मुख्यपृष्ठस्तंभझांकी : कर्नाटक में भी डिब्बा गोल!

झांकी : कर्नाटक में भी डिब्बा गोल!

अजय भट्टाचार्य

चुनाव प्रचार से ज्यादा कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा समेत भाजपा के वरिष्ठ नेता पार्टी के भीतर नाखुश नेताओं को मनाने में लगे हुए हैं। हरिहर विधायक बीपी हरीश, पूर्व विधायक जगलुरु रामचंद्रप्पा सहित दावणगेरे के नेताओं से बातचीत करने और उन्हें समझाने में नेताओं के पसीने छूट रहे हैं। येदियुरप्पा के निवास पर हुई बैठक में दावणगेरे के स्थानीय भाजपा नेता इस बात से नाखुश हैं कि मौजूदा सांसद की पत्नी गायत्री सिद्धेश्वरा को इस सीट से चुना गया है। पूर्व विधायक एमपी रेणुकाचार्य और एसए रवींद्रनाथ बैठक में नहीं थे। येदियुरप्पा इन नेताओं से मिलने और उन्हें मनाने के लिए जल्द ही दावणगेरे जाएंगे। कोप्पल के सांसद कराडी संगन्ना और उनके समर्थकों ने पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से मुलाकात की, जिन्होंने उन्हें शांत करने की कोशिश की। हावेरी से उम्मीदवार बोम्मई ने कहा कि सांसद के अनुयायियों ने उन्हें अपने नेता के साथ हुए अन्याय के बारे में बताया। जब से पार्टी ने केंद्रीय राज्य मंत्री भगवंत खुबा को बीदर से उम्मीदवार घोषित किया है, तब से पूर्व मंत्री प्रभु चव्हाण सहित भाजपा नेताओं में असंतोष है। विपक्ष के नेता आर अशोक उन्हें मनाने में लगे हैं। प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र, मंगलवार को मांड्या दौरे पर थे और भाजपा कार्यकर्ताओं को जेडीएस उम्मीदवार का साथ देने के लिए मनाने में लगे रहे। इधर शिवमोगा में वरिष्ठ भाजपा नेता केएस ईश्वरप्पा ने निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ने का पैâसला किया है। भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए किस पक्ष का चयन करना है, किसे समर्थन देना है और जनता से वोट मांगना एक सिर दर्द है।

गुजरात में ये क्या हो रहा है?
भाजपा तो गई…
गुजरात में भाजपा के आधा दर्जन लोकसभा उम्मीदवारों के खिलाफ पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ता सड़कों पर हैं। वडोदरा, साबरकांठा, सुरेंद्रनगर, राजकोट, पोरबंदर और वलसाड सीट पर पार्टी द्वारा उतारे गए प्रत्याशियों के खिलाफ पोस्टर लगाए जा रहे हैं, कहीं चक्का जाम कर विरोध जताया जा रहा है। वडोदरा से दो बार की सांसद रंजन भट्ट को तीसरी बार उम्मीदवारी देने के खिलाफ राष्ट्रीय महिला मोर्चा की पूर्व उपाध्यक्ष ज्योति पंड्या ने मोर्चा खोला तो पार्टी ने निलंबित कर दिया, फिर भी विरोध नहीं थमा। वडोदरा की गलियों में रंजन भट्ट के खिलाफ पोस्टर लग गए। विरोध बढ़ा तो रंजन भट्ट ने खुद चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। अब उनकी जगह हेमांग जोशी को उम्मीदवार बनाया गया है। पोरबंदर में केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया के खिलाफ भी पोस्टर बैनर लगे हैं। मांडविया भावनगर के रहने वाले हैं और उनकी पोरबंदर की उम्मीदवारी पर कार्यकर्ता खफा हैं। सुरेंद्रनगर में मोरबी में रहने वाले चंदू सीहोर को पार्टी ने पैराशूट उम्मीदवार बनाया, जिसका विरोध हो रहा है। सुरेंद्रनगर में कोली समाज के लोगों की संख्या ज्यादा है वे अपने समाज का उम्मीदवार चाहते हैं। साबरकांठा से पार्टी ने पहले भीखाजी ठाकोर को उम्मीदवार बनाया था। विरोध के बाद अब वहां से शोभना बारैया को उम्मीदवार बनाया गया है, जिससे भीखाजी के समर्थक उनका विरोध कर रहे हैं। वलसाड में भी धवल पटेल की उम्मीदवारी के खिलाफ सोशल मीडिया पर पत्र वायरल हो रहे हैं। इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटील ने स्थानीय कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाकर मामला शांत करने का प्रयास किया है।

केरल में भी भाजपा कटघरे में
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने `भारत माता की जय’ और `जय हिंद’ के नारों को लेकर भाजपा को घेरा है। विजयन के मुताबिक, सबसे पहले दो मुसलमानों ने ये नारे लगाए थे। क्या संघ परिवार उन्हें छोड़ने के लिए तैयार होगा। विजयन के अनुसार अजीम उल्लाह खान नाम के एक मुस्लिम व्यक्ति ने `भारत माता की जय’ का नारा दिया था। आबिद हसन नाम के एक पुराने राजनयिक ने सबसे पहले `जय हिंद’ का नारा लगाया था। अजीम उल्लाह खान १८५७ के गदर के मुख्य नायकों में एक थे और वे नानाजी पेशवा के बहुत करीबी थे। उन्होंने ही भारत माता की जय का नारा दिया था। उन्होंने एक अखबार `पयाम-ए-आजादी’ निकाला, जिससे क्रांति और विद्रोह का प्रचार होता था। यह अखबार हिंदी, उर्दू और मराठी में निकला था। इसी अखबार में उन्होंने मादरे वतन भारत की जय का नारा लिखा था, जिसका शाब्दिक अर्थ `मातृभूमि भारत की जय’ या `भारत माता की जय’ होता है। भारतीय सुरक्षाबलों, अर्धसैनिक बलों में जो नारा अभिवादन के तौर पर प्रयोग किया जाता है। उस जय हिंद के प्रणेता आबिद हसन सफरानी थे, जो नेताजी सुभाषचंद्र बोस के सहयोगी थे। आजादी के बाद वे कई देशों के राजदूत रहे।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)

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