श्रीकिशोर शाही
चुनाव आते ही लोगों की विचारधाराओं में बड़ी तेजी के साथ परिवर्तन होने लगते हैं। कभी इस पार्टी में तो कभी उस पार्टी में ऐसा नजारा काफी देखने को मिल रहा है। पार्टी बदलने के बाद नेताजी तुरंत फर्मा देते हैं कि उन्हें फलां पार्टी की विचारधारा रास नहीं आ रही थी। झारखंड में एक नेता हैं रामटहल चौधरी। रामटहल पांच बार भाजपा के सांसद रह चुके हैं, मगर इस बार उन्हें भाजपा ने टिकट नहीं दिया। टिकट तो खैर पिछली बार २०१९ में भी नहीं मिला था और वे रांची से निर्दलीय चुनाव लड़ गए थे, तब उन्हें सिर्फ २९,५९७ वोट मिले थे और उनकी जमानत जप्त हो गई थी। खैर, इस बार उन्हें उम्मीद थी कि टिकट मिल जाएगा, मगर किसी ने भाव ही नहीं दिया। इसके बाद पिछले महीने उन्होंने कांग्रेस से सेटिंग की और पार्टी की सदस्यता ले ली थी और टिकट मिलने का इंतजार कर रहे थे। उनका कहना था कि वे कांग्रेस की विचारधारा से प्रभावित होकर पार्टी में आए हैं, मगर एक महीने में ही उन्होंने इस विचारधारा को तिलांजलि दे दी। दरअसल, रांची से इस बार सुबोधकांत सहाय की बेटी यशस्विनी सहाय को कांग्रेस ने टिकट दे दिया। इससे रामटहल काफी आहत हो गए। अब उन्होंने एक बार फिर कांग्रेस छोड़ दी है। माना जा रहा है कि रामटहल चौधरी निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं। इस बारे में पूछे जाने पर उनका कहना है कि वह कार्यकर्ताओं से सलाह-मशविरा करने के बाद ही कोई पैâसला करेंगे। चलिए हम भी उनके अगले कदम का इंतजार करते हैं।
कम मतदान से नीतिश एक्टिव हुए
अभी तक दो चरण में मतदान हो चुके हैं। दोनों चरणों में मतों का प्रतिशत काफी कम रहा है। इससे सभी नेताओं के होश ठिकाने लगे हुए हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार भी कम वोटिंग से काफी चिंतित और परेशान हैं। यही कारण है कि अब वे अचानक एक्टिव हो गए हैं। बिहार में अब तीसरे चरण में खगड़िया, अररिया, सुपौल, मधेपुरा और झंझारपुर में ७ मई को मतदान होना है। ऐसे में नीतिश अचानक जदयू कार्यालय पहुंचे और इन लोकसभा कार्य क्षेत्र के संबंधित कार्यकर्ताओं और नेताओं से उन्होंने वर्चुअल मीटिंग की। इस मीटिंग में मुख्यमंत्री साहब ने कहा कि आप लोग जनता के बीच जाइए और उन्हें हमारे काम बताइए। घर में बैठने से काम नहीं चलेगा न सिर्फ लोगों को काम बताना है, बल्कि उन्हें पोलिंग बूथ तक भी लाना है। इस दौरान नीतिश कुमार एक विधानसभा से करीब २०० से ढाई सौ लोगों से रूबरू हुए। असल में मुख्यमंत्री को भी समझ में आ गया है कि दोनों चरण में जो मतदान हुआ है, उसमें एनडीए पिछड़ रही है। ऐसे में अगर ध्यान नहीं दिया गया तो बिहार में एनडीए की लुटिया डूब सकती है।
आम आदमी का है जमाना
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भले ही शराब घोटाले के आरोप में जेल में बंद हैं, मगर इससे पार्टी की लोकप्रियता पर कोई असर नहीं पड़ा है। खासकर, पंजाब में तो लोकप्रियता एक तरह से बढ़ रही है। हाल ही में खबर आई कि पंजाब में भाजपा और अकाली दल के कई बड़े नेता आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए। इनमें भाजपा के अन्य पिछड़ा वर्ग विंग के सचिव कुलदीप सिंह शंटी, शिरोमणि अकाली दल के अनुसूचित जाति विंग के महासचिव गुरदर्शन लाल प्रमुख हैं। ये अपने साथ हजारों कार्यकर्ताओं को लेकर `आप’ में आए हैं। इन नेताओं को मुख्यमंत्री भगवंत मान ने औपचारिक रूप से पार्टी में शामिल कर लिया है। इस दौरान जालंधर से `आप’ के लोकसभा प्रत्याशी पवन कुमार टीनू और वरिष्ठ आप नेता राजेंद्र कौर थियारा उपस्थित थे। शंटी व गुरुदर्शन लाल दोआबा क्षेत्र के हैं। इन दोनों नेताओं की जनता पर अच्छी पकड़ बताई जाती है। अब मुख्यमंत्री मान का कहना है कि २ साल में `आप’ की सरकार के काम से प्रभावित होकर हर वर्ग के लोग लगातार पार्टी में जुड़ रहे हैं, ऐसे में मान को विश्वास है कि राज्य में पार्टी पंजाब में १३-० से लोकसभा चुनाव स्वीप कर इतिहास रचेगी।