बांग्लादेश में इन दिनों हिंसक विरोध प्रदर्शनों के कारण खूब उथल-पुथल मची है, हालांकि इसके बावजूद म्यांमार से कई रोहिंग्या मुसलमान सीमा पारकर बांग्लादेश भागने की कोशिश में जुटे हैं। म्यांमार से भाग रहे रोहिंग्या मुसलमानों के ऐसे ही एक समूह पर बॉर्डर के पास ड्रोन से हमला किया गया। इस ड्रोन अटैक में महिलाओं और बच्चों सहित करीब २०० लोगों के मारे जाने की खबर हैं। मिली जानकारी के अनुसार, चार चश्मदीदों, कार्यकर्ताओं और एक राजनायिक ने इन ड्रोन हमलों के बारे में बताया, जिसमें बांग्लादेश की सीमा पार करने का इंतजार कर रहे परिवारों को निशाना बनाया गया था। कई चश्मदीदों ने बताया कि हमले के बाद लोग शवों के ढेर के बीच अपने मृत और घायल रिश्तेदारों की पहचान करने के लिए भटक रहे थे।
अराकन आर्मी म्यांमार में राखीन जातीय समूह की सैन्य शाखा की एक सैन्य शाखा है। हालांकि, इस आर्मी ने हमले की किसी भी तरह की जिम्मेदारी से इनकार किया है।
ये हमला तब हुआ, जब कुछ रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश की सीमा से सटे इलाके में एक नटी के पास नाव का इंतजार कर रहे थे। ये हमला म्यांमार के पश्चिमी रखाइन राज्य में बांग्लादेश की सीमा के पास हुआ है। लोग बचने के लिए सीधे नदी में कूद गए। ये लोग बांग्लादेश में नफ नदी पार करके माउंगडॉ शहर में भीषण लड़ाई से भागने की कोशिश कर रहे थे।
अंतरराष्ट्रीय चिकित्सा सहायता समूह, डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स द्वारा शुक्रवार, ९ अगस्त को जारी एक बयान में कहा गया है कि वह रोहिंग्या मुसलमानों पर हुए हमलों के बाद उनका इलाज कर रही है और चोटिल लोगों की तादाद लगातार बढ़ रही है, जिनका इलाज चल रहा है वे वैसे लोग हैं जो बांग्लादेश की सीमा पार करने में कामयाब रहे हैं।
म्यांमार की केंद्र सरकार से स्वायत्तता की मांग कर रही अराकान आर्मी ने नवंबर, २०२३ में अपना राखीन आक्रमण शुरू किया और पड़ोसी चिन राज्य में एक सहित १७ टाउनशिप में से नौ पर नियंत्रण हासिल कर लिया है। वह जून से ही सीमावर्ती शहर माउंगडॉ पर कब्ज़ा करने की कोशिश कर रहा है. २०१७ में, एक सैन्य आतंकवाद विरोधी अभियान में रोहिंग्या समुदाय के कम से कम ७४०,००० लोगों को सुरक्षा के लिए बांग्लादेश भेज दिया था, लेकिन ७ साल के बाद वे लोग अब भी वहां शिविरों में जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं। वे वापस म्यांमार आना चाहते हैं, लेकिन देश के अस्थिर हालातों की वजह से वे ऐसा न करने को मजबूर हैं।
ड्रोन अटैक में २०० रोहिंग्या मुसलमानों की मौत… बांग्लादेश में घुसपैठ का कर रहे थे प्रयास
देवेंद्र फडणवीस की उपलब्धियां परिवार तोड़ो, पार्टी तोड़ो!.. रोहित पवार का जोरदार हमला
सामना संवाददाता / मुंबई
