न खुशी…न गम!

शनिवार का दिन १४० करोड़ हिंदुस्थानियों के लिए बेहद खास रहा। यह जीत सही मायने में बेहद यादगार साबित हुई। फाइनल मैच में रोहित शर्मा की कप्तानी हो या विराट कोहली की धमाकेदार पारी हो। हार्दिक पंड्या और जसप्रीत बुमराह की गेंदबाजी हो या सूर्यकुमार की मैच की विनिंग वैâच हो। सभी खिलाड़ियों की मेहनत रंग लाई और आखिरकार देश के नाम एक खास उपलब्धि जुड़ गई। लेकिन ये क्या, जहां पूरा हिंदुस्थान इस जश्न में शामिल हुआ, सोशल मीडिया पर शुभकामनाओं की बौछार हुई, वहीं टीम इंडिया के एक खिलाड़ी की किसी खास की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। न तो उन्होंने टीम इंडिया की जीत पर न कोई कमेंट्स किया और न ही बधाई दी। हम यहां बात कर रहे हैं हार्दिक पंड्या की धर्मपत्नी नताशा स्टेनकोविक की। टीम इंडिया जीती, हार्दिक ने आंसू भी बहाए, लेकिन नताशा का कोई रिएक्शन अभी तक नहीं आया। बता दें कि कुछ समय पहले हार्दिक और नताशा के तलाक की खबरें चरम पर थीं और अब नताशा का कोई पोस्ट न आना उनके हार्दिक के साथ तलाक की अफवाहों को तूल दे रहा है। वैसे बता दें कि इससे पहले टीम इंडिया की जीत पर वे हमेशा सोशल मीडिया के सहारे बधाईयां देती रही हैं, लेकिन इस बार नताशा का कोई रिएक्शन न देना यही दर्शाता है कि उन्हें टीम इंडिया की जीत से न कोई खुशी हो रही है…न कोई गम..!

ब्रेकिंग ब्लंडर : मैं बिहार का पुल हूं

राजेश विक्रांत

मैं बिहार का पुल हूं। गिरना, ध्वस्त होना, जलसमाधि लेना मेरी आदत है। ये मेरे जन्मसिद्ध उर्फ निर्माणसिद्ध अधिकार हैं। ११ दिनों के अंदर पांच पुल इस स्थिति को प्राप्त हो चुके हैं। मैं समय व स्थान से परे हूं। दिन हो या रात जब मर्जी तब गिरूंगा। मैं सप्ताह में एक बार भी गिर सकता हूं और चार बार भी, ये मेरी मर्जी पर निर्भर है। गिरने का दिन मैं खुद तय करता हूं। भले उसकी घोषणा बाद में की जाए। मधुबनी का मेरा बंधु पुल २४ जून से पहले ही ध्वस्त हो चुका था। लेकिन तब इसकी घोषणा करने के रास्ते में तकनीकी खामियां आ गई तो पुल गिरने की घोषणा तीन चार दिन बाद की गई।
मोतिहारी, सिवान, सुपौल, मधुबनी, अररिया, मोतिहारी, सुल्तानगंज, सारण, दरभंगा, बिहटा, पूर्णिया, कटिहार, नालंदा, सहरसा, फतुहा, भागलपुर खगड़िया मैं कहीं भी गिर सकता हूं। मुख्य नदी का पुल हूं, सहायक नदी का यहां तक कि नहर का भी, मुझे गिरने में कोई एतराज नहीं है।
मेरे गिरने का कारण मत पूछिए। नहर की सफाई के दौरान मिट्टी का कटाव भी हो सकता है तथा नेपाल में भारी बारिश के कारण जलस्तर बढ़ना भी। मेरा मोतिहारी संस्करण तो असामाजिक तत्वों की वजह से शहीद हो गया था।
अब देखिए न, सिवान में न बारिश आई न आंधी तो भी नहर पर बना हुआ मैं ध्वस्त हो गया। मुझे भरोसा है कि ठेकेदार ने उत्कृष्ट निर्माण सामग्री का शीलभंग करना उचित न समझा हो। किशनगंज के मेरे भाई को बनाने वाले संभवत: दिलविहीन रहे होंगे, जो उपयोगकर्ताओं को घटनास्थल पर ही पंचतत्व प्राप्त कराने की इच्छा रखते होंगे। मैं बन गया हूं तो भी, निर्माणाधीन हूं तो भी। मोतिहारी का पुल निर्माण कार्य के दौरान ढहा था। उद्घाटन हुआ है तो भी नहीं उद्घाटन हुआ है तो भी, पुराना हूं तो भी, नया हूं तो भी मैं तो गिरता रहूंगा। अररिया के सिकटी में बकरा नदी पर बना पुल उद्घाटन से पहले ही धवस्त हो गया। पुल का निर्माण लगभग पूरा हो गया था। सात करोड़ रुपए से भी अधिक की लागत से बने इस पुल का निर्माण, पहले बने पुल की एप्रोच कट जाने के बाद कराया गया था।
मैं बिहार का पुल हूं। गिरने में मुझे मजा आता है और संतोष भी मिलता है। दरअसल, संहार उत्पत्ति का मूल कारण है। मैं गिरूंगा तो ही दूसरा बनेगा न। इसमें रोजगार का सृजन होगा। मजदूर, ठेकेदार, इंजीनियर, ओवरसियर, अधिकारी आदि वर्ग को काम मिलेगा, इनकी आय बढ़ेगी। हकीकत ये भी है कि जब भी कोई पुल गिरता है तो इसी वर्ग को ही आनंद की झीनी-झीनी अनुभूति होती है। भ्रष्ट रस और अनैतिक रस मिलकर दिव्यांग रस व मृत्यु रस की सृष्टि करते हैं। पुल आत्महत्या के प्रत्याशियों का दिल खोलकर स्वागत करता है। पुल के वीरगति के प्राप्त होते ही इंजीनियर आदि अनुभवी अपराधियों की तरह भूमिगत हो जाते हैं। ठेकेदार मौन की मच्छरदानी तान लेते हैं और सरकार सभी पुलों का स्ट्रक्चरल ऑडिट करवाने की घोषणा करती है। इसका मतलब यह है कि अगर मेरे गिरने के बाद महकमा सक्रिय होता है तो मैं क्यों न गिरता रहूं?

