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जल की कमी से आ सकता है जलजला…हर साल झुक रही है धरती!

-दो दशक में ८० सेमी पूर्व की ओर घूमी

-एजीयू जरनल का सनसनीखेज खुलासा

-१८ वर्षों में २,१५० गीगाटन भूजल का दोहन

सामना संवाददाता / नई दिल्ली

हमने धरती से इतना पानी निकाल लिया है, जो समुद्र तल में ६ मिलीमीटर (०.२४ इंच) से अधिक की वृद्धि के बराबर है। अंतर्राष्ट्रीय शोधकर्ताओं ने कुछ ऐसे आंकड़े साझा किए हैं, जिन्हें जानकर आप हैरान रह जाएंगे। साइटेक डेली की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लोगों ने बड़ी मात्रा में भूजल को पंप करके बाहर निकाला है। दो दशक से भी कम समय में ४.३६ सेंटीमीटर प्रति वर्ष की दर से लगभग ८० सेंटीमीटर पूर्व की ओर धरती झुक गई है।
भूजल दोहन में टॉप पर हैं भारत और अमेरिका!
धरती से अत्यधिक भूजल दोहन के दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं। धरती पूर्व की ओर झुक रही है। असल में धरती का घूर्णन पूर्व की ओर खिसक रहा है। इस बात का खुलासा एक साइंस जरनल में हुआ है। शोध अध्ययन से यह भी पता चला है कि पृथ्वी के दो क्षेत्रों – पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका और उत्तर-पश्चिमी भारत में सबसे अधिक भूमिगत जल का उपयोग किया गया है।
बता दें कि धरती दो दशक से भी कम समय में ४.३६ सेंटीमीटर प्रति वर्ष की दर से लगभग ८० सेंटीमीटर पूर्व की ओर झुक गई है। यह शोध जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित हुआ था। जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स एक एजीयू जर्नल है। शोध का नेतृत्व करने वाले सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी के भूभौतिकीविद् वेन सेओ ने कहा कि भूजल में कमी का सबसे अधिक प्रभाव पृथ्वी के घूर्णन ध्रुवों पर पड़ता है। भारत में पंजाब और हरियाणा के विभिन्न क्षेत्रों में पिछले कुछ वर्षों से भूमिगत जल का बड़े पैमाने पर उपयोग हो रहा है। शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि एक स्थान से बड़ी मात्रा में पानी निकालने के बाद, यह आमतौर पर नदियों और समुद्रों में बह जाता है। वेन सेओ ने आगे कहा कि वास्तव में पृथ्वी के घूमने में कई बदलाव हुए हैं। भूजल में कमी ने पृथ्वी की जलवायु को भी प्रभावित किया है।

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