योगेंद्र सिंह ठाकुर / पालघर
विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर शुक्रवार को पालघर में आदिवासियों की भूमि सेना और आदिवासी एकता परिषद सहित विभिन्न संगठनों द्वारा कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। आदिवासियों के नेता भरत वायडा ने आदिवासियों के अधिकारों की मांग करते हुए आरोप लगाया कि आज भी आदिवासी समाज विकास से कोसों दूर है तथा पिछड़ा हुआ है। भूमि सेना और आदिवासी एकता परिषद की अगुवाई में पालघर में विशाल प्रभात फेरी निकाली गई। जिसमें हजारों आदिवासियों सहित महिलाओं ने भाग लिया। प्रभात फेरी की अगुवाई भूमिसेना के अध्यक्ष कालू राम धोधड़े ने की। इस दौरान महापुरुषों की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। आदिवासी नेताओं ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि आदिवासियों का विकास सिर्फ कागजों पर ही हो रहा है। आदिवासी एकता परिषद व भूमि सेना के नेता शशि सोनावणे ने कहा कि आदिवासियों की जमीनों का अधिग्रहण कर उन पर विकास का बुलडोजर चलाया जा रहा है। जिसका हम विरोध करते हैं। एनसीपी (शरदचंद्र पवार) के विधायक भुसारा ने कहा कि वह आदिवासियों के हक के लिए लड़ते रहेंगे। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) की ओर से आदिवासियों के लिए अल्पाहार की व्यवस्था की गई थी। शिवसेना के जिलाप्रमुख अनूप पाटील, जिलाप्रमुख अजय ठाकुर, भारती कामड़ी, डॉ. विश्वास वलवी, राकेश पाटील सहित बड़ी संख्या में शिवसैनिक मौजूद रहे।
पालघर में गरजे भूमिपुत्र! …चलाया जा रहा विकास का बुलडोजर
महायुति चले जाओ का नारा करो बुलंद! …राज्य में सत्ता परिवर्तन अटल …महाराष्ट्र को नाखून मारने का चल रहा है काम
सामना संवाददाता / मुंबई
छत्रपति शिवाजी महाराज, महात्मा ज्योतिबा फुले, राजर्षि शाहू महाराज और संविधान निर्माता डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के प्रगतिशील महाराष्ट्र को नाखून मारने का काम चल रहा है, इसलिए हमें सावधान रहना होगा। महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का आह्वान करते हुए ‘चले जाओ’ का नारा दिया था। अब महायुति सरकार को सबक सिखाने के लिए उसके खिलाफ ‘चले जाओ’ का नारा देना पड़ेगा। इतना ही नहीं राज्य में सत्ता परिवर्तन अटल है। इस तरह का जोरदार हमला करते हुए विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा कि मोदी सरकार को गांधी के नाम से भय लगता है। मुंबई में ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन के ८२ साल पूरे होने के मौके पर तेजपाल हॉल में आयोजित एक कार्यक्रम में वडेट्टीवार बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रगतिशील महाराष्ट्र में सामाजिक द्वेष पैदा किया जा रहा है। इसलिए हमें दो तीन महीने सावधान रहते हुए इस प्रवृत्ति के खिलाफ लड़ना पड़ेगा। महात्मा गांधी ने ‘करो या मरो’ का नारा दिया था। महायुति ने दिल्ली में महाराष्ट्र की अस्मिता को गिरवी रख दिया है, इसलिए महायुति से हिसाब चुकाना पड़ेगा।
संविधान की रक्षा के लिए लड़ रहे राहुल
उन्होंने आगे कहा कि लोकसभा में सत्ताधीशों को राहुल गांधी से भय लगता है। राहुल गांधी लोकतंत्र को बचाने और इस देश के संविधान की रक्षा के लिए लड़ रहे हैं। इस लड़ाई को आपको आगे ले जाना होगा। अब हमें महाराष्ट्र की लड़ाई के लिए तैयार रहना होगा। महाराष्ट्र को बचाने के लिए हम पर बड़ी जिम्मेदारी है।
मनीष सिसोदिया को ‘सुप्रीम’ राहत : `कैद जारी रखना न्याय का मखौल उड़ाने जैसा’ …सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट और ट्रायल कोर्ट को लगाई फटकार