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) ने बार्शी में किसान संवाद सभा का आयोजन किया था। इस संवाद में राकांपा नेताओं ने सियासी वार की झड़ी लगा दी। किसानों की समस्याओं को लेकर राज्य सरकार को घेरा। साथ ही महायुति पर भी जमकर निशाना साधा गया। इस किसान संवाद बैठक में विधायक रोहित पवार ने देवेंद्र फडणवीस पर जमकर हमला बोला। उन्होंने फडणवीस पर हमला बोलते हुए कहा कि कुछ दिन पहले देवेन्द्र फडणवीस ने कहा था कि इतिहास में उपलब्धियों की जगह होती है, लेकिन मैं देवेंद्र फडणवीस का इतिहास देखना चाहता हूं। उनकी उपलब्धियां क्या हैं? मैं उनका इतिहास देखता हूं तो आपने परिवार तोड़ दिया, पार्टी तोड़ दी, इसके लिए आप इतिहास में याद किए जाओगे। इसके आगे रोहित पवार ने कहा कि राज्य में किसान
आत्महत्या कर रहे हैं, प्रदेश में गैंगस्टर राज शुरू है, आप चुपचाप बैठे हैं, यह आपकी उपलब्धियां हैं। रोहित पवार ने देवेंद्र फडणवीस की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि जैसे लोकसभा में लोगों ने आपकी उपलब्धियों को धो डाला, वैसे ही इस विधानसभा में भी लोग आपको सबक सिखाएंगे।
इसके साथ ही रोहित पवार ने उपमुख्यमंत्री अजीत पवार पर भी निशाना साधा। प्याज निर्यात को लेकर केंद्र सरकार के पैâसले से किसानों को पांच हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। हालांकि, राज्य के नेता इस बारे में कुछ नहीं बोल रहे हैं।
कचरे का निपटारा सोसायटी में ही करें, नहीं तो लगेगा जुर्माना!
-घन कचरा विभाग कर रहा है ‘बायलॉज’ में बदलाव की तैयारी
– अमल करने के लिए विभाग के निर्देशानुसार कार्रवाई
अभिषेक कुमार पाठक / मुंबई
मुंबई में कोरोना काल से सोसायटियों में कचरा प्रबंधन और निपटान की प्रक्रिया बंद हो जाने के कारण मनपा का काम बढ़ गया है। इसलिए अब मनपा २०,००० वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल वाली और रोजाना १०० किलो से अधिक कचरा उत्पन्न करने वाली सोसायटियों की पुन: जांच कर, कचरे के प्रबंधन और निपटान को अनिवार्य करने जा रही है। इस नियम का उल्लंघन करने वाली सोसायटियों से जुर्माना वसूला जाएगा। इसके लिए कानून में आवश्यक संशोधन करने के उद्देश्य से ‘बायलॉज’ में बदलाव की प्रक्रिया शुरू की गई है। इसके अमल से पहले लीगल विभाग की सलाह लेने के लिए संशोधित ‘बायलॉज’ भेजे गए हैं।
मनपा ने २ अक्टूबर, २०१७ से सोसायटियों के लिए कचरे का प्रबंधन करना अनिवार्य कर दिया है। इसमें २०,००० वर्ग मीटर से बड़ी आवासीय सोसायटियों और १०० किलो से अधिक कचरा उत्पन्न करने वाली इमारतों / संस्थानों के लिए गीले कचरे के निपटान का प्रबंधन अनिवार्य किया गया था। लेकिन कोर्ट ने निर्णय दिया कि कचरे के निपटान को सोसायटियों पर अनिवार्य नहीं किया जा सकता है। साथ ही, कोरोना काल में भी सोसाइटियों ने कचरा प्रबंधन पर ध्यान नहीं दिया। इस कारण कचरे की मात्रा बढ़ती जा रही है। इसके समाधान के रूप में पालिका ने अब ‘बायलॉज’ में संशोधन करने की दिशा में तेजी से कार्यवाही शुरू की है। पालिका की अंतिम मंजूरी मिलने के बाद सोसायटियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाएगी। कचरा प्रबंधन की जांच के लिए वार्ड स्तर के इंजीनियर और अधिकारियों के माध्यम से कार्यवाही की जाएगी।
