फिल्मी दुनिया पर्दे पर सारा कारोबार ही रोमांस पर टिका होता है। ऐसे में अगर पति-पत्नी दोनों हीरो-हीरोइन हों तो मुश्किल हो ही सकती है। अब दीपिका दूसरे से पर्दे पर रोमांस करेंगी तो रणवीर सिंह का दिल नहीं जलेगा क्या? खैर, रणवीर का तो पता नहीं पर रणबीर कपूर का तो नहीं जलेगा। रणबीर ने आलिया भट्ट के दूसरे हीरो संग रोमांटिक सीन्स करने को लेकर कहा है, ‘मैं इनसिक्योर पार्टनर नहीं हूं। दूसरे शख्स के साथ आलिया ने पर्दे पर कई बार रोमांस किया है, उसे देखकर मैं कभी इनसिक्योर नहीं हुआ।’ उन्होंने आगे कहा, ‘अगर १० साल पहले मेरा पार्टनर ऐसा कुछ कर रहा होता…तो शायद मैं इनसिक्योर होता।’ बंदा वाकई काफी समझदार है।
मेगा ऑक्शन पर मचमच! … एक-दूसरे से भिड़े शाहरुख और नेस वाडिया
बीसीसीआई अधिकारियों की आईपीएल टीम के मालिकों के साथ मीटिंग चर्चा का विषय बनी हुई है। यह मीटिंग बुधवार ३१ जुलाई को मुंबई में बीसीसीआई हेडक्वार्टर्स में होनी थी और अब एक मीडिया रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि मीटिंग में मेगा ऑक्शन को करवाए जाने पर ही सवाल उठा दिए गए हैं। दरअसल, कोलकाता नाइट राइडर्स के सह-मालिक शाहरुख खान समेत कुछ लोग मेगा ऑक्शन को न करवाने के पक्ष में हैं। इस बीच शाहरुख, पंजाब किंग्स के सह-मालिक नेस वाडिया से भी जा भिड़े। एक स्पोर्ट्स रिपोर्ट्स की मानें तो शाहरुख खान मेगा ऑक्शन को करवाए जाने के बिल्कुल भी पक्ष में नहीं हैं। बीसीसीआई के एक सूत्र ने बताया कि खान एक समय पंजाब किंग्स के सह-मालिक नेस वाडिया के साथ तीखी बहस भी करने लगे थे। उनकी बहस का कारण ये था कि कितने खिलाड़ियों को रिटेन किया जाना चाहिए। एक तरफ खान ज्यादा खिलाड़ियों को रिटेन करने के पक्ष में दिखे, लेकिन वाडिया नहीं चाहते कि टीमों को ज्यादा प्लेयर्स को रिटेन करने की अनुमति मिले।
दिल्ली डिस्पैच : कांच के पिंजरे में बंद प्रेस और राहुल की आवाज!
एम.एम.सिंह
राहुल गांधी आजकल बोलते हैं खूब बोलते ह बेधड़क। फालतू और बेवजह नहीं, मुद्दों को उठाते हैं बजट सेशन में उन्होंने आम आदमी की बात की, लेकिन उन्होंने एक मुद्दे को जोर-शोर से उठाया और वह मुद्दा था संसद में कांच के पिंजरे में बंद प्रेस का।
दरअसल, सोमवार की सुबह १० बजे जब पत्रकार नए संसद भवन पहुंचे तो उन्हें ये उम्मीद नहीं थी कि सुरक्षा अधिकारियों द्वारा उन्हें मकर द्वार पर जाने से रोक दिया जाएगा, जहां पर संसद में प्रवेश करते और बाहर निकलते समय सांसद मीडिया से बात करते हैं। पत्रकारों को परिसर के भीतर एक कांच के पिंजरेनुमा घेर यानी ‘मीडिया कंटेनर’ में रहने और केवल १० कदम की दूरी के भीतर ही बातचीत करने के निर्देश दिए गए। इन सबसे खफा पत्रकारों ने विरोध दर्ज करवाने के लिए किसी भी सांसद से बात न करने का पैâसला किया। इस मुद्दे पर अखिलेश यादव, प्रियंका चतुर्वेदी, डेरेक ओ-ब्रायन और मनोज झा जैसे विपक्षी नेता भी पत्रकारों से कंटेनर में मिलने गए थे।