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। सिसोदिया ने इस मामले में १७ महीने जेल में बिताए हैं। जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन द्वारा दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया कि मुकदमे में महत्वपूर्ण प्रगति के बिना सिसोदिया की कैद को जारी रखना ‘न्याय का मखौल’ उड़ाने जैसा होगा। आम आदमी पार्टी के लिए यह एक बड़ी खुशखबरी है। कोर्ट ने याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई के बाद उनकी जमानत मंजूर कर ली। कोर्ट के फैसले से पार्टी के नेता, कार्यकर्ताओं के साथ ही परिवार के लोगों ने भी राहत की सांस ली है। मनीष सिसोदिया की जमानत मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जमानत प्रकरण में हाई कोर्ट और ट्रायल कोर्ट ने अपना हाथ बचाने में लगे हैं। मामले में जमानत से इनकार नहीं किया जा सकता है। अब अदालतों को यह समझना चाहिए कि जमानत एक नियम है और जेल अपवाद है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘उन्हें फिर से ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट भेजना सांप-सीढ़ी के खेल में डालने जैसा होगा। जमानत एक नियम है और जेल एक अपवाद है।’
बता दें कि दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम ने १७ महीने जेल में काटे हैं। कई बार उन्होंने कोर्ट में जमानत के लिए अर्जी दाखिल की, लेकिन नामंजूर कर दी गई। दो दिन पहले जमानत अर्जी पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। शुक्रवार को कोर्ट ने याचिका पर निर्णय दिया है। मनीष सिसोदिया ने दिल्ली हाई कोर्ट से बेल न मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को दिल्ली आबकारी नीति २०२१-२२ के निर्माण और कार्य में कथित तौर पर अनियमितता मामले में शामिल होने का आरोप था। इस केस में २६ फरवरी २०२३ को सीबीआई ने उनको गिरफ्तार कर लिया था।
सिसोदिया का विश्वास जल्द बाहर आएंगे केजरीवाल
आम आदमी पार्टी के नेता और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया १७ महीने बाद तिहाड़ जेल से बाहर आ गए हैं। जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने पहली प्रतिक्रिया देते हुए कहा, `आप सबको आजाद मनीष सिसोदिया का नमस्कार। १७ महीने तिहाड़ में सिर्फ मैंने कष्ट नहीं उठाया, आप सभी ने भी कष्ट उठाया। बाबासाहेब आंबडकर ने सपना देखा था कि कोई भी तानाशाही सरकार संविधान का बेजा इस्तेमाल नहीं करे। तानाशाही के खिलाफ संविधान बचाएगा। संविधान की ताकत की वजह से ही अरविंद केजरीवाल जी भी बाहर आएंगे। देश के ताले टूटेंगे, अरविंद केजरीवाल बाहर निकलेंगे। हम सभी के लिए बहुत भावुक पल है। भ्रष्टाचार का एक ही काल केजरीवाल, केजरीवाल।’
प्यारे बच्चों, आपके मनीष अंकल वापस आ रहे हैं
१७ महीने से तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए उनकी जमानत को मंजूरी दे दी है। इस पर राघव चड्ढा ने अपने सोशल मीडिया हैंडल `एक्स’ पर पोस्ट करते हुए लिखा है, `दिल्ली शिक्षा क्रांति के नायक मनीष सिसोदिया जी…को ५३० दिन तक…सलाखों के पीछे रखा गया।’ उन्होंने कहा, `उनका जुर्म इतना था कि उन्होंने गरीबों के बच्चों को बेहतर भविष्य दिया…प्यारे बच्चों…आपके मनीष अंकल वापस आ रहे हैं।’
सिसोदिया की जमानत पर फूट-फूटकर रोईं आतिशी
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जमानत देने के सुप्रीम कोर्ट के पैâसले पर प्रतिक्रिया देते हुए फूट-फूटकर रोने लगीं। आतिशी ने कहा, ‘आज सच्चाई और दिल्ली के छात्रों की जीत हुई है। मनीष सिसोदिया को जेल में इसलिए डाल दिया गया, क्योंकि उन्होंने गरीब बच्चों को अच्छी शिक्षा प्रदान की।’
