राजस्थान में बिजली का `कटआउट’… सब्र भी हुआ कटआउट!

-ट्रक, ट्रैक्टर और बाइक से मोबाइल हो रही चार्ज

राजस्थान में भजनलाल सरकार में नागरिकों की हालत खराब है। राज्य का जिला भीलवाड़ा में बिजली का `कटआउट’ ज्यादा होने से लोगों का सब्र `कटआउट’ हो गया है। बिना घोषणा के हो रहे बिजली कट से जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। लोग अपने मोबाइल फोन पर निर्भर हैं, लेकिन चार्जिंग के लिए उन्हें ट्रैक्टर, ट्रक और बाइक से जुगाड़ करना पड़ रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार, भीलवाड़ा के लोग अब बिना बिजली के दिन गुजार रहे हैं। कई घंटों तक बिजली जाने से घरों में अंधेरा छा जाता है, पंखे और कूलर बंद हो जाते हैं और खाना बनाना भी मुश्किल हो जाता है। कनेक्टिविटी के लिए मोबाइल एकमात्र साधन है, लेकिन चार्ज करने की समस्या लोगों को परेशान कर रही है। स्थानीय लोग बिजली कंपनी की कार्रवाई से नाखुश हैं और उन्होंने बिजली कट को लेकर शिकायत की है। वे मांग कर रहे हैं कि बिजली कंपनी बिजली कट की समस्या का समाधान करे। नागरिकों का कहना है कि बिना बिजली के हम कितने लाचार हैं। सरकार और बिजली कंपनियों को बिजली सप्लाई में सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने की जरूरत है। जिले में बिजली कट की समस्या का समाधान हो और लोगों को राहत मिले, इसके लिए सरकार और बिजली कंपनी को ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

अब ब्लड की नहीं होगी बर्बादी!… ब्लड बैंकों का समन्वय हुआ बेहतर

सामना संवाददाता / मुंबई

मुंबई में पिछले चार वर्षों में ब्लड बैंकों में रक्त की बर्बादी में ५० फीसदी की कमी आई है। आंकड़ों के अनुसार, बीते दस सालों में ४९,९७१ यूनिट खून की बर्बादी हुई है। हालांकि, बीते छह महीनों में केवल १,७९८ यूनिट ही खून बर्बाद हुआ है। इस तरह की जानकारी राज्य रक्त आधान परिषद द्वारा सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में दी गई है। इसमें यह भी खुलासा हुआ है कि पिछले कई सालों से ब्लड बैंकों से राज्य रक्त आधान परिषद का समन्वय बेहतर हुआ है। इस कारण हर साल खून की बर्बादी कम हो रही है। फिलहाल, एक अधिकारी ने कहा है कि परिषद को सभी रक्त बैंकों पर नजर रखने और यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि हर साल रक्त की बर्बादी कम हो। एसबीटीसी का ओर से खून की हो रही बर्बादी को रोकने के लिए ब्लड बैंकों को सख्त दिशा-निर्देश जारी किए गए थे, जिस कारण इसके आंकड़ों में कमी आती जा रही है। इसके साथ ही ब्लड बैंकों के बीच समन्वय बेहतर हो रहा है और जिसके पास ज्यादा खून होता है, वे दूसरे ब्लड बैंकों को संपर्क करके पूछता है कि क्या उन्हें खून चाहिए। इसके अलावा रक्तदान शिविर भी आयोजित किए जा रहे हैं।

