मुख्यपृष्ठराजनीति...जब 'बागी' गनपत सहाय ने केसी पंत को हराकर मार ली बाजी!

…जब ‘बागी’ गनपत सहाय ने केसी पंत को हराकर मार ली बाजी!

– सुलतानपुरिया बड़े लड़इय्या

विक्रम सिंह / सुलतानपुर

अवध का सुलतानपुर जिला राजनीति में अपनी ‘खुद्दारी’ को लेकर भी काफी मशहूर है। वक़्त और हालात में यूं तो काफी परिवर्तन आ चुका है, लेकिन जब भी चुनावी मौसम गरम होता है तो स्थानीय बनाम बाहरी का मुद्दा भी किसी न किसी बहाने अवश्य उठ ही जाता है। सबसे रोचक व रोमांचक वाकया है सन १९६१ का। आजादी के बाद सन १९५७ में कांग्रेस ने महामना मदन मोहन मालवीय के पुत्र गोविंद मालवीय को सुलतानपुर सीट से चुनावी मैदान में उतारा, अच्छे वोट हासिल किए उन्होंने और जीत भी दर्ज की।
दुर्भाग्य, कुछ वर्षों के भीतर ही उनका असामयिक निधन हो गया। नतीजतन १९६१ में उपचुनाव हुआ, जिसमें यूपी (तत्कालीन संयुक्त प्रांत) के प्रथम मुख्यमंत्री व अग्रणी राजनेता रहे स्व. गोविंद बल्लभ पंत के पुत्र कृष्णचंद्र पंत को कांग्रेस ने पंडित जवाहर लाल नेहरू की इच्छा पर अपना उम्मीदवार बनाया, जिससे स्थानीय राजनीतिकों में असंतोष व्याप्त हो गया, क्योंकि कांग्रेस हाईकमान ने मालवीय के बाद पुनः स्थानीय नेता की जगह प्रत्याशी चयन में बाहरी नेता को प्राथमिकता दी थी।..और गरमा उठा ‘स्थानीय बनाम बाहरी’ का मुद्दा। कांग्रेस के स्थानीय धुरंधर बाबू गनपत सहाय ने बगावत कर दी। वे उतर पड़े बागी बनकर निर्दल ही मैदान में। वे सुलतानपुर जिला पंचायत अध्यक्ष, पालिकाध्यक्ष व विधायक रह चुके थे। अधिवक्ता भी थे वे और उनकी जनता में खासी पकड़ थी। पंत को चूंकि पंडित नेहरू की इच्छा पर उतारा था चुनाव में, इसलिये तत्कालीन सीएम चंद्रभान गुप्त सहित कांग्रेस के तमाम नेता भी जुट गए के सी पंत के प्रचार में।
सुलतानपुर का वो उपचुनाव देखते-देखते ‘हाईप्रोफाइल’ हो उठा। पहले रोचक और फिर रोमांचक ! मतदान हुआ जमकर। मतगणना के बाद परिणाम आया।…तो ‘बागी’ गनपत सहाय ने मार ली बाज़ी। उन्होंने १११९ मतों से कांग्रेस के कृष्णचंद्र पंत को हराकर निर्वाचित घोषित किए गए। चुनावी आंकड़ों के अनुसार, कांग्रेस उम्मीदवार पंत को मिले ३६,६५६ मत, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी निर्दल गनपत सहाय ने प्राप्त किए ३७,७८५ मत। ऐतिहासिक चुनाव था ये, जिसने एक सबक दिया राजनीतिक दलों को। हालांकि, कुछ वक्त के बाद पुनः चुनावी सियासत उसी पुराने ढर्रे पर लौट गई।

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