‘कचरा कर’ से दस करोड़ का राजस्व
मुंबई में वर्तमान में प्रतिदिन ६,००० से ६,५०० मीट्रिक टन कचरा जमा होता है। घन कचरा विभाग को कचरे के निपटान से कोई राजस्व नहीं प्राप्त होता है। वहीं, मुंबई के पास स्थित ठाणे और विरार मनपा में कचरा उठाने के लिए शुल्क लिया जाता है। इसलिए, कुछ हद तक खर्च की भरपाई के लिए न्यूनतम १०० से २०० रुपये संपत्ति कर के ‘यूजर टैक्स’ में शामिल किए जाएंगे। इससे मनपा को सालाना न्यूनतम दस करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होने की संभावना है।
मनपा भी करेगी मदद
सोसायटियों को गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग संग्रहित करना होगा। गीले कचरे से खाद बनाने के लिए आवश्यक मदद मनपा द्वारा सोसायटियों को दी जाएगी, जबकि सूखे कचरे का निपटान मनपा द्वारा किया जाएगा।
ऐसे हो रही है कार्रवाई
– मुंबई मनपा अधिनियम १८८८ के अनुसार, स्वच्छता के लिए कचरे को उठाना मनपा का मूलभूत कर्तव्य है। लेकिन अब इसके लिए शुल्क वसूलने के लिए मनपा को ‘बायलॉज’ में बदलाव करना होगा।
– इसके लिए शुल्क लेने वाली ठाणे और वसई विरार मनपा की कार्यपद्धति का अध्ययन किया जा रहा है। यह कार्यवाही अंतिम चरण में है। आयुक्त की मंजूरी के बाद नागरिकों से आपत्तियां और सुझाव मांगे जाएंगे।
तमंचा वाला छात्र
बागपत जिले के छपरौली कस्बे में जूनियर हाई स्कूल में ८वीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र के पास से १२ बोर का तमंचा बरामद हुआ है। स्कूल की शिक्षिकाओं ने बच्चे से तमंचा छीनकर पुलिस को दे दिया है। पुलिस ने पूरे मामले की जांच-पड़ताल करते हुए कार्रवाई शुरू कर दी है। छपरौली थाना के एसएसआई गवेंद्र पाल सिंह का कहना है कि छपरौली कस्बे में जूनियर हाई स्कूल में कक्षा आठ के छात्र से १२ बोर का तमंचा बरामद हुआ है। स्कूल की अध्यापिका ने थाने में कार्रवाई के लिए तहरीर दी है। मामला शुक्रवार का है, जहां कंपोजिट विद्यालय में आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र के बैग में तमंचा मिलने की जानकारी शिक्षिका ने खंड शिक्षा अधिकारी और पुलिस को दी। इसके बाद वहां पहुंची पुलिस ने छात्र से तमंचा लेकर जांच शुरू कर दी। पुलिस ने छात्र के घर पहुंचकर उसके पिता समेत अन्य लोगों से भी पूछताछ की। इस घटना को लेकर विद्यालय में अफरातफरी का माहौल बन गया। उधर थाना पुलिस ने छात्र के बैग में तमंचा मिलने की जानकारी उच्चाधिकारियों को दी।
मामला शुक्रवार का है, जहां कंपोजिट विद्यालय में आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र के बैग में तमंचा मिलने की जानकारी शिक्षिका ने खंड शिक्षा अधिकारी और पुलिस को दी। इसके बाद वहां पहुंची पुलिस ने छात्र से तमंचा लेकर जांच शुरू कर दी। पुलिस ने छात्र के घर पहुंचकर उसके पिता समेत अन्य लोगों से भी पूछताछ की। इस घटना को लेकर विद्यालय में अफरातफरी का माहौल बन गया। उधर थाना पुलिस ने छात्र के बैग में तमंचा मिलने की जानकारी उच्चाधिकारियों को दी।
