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सिटीजन रिपोर्टर : दुर्दशा का शिकार गोल मैदान

उल्हासनगर
उल्हासनगर में तीन बगीचे गोल मैदान, सपना और प्रभात प्रमुख हैं, जिन पर शहर के लोगों द्वारा चुने गए नेता खूब पैसे लुटा रहे हैं, इसके बावजूद बगीचे की दशा दयनीय है। इन तीनों मैदानों में गोल मैदान की स्थिति बद से बदतर बन गई है। बगीचे की दुर्दशा के लिए मनपा प्रशासन व फंड देनेवाले लोक प्रतिनिधि के अलावा ठेकेदारों को इसका जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। ‘दोपहर का सामना’ के सिटीजन रिपोर्टर संदीप सिंह (डब्ल्यू) मैदान की इस स्थिति को सामने लाए हैं।
संदीप सिंह का कहना है कि गोल मैदान के सुधार का जिम्मा एक नहीं दर्जनों लोगों के नाम पर है, परंतु स्थिति में कुछ भी बदलाव नहीं हो रहा है। मैदान में कचरे का ढेर लगा हुआ है। आवारा कुत्तों के अलावा पालतू कुत्तों को शौच के लिए इस मैदान में लाया जाता है। संगीत के लिए पोल में स्पीकर लगाया गया है, लेकिन वह बंद है। मैदान में कई जगह रास्ते टूटे हुए हैं। बच्चों के खेलने तथा कसरत के साधन खराब पड़े हैं। शौचालय में पानी की व्यवस्था नहीं है, जिसके कारण गंदगी के साथ ही आलम बदबूनुमा बना हुआ है। गोल मैदान को खंड-खंड में बांट दिया गया है। पेड़-पौधे सूख रहे हैं। पानी की पर्याप्त व्यवस्था न होने के साथ ही माली की व्यवस्था भी बराबर नहीं है। मैदान की अवस्था बयान कर रही है कि मैदान की देखरेख करनेवाले कर्मचारी या तो बराबर काम नहीं करते या ड्यूटी के नाम पर सिर्फ हाजिरी लगाकर गायब हो जाते हैं।
इतने बड़े मैदान में सिर्फ एक वॉचमैन की व्यवस्था है। इतना ही नहीं, प्रभाग-१ के सहायक आयुक्त के सामने मैदान में कचरा पड़ा है। सहायक आयुक्त को जब अपनी नाक के सामने पड़ा कचरा दिखाई नहीं देता तो फिर शहर के अंदर उनके अधिकार क्षेत्र में चल रहे गैर कानूनी काम वैâसे दिखाई देते होंगे? सहायक आयुक्त को गोल मैदान में चक्कर लगाकर व्यवस्था पर निगरानी रखनी चाहिए। मैदान में व्याप्त दुर्व्यवस्था बयान कर रही है कि मनपा में बैठे आला अधिकारी सिर्फ वेतन, एसी की हवा और रिश्वत खाने में मशगूल हैं।
उल्हासनगर का गोल मैदान जो किसी समय सबसे अव्वल नंबर पर था आज घटिया मैदान बनकर रह गया है। मैदान के चारों तरफ अवैध पार्विंâग की जाती है, जिसे हटाने की जरूरत है। जब से प्रशासक राज चला है मैदान के विकास के नाम पर काफी धन खर्च तो किया गया, पर दशा पहले से बेकार हो गई है। चुने गए नेताओं के साथ ही आयुक्त अजीज शेख को चाहिए कि वे गोल मैदान को और खराब होने से बचाएं। पूर्व आयुक्त राजेंद्र निंबालकर की तरह गोल मैदान में प्रतिदिन वॉक के बहाने आकर बगीचे की स्थिति का जायजा लेते हुए जवाबदार अधिकारियों से पूछना चाहिए।

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