मुख्यपृष्ठसंपादकीयपाखंड ही पाखंड!

पाखंड ही पाखंड!

तेलंगाना में मोदी-शाह की भाजपा की धज्जियां उड़ गईं। मध्य प्रदेश, राजस्थान आदि राज्यों में जो मोदी-शाह थे वे ही तेलंगाना में थे और `जमकर’ प्रचार कर रहे थे। योजनाओं की घोषणाएं और हमेशा की तरह तांडव कर रहे थे। मुस्लिम वोटों को कांग्रेस के पास जाने से रोकने के लिए `ओवैसी’ योजना भी लागू की गई। बावजूद इसके, कांग्रेस जीत गई। अब तेलंगाना में भाजपा के जो आठ विधायक चुने गए हैं, उन्होंने ये ढोंग किया है कि चाहे कुछ भी हो जाए, हम विधानसभा में विधायक पद की शपथ नहीं लेंगे। तेलंगाना विधानसभा में नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाने के लिए अकबरुद्दीन ओवैसी को `प्रोटेम स्पीकर’ नियुक्त किया गया। नियम के अनुसार, शपथ समारोह के लिए सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य को विधानसभा अध्यक्ष बनाकर काम को आगे बढ़ाया जाता है। इसी के तहत अकबरुद्दीन ओवैसी की नियुक्ति की गई। अब भाजपा का कहना है कि हम हिंदुत्ववादी हैं और ओवैसी से शपथ लेने से हमारे हिंदुत्व को नुकसान हो सकता है। यह सच है कि बीजेपी ने इस मौके पर हिंदुत्व का पर्दा ओढ़ने की कोशिश की, लेकिन उनके इस नाटक ने ही उनके इस पर्दे को फाड़ दिया। भाजपा का पाखंडी हिंदुत्व बेनकाब हो गया है। दूध का दूध और पानी का पानी हो गया। क्योंकि तेलंगाना विधानसभा में अकबरुद्दीन ओवैसी को प्रोटेम स्पीकर बनाने का फैसला तेलंगाना के राज्यपाल का है। भाजपा द्वारा ही नियुक्त राज्यपाल डॉ. तमिलिसाई सुंदरराजन के हस्ताक्षर-मोहर सहित आदेश जारी किए गए हैं। संविधान के अनुसार, ओवैसी को राज्यपाल ने विधानसभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य के रूप में नियुक्त किया। इसका मतलब यह है कि भाजपा द्वारा नियुक्त राज्यपाल ओवैसी की नियुक्ति करेंगे और फिर भाजपा के नवनिर्वाचित विधायक ओवैसी के नाम पर स्यापा कर हिंदुत्व का पाखंड करेंगे। दरअसल, अब इस बात का खुलासा हो गया है कि सिर्फ तेलंगाना में ही नहीं, बल्कि पूरे देशभर में ओवैसी की `एआईएमआईएम’ पार्टी भाजपा की `बी टीम’ के तौर पर काम करती है। ओवैसी की राजनीति भाजपा के फर्जी हिंदुत्व की पूरक है। देश में कहीं भी लोकसभा या विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही ओवैसी और उनकी पार्टी मोदी-शाह के गुप्त एजेंडे का चांदतारा लिए मैदान में उतरती नजर आती है। इसलिए ओवैसी को लेकर भाजपा का रुख एक तरह से धूल झोंकने जैसा है। तेलंगाना में जूनियर ओवैसी प्रोटेम स्पीकर बने राज्यपाल टी. सुंदरराजन के आदेश से। इसलिए भाजपा विधायकों को राजभवन जाकर बहिष्कार की नौटंकी करनी चाहिए थी। राज्यपाल भाजपा की। आदेश राज्यपाल का, लेकिन भाजपा ने जहर उगला प्रोटेम स्पीकर अकबरुद्दीन ओवैसी के खिलाफ। लेकिन भारतीय जनता पार्टी का यह व्यवहार अब