`माइक्रो चीटिंग’ बेवफाई नहीं!

मनमोहन सिंह

नींद सीमा की आंखों से कोसों दूर थी। उसका ध्यान उन मैसेजों पर था, जो लगातार उसके फोन पर आ रहे थे। आधा घंटा बीत गया। उसने ब्लैंकेट हटाया। पवन सो गया था। आगे…
उसने मैसेज किया, `सो सॉरी अमित।’
वहां से कोई मैसेज नहीं आया। उसने सॉरी के १० मैसेज भेज दिए। फिर एक मैसेज आया। `ओके’ अब उसे चैन आया।
`तुम्हें कॉफी पसंद है?’ अमित का मैसेज था।
`कभी-कभी’
`फिर क्या पसंद है?’
`आइसक्रीम’
`नॉटी’ साथ ही एक इमोजी था, जिसकी एक आंख बंद थी और जीभ बाहर थी।
`कौन कौन’
`तुम और कौन!’
`तो फिर डन’
`क्या?’
`आइसक्रीम ऑबियस’
`नेक्स्ट वीक’
`टू लॉन्ग कान्ट वेट’
`इंतजार का मजा लो’
सुबह के ४ बज गए थे, लेकिन दोनों की चैटिंग चल रही थी।
`अब सोती हूं…सुबह जागना भी है घर के काम भी करने हैं गुड नाइट’
`अभी नहीं’
प्लीज एक घंटा सोने दो’
`मैंने कब रोका है?’
`तो हां बोलो’
`हां नहीं बोलूंगा तो…’
`प्लीज हां बोलो’
`ओके गुड नाइट, सॉरी गुड मॉर्निंग डार्लिंग’
`डार्लिंग… पागल हो गए?’
`डार्लिंग नहीं…? इतना भी राइट नहीं?’
`अभी टाइम नहीं आया’
`अपना कब आएगा?’
`इतनी भी क्या जल्दी है?’
अमित ने इमोजी शेयर किया गुस्से वाला। सीमा ने सॉरी वाला इमोजी पोस्ट किया।
मोबाइल बंद हो गया, लेकिन सोने से पहले उसने सारे मैसेज डिलीट कर दिए और अपने पति को अपना ब्लैंकेट ओढ़ा दिया। ऐसा लग रहा था जैसे पवन को ज्यादा ठंड लग रही थी। वह सिकुड़कर सोया था।
सीमा और अमित की चैटिंग का सिलसिला यह चल निकला।
यह एक उदाहरण है `माइक्रो चीटिंग’ का। दोनों चैटिंग कर रहे हैं। सीमा हमेशा इस बात का ख्याल रखती है कि चैटिंग का कोई भी मैसेज कोई और न पढ़ ले। विशेषकर उसका पति। इस कहानी में दोनों अपनी सीमाओं में रहकर चैटिंग करते रहेंगे, भावनात्मक लगाव बनाए रखेंगे या फिर अपनी सारी वर्जनाएं तोड़ भी सकते हैं।
डेटिंग और रिश्तों को संभालना बारीकियों और गलतफहमियों का एक रोलरकोस्टर है। किसी भी रिश्ते में पार्टनर द्वारा धोखा दिए जाने का विचार ऐतिहासिक रूप से किसी भी व्यक्ति के लिए एक बड़ा डर है, लेकिन आधुनिक डेटिंग परिदृश्य ने एक जटिल लेकिन कम दिलचस्प और महत्वपूर्ण शब्द `माइक्रो चीटिंग’ ईजाद किया है, जो संभावित बेवफाई के अधिक सूक्ष्म, धूसर क्षेत्रों को कवर करता है।
हालांकि, यह एक जटिल शब्द है इसलिए यह जानना कि `माइक्रो चीटिंग’ को समझना भी जटिल है काफी हद तक। दरअसल, हम कह सकते हैं कि इसमें आमतौर पर ऐसी हरकतें शामिल होती हैं, जो बताती हैं कि कोई व्यक्ति अपने प्रतिबद्ध रिश्ते से बाहर किसी और के साथ भावनात्मक या रोमांटिक रूप से जुड़ा हुआ है।
ग्लोबल डेटिंग एजेंसी इग्नाइट डेटिंग में पर्सनल मैचमेकर सैम रोलैंड-जोन्स कहते हैं, `माइक्रो चीटिंग’ एक ऐसा शब्द है, जिसका इस्तेमाल छोटी-छोटी, सूक्ष्म हरकतों और व्यवहारों की एक सीरीज का वर्णन करने के लिए किया जाता है। ये बेवफाई की तरह नहीं लग सकती है, लेकिन निश्चित रूप से रोमांटिक रिश्ते में भावनात्मक बेवफाई के रूप में क्लासीफाइड की जा सकती है।… यह एक ऐसी अवधारणा है, जो इस विचार के इर्द-गिर्द घूमती है कि छोटी-छोटी हरकतें भी, अगर गुप्त रूप से या धोखे के साथ की जाती है तो रिश्ते में विश्वास और अंतरंगता को खत्म कर सकती हैं।
क्रमश:

सुनीता विलियम्स सुरक्षित हैं -इसरो

नासा की पायलट, भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स बुच विल्मोर के साथ अंतरिक्ष में गई हुई हैं। उनके स्टारलाइनर स्पेलक्राफ्ट में खराबी आने की वजह से वापसी में देरी हो रही है, जिसके कारण लोगों को चिंता हो रही है कि सुरक्षित हैं या नहीं। अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर की देरी से वापसी चिंता की बात नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आईएसएस लंबे समय तक लोगों के रहने के लिए सुरक्षित जगह है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस समय सबसे जरूरी बात यह है कि बोइंग स्टारलाइनर नामक नए ़क्रू मॉड्यूल का सही से टेस्ट किया जाए। नासा ने जानकारी दी है कि इस मिशन को ९० दिनों के लिए आगे बढ़ाया जा रहा है। इसका मतलब है कि अगले ९० दिनों तक दोनों अंतरिक्ष यात्री आईएसएस पर ही रहेंगे। नासा के क्रू कार्यक्रम प्रबंधक स्टीव स्टिच ने कहा कि आईएसएस लंबे समय तक रुकने के लिए सुरक्षित जगह है और हमारे पास पर्याप्त संसाधन मौजूद हैं, ताकि यात्री सुरक्षित रह सकें।

शानदार…खतरनाक … भारतीय महिला टीम ने जीता टेस्‍ट मैच … दक्षिण अफ्रीका को १० विकेट से रौंदा

