मुंबई हाई कोर्ट में पहुंचा अनोखा मामला : मैं तो छोड़ चली बाबुल का घर पिया का घर प्यारा लगे!

सामना संवाददाता / मुंबई
एक नाबालिग लड़के से प्यार करने का मामला मुंबई हाई कोर्ट पहुंच चुका है। लड़की १९ साल की है और कानूनी रूप से शादी के लिए पात्र है। लड़का २० साल का है और कानूनी रूप से शादी के लिए अपात्र है। लड़की के पिता इस शादी के खिलाफ हैं और उन्होंने कोर्ट की शरण ली है। अब लड़की का कहना है कि वह अपने आशिक के कानूनी रूप से शादी के लिए पात्र होने तक इंतजार करेगी और तब शादी करेगी।
इस मामले में लड़की ने गत सोमवार को अपना बयान दर्ज करा दिया है। उसका कहना है कि वो अपने माता-पिता के साथ नहीं, बल्कि अपने साथी के साथ रहना चाहती है। कोर्ट की तरफ से लड़की को समझाने की कोशिश की गई। रिपोर्ट के मुताबिक, लड़की और लड़के दोनों के धर्म भी अलग हैं। लड़की के पिता ने इसके खिलाफ पुलिस में एक शिकायत फाइल की थी, जिसके बाद लड़की को थाने बुलाया गया था। लड़की ने अपने माता-पिता के साथ रहने से साफ इनकार कर दिया था, जिसके बाद पुलिस ने लड़की को मुंबई के चेंबूर स्थित एक शेल्टर होम में भेज दिया था। पुलिस की तरफ से लड़की को शेल्टर होम भेजे जाने के बाद लड़के की तरफ से हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी और लड़की को शेल्टर होम से रिहा किए जाने की मांग की गई। याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता और लड़की दोनों व्यस्क हैं और अपने जीवन के बारे में निर्णय लेने में पूरी तरह सक्षम हैं। इस मामले में जस्टिस भारती डांगरे और जस्टिस मंजूषा देशपांडे की पीठ ने सुनवाई की। लड़की का कहना है कि भले ही लड़के की उम्र महज २० साल है और वो कानूनी रूप से उससे शादी करने की स्थिति में नहीं है, पर वो एक साल इंतजार कर लेगी। लड़की ने कोर्ट को ये भी बताया कि वो १९ वर्ष से थोड़ी अधिक उम्र की है और उसने ब्यूटीशियन का कोर्स किया है। लड़की ने कहा कि उसने अभी तक याचिकाकर्ता से शादी नहीं की है, लेकिन भविष्य में उससे शादी करेगी।

वे अपने दम पर कैसे जीवन यापन करेंगे?
पीठ ने इस दौरान पूछा कि क्या वो और याचिकाकर्ता जानते हैं कि वे अपने दम पर कैसे जीवन यापन करेंगे? लड़की के पास इसका कोई स्पष्ट उत्तर नहीं था, वहीं याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि उसने अंडरगारमेंट कपड़ों का व्यवसाय शुरू किया है और उसे इससे कुछ पैसे कमाने की उम्मीद है। पीठ ने लड़की को समझाया कि पहले उस लड़के का व्यवसाय स्थापित हो जाने दो और फिर उससे शादी करने का फैसला करो। बावजूद इसके लड़की अपनी बात को लेकर अड़ी रही। इस याचिका पर आज बुधवार ११ दिसंबर को अगली सुनवाई है।

सोनाग्राफी-सीटी स्कैन कराने निकली थी घर से हादसे में हो गई थी बेहोश …अब भाभा में हो रहा इलाज!