भावनाओं की भाषा नहीं होती

कहते हैं भावनाओं की कोई भाषा नहीं होती। मौका खुशी का हो या गम का…भावनाएं तो बस आंसू के सहारे बह जाती हैं। शनिवार का दिन इमोशंस से भरा हुआ था। टीम इंडिया की ऐतिहासिक जीत पर तो सभी जश्न मना रहे हैं, लेकिन ऐसे भी कई हैं जिनकी आंखों में खूशी के आंसू देखने को मिले। उनमें से सदी के महानायक हैं। हम सभी जानते हैं कि बिग बी क्रिकेट के कितने बड़े फैन हैं। लेकिन फाइनल मैच इसलिए नहीं देखा क्योंकि उन्हें लगता है कि जब वे ऐसा करते हैं, तो हम हारते हैं! बिग बी भारत की जीत से इतने खुश हुए कि वे अपने आंसू नहीं रोक सके। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा `वर्ल्ड चैंपियन भारत! टी-२० वर्ल्डकप २०२४… एक्साइटमेंट और भावनाएं और आशंका…सब कुछ किया गया और खत्म हो गया। बस टीम की आंसुओं के साथ आंसू बह रहे हैं!’ जहां एक ओर इस जीत पर बिग के आंसू छलक प़ड़े, वहीं इरफान पठान लाइव टीवी पर रो पड़े। उन्होंने फाइनल में जीत दिलाने वाले हर खिलाड़ी को धन्यवाद कहा। उनका एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। पठान ने रोते हुए कहा कि मैं बुमराह का शुक्रगुजार हूं, मैं रोहित शर्मा और हार्दिक पांड्या का शुक्रगुजार हूं। इसके अलावा इरफान पठान ने कहा, `सूर्यकुमार यादव का कैच तो मुझे जिंदगी भर नहीं भूलना। आखिरी सांस चल रही होगी, तब भी मैं सूर्यकुमार यादव का कैच याद रखूंगा।’

मीरा-भायंदर न्यायालय शुरू करो… नहीं तो होगा आंदोलन

सामना संवाददाता / मीरा रोड

मीरा-भायंदर शहर का स्वतंत्र न्यायालय बनकर तैयार है। अब जब भवन बनकर तैयार हो गया है तो राज्य सरकार इसकी कोई सुध नहीं ले रही है। जिसके बाद न्यायालय जल्द से जल्द शुरू हो अन्यथा १५ अगस्त के बाद हम भूख हड़ताल करेंगे, ऐसी चेतावनी ‘भायंदर एडवोकेट एसोसिएशन’ ने दी। ज्ञात हो कि मीरा-भायंदर के लिए एक स्वतंत्र न्ययालय की मांग काफी दिनों से चल रही थी। शहर की आबादी को देखते हुए कनकिया परिसर के साल २०१३ में न्यायालय भवन का निर्माण शुरू किया गया। हालांकि, कई अड़चनों के बाद लगभग ८ वर्ष में तीन मंजिला भवन बनकर तैयार हुआ, लेकिन पिछले दो वर्षों से न्यायालय उद्घाटन का इंतजार कर रहा है। एसोसिएशन का कहना है कि मीरा-भायंदर से प्रति वर्ष लगभग तीन से साढ़े तीन हजार अपराध के मामले एवं लगभग दो हजार सिविल के मामले ठाणे कोर्ट में ट्रांसफर किए जाते हैं। अगर यहां का न्यायालय शुरू हो जाता है तो आम लोगों, पुलिस व अधिवक्ता तीनों का समय का बचेगा।

कोल्डड्रिंक पीना बना काल… नाखून उखाड़े, कान और होंठ पकड़कर खींचे!