एक ओर जहां देश टीम इंडिया के टी-२० वर्ल्डकप चैंपियन बनने का जश्न मना रहा है, वहीं दूसरी ओर भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने भी फैंस को खुश होने का बड़ा मौका दिया है। भारत और साउथ अफ्रीका के बीच चेन्नई में खेला जा रहा एकलौता टेस्ट हरमनप्रीत कौर की टीम ने जीत लिया है। भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने साउथ अफ्रीका को एकतरफा अंदाज में १० विकेट से मात दी। टीम इंडिया ने पहली पारी में ६०३ रनों का विशाल स्कोर बनाया। जवाब में साउथ अफ्रीकी टीम पहली पारी में सिर्फ २६६ रनों पर ढेर हो गई। फॉलोऑन खेलने उतरी साउथ अफ्रीकी टीम ने दूसरी पारी में अच्छी फाइट दिखाते हुए ३७३ रन स्कोरबोर्ड पर लगाए और अंत में टीम इंडिया को ३७ रनों का लक्ष्य मिला। इस स्कोर को हासिल करने में टीम इंडिया को कोई दिक्कत पेश नहीं आई। सानिया और शुभा सतीश ने मिलकर इस लक्ष्य को चेज कर लिया। बता दें कि टीम इंडिया की इस जीत की स्क्रिप्ट उसके बल्लेबाज और गेंदबाजों ने मिलकर लिखी। पहली पारी में शेफाली वर्मा ने महज १९७ गेंदों में २०५ रन बनाए और स्मृति मंधाना के बल्ले से भी १४९ रन निकले। इसके बाद दूसरी पारी में स्नेह राणा की फिरकी ने साउथ अफ्रीका को झकझोर कर रख दिया। स्नेह राणा ने ७७ रन देकर ८ विकेट अपने नाम किए। इन तीन खिलाड़ियों के अलावा जेमिमाह रॉड्रिग्ज ने ६६, कप्तान हरमनप्रीत कौर ने ६९ और रिचा घोष ने ८६ रन बनाकर टीम इंडिया की जीत में अहम योगदान दिया।

क्लीन बोल्ड : बेरोजगार हूं कोई काम हो तो बताइए

अमिताभ श्रीवास्तव

टीम इंडिया को विश्व विजेता बनानेवाले कोच राहुल द्रविड़ का एक बयान सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। पैंâस तरह-तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं। दरअसल, राहुल ने कहा कि मैं अगले हफ्ते से बेरोजगार हो जाऊंगा, मेरे लिए कोई काम हो तो बताइएगा। राहुल द्रविड़ से यह भी पूछा जा रहा है कि अब वो क्या करेंगे? यानी टीम इंडिया में कोच कार्यकाल खत्म होने के बाद वो मुक्त हो रहे हैं और ऐसे में सबको लग रहा है कि उन्हें बाहर से भी कोच के ऑफर हैं, सारी बातों को लेकर द्रविड़ का कहना है कि अगले हफ्ते से मेरी जिंदगी बहुत नॉर्मल होगी। मैं अगले हफ्ते बेरोजगार हो जाऊंगा आपकी नजरों में कोई काम हो तो बताइए। वैसे राहुल द्रविड़ अभी कुछ समय आराम करने के मूड में हैं, इसके बाद वो क्रिकेट को किसी न किसी रूप में अपना योगदान देते रहेंगे। उनके पास बाहर की टीमों के लिए भी ऑफर आ सकते हैं और आईपीएल के लिए भी उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