‘धरती के भगवान’ की हैवानियत! …लावारिस मरीज को निर्जन स्थान पर छोड़ा
-पुणे के ससून अस्पताल का मामला
-वरिष्ठों पर कार्रवाई की हुई मांग
सामना संवाददाता / मुंबई
पुणे के ससून अस्पताल में ‘धरती के भगवान’ कहे जाने वाले डॉक्टरों ने मानवता की सारी हदें पार कर दीं। कुछ दिन पहले अस्पताल में आए एक लावारिस मरीज को डॉक्टरों ने इलाज करने की बजाय उसे निर्जन स्थान पर ले जाकर छोड़ दिया। इस मामले का खुलासा होने के बाद काफी हंगामा हुआ, जिसके बाद संबंधित डॉक्टर को निलंबित कर दिया गया था। हालांकि, अस्पताल में हुए इस कारनामे के बाद अब वरिष्ठ डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग जोर पकड़ने लगी है। साथ ही व्हील चेयर अनशन शुरू कर दिया गया।
डीन के खिलाफ हो मामला दर्ज
बीते दिनों पुणे के ससून अस्पताल में एक लावारिस मरीज इलाज कराने के लिए पहुंचा था, जिसका उपचार करने की बजाय डॉक्टरों ने उसे निर्जन स्थान पर लेकर छोड़ दिया। मामले का पर्दाफाश होने के बाद पुणे के येरवडा पुलिस स्टेशन में ससून अस्पताल के डॉक्टरों और उनके सहयोगियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। लेकिन इस मामले में मांग होने लगी है कि अधीक्षक यालप्पा जाधव और डीन एकनाथ पवार के खिलाफ भी हत्या का मामला दर्ज किया जाना चाहिए। इस मांग को लेकर पिछले पांच दिनों से अस्पताल में व्हील चेयर अनशन शुरू किया गया।
डॉक्टर का लाइसेंस हो रद्द
लावारिस रोगी अस्पताल को बाहर छोड़े जाने के मामले में एक डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। आरोप लगाया गया है कि नाम के लिए यह कार्रवाई की गई है। मामले में जांच समिति नियुक्त की गई थी, लेकिन आगे क्या हुआ इसकी कोई जानकारी नहीं दी जा रही है। मांग की गई कि वरिष्ठ डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई तो होनी ही चाहिए, साथ ही संबंधित डॉक्टर का लाइसेंस हमेशा के लिए रद्द कर दिया जाना चाहिए।
गड्ढों वाली सड़कों पर कैसे होगा बाप्पा का आगमन? … विरोध के बाद चेती वीवीएमसी!
– गणेश स्थापना से पहले भरेगी सड़कों के गड्ढे
– २० करोड़ का बजट पास, ७ ठेकेदार नियुक्त
राधेश्याम सिंह / विरार
वीवीएमसी में बारिश से सड़कों की हालत लगातार खस्ता हो चुकी है। बारिश में टूटी-फूटी सड़कों पर हादसा होने की आशंका बनी रहती है। सिर्फ मुख्य मार्गों पर ही नहीं, बल्कि शहर के गली-कूचे वाली सड़कों पर भी गड्ढे पड़ चुके हैं। थोड़ी सी बारिश होते ही इन गड्ढों में पानी भर जाता है, जिसके बाद हादसे होते हैं। अब जबकि गणेश चतुर्थी करीब है, जिसके बाद लोग इस बात को लेकर नाराज थे कि ऐसी सड़कों पर से होकर ‘बाप्पा’ को घर कैसे लाया जाएगा, साथ ही उनकी विदाई भी कैसे होगी? इस बात को लेकर विरोध पक्ष और समाजसेवी लगातार विरोध के सुर मुखर कर रहे थे।
गड्ढों को लेकर नागरिकों के विरोध को देखते हुए लोग काफी नाराज थे। आखिरकार, विरोध होता देख वीवीएमसी ने गड्ढों को भरने का काम शुरू कर दिया है। वीवीएमसी असफाल्ट और मास्टिक तकनीक का उपयोग कर गड्ढों को भरने का काम शुरू किया है, ताकि मटेरियल जल्द से जल्द सूख सके और बारिश की वजह से कोई नुकसान न हो। इसके लिए मनपा ने करोड़ों का बजट पास कर ७ ठेकेदारों को नियुक्त किया है, वहीं जियो टैगिंग फोटोग्राफी के जरिए इस कार्य की देख-रेख की जाएगी और भरे हुए गड्ढों के अनुसार ठेकेदारों को पैसों का भुगतान किया जाएगा। शहर में गड्ढों को भरने के लिए कुल २० करोड़ रुपए का बजट पास किया है।
