यूथ आइकॉन के तौर पर मशहूर विक्रमादित्य सिंह, छह बार हिमाचल के सीएम रहे वीरभद्र सिंह के बेटे मंडी की हाई-प्रोफाइल सीट से कांग्रेस वैंâडिडेट हैं। उत्साहित, विक्रमादित्य अपनी प्रतिद्वंद्वी भाजपा की कंगना रनौत को पैराशूट कैंडिडेट मानते हैं। वे चिंतित होने के बजाय मंडी और हिमाचल प्रदेश के समग्र विकास के अपने विजन के साथ आगे बढ़ रहे हैं। इस चुनाव और हिमाचल के मुद्दों पर `दोपहर का सामना’ के संवाददाता मनमोहन सिंह ने टेलीफोनिक बातचीत की। पेश हैं, बातचीत के प्रमुख अंश…
सांसद के तौर पर चुनाव लड़ने पर कैसा लग रहा है?
मैं दो बार विधायक रहा हूं और वर्तमान में मंत्री भी हूं, जिसकी वजह से मैं प्रदेश के लोगों के साथ लगातार संपर्क में हूं। खासकर जब पिछले दिनों हिमाचल में प्राकृतिक आपदा आई थी, उस समय हमने लगातार यहां के लोगों की सेवा की। दिन-रात उनके साथ खड़ा रहा हूं। हर तरह से हमने लोगों की सहायता की है। भले ही आप कहें कि यह संसदीय क्षेत्र मेरे लिए नया है, लेकिन मेरे परिवार के लिए नया नहीं है। मेरे पिताजी यहां से तीन बार सांसद रहे हैं, केंद्रीय मंत्री रहे हैं। इसके अलावा मेरी माता जी यहां की सांसद हैं, उनका यह थर्ड टर्म है। उनके प्रयास से मंडी में आईआईटी है, नेहरू चौक में सुंदर नगर में मेडिकल कॉलेज भी खुला है। नेहरू चौक से किरतपुर तक का फोरलेन रोड का काम भी शुरू हुआ है। मैं कह सकता हूं कि मेरा घर है और यहां पर मैं बहुत ही कंफर्टेबल हूं। यहां के लोगों से मुझे भरपूर प्यार मिल रहा हैै। हमारी वैंâपेन यहां से शुरू हुई है, जिसका लोगों ने गर्मजोशी से स्वागत किया है।
आपको यूथ आइकॉन के तौर पर लिया जा रहा है, कैसा महसूस करते हैं?
बहुत अच्छा लगता है। मैं भी युवा हूं और यहां का युवा मुझे अपना समझता है। एक अच्छा कनेक्ट है यूथ के साथ। यूथ की समस्याओं को लेकर विधानसभा में भी काफी सक्रिय रहा हूं, जब मैं अपोजिशन में था। बेरोजगारी, शिक्षा या फिर पिछले सरकार के स्कैम का मामला हो मुखरता के साथ हमने बातें सामने रखीं, जिसकी सभी ने प्रशंसा की है। देश की अखंडता के लिए भी हमने बहुत काम किया है।
भाजपा कांग्रेस को हिंदू विरोधी प्रचारित करती है, आपका क्या कहना है?
हिमाचल पहला देश का राज्य था, जहां पर २००५ में मेरे पिता द्वारा धर्मांतरण को लेकर धर्मांतरण रोधी बिल लागू किया गया, जब वे चीफ मिनिस्टर थे। इस बात को लेकर उस वक्त आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद के नेताओं ने उन्हें धन्यवाद दिया था। बाद में अन्य राज्यों ने उसका अनुसरण किया। हमारी इमेज और साख एक मजबूत हिंदुत्ववादी की है। वैसे हम समाज के हर वर्ग, तबके के सर्वांगीण विकास पर फोकस करते हैं। यही तो असली हिंदुत्व के सिद्धांत हैं। भाजपा का आरोप बिल्कुल बेहूदा और झूठा है। मैं हिमाचल कांग्रेस का पहला और इकलौता लीडर था, जिसे अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन में आमंत्रित किया गया था। मैं हिंदुत्व के सिद्धांतों के साथ-साथ संपूर्ण हिमाचल के समावेशी विकास के लिए प्रतिबद्ध हूं।
आप अपने प्रतिद्वंदी कैडिडेट को किस तरह लेते हैं?
हम आमने-सामने हैं। मैंने टिकट नहीं मांगा। मैं यहां पर सिटिंग कैबिनेट मिनिस्टर हूं सरकार में, लेकिन जब मुझे कैंडिडेट बनाया गया तो मैंने उसे स्वीकार किया, क्योंकि मैं चैलेंज जीतने में विश्वास करता हूं। यहां पर जो कैंडिडेट हैं, वो कंट्रोवर्सी क्वीन हैं। उन्होंने जो बॉलीवुड के बारे में कहा, अपने को-स्टार्स के बारे में कहा वह सब कुछ ध्यान में रखना होगा। हम सारी बातें जनता के सामने रखेंगे और फिर वे डिसाइड करेंगे कि उन्हें नेता के तौर पर किसे चुनना है?