-बाप ने बेटी के बॉयफ्रेंड की कर दी बेदम पिटाई

सामना संवाददाता / लखनऊ

कानपुर के बिठूर में नाबालिग बेटी को एक छात्र के साथ कोल्डड्रिंक पीते देख वकील ऐसा आगबबूला हुआ कि उसने अमानवीयता की सारी हदें पार कर दीं। अपने बड़े भाई और साथियों की मदद से छात्र को कार से अगवाकर फार्महाउस ले गया और बेरहमी से पिटाई की। रॉड और डंडे से पीट-पीटकर छात्र की पीठ लाल कर दी। प्लास से उसके पैर के नाखून उखाड़े, कान और होंठ पकड़कर खींचे।
सूचना पर परिजनों के साथ पहुंची पुलिस ने छात्र को मुक्त कराकर हैलट में भर्ती कराया है। पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर वकील और उसके बड़े भाई को गिरफ्तार कर लिया है। तनाव की स्थिति को देखते हुए गांव में पीएसी तैनात की गई है। उधर, गिरफ्तारी के विरोध में शनिवार सुबह वकीलों ने पुलिस कमिश्नर ऑफिस में हंगामा किया। बार एसोसिएशन ने कामकाज ठप कर दिया। बिठूर के एक मोहल्ले में रहने वाले लॉयर्स एसो. के पूर्व उपाध्यक्ष ब्रज नारायण निषाद की १४ साल की बेटी सातवीं कक्षा में पढ़ती है। कल्याणपुर इलाके में कोचिंग पढ़ने जाती है। कोचिंग आने-जाने के दौरान उसकी दोस्ती दूसरे मोहल्ले में अपनी नानी के घर रहने वाले १७ साल के छात्र से हो गई। छात्र ने बैकुंठपुर के एक संस्थान में डी-फार्मा में प्रवेश के लिए हाल में काउसलिंग कराई थी।
बता दें कि शुक्रवार रात को छात्रा और छात्र ईश्वरीगंज बाजार में मिले और कोल्डड्रिंक पीने लगे। उसी दौरान वकील की नजर बेटी पर पड़ी। बेटी को फटकार कर घर भेज दिया और छात्र को बुरा-भला कहने लगा। छात्र के जवाब देने पर अधिवक्ता ब्रज नारायण ने अपने बड़े भाई तेज नारायण और साथियों के साथ उसे अपनी कार में जबरन बैठाकर फार्महाउस ले गया। फार्म हाउस वकील का ही बताया जा रहा। चार बाइकों से भी लोग कार के आगे-पीछे चल रहे थे। फार्महाउस में ले जाकर छात्र को एक कमरे में बंधक बनाकर तीन घंटे तक पीटा। छात्र ने बताया कि उसे जानवरों वाली नांद में डुबोया गया। वकील ने छात्र के पिता को भी फोन कर धमकी दी। पिता की सूचना पर ही देर

कनाडा में नंगी परेड

कनाडा में टोरंटो प्राइड परेड २०२४ विवादों में घिर गई है। इस परेड में कई वयस्क प्रतिभागियों ने नग्न होकर मार्च किया और सार्वजनिक रूप से यौन व्यवहार में शामिल हुए। परेड की वीडियो ऑनलाइन सामने आने के बाद इंटरनेट यूजर्स में गुस्से की लहर दौड़ गई है। वीडियो देखकर कई सोशल मीडिया यूजर्स ने सवाल उठाया कि क्या आप अपने बच्चों को इस मार्च में ले जाएंगे? बता दें कि परंपरागत रूप से प्राइड परेड में परिवार और बच्चे भी शामिल होते हैं। ऐसे में कई लोगों ने कहा कि सार्वजनिक जगह पर इस तरह का यौन प्रदर्शन अनुचित है। कई लोगों ने इस घटना पर नाराजगी व्यक्त की है। उनका कहना है कि इस तरह का स्पष्ट यौन सामग्री एक परिवार के अनुकूल कार्यक्रम के लिए अनुपयुक्त है।