बारिश के दिनों में सड़कों में कई जगह गड्ढे बन जाते हैं। इससे हादसों की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। शहर में जिन सड़कों पर गड्ढे हैं, उन्हें असफाल्ट और मास्टिक तकनीक का उपयोग कर भरने का कार्य जारी है, जिसकी निगरानी जियो टैगिंग फोटोग्राफी के जरिए की जाएगी। साथ ही गणेश चतुर्थी के पहले पूरे वसई-विरार की सड़कों पर बने गड्ढों को भर दिया जाएगा।
– प्रदीप पाचंगे, कार्यकारी अभियंता, सार्वजनिक बांधकाम विभाग, वीवीएमसी
मोदी राज में लोगों ने छोड़ी बेहतर भविष्य की उम्मीदें! …देश के १९ प्रमुख शहरों से इकट्ठा किए गए आंकड़े
रोजगार और खुद की आमदनी को लेकर भी निराशा
भारतीय रिजर्व बैंक के ताजा सीसीएस में खुलासा
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
मोदी राज में देश के आम लोग सिर्फ महंगाई को लेकर ही परेशान नहीं हैं। देश के प्रमुख शहरों में रहनेवाले परिवार अब भविष्य में कोई सुधार की गुंजाइश से भी उम्मीद छोड़ चुके हैं। लोग आनेवाले साल में आर्थिक स्थिति को लेकर निराश नजर आ रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक के उपभोक्ता आत्मविश्वास सर्वे (सीसीएस) के मुताबिक सामान्य आर्थिक स्थिति, रोजगार और कीमतों को लेकर कम आशावादिता के कारण जुलाई २०२४ में फ्यूचर एक्सपेक्टेशन इंडेक्स (एफईआई) ४.१ प्रतिशत कम होकर १२०.७ पर आ गया है, जो मई २०२४ में १२४.८ था।
रोजगार की मौजूदा स्थिति और खुद की आमदनी को लेकर धारणा लगातार दूसरे सर्वे में कम हुई है। इन दोनों मानदंडों के लिए दृष्टिकोण आशावादी दायरे में रहा है। इस सर्वे में परिवारों की मौजूदा अवधारणा और आर्थिक स्थिति को लेकर एक साल आगे की अपेक्षाओं, रोजगार के परिदृश्य, कुल मिलाकर कीमतों की स्थिति, खुद की आमदनी और खर्च को लेकर देश के १९ प्रमुख शहरों में आंकड़े एकत्र किए गए हैं। रिजर्व बैंक ने ताजा सर्वे २ जुलाई से ११ जुलाई २०२४ के बीच कराया है, जिसमें ६,०६२ लोगों ने जवाब दिया। रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा है कि सर्वे में शामिल महिलाओं की हिस्सेदारी ५४.४ प्रतिशत थी। मौजूदा अवधि के लिए उपभोक्ताओं का भरोसा लगातार दूसरे सर्वे में कम हुआ है। यह कोविड के बाद की अवधि में लगातार बढ़ता गया है।
रिजर्व बैंक ने कहा है कि इसकी वजह से करेंट सिचुएशन इंडेक्स (सीएसआई) जुलाई २०२४ में गिरकर ९३.९ पर पहुंच गया, जो दो महीने पहले ९७.१ पर था। रिजर्व बैंक के घरेलू मुद्रास्फीति प्रत्याशा सर्वे से संकेत मिलते हैं कि मई २०२४ के सर्वे के दौर की तुलना में परिवारों का एक बड़ा हिस्सा सामान्य कीमतों और महंगाई दर में वृद्धि की उम्मीद कर रहा है। विभिन्न उत्पाद समूहों में मामूली रूप से उच्च कीमत और महंगाई का दबाव देखा गया है।
जागने से लेकर सोने और रोने पर भी टैक्स! …केंद्र सरकार के टैक्स सिस्टम पर राघव चड्ढा का तंज
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
`आप’ नेता व राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा ने बीजेपी सरकार पर जमकर निशाना साधा है। चड्ढा ने गुरुवार को बीजेपी सरकार के टैक्स सिस्टम को लेकर संसद में कविता सुनाई। राज्यसभा सदस्य ने कहा कि जागने से लेकर सोने और रोने पर भी टैक्स, किताब और स्याही पर टैक्स, सब्जी, गाड़ी मकान पर टैक्स खरीदने-बेचनें पर है टैक्स सरकार का एकसूत्रीय मिशन है टैक्स, सरकार का कमीशन है टैक्स। `आप’ सांसद राघव चड्ढा ने राज्यसभा में भारत की टैक्स व्यवस्था पर कविता सुनाई है। चड्ढा ने कहा, `सरकार का एकसूत्रीय मिशन है टैक्स, सरकार का कमीशन है टैक्स।