कोई आश्चर्य की बात नहीं रही है। पाखंड शब्द का दूसरा अर्थ है भाजपा। अगर भारतीय जनता पार्टी की अकबरुद्दीन ओवैसी से नहीं जमती तो उन्हें हराने के लिए भाजपा ने क्या प्रयास किए? प्रधानमंत्री मोदी ने हैदराबाद में क्या किया? भाजपा का अस्तित्व राजनीति और चुनाव में `ओवैसी’ छाप धर्मांध लोगों पर टिका है। अगर दुनिया के नक्शे से पाकिस्तान खत्म हो जाए और पाकिस्तान का बखेड़ा बंद हो जाए तो भाजपा पर बेरोजगारी का संकट टूट पड़ेगा। कश्मीरी पंडितों का आक्रोश, लद्दाख में चीन की घुसपैठ, मणिपुर की हिंसा भाजपा के हिंदुत्व में फिट नहीं बैठती। अगर कोई इन सवालों पर संदेह जताता है तो उसे धर्म की अफीम की गोली यह कहकर दी जाती है कि `रुको, जल्द ही अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनेगा और सभी बेरोजगार युवाओं को मुफ्त में रामलला के दर्शन कराए जाएंगे।’ उसी नशे में अंधभक्त पैदा होते हैं और उसी नशे में मतदान होता है। और फिर साथ `ईवीएम’ है ही। ओवैसी, मायावती आदि लोगों ने मोदी कृत भाजपा को बढ़ाने के लिए जो गुप्त कार्यक्रम चलाया है, वह देश के लिए खतरनाक है। ओवैसी अपने धर्म भाइयों के सवालों को लेकर खड़े रहते हैं। वह एक विद्वान वकील हैं। किसी को भी उनकी देशभक्ति पर संदेह नहीं है, लेकिन उन्हें रोज-रोज कट्टरता को बढ़ावा देने वाले बयान देकर मोदी-शाह की पाखंडी राजनीति को ताकत देना अब बंद करना चाहिए। मायावती क्या कर रही हैं? व वह किस राजकीय कोष में घुसी हुई हैं? उन्हें एक बार बता देना चाहिए कि उनकी परेशानी और बीमारी का सबब क्या है। उन्हें भी ममता बनर्जी की तरह बाघिन का रूप धारण कर भारतीय संविधान की रक्षा के लिए दहाड़ना चाहिए, अन्यथा उन्हें डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के नाम का इस्तेमाल करके दलितों को धोखा देने का कोई अधिकार नहीं है। मायावती दिल्ली की एड़ी के नीचे हैं और भाजपा की `बी टीम’ के तौर पर काम करना उनकी मजबूरी है। उन्हें इस बदनामी पर ध्यान देना चाहिए। महाराष्ट्र में ऐसी `बी टीमें’ भाजपा के मोहरे बनकर सत्ता में शामिल हो गई हैं और दिन-रात मोदी-भाजपा का `नाम’ जप रही हैं। कुछ पार्टियां मैदान से बाहर रहकर भाजपा की सुविधा के अनुसार काम करने में लगी हैं, लेकिन ये सभी खेल महाराष्ट्र और देश के लिए खतरनाक है। वर्तमान समय में देश में लोकतंत्र की जगह तानाशाही ले रही है। सामाजिक एकता पर भाजपा की तोड़फोड़ कंपनी आघात पहुंचा रही है। देश में फिर दंगे भड़केंगे और फर्जी हिंदुत्ववाद के सिक्के खनकाकर भाजपा सत्ता में वापस आएगी। इसे रोका जाना चाहिए। तेलंगाना में प्रोटेम स्पीकर का विरोध पाखंड है। लोग ऐसे रोज-रोज के पाखंडों से थक चुके हैं। उन पाखंडों का समर्थन करने वाले दल और नेता इतिहास के पन्नों से खत्म हो जाएंगे।

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