क्लीन बोल्ड : हार्दिक चुंबन

अमिताभ श्रीवास्तव

पूरे फाइनल और उसके पुरस्कार समारोह के बीच जो एक वाकया हुआ उसने न केवल क्रिकेट दुनिया का दिल जीत लिया, बल्कि वो भविष्य की जिम्मेदारी के लिए भी बहुत बड़ा प्यार साबित हुआ है। यह वो क्षण था, जब भावनाएं प्रमुख बनी थीं। वो सारी अफवाहें, विवाद जो आईपीएल में बनी उन सबका तिरोहित हो जाना था, क्योंकि बीच इंटरव्यू में आकर रोहित शर्मा द्वारा हार्दिक पंड्या को चूमना इस बात का संकेत था कि हार्दिक ही था, जिसने रोहित का असल में साथ दिया अन्यथा फाइनल का यह क्षण देखने को नहीं मिलता। रोहित जैसे कप्तान कभी नहीं मिलेंगे। पहला और एकमात्र ऐसा कप्तान है, जिसने खिलाड़ी सदस्यों के साथ-साथ दर्शकों को भी हाथ जोड़कर धन्यवाद अर्पित किया, जिसने अपने दोस्त, अपने जूनियर हार्दिक पंड्या को बीच मैदान जाकर चूम लिया। ये वाकया तब हुआ जब हार्दिक पंड्या मैच के बाद तिरंगा झंडा लिए एक इंटरव्यू दे रहे थे। जीत की खुशी में कप्तान रोहित शर्मा भी वहां जा पहुंचे और हार्दिक पंड्या को चूमते हुए गले से लगा लिया। ये वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। क्रिकेट फैंस इस वीडियो पर जमकर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। इससे बेहतर भावनाओं से भरा क्षण और कहां देखने को मिलेगा जिसमें बड़े भाई की तरह प्यार देखने को मिला।
तिलंगो की विदाई
सैल्यूट के साथ विदा। यदि दो महान बल्लेबाज रोहित और विराट अंतर्राष्ट्रीय मैचों में नहीं दिखेंगे तो कोच राहुल द्रविड़ भी नहीं दिखेंगे। उन्होंने भी विदाई ले ली है, यानी तीन महान शख्सियतों का यह अद्भुत विदाई क्षण है, जब टीम और तिरंगा पूरे विश्व में लहरा रहा है। रोहित शर्मा के टी-२० इंटरनेशनल में सबसे ज्यादा रन हैं। उन्होंने १५९ मैचों में ४,२३१ रन बनाए हैं। वह टी-२० में सबसे ज्यादा शतक जमानेवाले बल्लेबाज भी हैं। उन्होंने टी-२० इंटरनेशनल में पांच शतक लगाए हैं। रोहित ने दो बार टी-२० वर्ल्डकप जीता है। साल २०१० में जिम्बाब्वे के खिलाफ विराट कोहली ने हरारे में टी-२० डेब्यू किया था। वह अब तक १२४ टी-२० इंटरनेशनल मैच खेल चुके हैं और ४,११२ रन बनाए हैं। कोहली के नाम इस फॉर्मेट में एक शतक और ३७ अर्धशतक दर्ज हैं। कोहली इस दौरान ३१ बार नाबाद रहे हैं। टी-२० में उनका औसत ४८.२२ का रहा है। वह इस फॉर्मेट में ४ विकेट भी हासिल कर चुके हैं। द्रविड़ ने टीम इंडिया को २०२३ एशिया कप का चैंपियन बनवाया लेकिन बड़े आईसीसी टूर्नामेंट में हार ही मिली। टेस्ट विश्व चैंपियनशिप २०२३ का फाइनल, वनडे वर्ल्डकप २०२३ का फाइनल हारे, जबकि टी-२० वर्ल्डकप २०२२ के सेमीफाइनल में नाकाम रहे और इसी तरह एशिया कप २०२२ में भी फाइनल तक नहीं पहुंच सके थे। लेकिन राहुल द्रविड़ के कोचिंग कार्यकाल का आखिरी दिन कमाल रहा। टीम इंडिया टी-२० वर्ल्डकप जीती और अब वो वर्ल्ड चैंपियन कोच कहलाए जाएंगे।
किसकी वजह से जीते?
जबसे हिंदुस्थान विश्वकप फाइनल जीता है क्रिकेट जगत में तरह-तरह की बातें हो रही हैं। कोई कह रहा इंडिया सूर्यकुमार के कैच से जीता है तो कोई कह रहा है अक्षर के उन ४७ रनों से जीता जो विराट कोहली के साथ बनाए थे। कोई कह रहा रोहित की कप्तानी के कारण जीता तो कोई कह रहा बुमराह की गेंदबाजी के कारण जीता। कोई यह भी कह रहा है कि विराट के रहते जीत दर्ज हो पाई तो कोई कह रहा अर्शदीप के १९वें ओवर के कारण फाइनल जीते। कोई कोच राहुल द्रविड़ के कारण विजयश्री बता रहा है तो कोई हार्दिक पंड्या के आखिरी ओवर को दिमागी ओवर बता रहा है। दरअसल, टीम इंडिया किसी एक कारण से नहीं जीती है बल्कि पूरी टीम इसकी हकदार है। अव्वल किसी भी जीत के लिए जो जरूरी एलिमेंट होता है वो है कप्तान को टीम सदस्यों का साथ। रोहित शर्मा ने जब यह कहा कि लड़कों ने मेरा साथ दिया तो कई सारी बातें खुलकर सामने आ खड़ी हुईं। ये जो साथ देने की बात है वो होती है जीतने की इच्छा शक्ति से, जिद से और अपना शत-प्रतिशत देने से। टीम के हर एक खिलाड़ी ने अपना पूरा योगदान दिया है। पंत को भूल नहीं सकते, कोहली को नजरअंदाज किया ही नहीं जा सकता। शिवम दुबे की आलोचना भले हो, मगर फाइनल में उनकी भागीदारी अहम रही। कुलदीप यादव को परे रख ही नहीं सकते। जडेजा को कैसे भूल सकते हैं। कुल मिलाकर टीम का कोई एक खिलाड़ी महत्वपूर्ण बनकर नहीं निकला, बल्कि पूरी टीम महत्वपूर्ण बनी और विजेता ऐसे ही बना जा सकता है।
(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार व टिप्पणीकार हैं।)