आप पर्सनल अटैक वाली बात पर क्या कहेंगे?
मेरे लिए कोई नई बात नहीं है। यह उनकी आदत रही है। उन्होंने जब दलाई लामा जैसे इंसान तक को नहीं छोड़ा, जिनकी सारी दुनिया इज्जत करती है। उनके लिए अपशब्द कहे। उन्होंने सिख समुदाय को खालिस्तानी कहा, जबकि वे लोग अपने अधिकारों के लिए दिल्ली की सीमा पर आंदोलन कर रहे थे, उसे कौन भूल सकता है। फिल्म इंडस्ट्री को उन्होंने क्या-क्या कहा यह कौन भूल सकता है। मैं उनके बारे में कुछ कहना नहीं चाहता। जनता सब कुछ समझती है। हम जनता के बीच किसी को क्रिटिसाइज करने नहीं जा रहे, बल्कि अपनी अचीवमेंट को लेकर पहुंच रहे हैं। अपने एजेंडा को लेकर जा रहे हैं।
जयराम ठाकुर कहते हैं कि आपको कैंडिडेट बनाए जाने से लोग खुश नहीं हैं?
मुझे कैडिडेट बनाए जाने से लोग खुश क्यों नहीं होंगे? मुझे कोई कारण नजर नहीं आता, उल्टे स्थानीय भाजपाई ही भाजपा के कैंडिडेट से नाराज हैं, यहां की लीडरशिप भी उनसे नाराज है। उनकी नाराजगी की वजह भी है। उन्हें लगता है कि यदि उनकी कैंडिडेट जीतकर आ जाती है तो यहां के टॉप के लीडर भी केंद्र से दूर हो जाएंगे। क्योंकि पावर ऑफ सेंटर वह बन जाएगी, हिमाचल प्रदेश के पूरे भाजपा कैडर में नाराजगी है। विशेष तौर पर मंडी में तो बहुत ही नाराजगी है, क्योंकि भाजपा और आरएसएस के मंझे हुए दिग्गज नेताओं को दरकिनार कर इस पैराशूट लीडर को उम्मीदवारी दी गई। इसका असर बेशक नतीजे पर पड़ेगा। जीत हमारी ही होगी।
यहां के अहम मुद्दे क्या हैं?
बेरोजगारी यहां की समस्याओं में सबसे ज्यादा अहम है। पिछले डेढ़ सालों में हमारी सरकार ने गवर्नमेंट सेक्टर में २२ हजार नौकरियां दी हैं। वैसे केंद्र सरकार हमेशा से कहती आई है कि वह हर साल २ करोड़ नौकरियां देंगे। उन्होंने आज तक अपने वादे को पूरा नहीं किया। महंगाई आसमान को छू रही है। डीजल, पेट्रोल एलपीजी के प्राइस पर कोई कंट्रोल नहीं है। यह भी मुख्य समस्या है। पिछले दिनों हिमाचल में हुई तबाही को लेकर केंद्र से किसी तरह की राहत पैकेज नहीं मिली। हमने माननीय प्रधानमंत्री और वैâबिनेट मिनिस्टर से बार-बार स्पेशल पैकेज देने की मांग की, लेकिन हिमाचल प्रदेश को कुछ नहीं दिया गया। यह सारे मुद्दे भी हम जनता के सामने रखेंगे।
आपकी स्ट्रेटजी क्या है?
हमारी स्ट्रेटजी सीधी है। सीधे-सीधे जनता के बीच जाएंगे, उनसे संवाद करेंगे। जिस तरह की सुरक्षा के बीच में वो महिला घूम रही है, उसे देखते हुए उन तक लोगों का पहुंचना नामुमकिन है। आम लोगों की तो बात दूर यहां के उनके पुराने लीडरों का उनके पास पहुंचना मुश्किल है। हमारे लिए बहुत ही आसान है, क्योंकि हम लगातार यहां की जनता से मिलते रहे हैं। हम लोगों के बीच जा रहे हैं और उनको समझाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें समझने की कोशिश कर रहे हैं। हिमाचल प्रदेश के सबसे मुश्किल दौर में हम लगातार २४ घंटे उनके साथ थे और वह महिला का कहीं दूर-दूर तक पता नहीं था, जबकि उनका दावा है कि मंडी और मनाली में उनका अपना घर है। जब जरूरत थी, वो नहीं थीं। अब घड़ियाली आंसुओं से लोगों पर कोई असर नहीं पड़ने वाला, क्योंकि लोग सच्चाई जानते हैं। यहां के अहम मुद्दों को हम अच्छी तरह से जानते हैं और उनको सुलझाना भी।