उधर संसद बजट पर अपने ४९ मिनट के भाषण के अंत में राहुल गांधी ने स्पीकर से कहा, ‘आपने मीडियाकर्मियों को पिंजरे में बंद कर दिया है। उन्हें बाहर निकालिए।’ राहुल के मीडियाकर्मियों को बेचारा कहते ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उन्हें टोकते हुए कहा, ‘बेचारे नहीं हैं वो। उनके लिए इस शब्द का इस्तेमाल न करें।’ गांधी ने जवाब दिया, ‘नॉन-बेचारे मीडिया वालों ने मुझसे हाथ जोड़कर कहा है कि आप उन्हें बाहर निकाल दें. वे बहुत परेशान हैं।’ बिरला ने उनसे कहा कि वे उनके चेंबर में आकर उनसे बात करें। आखिर में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को एक पत्र लिखा गया। इसके बाद स्पीकर ने मुलाकात की, प्रतिबंध हटाए और यहां तक कि कोविड के बाद बंद किए गए वार्षिक पास की व्यवस्था को फिर से शुरू करने की संभावना पर विचार करने का वादा भी किया।
मीडियाकर्मियों के एक तबके का मानना है कि राहुल गांधी के हस्तक्षेप के कारण बिरला ने इस मुद्दे पर तुरंत कार्रवाई की। एक मीडियाकर्मी का कहना है कि राहुल गांधी ने इस मुद्दे को इतने बड़े पैमाने पर उठाया कि बिरला को इसे हल करने में बमुश्किल चार घंटे लगे, जबकि पत्रकार संसद में अपनी प्रतिबंधित पहुंच के मुद्दे को कई बार उठा चुके हैं, प्रेस संस्थाओं ने भी हस्तक्षेप किया है, लेकिन उन्हें इससे पहले तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली थी। गौरतलब है कि पिछले चार सालों से कई पत्रकार संगठन और विपक्षी दल मांग कर रहे हैं कि मीडियाकर्मियों को संसदीय कार्यवाही को कवर करने की अनुमति दी जाए। महामारी के दौरान सदन में मीडिया की पहुंच पर लगाए गए प्रतिबंध अभी भी पूरी तरह से हटाए नहीं गए हैं। वर्तमान में स्थायी वार्षिक पास के लिए पात्र पत्रकारों को भी केवल मौसमी और अस्थायी पास दिए जाते हैं। पत्रकारों का आरोप है कि ये सीमित पास भी ‘मनमाने तरीके’ से दिए जाते हैं। इस मामले में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया द्वारा ओम बिड़ला को लिखा गया पत्र काबिले गौर है। वे बिरला को बताते हैं, ‘पत्रकारों तक निर्बाध पहुंच’ संविधान सभा तक जाती है: जब अन्य लोकतंत्र कोविड के बाद वापस आ गए, तो भारत क्यों रुका हुआ है? लोकतंत्र को तटस्थ चश्मदीदों की जरूरत है।
क्लीन बोल्ड : आक्रामकता नहीं तो मात
अमिताभ श्रीवास्तव
हिंदुस्थान टेबल टेनिस ने निश्चित रूप से ओिंलपिक में इतिहास बनाया। पहली बार हमारी दो खिलाड़ी अंतिम १६ में पहुंची मगर यहां आकर मात खा गई। मात इसलिए नहीं खाई कि हम जीत नहीं सकते थे बल्कि इसलिए खाई क्योंकि हममें वो आक्रमकता नहीं थी, जिसकी जरूरत विश्व स्तरीय खिलाड़ियों से भिड़ने के लिए होनी चाहिए। बड़े खिलाड़ी सोचकर जो मानसिकता बना ली जाती है उससे बाहर निकलने की जरूरत है। मनिका बत्रा और श्रीजा अकुला देश की ही नहीं बल्कि विश्व की शानदार खिलाड़ी हैं मगर इनमें आक्रमकता की कमी दिखी, जो इनकी विरोधी खिलाड़ियों में थी। मनिका तो एक गेम जीत भी गई थी जापानी खिलाड़ी से और अकुला ने चीन की खिलाड़ी से दो मैच टाईब्रेकर में गंवाए। यह दर्शाता है कि हम बड़े खिलाड़ियों को भी मात दे सकते हैं यदि मानसिक स्थिति को आक्रामक बना लें।
न लेंस, न सुरक्षा, फिर भी सिल्वर पर निशाना
