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यूपी में गुंडाराज

दिल्ली से
योगेश कुमार सोनी

जहां एक ओर भारतीय जनता पार्टी देश में क्राइम की स्थिति शून्य बताने में लगी रहती है, वहीं दूसरी ओर देश की प्रक्रिया को संचालित करने वाले अहम पेशे पर हमला हुआ। बीते मंगलवार लखनऊ के पॉश इलाके में एक जज पर हुए जानलेवा हमले को लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने योगी सरकार की अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर सवाल उठाए हैं। इस मामले पर अखिलेश ने यूपी सरकार पर भी सवाल उठाते हुए यह भी कहा कि ऐसे अपराधियों को विशेष छूट दी जाती है क्या? और यह भी कहा कि राजधानी लखनऊ में खुलेआम ऐसे बदमाश सड़कों पर कैसे घूम रहे हैं? आम आदमियों के साथ हुई घटना को लेकर तो शासन-प्रशासन कितना सजग है यह सबको भली-भांति पता है। अब अपराधियों के हौसले इतने बढ़ गए हैं कि राजधानी के सबसे महत्वपूर्ण इलाके में सरेआम न्यायाधीश को गाड़ी से उतारकर उनका गला दबा रहे हैं। इस मामले को लेकर योगी सरकार पर कई सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं। जब से यूपी में भाजपा की सरकार आई है, तब से लेकर अब तक सरकार यही चिल्ला रही है कि प्रदेश में गुंडों व माफियाओं का राज खत्म हो गया, लेकिन हकीकत क्या है, यह सबके सामने है। यदि बीते मंगलवार की घटना का चित्रण करें तो शाम के समय डालीबाग इलाके में एक कार सवार आया और उसने जज की कार रोकी व हमला कर दिया। उसने पहले अपनी कार से उनकी गाड़ी में टक्कर मारी और फिर उन्हें घसीटकर बाहर निकाल लिया। मारपीट करने के बाद जज की गला दबाकर हत्या करने की भी कोशिश की। अर्दली नहीं होता तो जान जा सकती थी। जज की तहरीर पर बुधवार शाम हजरतगंज पुलिस ने कार नंबर के आधार पर हत्या के प्रयास व अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज की है। यह दृश्य कितने भयावह होंगे इसका अंदाजा आप पढ़कर ही लगा सकते हैं। दूसरी सरकारों का इस मामले को भाजपा ने खूब घेराव किया था और लोगों के दिलों बाकी पार्टियों के प्रति नफरत का माहौल बनाकर अपनी सरकार बनाई। यदि यूपी के परिवेश की बात करें तो यहां माफियाओं व गैंगस्टरों के हौसले हमेशा बुलंद रहे हैं और यह मुद्दा हमेशा गर्माया है, लेकिन इस पर पूर्ण रूप से कोई भी सरकार काम नहीं कर पाई। योगी ने अपनी आक्रामक शैली से लोगों को आकर्षित तो किया, लेकिन वो भी विफल होते दिख रहे हैं। लोगों का मानना है कि गुंडाराज तो अभी भी है, लेकिन उनकी बातें बाहर नहीं आ पाती हैं। चूंकि सरकार को आंकड़ों से बचना होता है। अभी भी ऐसी तमाम जगह हैं, जहां आंतरिक रूप से माफिया व गैंगस्टर एक्टिव हैं। बीते अप्रैल में आगरा के एक हिस्ट्रीशीटर ने दस लाख की रंगदारी न देने पर पूर्व प्रधान को खुलेआम पीटा था, जिसका विडियो भी वायरल हुआ था, तब जाकर उस पर एक्शन लिया गया था। इस मामले को लेकर भी सरकार की चौतरफा आलोचना हुई थी। हालांकि, इस तरह की तमाम घटनाएं हैं, बताने के लिए लेकिन वजह एक ही है, समझने के लिए और वह यह है कि सरकार किसी भी चीज पर राजनीति करे लेकिन सुरक्षा पर ईमानदारी से काम करे। यदि जज ही फैसला देने में डरने लगेंगे तो निर्णय गलत दिशा में जा सकता है। जज, गुंडों व माफियाओं के निर्णय डर के मारे सही नहीं दे पाएंगे तो न्याय प्रणाली की स्थिति नाजुक हो जाएगी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक मामलों के जानकार हैं।)

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