गंभीर कारण नहीं है
ये गंभीर कारण नहीं है। विश्व चैंपियन बनने के तुरंत बाद जब विराट कोहली, रोहित शर्मा और रविंद्र जडेजा जैसे दिग्गज खिलाड़ियों ने टी २० फॉर्मेट के अंतर्राष्ट्रीय मैचों से संन्यास ले लिया तो कहा जाने लगा कि गौतम गंभीर के हेड कोच बनने के कारण इन खिलाड़ियों ने अलविदा कह दिया। गंभीर विराट विवाद से भी सब परिचित हैं और रोहित, जडेजा जैसे प्लेयर भी गंभीर की कोचिंग में नहीं खेलना चाहते। मगर ये सारी बातें केवल अफवाह हैं और इसमें गंभीर का कोई कारण नहीं है। यह रोहित शर्मा ने भी स्पष्ट कह दिया है। दरअसल, ये तीनों खिलाड़ियों का संन्यास आवश्यक भी था, क्योंकि एक तो इनकी उम्र भी हो चली थी और दूसरे जूनियर खिलाड़ियों के लिए रास्ते लगभग बंद थे। फिर विश्व विजेता बनकर और टीम को विजेता बनाकर अलविदा कहना भी एक बड़ी उपलब्धि है। गंभीर आते या नहीं आते इन खिलाड़ियों का जाना तय ही था। यही उचित समय भी था। गौतम गंभीर को निशाना बनाने से पहले सोचना चाहिए कि इस वक्त टीम के दरवाजे पर दस्तक दे रहे कई सारे उभरते हुए खिलाड़ी हैं, इनमें से कई ऐसे हैं, जिन्हें मौका न मिल पाने के कारण निराश हैं और देश तक छोड़ देना चाहते हैं। इसलिए भी इन खिलाड़ियों के संन्यास को गंभीर के कोच बन जाने के लिहाज से नहीं लिया जाना चाहिए।
तूफान में फंसी टीम इंडिया
यह लिखे जाने तक तो टीम इंडिया की स्वदेश वापसी नहीं हुई है और फिलहाल हो भी नहीं पाएगी, कारण है तूफान। टी-२० विश्वकप जीतने के बाद रोहित शर्मा की अगुवाई वाली हमारी क्रिकेट टीम बारबाडोस में ही अपनी शानदार जीत का जश्न मना रही है। टीम इंडिया की अभी देश वापसी संभव नहीं है क्योंकि बारबाडोस में तूफान बेरिल ने अपना कहर मचा रखा है। खिलाड़ियों ने अभी तक अपनी फ्लााइट नहीं पकड़ी है क्योंकि तूफान के कारण यह खतरनाक साबित हो सकता है। इसके अलावा तूफान के कारण उड़ान रद्द होने की भी खबरें हैं। बताया जा रहा है कि रोहित की अगुवाई वाली टीम इस समय बारबाडोस में अपने होटल हिल्टन में रुकी हुई है। टीम को मूल रूप से सोमवार को स्थानीय समयानुसार सुबह ११ बजे (भारतीय समयानुसार रात ८:३० बजे) बारबाडोस से प्रस्थान करना था, लेकिन अब आसन्न तूफान के कारण इसमें देरी हो रही है। उनका नियोजित मार्ग न्यूयॉर्क तक था, उसके बाद दुबई के लिए कनेक्टिंग फ्लाइट और अंत में हिन्दुस्थान वापस आना था। वैसे टीम के लिए चार्टर विमान की व्यवस्था की जा रही है।