पेरिस ओलिंपिक का एकमात्र रजत पदक विजेता जो सोशल मीडिया पर छा गया है क्योंकि यह शूटर न कोई विशेष लैंस लगता है न कोई सुरक्षा अपनाता है और एक हाथ जेब में रखकर सधा हुआ निशाना साध लेता है। गजब का निशानेबाज है। जी हां, तुर्की के एयर पिस्टल शूटर यूसुफ डिकेक २०२४ पेरिस ओलिंपिक में रजत पदक जीतने के बाद सोशल मीडिया पर सबसे हॉट मीम बन गए हैं। ५१ वर्षीय एथलीट की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है। सोशल मीडिया `एक्स’ पर, इस तस्वीर वाली एक पोस्ट को ६२ मिलियन से ज्यादा बार देखा गया। वैâप्शन में लिखा था, `तुर्की ने ५१ साल के एक व्यक्ति को बिना किसी विशेष लेंस, आंखों के कवर या कान की सुरक्षा के भेजा और उसे रजत पदक मिला।’
समय आ गया है
पेरिस पहुंचकर बेहतरीन मैसेज देनेवाले हिंदुस्थान के भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा के लिए भी समय आ गया है कि वो अपने लिखे हुए मैसेज को साकार करें। बस ६ अगस्त को उनका कमाल देखने के लिए विश्व की प्रतीक्षा समाप्त होगी। नीरज चोपड़ा से गोल्ड मैडल की उम्मीदें हैं, उनसे विश्व रिकॉर्ड को तोड़ने की आस है क्योंकि यही समय है। हिंदुस्थानी एथलेटिक्स के पोस्टर बॉय नीरज चोपड़ा जैवलिन थ्रो ओलिंपिक में लगातार दूसरी बार चैंपियन बनने के इरादे से उतरेंगे। उनकी नजर ९० मीटर के उस मार्क को हासिल करने पर भी होगी। नीरज अभी तक अपने भाला को ९० मीटर की दूरी तय नहीं करा सके हैं। नीरज चोपड़ा मामूली चोटों के कारण ओलिंपिक से पहले अधिक प्रतियोगिताओं में भाग नहीं ले पाए थे। इसके बावजूद उन्हें लगातार दूसरे ओलिंपिक स्वर्ण पदक के लिए प्रबलदावेदार माना जा रहा है। क्योंकि यही समय है और समय आ गया है।
(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार व टिप्पणीकार हैं।)
झांकी : कुमारस्वामी गुस्से में
अजय भट्टाचार्य
कर्नाटक भाजपा अपनी शर्मिंदगी की झेंप छिपा नहीं पा रही है। बात यह है कि सहयोगी दल जनता दल सेकुलर ने सार्वजनिक रूप से कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर बंगलुरु से मैसूर तक प्रस्तावित जुलूस से खुद को अलग कर लिया है। पार्टी ने अपने नेता एचडी कुमारस्वामी के प्रति भाजपा द्वारा अपमानजनक रवैये को इसका कारण बताया है। पिछले कुछ दिनों से दोनों दलों के बीच इस जुलूस को लेकर मतभेद स्पष्ट हो गए हैं। नेताओं के एक वर्ग ने ३ से १० अगस्त तक होनेवाली १४० किलोमीटर की पदयात्रा की व्यवहार्यता और उद्देश्य पर सवाल उठाए हैं। कुमारस्वामी ने घोषणा की कि पार्टी इस मार्च का हिस्सा नहीं होगी। पार्टी के कई नेता इस समय इस पदयात्रा के पक्ष में नहीं हैं, जब लोग बारिश से संबंधित मुद्दों से जूझ रहे हैं। उन्होंने भाजपा पर जदसे को दरकिनार करने का आरोप लगाया। केंद्रीय मंत्री कुमारस्वामी का कहना है कि बगलुरु और मैसूर के बीच के क्षेत्र में हम (जदसे) मजबूत हैं। इस स्थिति में यदि वे हमें उचित तरीके से विश्वास में नहीं लेते हैं, तो हमें (पदयात्रा) का समर्थन क्यों करना चाहिए? चुनाव के दौरान राजनीति गठबंधन से अलग होती