बता दें कि टैक्स को लेकर सिर्फ विपक्ष ही नहीं, सरकार के अंदर भी आवाज उठी है। बजट पेश होने के बाद सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक पत्र लिखा था। उन्होंने लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर लगाए गए १८ प्रतिशत जीएसटी को खत्म करने की मांग की। २८ जुलाई को लिखे पत्र में उन्होंने तर्क दिया है कि इन प्रीमियमों पर टैक्स लगाना जीवन की अनिश्चितताओं पर टैक्स लगाने के बराबर है।
बीजेपी से दिल लगाई पर टैक्स।’
बता दें कि टैक्स को लेकर सिर्फ विपक्ष ही नहीं, सरकार के अंदर भी आवाज उठी है। बजट पेश होने के बाद सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक पत्र लिखा था। उन्होंने लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर लगाए गए १८ प्रतिशत जीएसटी को खत्म करने की मांग की। २८ जुलाई को लिखे पत्र में उन्होंने तर्क दिया है कि इन प्रीमियमों पर टैक्स लगाना जीवन की अनिश्चितताओं पर टैक्स लगाने के बराबर है।
जया बच्चन पर भड़के सभापति : आप सेलिब्रिटी होंगी पर मैं यह बर्दाश्त नहीं करूंगा’ …राज्यसभा में जया बच्चन-जगदीप धनखड़ के बीच जमकर हुई बहस
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
शुक्रवार को सांसद और अभिनेत्री जया बच्चन और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के बीच ‘नाम’ को लेकर सदन में तीखी नोक-झोंक देखने को मिली। राज्यसभा सांसद जया बच्चन ने उपराष्ट्रपति पर ‘अस्वीकार्य’ लहजे में बात करने और अनादर दिखाने का आरोप लगाया है तो वहीं सभापति ने कहा, ‘मुझे सिखाने की जरूरत नहीं… बेशक आप एक सेलिब्रिटी होंगी…लेकिन मैं यह बिल्कुल सहन नहीं करूंगा।’ इसके बाद विपक्षी सांसदों ने सभापति धनखड़ के बयान पर आपत्ति जताते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया।
बता दें कि शुक्रवार को राज्यसभा में जया अमिताभ बच्चन पुकारे जाने के बाद सांसद जया बच्चन और सभापति जगदीप धनखड़ में बहस हो गई। जया ने कहा, ‘मैं कलाकार हूं, बॉडी लैंग्वेज और एक्सप्रेशन (भाव) समझती हूं…मुझे माफ कीजिएगा सर, लेकिन आपकी टोन मुझे स्वीकार नहीं है।’ इस पर धनखड़ ने कहा, ‘मैं इस तरह की चीजें बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करूंगा।’ जगदीप धनखड़ बोले, ‘जया जी, आपने बहुत नाम कमाया है। आप जानती हैं कि एक अभिनेता निर्देशक के अधीन होता है, लेकिन हर दिन मैं खुद को दोहराना नहीं चाहता। हर दिन मैं आपसे शिक्षा नहीं लेना चाहता। आप मेरे लहजे के बारे में बात कर रही हैं? बहुत हो गया। आप कोई भी हो सकते हैं, आपको मर्यादा को समझना होगा। आप एक सेलिब्रिटी हो सकते हैं, लेकिन मर्यादा को स्वीकार करें।’
मोदी मांगेंगे माफी? …बिहार को विशेष राज्य का दर्जा न दिए जाने पर मीसा का पीएम से सीधा सवाल
पीएम ने बिहार की जनता को दिया धोखा
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
बिहार को `विशेष राज्य का दर्जा’ नहीं मिला है और इसकी मांग वर्षों से हो रही है। इसी क्रम में शुक्रवार को आरजेडी के सांसदों ने संसद भवन के बाहर विरोध-प्रदर्शन किया। केंद्र को निशाने पर लेते हुए सांसदों ने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देना होगा। पीएम मोदी और नीतीश कुमार बिहार को ठगना बंद करें। इस मुद्दे पर आरजेडी सांसद मीसा भारती ने पीएम मोदी पर बिहार की जनता को धोखा दिए जाने का आरोप लगाया है और कहा है कि बिहार आकर यहां की जनता से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने का वादा करना और फिर अपने ही वादों को पूरा न कर पाने को लेकर क्या पीएम मोदी बिहार की जनता से मांगी मांगेगे?