अभिषेक कुमार पाठक / मुंबई
कुर्ला बस हादसे में कई लोग घायल हो गए, जिन्हें तुरंत भाभा अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसमें एक ऐसी महिला भी है, जो उस वक्त अपना एमआरआई और सीटी स्कैन कराने के लिए ऑटो में जा रही थी। हादसे में ऑटोरिक्शा पलट गया और वह अस्पताल पहुंच गई। इस महिला का नाम बशीरा शेख है।
इस हादसे में बशीरा शेख गंभीर रूप से घायल हो गर्इं। उन्होंने बताया, ‘हम रिक्शा में थे, तभी बस ने पीछे से टक्कर मारी। इससे हमारा रिक्शा पलट गया और मेरे सिर पर चोट लगी।’ इसी तरह से दुकान सहायक अमन, जो मस्जिद बंदर से काम खत्म कर लौट रहे थे, बस की टक्कर से रिक्शा और एक कार के बीच फंस गए। उन्होंने भावुक होकर बताया, ‘बस की टक्कर के बाद मैं फंस गया और बेहोश हो गया। होश आने पर खुद को अस्पताल में पाया।’
भीड़ में तेज गति से बस चलाना खतरनाक
स्थानीय प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, कुर्ला रेलवे स्टेशन के पास हमेशा यातायात अव्यवस्थित रहता है। स्टेशन परिसर में रिक्शा स्टैंड और बस स्टॉप पर अव्यवस्थित तरीके से वाहन खड़े रहते हैं। इसके अलावा, मनपा के स्थानीय कार्यालय के आसपास फेरीवालों की वजह से पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है।
‘सड़क पर इतनी भीड़भाड़ के बावजूद बस को इतनी तेज गति से चलाना हादसे को न्योता देने जैसा है। स्थानीय निवासी हुसैन खान ने कहा, ‘अगर यह हादसा शाम के पीक आवर्स में होता, तो स्थिति और भी भयावह हो सकती थी’। हादसे के बाद स्थानीय लोगों ने पुलिस और नगर निगम प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठाए। रिक्शा और फेरीवालों की वजह से यह हादसा और गंभीर हो गया। बस चालक के साथ-साथ पुलिस और मनपा प्रशासन भी उतने ही जिम्मेदार हैं।

मस्जिद बंदर से काम खत्म कर लौट दुकान सहायक अमन बस की टक्कर से रिक्शा और एक कार के बीच फंस गए। उन्होंने भावुक होकर बताया, ‘बस की टक्कर के बाद मैं फंस गया और बेहोश हो गया। होश आने पर खुद को अस्पताल में पाया।’

अंधेरे में भारत का भविष्य! …देश में १० लाख से ज्यादा बच्चे स्कूल से बाहर

देश में एक बार फिर से चौंकानेवाली जानकारी सामने आ रही है। देशभर में लाखों बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं। भारत सरकार के यह आंकड़े काफी हैरान करने वाले हैं। स्कूल न जा पाने वाले बच्चें की संख्या सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में है। इसके बाद झारखंड और असम दूसरे-तीसरे नंबर पर हैं। सदन के शीतकालीन सत्र के दौरान केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने यह आंकड़े जारी किए हैं। सदन में एक लिखित प्रश्न का उत्तर देते हुए केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने बताया कि स्कूल न जाने वाले कुल ११,७०,४०४ बच्चों की पहचान की गई है। केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने यह भी कहा कि ऐसे बच्चों की अधिकतम संख्या उत्तर प्रदेश में है।
बता दें कि केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने इस दौरान बताया कि शिक्षा मंत्रालय का स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग `प्रबंध’ यानी प्रोजेक्ट अप्रेजल, बजटिंग, अचीवमेंट्स एंड डेटा हैंडलिंग सिस्टम पोर्टल का रखरखाव करता है। प्रबंध पोर्टल पर ही राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के अधिकारी ही स्कूल से बाहर के बच्चों से संबंधित डेटा प्रदान और अपडेट करते हैं। इन्हीं आकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने सदन के शीतकालीन सत्र के दौरान सांसदों को यह जानकारी दी। बता दें कि पिछले साल तत्कालीन केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने बताया था कि प्राथमिक स्तर पर ९,३०,५३१ बच्चे स्कूल से बाहर हैं। इस दौरान उन्होंने बताया था कि उत्तर प्रदेश में ३.९६ लाख बच्चे स्कूल से बाहर हैं।