श्राद्ध की चल रही थी तैयारी… युवक गर्लफ्रेंड के साथ पकड़ाया!

बिहार के वैशाली में ऐसा मामला सामने आया है, जिसे सुनकर पुलिस से लेकर परिजन भी हैरान हैं। जिले के गंगा ब्रिज थाना क्षेत्र में पिछले सप्ताह जिस युवक का शव मिलने के बाद परिजनों ने थाना के बाहर हंगामा किया और उसका अंतिम संस्कार कर श्राद्ध कर्म की तैयारी कर रहे थे, वो युवक अपनी प्रेमिका के साथ जिंदा बरामद हुआ है। दोनों को जिंदा देख परिवार के लोग हैरान रह गए। मिली जानकारी के अनुसार, बीते १८ जून को २१ वर्षीय युवक अचानक लापता हो गया। इसके तीन दिन बाद २१ जून को किसी ने सूचना दी कि सन्नी की हत्या कर शव को जलाकर समस्तीपुर जिले के मोहनपुर थाना क्षेत्र में फेंक दिया गया है। परिजनों ने थाना पहुंचकर शव की शिनाख्त भी की, जिसके बाद परिजनों ने बेटे की हत्या की एफआईआर दर्ज कराई और आरोप लड़की के घर वालों पर लगाया। युवक की मौत के बाद २१ जून को हाजीपुर कोनहारा घाट पर उसका दाह संस्कार कर दिया था। उसी दौरान हाजीपुर से लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर दूर बक्सर में युवक अपनी गर्लफ्रेंड से शादी करने के बाद जिंदगी की नई शुरुआत करने जा रहा था। युवक की तलाश में जुटी पुलिस को सूचना मिली उसके बाद दोनों को पकड़ लिया। फिलहाल, पुलिस सारे तथ्यों के आधार पर मामले की तहकीकात करने में जुटी है।

राजस्थान का रण : राजस्थान में आया पोपाबाई राज!

