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‘शासन ठीक से न हो तो राजा को भी पद छोड़ना पड़ता है’ -मोहन भागवत का इशारा किसकी तरफ?

सामना संवाददाता / मुंबई 
किसी भी देश के राजा को कैसा व्यवहार करना चाहिए इस पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने अहम बयान दिया है। उन्होंने कहा कि देशभक्त नागरिक और समाज हो तो देश महान होता है। अगर राजा का शासन ठीक न हो तो उसे भी पद छोड़ना पड़ता है। भागवत ने एक राजा और उसका शासन वैâसा होना चाहिए? इस संबंध में भी महत्वपूर्ण टिप्पणियां की। अब राजनीतिक गलियारों में इस बात के मायने निकाले जा रहे हैं कि आखिर भागवत का इशारा किसकी तरफ था? लोग यह भी कह रहे हैं कि भले ही उन्होंने नाम नहीं लिया, लेकिन राजा की बात हो रही है तो उनका इशारा पीएम नरेंद्र मोदी की तरफ था। इस बात को बल इसलिए भी मिलता है कि कई मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत के बीच मतभेद होने की खबरें सामने आ चुकी हैं। आइये जानते हैं मोहन भागवत ने क्या कहा था?
दरअसल, मुंबई के विलेपार्ले में लोकमान्य सेवा संघ की १०१वीं वर्षगांठ के अवसर पर मोहन भागवत मुंबई आए थे, जहां सरसंघचालक भागवत का ‘सामाजिक परिवर्तन-संस्थाओं की भूमिका’ विषय पर एक व्याख्यान आयोजित किया गया था। इस अवसर पर मोहन भागवत ने विभिन्न विषयों पर टिप्पणी करते हुए नागरिकों और सत्ताधारियों को किन मूल्यों की रक्षा करनी चाहिए, इस पर चर्चा की।
सामाजिक स्तर पर सुधार की जरूरत
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि देश चलाना एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। यह कोई अनुबंध नहीं है जो किसी को भी दिया जा सकता है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि जिस देश का आम आदमी महान होता है, वह देश महान होता है और प्रत्येक व्यक्ति सामाजिक परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए सामाजिक स्तर पर सुधार की जरूरत है। किसी राष्ट्र का उत्थान और पतन समाज की विचार प्रक्रिया और मूल्यों से जुड़ा होता है।
क्या विलासिता सचमुच आवश्यक है?
अपने व्याख्यान में उन्होंने कहा कि हमें समाज में बिना पैसा बर्बाद किए सादगी और मितव्ययिता से रहना चाहिए, हमें स्वदेशी की भावना मन में रखते हुए जरूरतमंदों की आर्थिक मदद करनी चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या आपको वास्तव में घर पर दो कारों, एक महंगे स्मार्ट रंगीन टेलीविजन सेट जैसी विलासिता की जरूरत है? इस बारे में भी हर नागरिक को सोचना चाहिए।

समाज के कारण राजा का अस्तित्व
एक राजा को कैसा होना चाहिए, इस बारे में उन्होंने बताया कि ऐसे कई उदाहरण हैं जहां एक राजा का अस्तित्व समाज के कारण होता है और यदि वह अच्छी तरह से शासन नहीं करता है, तो उसे पद छोड़ना पड़ता है। उन्होंने कहा कि किसी देश का उत्थान और पतन समाज के उत्थान और पतन पर निर्भर करता है। सामाजिक परिवर्तन में सामाजिक संस्थाओं सहित सभी की जिम्मेदारी महत्वपूर्ण है, भागवत ने विकसित देशों में नागरिकों के व्यवहार, विचारों और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कुछ घटनाओं का भी जिक्र किया।

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