पढ़ाई में पिछड़ा उत्तर प्रदेश
स्कूल से बाहर रहने वाले बच्चों की सबसे ज्यादा संख्या उत्तर प्रदेश में है। उत्तर प्रदेश में स्कूल न जाने वाले बच्चों की संख्या ७.८४ लाख है। इसके बाद झारखंड दूसरे नंबर पर है। झारखंड में यह संख्या ६५ हजार से अधिक है। वहीं, स्कूल न जाने वाले बच्चों की संख्या असम में तीसरे नंबर पर है। असम में इनकी संख्या ६३ हजार से अधिक है।

‘घाती’ सरकार में हुआ प्याज घोटाला! …८५ हजार किसान बिना प्याज बोये ही लाभार्थी की सूची में

सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य में शिंदे सरकार के कार्यकाल में जमकर घोटाले हुए हैं, कहीं स्वास्थ्य सामग्री खरीदी में घोटाला तो कहीं भूखंड आवंटन में घोटाला, तो कहीं मुंबई मनपा के सड़क निर्माण का घोटाला आदि सामने आया, लेकिन अब शिंदे सरकार के कार्यकाल में हुआ प्याज घोटाला सामने आया है। महाराष्ट्र के आठ जिलों में प्याज की फसल के बीमा में बड़ा घोटाला हुआ है। पुणे, अहिल्यानगर, धुले, सातारा, नासिक, छत्रपति संभाजीनगर, बीड और सोलापुर जिलों में कई किसान प्याज की फसल को नहीं लगाया था। यहां लगभग ८४ हजार किसानों ने प्याज की खेती के बिना बीमा लाभार्थियों की सूची में आ गए हैं, तो कई जगहों पर रकबा कम होने पर प्याज की खेती बढ़ाकर दिखाया है और बीमा का लाभ लेने की तैयारी में हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, इन आठ जिलों में ४ लाख २,३९८ किसानों ने दो लाख २४ हजार ३१८ हेक्टेयर में प्याज की फसल लगाई है, जबकि ८३ हजार ९११ किसानों ने ४९ हजार ९३५ हेक्टेयर में बिना प्याज लगाए ही बीमा करा लिया है। ६०,२८५ किसानों ने २८ हजार ८६ हेक्टेयर में कम रकबा होने के बावजूद अधिक रकबे पर प्याज दिखाकर बीमा कराया। बताया जा रहा है कि कृषि विभाग १ लाख ४७ हजार २७२ किसानों को अयोग्य घोषित करने का निर्देश बीमा कंपनियों को देगा।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की प्याज फसल क्षेत्र निरीक्षण रिपोर्ट के अनुसार, इन आंकड़ों से पता चलता है कि अधिक खेती योग्य क्षेत्र दिखानेवाले फसल बीमा सुरक्षा आवेदन सोलापुर, सातारा, संभाजीनगर, नासिक में सबसे अधिक हैं।

स्मार्ट फोन के जरिए ३०० लड़कों को बनाया उल्लू! …`लेडी डॉन’ ने वसूले रु. १५ लाख

इंटरनेट के जरिए आजकल तेजी से क्रिमिनल्स शातिर अंदाज में आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। स्पेन में एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया है। स्पेनिश पुलिस ने उस युवती को गिरफ्तार किया है, जिस पर ३११ पुरूषों को ब्लैकमेल कर उनसे ठगी करने के आरोप लगे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, स्पेनिश पुलिस ने ३११ धोखाधड़ी के मामलों से जुड़ी एक २६ वर्षीय महिला को गिरफ्तार किया, जो आठ महीनों में तकरीबन १५ लाख रुपए की उगाही कर चुकी है। एक २६ वर्षीय स्पेनिश लेडी पर कथित तौर पर कई धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं, जिसमें केवल एक सस्ते स्मार्टफोन का उपयोग करके तीन सौ से अधिक पुरुषों को धोखा दिया गया। आरोप है कि युवती ३११ पुरुषों को निशाना बना चुकी है। इसके लिए आरोपी ने स्मार्टफोन और इंटरनेट का यूज किया।
पुलिस ने खुलासा किया कि उसने पुरुषों के चेहरों को एआई-जनरेटेड बॉडी पर सुपरइम्पोज करके उनकी आपत्तिजनक छवियां बनाने के लिए एक साधारण स्मार्टफोन और एक फोटो असेंबल ऐप का इस्तेमाल किया। फिर वह इन तस्वीरों को सार्वजनिक रूप से और पीड़ित परिवारों के साथ साझा करने की धमकी देती थी, जब तक कि उन्होंने उसे पैसे नहीं दिए। वहीं फोन की जांच करने पर पता चला कि व्हाट्सअप पर ३५०० चैट शामिल थे, जिन्हें पढ़कर साफ हो गया कि लेडी को पुरुषों को ब्लैकमेल करते हुए देखा जा सकता है।

पुराने पन्ने  : बच्ची के बलात्कारी को फांसी!