महाराष्ट्र कीे अस्मिता के साथ खिलवाड़ कर रही है भाजपा!.. प्रतिपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार का आरोप
सामना संवाददाता / मुंबई
कांग्रेस नेताओं की नहीं, बल्कि कार्यकर्ताओं की पार्टी है। इसीलिए नांदेड की सीट कांग्रेस को मिली। नेता आते-जाते हैं, लेकिन नांदेड में कांग्रेस को कोई समाप्त नहीं कर सकता। कांग्रेस की जड़ें नांदेड जिले में गहराई से जमी हुई हैं। जो डर गया सो भाग गया, लेकिन याद रखें हम घबराने वाले नहीं हैं। इस तरह का विश्वास जताते हुए विधानसभा में विरोधी पक्षनेता विजय वडेट्टीवार ने शाब्दिक तोप चलाई।
वडेट्टीवार ने आगे कहा कि कांग्रेस एक प्राकृतिक पार्टी है, जबकि भाजपा कृत्रिम है। चोर, डाकू, लुटेरे सभी अब भाजपा में शामिल हो गए हैं। कुछ लोग सीबीआई, ईडी से डरकर चले गए हैं, वहां अब चोरों का बाजार हो गया है। उन्होंने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा किसानों और महाराष्ट्र की अस्मिता के साथ खिलवाड़ कर रही हैं। विजय वडेट्टीवार ने कहा कि मराठवाड़ा में कांग्रेस ने तीन सीटों पर चुनाव लड़ा और तीनों सीटें जीतीं। मराठवाड़ा ने शत-प्रतिशत परिणाम दिया है। इसलिए आप संकल्प करें और हाथ उठाकर कहें कि विधानसभा में आघाड़ी का झंडा फहराए बिना नहीं रुकेंगे। उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे कांग्रेस के लिए एकजुट हों और विधानसभा में कांग्रेस का झंडा फहराने के लिए काम करें। वडेट्टीवार ने कहा कि कांग्रेस मराठवाड़ा में अपनी ताकत बढ़ाने के लिए काम करेगी।
उन्होंने कहा कि जब इतिहास लिखा जाएगा तब वसंतदादा चव्हाण के नाम से शुरुआत होगी। उन्होंने कांग्रेस को छोड़कर जाने वाले अशोक चव्हाण पर तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस के बिना वे कुछ नहीं है।
महाराष्ट्र की गद्दी पर बैठे लोगों को नहीं आ रही शर्म
विजय वडेट्टीवार ने कहा कि सोयाबीन उत्पादक किसान बर्बाद हो गए हैं। कपास के नहीं मिल रहे हैं। कर्ज से दबे किसानों को कर्ज माफी नहीं मिल रही है। लेकिन महाराष्ट्र की गद्दी पर बैठे लोगों को शर्म नहीं आ रही है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की अस्मिता गुजरात के पास गिरवी रख दी गई है। महायुति के कामकाज से राज्य बर्बाद हो गया है।
महायुति में महादेव ने बढ़ाया टेंशन
– विधानसभा चुनाव में २८८ प्रत्याशी उतारने की तैयारी
-कहा- राज्य में ५० सीटों पर हो समझौता
सामना संवाददाता / मुंबई
आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए महायुति में तीनों प्रमुख दलों भाजपा, शिंदे गुट और अजीत पवार गुट के बीच पहले से टेंशन चल रहा है। अब महायुति के फिलहाल घटक दल राष्ट्रीय समाज पक्ष ने भी टेंशन बढ़ा दिया है। रासपा के अध्यक्ष महादेव जानकर महायुति से अलग होकर २८८ सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। शनिवार को सीएसएमटी स्थित पार्टी कार्यालय में उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि हमने राज्य में २८८ सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर शुरू कर दी है। महायुति में हम जरूर हैं लेकिन महायुति से हमें को अपेक्षा नहीं है। समझौते में यदि हमें सम्मानजनक सीटें नहीं मिलीं तो हमारा विकल्प अभी से तैयार है।