गजेंद्र भंडारी

भजनलाल सरकार पर लगातार कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा हमलावर हैं। डोटासरा ने बीजेपी को जमकर घेरा। उन्होंने भजनलाल सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि राजस्थान में तो पोपाबाई राज आ गया। यहां किसी मंत्री को नहीं पता कि क्या चल रहा है? डोटासरा ने सरकार पर युवाओं को नौकरी न देने पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि सरकार ने ७ महीने में खुद की निकाली भर्ती में ७ लोगों को नौकरी नहीं दी और सीएम खुद ही अपनी पीठ थपाथपा रहे हैं। भजनलाल सरकार को लेकर डोटासरा ने कहा कि सरकार में खींचतान बनी हुई है। यहां ६ महीने में खींचतान शुरू हो गई। डोटासरा ने कहा कि यहां कौन मंत्री रहेगा, कौन मुख्यमंत्री ढूंढ़ने में १० दिन लगा दिए थे, लेकिन अब काम नहीं कर पा रहे हैं। झुंझुनू में यमुना के पानी को लेकर सीएम ने आश्वासन दिया। इस पर डोटासरा ने कहा कि सीएम कह रहे हैं कि यमुना का पानी लाएंगे, कब ला देंगे, ला दीजिए, पता नहीं कब पर्ची बदल जाए और दिल्ली से फरमान आ जाए। डोटासरा ने तंज कसते हुए कहा कि जो करना है कर दीजिए, अगर पानी ऐसे नहीं आ रहा तो एक मटका भरकर ला दीजिए। डोटासरा ने कहा कि कुंभाराम परियोजना को आगे बढ़ाए बिना यमुना का पानी नहीं आएगा।
दिलावर ने मारी पलटी
आदिवासी समाज को लेकर शिक्षामंत्री मदन दिलावर के बयान के बाद सियासत कम नहीं हो रही है। रविवार को जयपुर में बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत ने मदन के आवास पहुंचकर डीएनए के लिए ब्लड सैंपल देने का प्रयास किया। हालांकि, उन्होंने पुलिसकर्मियों की मदद से अपना ब्लड सैंपल सौंपा। इसी बीच पूरे मामले को लेकर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने एक बार फिर आदिवासियों को लेकर बयान देते हुए कहा कि इस देश में रहने वाले सभी लोग आदिवासी हैं और आदिवासी सबसे श्रेष्ठ हैं। दिलावर ने कहा कि इस देश में रहने वाले सभी जाति के लोग आदिवासी रहे हैं, इस देश में अनादि काल से रहने वाले लोग आदिवासी हैं और मैं भी आदिवासी हूं। मदन दिलावर ने कहा कि इस देश में रहने वाले ब्राह्मण, राजपूत और सभी वर्ग आदिवासी रहे हैं और आदिवासी हमेशा से ही पूजनीय रहे हैं और देश में रहने वाले सभी आदिवासियों का हम सम्मान करते हैं। पहले शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने अपने एक बयान में कहा था कि जो आदिवासी खुद को हिंदू नहीं मानते उन्हें डीएनए टेस्ट करवा लेना चाहिए कि उनका बाप कौन है, जिसके बाद मामला काफी गरमा गया और आदिवासी पार्टी ने इस बयान पर आपत्ति जताते हुए मदन दिलावर से माफी मांगने को कहा। इसके बाद शनिवार को आदिवासी पार्टी की ओर से विरोध प्रदर्शन कर शिक्षा मंत्री से इस्तीफा की मांग रखी गई।
अपनों से ही परेशान
लोकसभा चुनाव के बाद एक बार फिर दौसा में सियासत का टेंपरेचर हाई हो गया है। वैâबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के इस्तीफा देने वाले बयान पर राजनीति अभी थमी भी नहीं थी कि दौसा बीजेपी के पूर्व जिला अध्यक्ष अमर सिंह कसाना के बयान ने हलचल मचा दी है। कसाना ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखकर विधानसभा उपचुनाव से पहले सियासत को गरमा दिया है। उन्होंने कहा है कि दौसा जिला भाजपा अध्यक्ष समेत पूरे संगठन को लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार को देखते हुए नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए। इनको पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है। अगर इन्होंने समय रहते हुए इस्तीफा नहीं दिया तो आने वाले विधानसभा उपचुनाव में दौसा की सीट पर बीजेपी को भारी नुकसान होगा। कसाना ने पार्टी के शीर्ष पदाधिकारियों को अपील करते हुए लिखा कि मैं प्रदेश नेतृत्व और राष्ट्रीय नेतृत्व से आग्रह करना चाहता हूं कि भाजपा की दौसा में स्थिति बहुत खराब है इसलिए संगठन पर विशेष ध्यान दें। दौसा सीट पर बैरवा, गुर्जर या मीना को टिकट दिया तो भाजपा की जीत होगी अन्यथा जातीय समीकरणों के आधार पर भाजपा की हार लगभग तय है। दौसा सीट परिणाम में कांग्रेस के मुरारी लाल मीणा ने दौसा लोकसभा क्षेत्र से जीत दर्ज की और बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा। अब हार के बाद पूर्व जिला अध्यक्ष द्वारा सोशल मीडिया पर लिखी गई पोस्ट ने बीजेपी नेताओं में हलचल पैदा कर दी है।