श्रीकिशोर शाही
मुंबई

पश्चिम बंगाल के दक्षिण २४-परगना जिले की एक विशेष अदालत ने गत शुक्रवार को एक १० वर्षीय बच्ची के साथ बलात्कार और हत्या के दोषी १९ वर्षीय युवक को फांसी की सजा सुनाई है। इस मामले की खास बात यह रही कि अपराध के ६२ दिनों के भीतर पैâसला सुना दिया गया। बच्ची का शव गत ५ अक्टूबर को एक तालाब से बरामद हुआ था और आरोपी को उसी दिन गिरफ्तार कर लिया गया था। पश्चिम बंगाल की इस घटना ने दो दशक पहले एक ऐसी ही घटना की याद दिला दी, जिसमें आरोप साबित होने के बाद आरोपी को फांसी दे दी गई थी। उन दिनों वह मामला मीडिया की खूब सुर्खियों में था। तब टीवी न्यूज चैनलों के उभार का समय था। उनके लिए फांसी की सजा एक जबरदस्त न्यूज थी। सो निजी चैनलों पर रिपोटर्स बताया करते कि फांसी वैâसे दी जाती है। वह फांसी थी धनंजय चटर्जी की।
धनंजय चटर्जी एक निजी सुरक्षाकर्मी था और कोलकाता के एक हाउसिंग अपार्टमेंट में नौकरी करता था। दक्षिणी कोलकाता में वह अपार्टमेंट था। बच्ची इसी अपार्टमेंट के एक फ्लैट में अपने माता-पिता के साथ रहती थी। उन दिनों अदालती सुनवाई के दौरान जो मीडिया रिपोर्ट्स आई थीं, उसके अनुसार, धनंजय चटर्जी उस बच्ची पर बुरी नजर रखता था। इस बात की भनक किसी को नहीं थी। ५ मार्च, १९९० का दिन था। उस दिन बच्ची के मां-बाप कहीं बाहर गए हुए थे और बच्ची घर पर अकेली थी। मौका देखकर धनंजय चटर्जी ने बच्ची को दबोच लिया और उसके साथ रेप किया। इस दौरान बच्ची ने खूब शोर मचाया पर उसे सुननेवाला वहां कोई नहीं था। रेप के बाद उसे डर हुआ कि बच्ची यह बात सबको बता देगी, तो वह पकड़ा जाएगा। दिमाग में यह खयाल आते ही धनंजय चटर्जी ने बच्ची का गला दबाना शुरू कर दिया और उसे मार डाला। इस मामले की जांच में पुलिस के हाथ धनंजय चटर्जी की गर्दन तक पहुंच गए। उसे गिरफ्तार किया गया और उसके ऊपर मुकदमा चला। लंबी सुनवाई के बाद अदालत ने उसे फांसी की सजा सुनाई। वह १४ अगस्त, २००४ की अल सुबह थी, जब कोलकाता की अलीपुर सेंट्रल जेल में धनंजय चटर्जी को फांसी पर लटका दिया गया था। अंतिम रात धनंजय ने जेल अधीक्षक से अपने पिता-मां और पत्नी को लेटर लिखने के लिए तीन पोस्टकार्ड की मांग की थी। इसके साथ ही उसने अनूप जलोटा के भजनों को सुनने की इच्छा भी जताई थी। उसने फांसी से पहले जेल की अपनी कोठरी में कुछ धार्मिक पुस्तकें पढ़ीं और पूजा-पाठ भी किया। उसने अपनी आंखें और किडनी दान करने की इच्छा व्यक्त की थी, जिसमें राज्य सरकार ने केवल आंखें दान करने की ही अनुमति दी थी।

मेहुल चोकसी की २,५६५ करोड़ की … संपत्ति होगी नीलाम!