`नाडा’ बना रहा निशाना

भारतीय स्टार पहलवान बजरंग पूनिया को नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (नाडा) ने २३ जून को दोबारा सस्पेंड कर दिया था। बजरंग को फिर से डोपिंग रोधी नियम के उल्लंघन के मामले में निलंबित किया गया था, साथ ही उन्हें नोटिस भेजा गया और इसका जवाब देने के लिए उन्हें ११ जुलाई तक का समय दिया गया। नाडा के द्वारा दोबारा सस्पेंड किए जाने के एक सप्ताह के बाद यानी एक जुलाई को बजरंग पूनिया ने एक्स के जरिए अपनी प्रतिक्रिया दी और आरोप लगाया कि वो नहीं चाहते हैं कि मैं कुश्ती करना जारी रखूं। ओलिंपिक में भारत के लिए ब्रॉन्ज मेडल जीत चुके बजरंग पूनिया ने एक्स पर लिखा कि नाडा ने मुझे एक ही मामले में दोबारा निलंबित कर दिया। उन्हें जो भी तथ्य दिए गए, उन्होंने सभी को नजरअंदाज कर दिया और फिर से उन्होंने ऐसा कदम मेरे खिलाफ उठाया। ये दिखाता है कि नाडा मुझे साफ तौर पर निशाना बना रहा है और वो नहीं चाहते हैं कि मैं किसी भी कीमत पर कुश्ती जारी रखूं। उन्होंने लिखा कि नाडा के पास कोई जवाब नहीं है और वो अपनी तरफ से की गई गलतियों की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहते हैं। बजरंग ने `नाडा’ पर सवाल उठाते आगे लिखा, `नाडा’ नहीं चाहता कि कोई उनके गलत तरीकों पर सवाल उठाए और अगर कोई ऐसा करता है तो उसे निशाना बनाया जाता है, ताकि वह अपना खेल जारी नहीें रख सके। बता दें कि सोनीपत में हुए नेशनल ट्रायल के दौरान डोप टेस्ट में उन्होंने अपना सैंपल नहीं दिया था, जिसके बाद नाडा ने ये बड़ा एक्शन लिया। इससे पहले भी उन्हें ५ मई को सस्पेंड किया जा चुका है।

