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सियासतनामा : पर कतर दो!

सैयद सलमान मुंबई

पूरे देश में ४०० पार का नारा देने वाली भाजपा को मुंबई में अपने वर्तमान सांसदों पर ही भरोसा नहीं रहा, तभी तो उसने अपने कोटे की तीन सीटों के सभी सांसदों के टिकट काटकर नए उम्मीदवार उतारे हैं। पहले उत्तर मुंबई से गोपाल शेट्टी का टिकट काट कर पीयूष गोयल को, फिर उत्तर-पूर्व मुंबई से मनोज कोटक का टिकट काटकर मिहिर कोटेचा को और अब पूनम महाजन का टिकट काटकर उज्ज्वल निकम को उम्मीदवारी दी गई है। अपने समय में भाजपा के सबसे विश्वस्त रणनीतिकार और अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर लालकृष्ण आडवाणी तक के नजदीकी रहे प्रमोद महाजन की बेटी का टिकट काटकर भाजपा ने `मतलब निकल गया है तो पहचानते नहीं’ वाले गीत को सच कर दिखाया है। भाजपा वैसे भी अपने साथी दलों को खोखला कर देने के लिए कुख्यात है। इससे पहले वह मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी स्थापित नेताओं को हटाकर नए चेहरों को मुख्यमंत्री पद पर बिठा चुकी है। भाजपा की यह रणनीति है कि सहयोगी दल हो या बढ़ते कद का नेता, उसके पर कतर दो।
मूड भांपने वाली मशीन
लोकसभा चुनाव २०२४ के दूसरे चरण में १३ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की ८८ सीटों पर मतदान संपन्न हुआ। इस बार का वोटिंग ट्रेंड पहले चरण के चुनाव से भी खराब रहा। इस गिरते वोटिंग प्रतिशत से सभी राजनीतिक दलों का आकलन गड़बड़ा रहा है। राजनीतिक दलों के साथ-साथ चुनाव आयोग भी इस बात को लेकर चिंतित है कि लोग वोट देने के लिए घर से नहीं निकल रहे हैं। खासकर हिंदी भाषी राज्यों में मतदाता मतदान के मामले में बेहद नीरस रवैया अपना रहे हैं। सियासी जानकार इसे सत्तापक्ष के प्रति जनता की उदासीनता बता रहे हैं। पीएम मोदी और उनके सिपहसालारों के लच्छेदार भाषणों से लोग उकता गए हैं। जब विपक्ष पूरे जोर-शोर से अपना प्रचार कर रहा है तो सरकार समर्थकों का अपनी प्रिय सरकार को बचाने के लिए न निकलना पूरी कहानी कह रहा है। पिछले दस सालों में जनहितार्थ से अधिक भाजपा हितार्थ कार्य ज्यादा हुए हैं। ऐसे में जनता का रूखापन सामने आ रहा है। वैसे जनता का मूड भांपने वाली मशीन अभी नहीं बनी है।
हेमा, महारानी और अहंकार
भाजपा के लोगों की बौखलाहट बढ़ती जा रही है। झूठ और जुमले हवा में उछालते नेता मिल ही जाएंगे। इसके अलावा उनके प्रत्याशी और प्रचार करने वालों के तेवर भी देखने को मिल रहे हैं। एक हैं हेमा मालिनी जो मथुरा से एक बार फिर चुनावी मैदान में हैं। जनता के बीच जाने के मुद्दे पर उनका जवाब वाला वीडियो खूब वायरल हो रहा है, जिसमें वे कहती पाई जाती हैं कि, `मेरा काम ये नहीं है कि मैं लोगों के घर-घर जाकर उनके साथ बैठूं। जब जरूरत लगती है तो जाती हूं। रोज क्यों जाऊं, लोगों के बीच बैठूंगी तो फोटो ही खीचेंगे?’ ऐसा ही कुछ एमपी के गुना से चुनाव लड़ रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वे पानी की समस्या को लेकर महिलाओं की शिकायत का बेहद रूखेपन से जवाब देते नजर आती हैं, वो भी कार में बैठे-बैठे। महिलाएं कह रही हैं कि समस्या लिख लें तो उनका जवाब होता है, `अपना काम खुद करना सीखो।’ आखिर यह अहंकार नहीं तो क्या है? हेमा और महारानी के इस अहंकार पर भाजपा नेता मौन हैं।
जौनपुर की जंग
उत्तर प्रदेश की जौनपुर सीट का सियासी गणित पूरी तरह उथल-पुथल भरा हो गया है। खासकर बाहुबली के रूप में विख्यात पूर्व सांसद धनंजय सिंह की गिरफ्तारी और उनको मिली हालिया जमानत ने जौनपुर को और भी हॉट सीट बना दिया है। इस सीट से भाजपा ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्यमंत्री और कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए कृपाशंकर सिंह को, समाजवादी पार्टी ने पूर्व बसपा नेता और मायावती सरकार में मंत्री रह चुके बाबू सिंह कुशवाहा को और बसपा ने धनंजय की पत्नी श्रीकला सिंह को प्रत्याशी बनाया है। यानी जौनपुर का जंगी मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। कृपाशंकर सिंह को भाजपा का टिकट मिलने की घोषणा के बाद हुई धनंजय सिंह की गिरफ्तारी ने कृपाशंकर सिंह की राह को मुश्किल बनाया था। अब जमानत पर रिहा होकर वह और भी खुलकर भाजपा का विरोध करेंगे। हालांकि, मुंबई से कई टीम कृपाशंकर सिंह के प्रचार के लिए यूपी जाने वाली है, लेकिन धनंजय के साथ रिश्तों की वजह से कई लोग जौनपुर जाने से कन्नी भी काट रहे हैं। कृपाशंकर सिंह को अब शायद अपने-पराए की समझ आ जाए।

(लेखक मुंबई विश्वविद्यालय, गरवारे संस्थान के हिंदी पत्रकारिता विभाग में समन्वयक हैं। देश के प्रमुख प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं।)

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