सामना संवाददाता / मुंबई
पीएनबी घोटाला मामले में मुंबई की स्पेशल कोर्ट ने भगोड़े कारोबारी मेहुल चोकसी की २,५६५ करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति को नीलाम करने की अनुमति दे दी है। मेहुल चोकसी की संपत्ति बेचकर घोटाले से प्रभावित हुए लोगों को पैसा वापस किया जाएगा। ‘ईडी’ लंबे समय से कोर्ट में यह प्रयास कर रही थी। मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के दौरान ईडी ने मेहुल चोकसी की संपत्ति सीज कर दी थी।
प्रभावित बैंकों और ईडी की याचिका पर कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है।
बता दें कि अब तक गीतांजलि जेम्स लिमिटेड से जुड़ी कई संपत्तियों को बेचकर १२५ करोड़ रुपए लोगों को वापस भी किए जा चुके हैं। इसमें मुंबई के फ्लैट, दो फैक्ट्रियां और गोदाम शामिल थे। चोकसी और उसका भांजा नीरव मोदी २०१८ में सामने आए पीएनबी घोटाले के मुख्य आरोपी हैं। भगोड़ा आर्थिक अपराध अधिनियम के अनुसार कोई भी व्यक्ति जिसके खिलाफ भारत की किसी अदालत द्वारा सूचीबद्ध अपराध पर वारंट जारी किया गया है और वह ‘आपराधिक अभियोजन से बचने के लिए देश छोड़ चुका है या विदेश में रहते हुए, आपराधिक अभियोजन का सामना करने के लिए देश लौटने से इनकार करता है’ तो उसे भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया जा सकता है। मेहुल को पहले ही भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया जा चुका है और वह २०१९ से लंदन की जेल में है।

कॉकरोच, छिपकली के बाद अब खाने में मिल रहे कांच के टुकड़े! …जानलेवा हुआ होटल का खाना

पिछले कई दिनों से अलग-अलग रेस्तरांओं के खाने में कीड़े निकलने की कई खबरें सुनी हैं, लेकिन, अमदाबाद के एक रेस्टोरेंट में खाने बेहद खतरनाक और जानलेवा चीज निकली है। शहर के गोटा के एक रेस्टोरेंट में ग्राहक के खाने में कांच का एक बड़ा टुकड़ा निकला है, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। घटना सोमवार रात अमदाबाद के गोटा इलाके के एक बॉक्स पार्क के पास हुई। बॉक्स पार्क के बगल में एक रेस्तरां है। इस रेस्टोरेंट में एक परिवार खाना खाने गया था, लेकिन खाने के दौरान खाने में कांच का टुकड़ा निकला, जिसके बाद ग्राहक और उसके परिजन रेस्टोरेंट वाले पर भड़क गए। ग्राहक ने इसकी शिकायत रेस्टोरेंट के मैनेजर से की। रेस्टोरेंट के मैनेजर और जिम्मेदार व्यक्ति को फोन कर जब ग्राहक ने पूछा कि कोई रेस्टोरेंट इतनी बड़ी लापरवाही कैसे कर सकता है? इसके जवाब में रेस्टोरेंट मैनेजर ने बड़ा ही अजीबोगरीब जवाब दिया। मैनेजर ने जवाब देते हुए कहा कि हो सकता है कि शहद की बोतल टूट गई हो और उसके कांच का कोई टुकड़ा खाने में गिर गया हो।

नमकीन पैकेट में निकला था कांच का टुकड़ा
हाल ही में ऐसा मामला झारखंड से आया था, जिसमें एक शख्स ने सोशल मीडिया पर एक फोटो शेयर करके बताया था कि उन्हें एक फेमस ब्रांड की नमकीन के पैकेट में कांच का टुकड़ा मिला था।