है, पार्टी को हर चीज में अपने बड़े साथी की लाइन पर चलने की जरूरत नहीं है। इस मामले ने मुझे भावनात्मक रूप से भी आहत किया है, जिस व्यक्ति को उन्होंने (भाजपा ने) विरोध कार्यक्रम का नेतृत्व करने के लिए नियुक्त किया है, वह प्रीतम गौड़ा कौन है? वह वही है, जिसने देवेगौड़ा (पूर्व प्रधानमंत्री और कुमारस्वामी के पिता) के परिवार को नष्ट करने की योजना बनाई थी। उसे उसी बैठक में बुलाया जाता है, जिसमें मुझे भी बुलाया जाता है, अपमान की सीमा है, जिसे मैं वैâसे बर्दाश्त कर सकता हूं। माना जाता है कि प्रीतम गौड़ा अप्रैल में लोकसभा चुनावों से पहले हासन में जदसे सांसद और कुमारस्वामी के भतीजे प्रज्वल रेवन्ना के अश्लील वीडियो वाले पेन ड्राइव वितरित करने के पीछे थे। रविवार को भाजपा और जदसे के शीर्ष नेताओं द्वारा पदयात्रा की योजना बनाने के लिए आयोजित बैठक में प्रीतम की मौजूदगी देखकर भावनात्मक रूप से ‘आहत’ हुए कुमारस्वामी को इस बात की पीड़ा है कि उन्हें उस प्रीतम गौड़ा के बगल में बैठाया गया, जिसने उनके परिवार को जहर देने की कोशिश की। यह सब करने के बाद भाजपा जदसे का समर्थन मांग रही है। भला कुमारस्वामी की भी कोई हैसियत है कि नहीं?
ठाकुर बोले, राजग डोले
बिहार की राजनीति में अंदरखाने बहुत कुछ चल रहा है और ये छन-छन कर बाहर आ रहा है। इस बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड के सांसद ने अपनी ही पार्टी पर सवाल उठा दिया है। सवाल तो जेडीयू सांसद ने भाजपा पर भी उठाया है, लेकिन लालू प्रसाद यादव की तारीफ की है। सीतामढ़ी के सांसद देवेश चंद्र ठाकुर लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद से लगातार सुर्खियों में हैं। देवेश चंद्र ठाकुर एक कार्यक्रम के सिलसिले में हाजीपुर पहुंचे थे। यहां पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए देवेश चंद्र ठाकुर ने कहा कि लोकसभा चुनाव में हमें हराने के लिए सभी पार्टियों ने जोर लगा दिया था। राष्ट्रीय जनता दल यानी राजद तो प्रतिद्वंदी थी, लेकिन हमें पता ही नहीं चला कि जदयू हमारे आगे थी या पीछे थी! हमारी सहयोगी भाजपा हमारे आगे थी या पीछे थी? यह पता ही नहीं चला। आप लोग इशारे को समझिए। सीतामढ़ी के लोगों से हमारा व्यक्तिगत संबंध है और मेरे किए काम की वजह से ही हम चुनाव जीते हैं।
इस दौरान ठाकुर ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि लालू यादव जैसा सच बात बोलने वाला व्यक्ति आपको पूरे बिहार में नहीं मिलेगा। जब हम पहली बार २००२ में स्नातक से एमएलसी का चुनाव लड़े थे, तब लालू प्रसाद की सहयोगी कांग्रेस की प्रत्याशी से मेरा सामना था, लेकिन लालू प्रसाद ने हमें जुबान दिया था और अपनी जुबान पर बने रहे और चुनाव में हमें मदद किया। बिहार में स्नातक एमएलसी के उपचुनाव होने वाले हैं। ठाकुर इसी उपचुनाव के लिए जनता दल यूनाइटेड के प्रत्याशी अभिषेक झा के लिए वोट मांगने हाजीपुर पहुंचे थे, जहां उन्होंने लालू यादव की जमकर तारीफ की। ठाकुर के इस बयान ने एक साथ पूरे राजग पर ही सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और देश की कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में इनके स्तंभ प्रकाशित होते हैं।)