उन्होंने अपनी डिमांड बताते हुए कहा कि राष्ट्रीय समाज पार्टी को महागठबंधन में ५० सीटें मिलनी चाहिए। उन्होंने मुंबई में गोवंडी और मगाठाणे निर्वाचन क्षेत्रों पर भी दावा किया है। दिलचस्प बात यह है कि वर्तमान में मगठाणे विधानसभा में शिंदे गुट के प्रकाश सुर्वे विधायक हैं।
जानकर ने कहा कि उन्होंने मुझे लोकसभा में एक सीट दी। दुर्भाग्य से मैं उसमें असफल रहा। मुझे ४ लाख ८७ हजार वोट मिले। रासपा को बढ़ाने के लिए हमें अच्छा खासा वोट बैंक तैयार करना है। ऐसे में एकला चला की राह से ही पार्टी का विकास संभव है अथवा सम्मानजनक सीटें समझौते में मिलें। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में भी हमारा वोट प्रतिशत बढ़ा है। गुजरात में हमारा तीन मनपा पर कब्जा हैं।
जनतंत्र कामगार संघटना (यूनियन) के तहत मुंबई फिल्म कामगार यूनियन के पदाधिकारियों ने रासपा अध्यक्ष महादेव जानकार (पूर्व मंत्री महाराष्ट्र शासन) से मुलाकात की और समर्थन जताया।
मराठा समुदाय को ओबीसी आरक्षण देना संभव नहीं!.. भुजबल के बयान से मचा बवाल
सामना संवाददाता / मुंबई
मराठा आरक्षण को लेकर खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल द्वारा दिए गए एक बयान को बवाल मच गया है। भुजबल ने अपने बयान में कहा कि मराठा समुदाय को ओबीसी आरक्षण देना संभव नहीं है। ओबीसी से कोई आरक्षण नहीं दिया जाएगा। चार आयोग कह चुके हैं कि यह संभव नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये संभव नहीं है। महाराष्ट्र के खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने कल बड़ा बयान दिया है। उन्होंने साफ कहा कि वर्तमान में महाराष्ट्र सरकार द्वारा मराठा समुदाय को अन्य पिछड़े वर्ग की श्रेणी में आरक्षण देना संभव नहीं है। साथ ही छगन भुजबल ने मराठा नेता मनोज जरांगे पाटील की आलोचना की। उन्होंने अन्य नेताओं पर हमले को लेकर जरांगे पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में महायुति की सरकार है। मराठा समुदाय को ओबीसी आरक्षण देना संभव नहीं है। ओबीसी कोटे में कोई आरक्षण नहीं दिया जाएगा। चार आयोग कह चुके हैं कि यह संभव नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये संभव नहीं है। अगर हम ५४ प्रतिशत की गणना करें, तो बिहार में यह ६३ प्रतिशत है, मैं बाकी आयोग आदि पर विश्वास नहीं करता हूं। वहीं मराठा नेता मनोज जरांगे ने कहा कि आरक्षण की मांग पर उन लोगों का आंदोलन जारी रहेगा।
पंजाब में प्रवासियों पर प्रतिबंध
पंजाब के कुराली गांव के बाद अब खरार के जांदपुर गांव ने भी यूपी-बिहार व अन्य प्रवासियों के लिए कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं। गांव में लगाए गए बोर्ड में कहा गया है कि रात को ९ बजे के बाद कोई भी प्रवासी बाहर घूमता नजर नहीं आना चाहिए। इस गांव में ५०० प्रवासी हैं। प्रवासियों को पुलिस वेरिफिकेशन जरूरी होगा। इसके अलावा सिगरेट पीना, गुटखा खाना और पान मसाला चबाना एलाउ नहीं होगा। इससे वे सड़कों पर थूकते हैं और गंदगी फैलाते हैं।