बैलट पेपर से वोटिंग कराए भाजपा, दूंगा इस्तीफा … पटोले ने किया बीजेपी पर पलटवार

सामना संवाददाता / मुंबई
हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ महायुति की जीत के बाद से विपक्ष लगातार इस जीत पर सवाल उठा रहा है। साथ ही ईवीएम पर भी संदेह जताया जा रहा है। इस बीच सोलापुर जिले के मालशिरस विधानसभा क्षेत्र के मारकडवाड़ी गांव में वोट की प्रामाणिकता जांचने के लिए मतपत्र पर मतदान कराने की घोषणा के बाद एक अलग विवाद सामने आया है।
इसी पृष्ठभूमि में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले ने आज मारकडवाड़ी का दौरा किया। इसके बाद मीडिया से बात करते हुए नाना पटोले ने बड़ा बयान दिया है कि हम भी इस्तीफा देने की तैयारी कर रहे हैं, क्योंकि हम बैलट पेपर पर वोट कर रहे हैं। नाना पटोले ने कहा कि बीजेपी उन्हें इस्तीफा देने की चुनौती दे रही है। उत्तमराव जानकर ने कहा है और मैं भी कह रहा हूं कि अगर चुनाव आयोग यह घोषणा करता है कि ईवीएम पर मतदान के बजाय मतपत्र पर मतदान होगा, तो हम इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं।

नाना पटोले ने कहा कि सभी जानते हैं कि चुनाव आयोग किसकी कठपुतली बन गया है। चुनाव आयोग इस बात का जवाब क्यों नहीं दे रहा कि एक रात में ७६ लाख वोट कैसे बढ़ गए? नाना पटोले ने यह भी कहा कि सत्ता आएगी और जाएगी, लेकिन लोकतंत्र रहेगा तो सबकुछ रहेगा।

सम-सामयिक : क्या ब्याज दरों में कटौती करेंगे…आरबीआई के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा?