बता दें कि बिहार को भले विशेष राज्य का दर्जा न मिला हो, लेकिन इसकी मांग को लेकर आरजेडी के नेता सरकार पर हमलावर हैं। शुक्रवार को आरजेडी सांसद मीसा भारती ने पीएम मोदी पर हमला किया। उन्होंने `विशेष राज्य’ के दर्जे पर कहा कि अभी बिहार में डबल इंजन की सरकार है। एक समय नीतीश कुमार भी मांग कर रहे थे और सिर्फ नीतीश कुमार ही मांग नहीं कर रहे थे, प्रधानमंत्री ने भी बिहार जाकर कहा था `विशेष राज्य’ का दर्जा और पैकेज दिया जाएगा। मीसा भारती ने कहा, `प्रधानमंत्री ने जो बात कही थी आज उनको ही वो याद नहीं है, जो बिहार को मदद भी दी गई है वो बहुत छोटी मदद है। तत्काल तो वह मदद मिली नहीं है। पता नहीं १० साल में मिलेगा, पांच साल में मिलेगा या कब पूरा होगा? तो कहीं न कहीं बिहार की जनता को धोखा दिया गया है।’ इस सवाल पर कि स्पेशल स्टेटस को लेकर सरकार की ओर से दलील दी जाती है कि बिहार विशेष राज्य के दर्जे वाले मानकों पर फिट नहीं बैठता है। इस पर मीसा भारती ने कहा, `तो फिर प्रधानमंत्री को बिहार जाकर ये बात नहीं करनी चाहिए थी। प्रधानमंत्री बिहार की जनता से माफी मांगें कि मैंने झूठ बोला था। वोट के लिए यह बात कही थी। क्या प्रधानमंत्री जी इस बात के लिए तैयार हैं?’
मनपा ने तोड़े ३८७ अवैध होर्डिंग्स
वसई। वसई-विरार शहर महानगरपालिका ने तीन महीने में ३८७ अनधिकृत होर्डिंग्स पर कार्रवाई कर ११ लाख ३९ हजार का जुर्माना वसूला है। मनपा की तरफ से की गई इस कार्रवाई को अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई माना जा रहा है। मुंबई के घाटकोपर में हुए होर्डिंग्स हादसे के बाद से ही मनपा ने यह कदम उठाया था। बताया जाता है कि वसई-विरार में भी घाटकोपर जैसे हादसे न होें, इसके लिए मनपा ने होर्डिंग्स मालिकों को स्थिरता प्रमाण पत्र जमा कराने का आदेश दिया था, लेकिन प्रमाण पत्र जमा नहीं करने के बाद होर्डिंग्स के खिलाफ मनपा ने यह कार्रवाई की। वसई-विरार शहर में पिछले कुछ दिनों से राजनीतिक नेता और विज्ञापनदाता बड़ी संख्या में होर्डिंग लगा रहे थे, जिससे शहर की खूबसूरती बिगड़ रही थी। ये बैनर रेलवे स्टेशनों, पुलिस स्टेशनों, महानगरपालिका कार्यालयों, व्यस्त स्थानों, बस स्टैंड, रिक्शा स्टैंड, चौक, अस्पतालों, मंदिरों, पार्कों, फ्लाईओवरों, बिजली के खंभों, स्काईवॉक सहित पेड़ों पर लगाए गए थे। वसई-विरार मनपा के विज्ञापन विभाग ने नौ वार्डों में कार्रवाई कर ११ लाख ३९ हजार रूपए का जुर्माना वसूला, जिसमें राजनीतिक नेताओं के बैनर, बड़े होर्डिंग्स, जन्मदिन के बैनर, कॉर्पोरेट बैनर आदि शामिल हैं।