रात में ९ बजे के बाद गांव में न घूमने के अलावा प्रवासियों का अनिवार्य तौर पर पुलिस वेरिफिकेशन कराने की बात कही गई है। साथ ही गांव में सड़कों की साफ सफाई रखने के लिए पान खाने, गुटखा चबाने और सिगरेट स्मोकिंग पर बैन लगा दिया गया है। इसके साथ ही प्रवासियों को किराए पर मकान देने वाले मालिकों को उनके लिए डस्टबिन की भी व्यवस्था करनी होगी। लिस्ट में दर्ज फरमान के मुताबिक एक कमरे में दो लोग से ज्यादा नहीं रह सकते। वहीं अधनंगे कपड़ों में प्रवासी इधर उधर घूम भी नहीं सकते। और गांव में किसी भी तरह का अवैध काम होता है या गांव वालों को नुकसान पहुंचता है तो इसके लिए मकान मालिक जिम्मेदार होंगे।
गांव वालों ने अपना आक्रोश जाहिर करते हुए कहा कि प्रवासी लोग अधनंगे कपड़ों में इधर उधर घूमते रहते हैं। इससे गांव की महिलाओं को असहजता होती है। वहीं कुछ ने कहा कि उत्तर प्रदेश और बिहार से आने वाले प्रवासी सड़क पर थूकते रहते हैं, गांव के गुरुद्वारे के बाहर भी थूकते रहते हैं। ये हमारे धर्म के खिलाफ है।गांव के पार्षद गोविंदर सिंह चीमा ने कहा कि हम किसी के खिलाफ नहीं है, लेकिन चाहते हैं कि लोग अनुशासन में रहें। हमने खासतौर पर पुलिस वेरिफिकेशन पर जोर दिया है। बहुत सारे लोग यहां बिना पुलिस वेरिफिकेशन के रह रहे हैं। आगे से हम इसके लिए मकान मालिक को जिम्मेदार ठहराएंगे।
कब्र पर जाकर बोला जो किया, सही किया!.. हत्यारे को २५ बाद भी नहीं है पछतावा
यूके के नॉरफॉक शहर के एमनेथ हंगेट गांव में १९९९ में हुई हत्या के मामले में एक किसान की सजा पूरी हो चुकी है। किसान का नाम टोनी मार्टिन है। इस शख्स को अपने किए पर पछतावा नहीं है। मिली जानकारी के अनुसार, अगस्त १९९९ में जब वो ५४ साल का था, तब उसने दो लोगों को गोली मारी थी। उनमें से एक १६ वर्षीय प्रâेड बारास की मौत हो गई थी, जबकि २९ साल के ब्रेंडन फियरन की जान बच गई थी। उसी हत्या मामले में सजा पूरी होने के बाद प्रâेड की कब्र पर वो गया और कहा कि जो भी किया, सही किया। से अपने किए का पछतावा नहीं है।
बता दें कि रात के समय दो लोग टोनी के घर में चोरी के इरादे से घुसे थे। टोनी ने दोनों को शूट कर दिया। टोनी को ३ मिलियन डॉलर (२५,१८,५३,१५० रुपए) का घर अपनी चाची से विरासत में मिला है। वो इसकी रखवाली कर रहा था। सोते समय टोनी को आवाजें आई, जिसके बाद वो सीढ़ियों पर आया। उसने चोरों को देखा और गोली चला दी। टोनी ने कोर्ट में दलील दी थी कि चेतावनी के तौर पर गोली चलाई थी, लेकिन कोर्ट ने उन्हें हत्या का दोषी पाया।
टोनी को अब भी उम्मीद है कि एक न एक दिन उनको निर्दोष घोषित किया जाएगा। वे न्याय व्यवस्था को सही नहीं मानते। कहते हैं कि खुद को निर्दोष साबित करने के लिए पूरी ऊर्जा खर्च कर दी। लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। आप अपने घर में सोते समय कैसे दोषी हो सकते हैं? क्या अपनी निजी जगह की रक्षा करने की कोशिश करना गलत है? मार्टिन अब ७९ साल के हो चुके हैं। टोनी बताते हैं कि वे अपनी मां से मिलकर आए थे। घर आकर शराब पी और सो गए।