विजय कपूर

पूर्व रेवेन्यू सक्रेटरी संजय मल्होत्रा ने भारतीय रिजर्व बैंक के २६वें गवर्नर के रूप में कार्यभार संभाल लिया है। ६ साल के कार्यकाल के बाद शक्तिकांत दास १० दिसंबर २०२४ को रिटायर हो गए। हालांकि, उनका रिटायर होना और संजय मल्होत्रा को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के नए गवर्नर के रूप में नियुक्ति मिलना कई महीनों पहले ही लगभग तय था, लेकिन नौकरशाही के गलियारे में यह खबर तेज थी कि शक्तिकांत दास को छह महीनों का विस्तार दिया जाएगा। यह अनुमान किस हद तक सही था, इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि ९ दिसंबर २०२४ से पहले नए गवर्नर संजय मल्होत्रा के अप्वाइंटमेंट की तारीख तय नहीं की गई थीं।
नाफरमानी
महंगी पड़ी
हालांकि, कैबिनेट ने उनके सेलेक्शन पर मुहर काफी पहले लगा दी थी, लेकिन पिछले कुछ महीनों में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की रिक्वेस्ट और वाणिज्यमंत्री पीयूष गोयल की खुलेआम आलोचना के बाद भी जब शक्तिकांत दास ने लगातार ११वीं बार भी मौद्रिक समीक्षा बैठक में रैपो रेट को कम नहीं किया, उसे जस का तस ६.५ प्रतिशत की दर पर ही रहने दिया। लगता है शायद इसी वजह से उनके विस्तार को अमली जामा नहीं पहनाया गया।
इससे केंद्र सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों के बीच काफी बेचैनी हो गई थी, क्योंकि जुलाई से सितंबर २०२४ की अवधि में विकास दर ७ तिमाहियों में सबसे निचले स्तर ५.४ प्रतिशत पर आ गई। इस तिमाही के नतीजे आने के पहले ही पीयूष गोयल ने सार्वजनिक तौर पर दो बार रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती न किए जाने की आलोचना की थी और वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने भी अपने कई अनौपचारिक संबोधनों में रिजर्व के गवर्नर से ब्याज दरों को कम किए जाने की रिक्वेस्ट की थी, लेकिन आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने महंगाई के रिस्क को हवाला देते हुए किसी भी तरह की ब्याज दरों में ढील नहीं दी। हालांकि, शक्तिकांत दास १२ दिसंबर २०१८ को तीन सालों के लिए गवर्नर बनाए गए थे, लेकिन वो सरकार की गुड बुक में थे इसलिए उनके कार्यकाल को तीन साल के लिए एक्सटेंड किया गया था। इसी वजह से यह उम्मीद की जा रही थी कि २०२५ का केंद्रीय बजट डिलिवर हो जाने के बाद वे कार्यमुक्त होंगे। शक्तिकांत दास तब गवर्नर बने थे, जब नोटबंदी के बाद सरकार को असहज करते हुए तत्कालीन गवर्नर उर्जित पटेल ने इस्तीफा दे दिया था।
बहरहाल, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के २६ वें गवर्नर और पूर्व रेवेन्यू सेक्रेटरी संजय मल्होत्रा भी सरकार के चहेते नौकरशाहों में से हैं। मूलरूप से राजस्थान के रहनेवाले और राजस्थान कैडर के ही १९९० बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी संजय मल्होत्रा भले अतीत के कई गवर्नरों की तरह शुद्ध अर्थशास्त्री न हों, लेकिन उन्हें आर्थिक और वित्तीय मामलों में बेहद पारंगत और प्रशासनिक कुशलता में दक्ष माना जाता है। वे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर से कंप्यूटर साइंस में स्नातक हैं और इसके बाद उन्होंने अमेरिका की प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी से पब्लिक पॉलिसी में मास्टर डिग्री हासिल की है। संजय मल्होत्रा को पावर, फाइनेंस, टैक्सेशन, इन्फोर्मेशन टैक्नोलॉजी और खनन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में काम करने का व्यापक अनुभव है। वे पिछले ३३ सालों से आईएएस हैं और राज्यों सहित केंद्र की सरकार के साथ काम करने का उनका विपुल अनुभव, उनके निर्णयों को लचीला और सर्वमान्य बनाता है। वित्त मंत्रालय में सेक्रेटरी के रूप में सर्व करने से पहले वह भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के तहत वित्तीय सेवा विभाग में सचिव का पद भी संभाल चुके हैं। इन्हें फाइनेंस और टैक्सेशन में बेहद माहिर माना जाता है। संजय मल्होत्रा ने अब तक की सेवा में जो कई महत्वपूर्ण और बड़े काम किए हैं, उनमें एक टैक्स पॉलिसी बनाने का भी काम रहा है। माना जा रहा है कि वर्तमान में जो टैक्स रेवेन्यू में भारी भरकम बढ़ोतरी हुई है, उसका ब्लूप्रिंट इन्होंने ही तैयार किया था। इन्हें पावर, इन्फोर्मेंसन टैक्नोलॉजी और माइनिंग के क्षेत्र में भी कई बड़े और निर्णायक कदम उठाए जाने का श्रेय दिया जाता है।