मेहनतकश : जिंदगी के झंझावतों से जूझते हुए हासिल किया मुकाम  

सगीर अंसारी

दुनिया में ऐसे लोग भी हैं, जो अपनी मेहनत की बदौलत असंभव को भी संभव बना देते हैं। ऐसे ही एक शख्सियत हैं अयूब सिद्दीकी, जो कि उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले के एक छोटे से गांव बिटोरा में पैदा हुए। इनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी इसलिए ज्यादा पढ़-लिख नहीं पाए, लेकिन घरेलू हालात को देखते हुए उन्होंने अपनी पढ़ाई का सफर समाप्त कर दिया और मात्र १२ वर्ष की उम्र से ही खेतों में मजदूरी करने लगे। दिनभर मजदूरी करने के बाद भी घर की जरूरतें पूरी नहीं हो सकी तो वे वर्ष १९९० में अपनी किस्मत आजमाने के लिए मुंबई चले आए। यहां पर भी स्थिति ठीक न होने के चलते वे वापस अपने गांव चले गए और वहां फिर से एक बार मेहनत-मजदूरी शुरू कर दी। लेकिन इस बार भी हालातों से समझौता कर वे वर्ष १९९२ में फिर मुंबई आ गए और पावरलूम में मजदूरी का काम करने लगे। करीब २ साल तक पावरलूम में काम करने के बाद उन्हें ऐसा लगा कि अगर उनके हाथ में हुनर हो तो वे कुछ भी कर सकते हैं, ऐसे में उन्होंने सिलाई का काम सीखा। करीब २ साल की कड़ी मेहनत के बाद जब वे कारीगर बन गए तो उन्होंने अपनी खुद की टेलर की दुकान खोल ली और अपना कारोबार शुरू किया। जब वे अपने पैर पर खड़े हो गए तो उनके माता-पिता ने उनकी शादी करा दी। इसके बाद अयूब सिद्दीकी अपनी पत्नी को लेकर मुंबई आ गए और किराए के रूम में रहने लगे। इसी दौरान अयूब सिद्दीकी को ६ बच्चे हुए। काफी मेहनत करके उन्होंने सभी बच्चों को अच्छी शिक्षा दी। अयूब सिद्दीकी की जिंदगी में एक वक्त ऐसा भी आया जब उन्हें अपना घर-परिवार संभालना मुश्किल होने लगा। इसके बाद उनके एक रिश्तेदार ने इनको सहारा देते हुए अपने एक पोल्ट्री फार्म में देखभाल के लिए रखा। तकरीबन ६ से ८ साल तक पोल्ट्री फार्म में काम करने के बाद अयूब सिद्दीकी ने खोपोली के मुरकुटवाड़ी गांव में ‘अरमान’ पोल्ट्री फार्म के नाम से अपना खुद का पोल्ट्री फार्म शुरू किया, जिसमें उन्हें कामयाबी भी मिली और तीन से चार वर्षों तक पोल्ट्री फार्म चलाने के बाद वह पोल्ट्री फार्म को छोड़कर वापस मुंबई आ गए और एक एडवोकेट सिराज अंसारी के पास उनके कार्यालय में काम करने लगे। इसी दौरान अयूब सिद्दीकी ने शिवाजी नगर के आदर्श नगर झोपड़पट्टी में अपना खुद का घर ले लिया इसी दौरान अयूब सिद्दीकी की मुलाकात दोस्त वहाब से हुई और यहीं से अयूब सिद्दीकी ने राजनीति में कदम रखा। वे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के माध्यम से जनता की सेवा करने लगे और लोगों की छोटी-ब़ड़ी सभी समस्याओं का समाधान करने लगे।