रात को उन्होंने शोर सुना। फिर लंबे समय से अखबारों में छिपाई बंदूक निकाली और बाहर की तरफ आए। अगले दिन यूके पुलिस ने उनको गिरफ्तार किया। जेल जाने के बाद उनकी मां हिलेरी की भी मौत हो गई। वे एक संन्यासी की तरह सजा काटने के बाद रिहा हुए। एक समय तो वे अपनी कार में सोने लगे थे। वे मानते हैं कि चोरों के लिए सहानुभूति नहीं होनी चाहिए। प्रâेड के पैर और पीठ में गोली लगी थी, जिससे मौके पर ही मौत हो गई। ब्रेंडन फियरन के पैर में गोली लगी। बाद में उसे भी संपत्ति में चोरी करने की साजिश में तीन साल की जेल हुई। नॉर्विच क्राउन कोर्ट ने टोनी को सजा सुनाई थी।
आंगनवाड़ी सेविकाओं का आज से अनिश्चितकालीन धरना!.. २१ अगस्त से राज्यव्यापी मोर्चे में दो लाख सेविकाएं
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
घाती सरकार द्वारा आंगनवाड़ी सेविकाओं पर लगातार दमन जारी है। इसके तहत मजबूरन प्रदेश की दो लाख सेविकाओं को अपना अधिकार पाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। आलम यह है कि पिछले साल से ही मोर्चा, धरना और हड़ताल करने के बावजूद घाती सरकार ने न तो इनके मानधन में वृद्धि की और न ही अन्य मांगों की पूर्ति ही की। इससे अब आंगनवाड़ी सेविकाएं और आक्रामक रुख अख्तियार करने जा रही हैं। इसके तहत कल से मुंबई के आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन धरना पर बैठने जा रही हैं। इसके साथ ही २१ अगस्त से दो लाख आंगनवाड़ी सेविकाएं मोर्चा निकालते हुए घाती सरकार को घेरेंगी।
घाती सरकार का झुनझुना
उल्लेखनीय है कि आंगनवाड़ी कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर ४ दिसंबर २०२३ से २५ जनवरी २०२४ तक ५२ दिनों की राज्यव्यापी हड़ताल की थी। हड़ताल के दौरान महिला व बाल विकास मंत्री ने लिखित आश्वासन दिया था कि पहले आशा सेविकाओं के मानधन में वृद्धि की जाएगी। उसके बाद आंगनवाड़ी सेविकाओं के मानधन को भी बढ़ाया जाएगा। फिलहाल, घाती सरकार ने १४ मार्च २०२४ को आशा सेविकाओं के मानधन में ५,००० रुपए प्रति माह की वृद्धि का निर्णय लिया है। ऐसे में आंगनवाड़ी सेविकाओं को भी आशा सेविकाओं के समान मानधन में वृद्धि की उम्मीद थी, लेकिन इस सरकार ने अभी तक आंगनवाड़ी सेविकाओं के वेतन में वृद्धि का प्रस्ताव ही नहीं दिया है। इससे आंगनवाड़ी सेविकाएं चिंतित हैं कि अगर अगस्त में वेतन में वृद्धि का निर्णय नहीं लिया गया, तो विधानसभा चुनावों के कारण आचार संहिता लागू हो जाएगी और उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा। ५२ दिनों तक चले हड़ताल के बाद आंगनबाड़ी सेविकाओं को केवल आश्वासन का झुनझुना पकड़ाकर घाती सरकार ने हड़ताल खत्म करा दिया था। लेकिन आज तक घाती सरकार ने उन आश्वासनों को पूरा नहीं किया है।