मोदी के लाडले
व्यक्तिगत रूप से संजय मल्होत्रा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पसंदीदा अफसरों में गिनती होती है। संजय मल्होत्रा के बारे में मशहूर है कि वे किसी भी मुद्दे पर काम करने से पहले उस पर जमकर रिसर्च करते हैं। केंद्र से पहले जब वे राजस्थान में थे, तब उन्होंने राजस्थान सरकार के सभी विभागों में काम किया था और माना जाता है कि ज्यादातर विभागों का उन्होंने कायाकल्प कर दिया था। कंप्यूटर साइंस से ग्रेजुएट होने के कारण वे हर समय डिजिटली अपडेट रहते हैं। जब २०१६ में नोटबंदी हुई थी, तब भी शक्तिकांत दास के साथ वही मुख्य मोर्चे पर थे। माना जाता है कि नोटबंदी के कारण जो नकारात्मक माहौल बन रहा था, उसे खत्म करने में और इसे सकारात्मक प्रस्तुत करने की ज्यादातर कोशिशें इन्हीं की थीं। मगर इस बार शायद उनकी असली परीक्षा काफी कठिन होनेवाली है, क्योंकि एक तरफ जहां सरकार के चहेते गवर्नर होने के बावजूद शक्तिकांत दास ने दो-दो वरिष्ठ मंत्रियों की ब्याज कटौती संबंधी बातों को मानने से इनकार करके जहां रघुराम राजन के रास्ते पर चल पड़े थे, वहीं उन्हें लगातार दूसरे साल ग्लोबल फाइनेंस ने दुनिया के टॉप बैंकर का खिताब भी दिया था। शक्तिकांत दास को सेंट्रल बैंक रिपोर्ट कार्ड २०२४ में एक बार फिर से ए ग्रेड मिला था, जिसके कारण आरबीआई के पूर्व गवर्नर को अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी में ग्लोबल फाइनेंस ने दुनिया के टॉप बैंकर का लगातार दूसरी बार अवॉर्ड दिया।
कहना न होगा कि दुनिया के फाइनेंस सेक्टर ने रैपो रेट पर कड़ा रवैया अख्तियार करने के उनके फैसले को सही माना। मगर सवाल यह है कि महंगाई रोकने के नाम पर बढ़ी हुई ब्याज दरों ने जिस तरह से १५ करोड़ से ज्यादा देश के मध्यवर्गीय परिवारों पर बढ़ी हुई ईएमआई का जो फंदा कस रखा है, वह भी अब बेहद खतरनाक होता जा रहा है? पिछले दो सालों से लगातार बढ़ी हुई ब्याज दरों से राहत पाने के लिए मध्यवर्गीय लोग आरबीआई की हर मौद्रिक समीक्षा बैठक के पहले उम्मीद करते हैं कि शायद अब ब्याज दरों में कुछ कटौती हो जाए, लेकिन हर बार शक्तिकांत दास कर्जदारों को निराश करते रहे हैं, लेकिन जब इसका असर बड़े पैमाने पर उद्योग और व्यापार जगत में होने लगा, तब सरकार और कॉर्पोरेट सेक्टर से उन पर दबाव बढ़ा, लेकिन उन्होंने दबाव से अप्रभावित रहते हुए रैपो रेट में कटौती नहीं की।
गौरतलब है कि रैपो रेट ब्याज दरों की वह व्यवस्था होती है, जिस दर में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया देश के बाकी बैंकों को लोन देती है और फिर उस दर में अपनी बढ़ोतरी करके बैंक आम लोगों और उद्योग जगत को कर्ज मुहैया कराते हैं।
आमदनी अठन्नी…
जब लगातार ब्याज दर ऊंची रहती है तो इसके कई नुकसान होते हैं। आम लोगों के हाथ में खर्च करने के लिए पैसा कम रह जाता है। क्योंकि या तो इसी दौरान बैंकों की सेविंग दरों में बढ़ोतरी हो जाने के कारण लोग पैसा बैंकों में जमा कर देते हैं या फिर जरूरतों के बावजूद ब्याज के दुष्चक्र से बचने के लिए कोई लोन नहीं लेते। इस सबका साझा नतीजा यह होता है कि बाजार में मांग कम हो जाती है और सप्लाई अधिक हो जाती है, जिससे मंदी का माहौल बन जाता है। इसके साथ ही ब्याज दरें ज्यादा होने के कारण कारोबारी अपने बिजनेस को विस्तार नहीं दे पाते। उद्योगपति नया कर्ज लेने की हिम्मत नहीं कर पाते, क्योंकि ब्याज कमर तोड़ देती है। कुल मिलाकर लगातार जब मिलनेवाले कर्ज की ब्याज दरें चाहे आम लोगों के लिए हों या कारोबारियों के लिए ज्यादा होती हैं तो विकास दर प्रभावित होती है, क्योंकि निवेश में कमी आती है और खर्च से भी लोग हाथ सिकोड़ते हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था फिलहाल इसी दिशा की तरफ बढ़ने लगी है। शायद इस बेचैनी को नए गवर्नर समझेंगे और देश के उन करोड़ों मासिक ईएमआई देने वाले कर्जदारों को ब्याज दरों में कटौती करके राहत देंगे। यही शायद सरकार के कुछ मंत्रियों और करोड़ों कर्ज की बढ़ी हुई ब्याज दरों से परेशान लोगों की नए गवर्नर से सबसे ज्यादा उम्मीदें हैं।
(लेखक सम-सामयिक विषयों के विश्लेषक हैं)