मेहनतकश : गरीबी से निकल जगा रहे शिक्षा की अलख

सगीर अंसारी

कहते हैं शिक्षा किसी की मोहताज नहीं होती। शिक्षा के बल पर इंसान फर्श से अर्श तक पहुंच जाता है। इसी कड़ी में डॉक्टर सत्तार खान ने भी गरीबी झेलते हुए शिक्षा ग्रहण की और आज उच्च मुकाम तक पहुंच गए हैं। वे जब छोटे थे तब अपनी मां के साथ वर्ष १९७४ मैं मुंबई आए। यहां आने के बाद वे कुर्ला इलाके में अपने मामा के घर पर रहकर चौथी कक्षा से पढ़ाई शुरू की। बाद में चेंबूर के मुक्तानंद हाई स्कूल से दसवीं की परीक्षा देने के बाद वे यशवंत राव चव्हाण मुक्त विद्यापीठ से बीए तक की शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से एमए किया। इसी तरह वर्ष २०१८ में एलएलबी भी पूरा किया। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी में प्रवेश किया। डॉ. सत्तार खान के अनुसार, उन्होंने सबसे पहले तत्कालीन विधायक व महाराष्ट्र राज्य के शिक्षा मंत्री प्रो. जावेद खान के साथ कार्यकर्ता के रूप में काम शुरू किया। इसी दौरान सत्तार खान की शादी हुई और वे चार बच्चों के पिता बने, जिनमें दो पुत्र और दो पुत्री हैं। डॉक्टर सत्तार खान ने उन्हें भी उच्च शिक्षा दिलाई। अपने बच्चों की परवरिश के साथ-साथ डॉ. सत्तार खान ने समाज में अनेक बच्चों की शिक्षा के लिए भी काम किया, जिनमें से कुछ इंजीनियर तो कुछ एडवोकेट बनकर कार्य कर रहे हैं। सामाजिक कार्यों के दम पर डॉ. सत्तार खान को साल २०१८ में कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट (पीएचडी) की उपाधि मिली। शिक्षा व सामाजिक कार्यों में रुचि रखनेवाले डॉ. सत्तार खान को दिल्ली स्थित वर्ल्ड ह्यूमन राइट यूनिवर्सिटी की तरफ से वर्ष २०२२ में दोबारा पीएचडी से नवाजा गया। एडवोकेट के तौर पर अदालत में प्रैक्टिस करनेवाले डॉक्टर सत्तार खान ने कांग्रेस पार्टी के रोजगार एवं स्वयंरोजगार सेल के मुंबई महासचिव पद पर रहकर अनेक बेरोजगार युवाओं को रोजगार दिलवाया। उनके इस कार्य में मुंबई कांग्रेस कमेटी अध्यक्षा प्रो. वर्षा गायकवाड का भी काफी सहयोग मिला, साथ ही पार्टी में रहकर उन्होंने स्थानीय रहिवासियों की समस्याओं को लेकर अधिकारियों व नेताओं के सामने आवाज बुलंद की। लोगों की चाहे छोटी समस्या हो या बड़ी, वे कभी भी सहायता करने से पीछे नहीं हटे। लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर उनके हक की लड़ाई लड़ी। कई शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े हुए डॉ. सत्तार खान ने शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई सामाजिक संस्थाओं के साथ जुड़कर अपने काम को अंजाम दे रहे हैं। गोवंडी और चेंबूर रेलवे स्टेशन के बीच में रेलवे लाइन पार करने के दौरान कई विद्यार्थियों और नागरिकों की जान चली जाती थी, इस जगह पर पादचारी पुल के निर्माण को लेकर उन्होंने ७ वर्षों तक संघर्ष किया। आखिरकार, वहां पुल बनवाकर ही दम लिया।