झांकी : दिल्लीशाही पर बाबाजी भारी

झांकी
अजय भट्टाचार्य

उत्तर प्रदेश की अफसरशाही में हुए बड़े बदलाव में इस बार बाबाजी की ही चली। मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा का कार्यकाल खत्म होने पर उनकी जगह सूबे की सरकार ने १९८८ बैच के आईएएस अफसर मनोज कुमार सिंह को नया मुख्य सचिव नियुक्त किया है। खास बात यह है कि मनोज कुमार सिंह मुख्यमंत्री योगी के पसंदीदा अफसर माने जाते हैं। इससे पहले मुख्य सचिव के लिए उनका नाम दो बार भेजा गया था, लेकिन केंद्र ने उनके नाम पर सहमति नहीं दी थी। मूल रूप से झारखंड के रहने वाले मनोज कुमार सिंह उप्र के सबसे ईमानदार अफसरों में से एक हैं। उत्तर प्रदेश की अफसरशाही की सबसे बड़ी गद्दी से विदा हुए दुर्गाशंकर मिश्रा को अब तक तीन बार सेवा विस्तार मिल चुका है। इससे पहले वे दिसंबर २०२१ में सेवानिवृत होने जा रहे थे, लेकिन मोदी सरकार ने उनको सेवा विस्तार देते हुए उन्हें उत्तर प्रदेश का मुख्य सचिव बनाया था। इसके बाद राज्य में २०२२ के विधानसभा चुनाव हुए। लगातार दूसरी बार योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने। इसके बाद दिसंबर २०२२ में एक बार फिर दुर्गाप्रसाद को सेवा विस्तार देकर उत्त्तर प्रदेश पर थोप दिया गया। दिसंबर २०२३ में उनका कार्यकाल समाप्त हो रहा था तो एक बार फिर उन्हें लोकसभा चुनाव के मद्देनजर ६ महीने का सेवा विस्तार मिला था। इस बार भी दिल्लीशाही अपनी पसंद का प्यादा लखनऊ भेजना चाहती थी, लेकिन बाबाजी अड़ गए। नतीजा यह है कि अब बाबाजी की पसंद के अफसर मनोज कुमार सिंह के हाथ में उत्तर प्रदेश की प्रशासनिक कमान है। आईएएस अफसर मनोज कुमार सिंह की शासन की योजनाओं को जमीन पर उतारने में काफी अहम भूमिका रही है। मनोज कुमार सिंह इससे पहले यूपीडा, आईआईडीसी और पंचायती राज विभाग में बतौर सचिव काम कर चुके हैं। वे १९९० में सबसे पहले यूपी में मैनपुरी के ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के तौर तैनात हुए थे।

राज्यसभा में खेला की दस्तक
लोकसभा और विधानसभा चुनावों में पराजित होने वाली आंध्र प्रदेश की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) और ओडिशा की बीजू जनता दल (बीजद) को राज्यसभा में अपनी ताकत के कारण कानून बनाने के मामले में अभी भी कुछ बोलने का अधिकार होगा। तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) द्वारा सत्ता से बाहर की गई वाईएसआरसीपी के पास ११ राज्यसभा सांसद हैं, जबकि बीजद, जो ओडिशा में भाजपा से हार गई, के पास संसद के ऊपरी सदन में नौ सांसद हैं। वर्तमान में २४५ सदस्यीय राज्यसभा में ११७ राजग सांसद, ८० इंडिया ब्लॉक सांसद और ३३ अन्य हैं। निर्वाचित सदस्यों के लिए १० और नामित सदस्यों के लिए पांच स्थान खाली हैं। १० निर्वाचित सदस्य रिक्तियों में से, जिसके लिए चुनाव की तारीख की घोषणा अभी बाकी है, भाजपा के पास सात, कांग्रेस के पास दो और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के पास एक है। वर्तमान में भाजपा के पास इनमें से कम से कम छह सीटें जीतने की ताकत है। ऐसे परिदृश्य में राजग को कानून पारित करने के लिए दूसरों के समर्थन की आवश्यकता नहीं होगी, लेकिन वाईएसआरसीपी और बीजद का समर्थन इसे एक आरामदायक स्थिति में रखेगा। केंद्रीय सत्ता के पिछले कार्यकाल में इन दोनों ही दलों ने लोकसभा और राज्यसभा में सत्ता का साथ दिया था। अब सबसे ज्यादा डर वाईएसआरसीपी को लग रहा है। कारण यह है कि मोदी युग के पहले कार्यकाल में जब तेदेपा कमजोर थी, तब २०१८ में उसके सभी राज्यसभा सांसदों को भाजपा डकार गई थी। इस बार वही कहानी दोहराई गई तो जगनमोहन रेड्डी तेदेपा की तरह राज्य सभा में भी पैदल हो सकते हैं। इधर बीजद ने अपने राज्यसभा सांसदों से विपक्ष की भूमिका निभाने की ताकीद भले की हो, मगर टूट-फूट का डर उसे भी है। उच्च सदन में कभी भी बड़ा खेला हो सकता है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)

राजस्थान का रण : कितनी बार राजनीति छोड़ेंगे मीणा?

