग की निष्क्रियता से नागरिकों में रोष बढ़ता जा रहा है। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि मनपा अधिकारी केवल औपचारिकता निभाकर खानापूर्ति करते हैं। शिकायतों के बावजूद अवैध कब्जे बढ़ते जा रहे हैं, यात्री और वाहन चालक दोनों इस समस्या से त्रस्त हैं। सड़क पर खड़े वाहनों और बेतरतीब सामानों के कारण दुर्घटनाओं की घटनाएं बढ़ने का खतरा है।

लोगों को कार्रवाई का इंतजार
नागरिकों का कहना है कि मनपा अधिकारियों को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि अतिक्रमण हटाया जा सके और लोगों को राहत मिल सके। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस मुद्दे को उठाते हुए अधिकारियों से त्वरित कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि सार्वजनिक संपत्ति पर इस तरह का अतिक्रमण कानून का उल्लंघन है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। गोल्डन नेस्ट सर्कल का यह अतिक्रमण क्षेत्र न केवल नागरिकों की समस्या बढ़ा रहा है, बल्कि शहर की छवि पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। अब नागरिकों को मनपा की कार्रवाई का इंतजार है।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को लगाई फटकार : फ्री की रेवड़ी कब तक बांटोगे, रोजगार के अवसर बनाने पर दें ध्यान

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मुफ्त में दी जा रही सुविधाओं को लेकर सवाल किए हैं और सख्त टिप्पणी की है। सोमवार को ई-श्रम पोर्टल के तहत रजिस्टर्ड २८ करोड़ श्रमिकों और अकुशल मजदूरों को मुफ्त राशन कार्ड देने के मामले पर सुनवाई करते हुए ये बात कही गई। अदालत ने कहा कि ‘फ्रीट की रेवड़ी कब तक बांटी जाएंगी’? इसी के साथ ये भी कहा कि कोविड के बाद से फ्री में राशन प्राप्त कर रहे प्रवासी मजदूरों के लिए रोजगार निर्मित किए जाने की आवश्यकता है। सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अगर वे राज्यों को आदेश देते हैं कि सभी प्रवासी मजदूरों को मुफ्त राशन दिया जाए तो कोई भी वहां दिखाई नहीं देगा, वे भाग जाएंगे। राज्यों को पता है कि ये केंद्र सरकार का दायित्व है, इसीलिए वे राशन कार्ड जारी कर सकते हैं।
देश की शीर्ष अदालत ने मुफ्त राशन योजना पर अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने सवाल उठाया है कि सरकार कब तक लोगों को मुफ्त राशन देती रहेगी और क्यों रोजगार के अवसर पैदा नहीं किए जा रहे हैं। सोमवार को केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम २०१३ के तहत ८१ करोड़ लोगों को मुफ्त राशन मिल रहा है। इसके जवाब में, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने कहा कि इसका मतलब यह है कि सिर्फ टैक्स देने वाले लोग ही इस योजना से बाहर हैं। सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने जानकारी दी कि वर्तमान में ८१.३५ करोड़ लोग इस योजना का लाभ उठा रहे हैं। इस पर एनजीओ के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण गरीबों की स्थिति और भी बिगड़ गई है।

रोजगार गारंटी का क्या हुआ?
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने उस समय हैरानी व्यक्त की जब केंद्र सरकार ने अदालत को सूचित किया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत ८१ करोड़ लोगों को मुफ्त या सब्सिडी वाले राशन का वितरण किया जा रहा है। इस पर बेंच ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा, ‘इसका मतलब है कि केवल टैक्सपेयर्स ही बाकी रह गए हैं।’ सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि मुफ्त सुविधाएं देने के स्थान पर सरकार को रोजगार के अवसर बनाने की जरूरत है।