गजेंद्र भंडारी
राजस्थान सरकार में कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा के इस्तीफे को लेकर राजनीति अभी थमी भी नहीं थी कि उन्होंने एक और बड़ा बयान दे दिया है। अब किरोड़ीलाल मीणा ने राजनीति छोड़ने को लेकर बड़ा एलान किया है। किरोड़ीलाल मीणा ने कहा कि आपने ऐसे नेता को सांसद चुन लिया है, जो कभी जनता के बीच आएगा नहीं। आप लोगों ने जौनपुरिया को हरा दिया, जो हमेशा जनता के बीच रहते हैं। टोंक-सवाई माधोपुर के सांसद हरीश मीणा से अगर कोई उनका फोन नंबर भी ले ले तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा। लोकसभा चुनावों के दौरान किरोड़ीलाल मीणा ने कहा था कि अगर बीजेपी उम्मीदवार दौसा सीट हारा तो वे मंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे। इसके बाद उन्होंने घोषणा की थी कि पीएम मोदी ने उन्हें ७ सीटों की जिम्मेदारी दी है। इन सीटों में से अगर एक भी सीट पर बीजेपी हारी तो वो मंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे। इन सात सीटों में से बीजेपी ४ सीटें हार गई जिनमें दौसा, करौली-धौलपुर, टोंक-सवाई माधोपुर और भरतपुर सीट शामिल है। इसके बाद से किरोड़ी से इस्तीफे की लगातार मांग की जा रही है।

 

किसानों के मामले को लेकर घेरा
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा द्वारा टोंक में आयोजित एक राजकीय समारोह में ६५ लाख किसानों को किसान सम्मान निधि योजना के तहत राशि जारी करने पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भाजपा पर तीखा हमला बोला है। डोटासरा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनाव के दौरान किसानों से प्रति वर्ष १२,००० रुपए की सम्मान निधि देने का वादा किया था, जिसे हाल ही में घटाकर ८,००० रुपए कर दिया गया है। इसके बावजूद केवल १,००० रुपए की राशि ही किसानों को प्रदान की गई है, जो भाजपा की वादा खिलाफी को दर्शाता है। डोटासरा ने आगे कहा कि भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में गेहूं के समर्थन मूल्य पर ३०० रुपए बोनस देने का वादा किया था, उसे भी निभाया नहीं गया। उन्होंने कहा कि भाजपा ने सत्ता में आने से पहले किसानों के कर्ज को माफ करने के कई बयान दिए थे, लेकिन सत्ता में आने के बाद एक पैसा भी माफ नहीं किया गया। इसके बजाय कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि कर्ज नहीं चुकाना किसानों की आदत हो गई है।

सरकार पर भड़के पायलट
नीट परीक्षा को मुद्दा बनाते हुए सचिन पायलट ने कहा कि नीट यूजी परीक्षा को लेकर देश के युवाओं में आक्रोश और भ्रम का माहौल है। सरकार से लोगों का भरोसा उठ गया है। समस्या का समाधान करने की बजाय यह सरकार बस लीपापोती करने का काम कर रही है। आजादी के बाद पहली बार ऐसा देखा जा रहा है, जब देश में इतनी बढ़ी संख्या में बेरोजगारी है। राजस्थान की नई सरकार से उम्मीद है कि वो इन युवाओं को रोजगार देने के लिए जल्द कोई ठोस कदम उठाएगी। पायलट ने राहुल गांधी को सदन में विपक्ष का नेता चुने जाने पर कहा कि राहुल गांधी को सदन में नेता विपक्ष चुने जाने से कांग्रेस ही नहीं, बल्कि पूरा विपक्ष ऊर्जा से भर गया है। राहुल गांधी ने सरकार को हमेशा चुनौती दी और पारदर्शिता के लिए संघर्ष किया। सड़क से लेकर संसद तक लोगों की आवाज बनने का काम किया है। उन करोड़ों लोगों के अंदर विश्वास पैदा हुआ है, जिन्होंने लोकतंत्र को जीवित रखने के लिए इंडिया अलायंस को वोट दिया था। बि़ड़ला के चुनाव पर पायलट ने कहा कि ये सरकार गठबंधन की सरकार है। किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है। हमारा संख्या बल दोगुना हुआ है। एनडीए ने सरकार तो बना ली है, लेकिन भविष्य में क्या होगा ये कोई नहीं जानता।