‘राज’ नीति : बाबा का क्या होगा
रमेश सर्राफ धमोरा
झुंझुनू
राजस्थान में बाबा के नाम से मशहूर कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। किरोड़ीलाल मीणा विधानसभा सत्र में भी शामिल नहीं हो रहे हैं। उन्होंने कह दिया है कि मैं अब किसी भी परिस्थिति में मंत्री पद से इस्तीफा वापस नहीं लूंगा। पिछले दिनों उन्होंने दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी दो बार मुलाकात की थी। मगर उसके बाद भी वे इस्तीफा देने की बात पर अड़े हुए हैं। हाल ही में उन्होंने पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप के अतिरिक्त महानिदेशक वीके सिंह से भेंट कर उन्हें राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा भर्ती परीक्षा में की गई धांधली के सबूत सौंप कर उनके विरुद्ध कार्यवाही की मांग की है। किरोड़ीलाल मीणा ने कहा कि यदि १५ दिनों में राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों के खिलाफ कार्यवाही नहीं की गई तो वे धरना देखकर आंदोलन शुरू कर देंगे। किरोड़ीलाल मीणा राजस्थान में अपनी जुझारू छवि के लिए जाने जाते हैं। अपने अक्खड़ स्वभाव के चलते ही किरोड़ीलाल मीणा कई बार पार्टी लाइन से हटकर भी धरना प्रदर्शन करते रहते हैं। उनकी चेतावनी को सरकार कितनी गंभीरता से लेगी, इसका पता तो बाद में चलेगा।
पद से हटाए गए जोशी
राजस्थान में भाजपा के निवर्तमान प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी को कार्यकाल पूरा होने से पहले ही पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने पद से हटा दिया। उनका कार्यकाल अप्रैल २०२६ तक था। पार्टी के संविधान के अनुसार प्रदेशाध्यक्ष का कार्यकाल तीन वर्ष का होता है, लेकिन सीपी जोशी महज १६ महीने ही प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी पर रह सके। जोशी को पद से हटाए जाने की अटकलें पिछले सात महीने से चल रही थीं। पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने अब जोशी के स्थान पर मदन राठौड़ को प्रदेशाध्यक्ष बनाया है। जोशी को हटाए जाने को लेकर सियासी गलियारों में चर्चाएं शुरू हो गई है कि आखिर इतने कम समय के लिए पार्टी ने उन्हें प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी क्यों सौंपी। चर्चा हैं कि लोकसभा चुनाव में ११ सीटें गंवाने की सजा मिली है। जोशी को हटाने के पीछे दो बड़ी वजह बताई जा रही है। एक तो लोकसभा चुनाव में उम्मीद के मुताबिक चुनाव परिणाम नहीं आना और दूसरा सोशल इंजीनियरिंग के चलते जोशी को प्रदेशाध्यक्ष पद पर रखना उचित नहीं लगा। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा व जोशी दोनों ब्राह्मण समाज से हैं। पार्टी ने मूल ओबीसी नेता को बड़ी जिम्मेदारी देने के लिए जोशी से कुर्सी खाली करवाई है।
भाजपा को बैरवा की गुडबाय
राजस्थान में सियासी हलचल देखने को मिल रही है। कांग्रेस से भाजपा में आए एवं सचिन पायलट के करीबी माने जानेवाले खिलाड़ीलाल बैरवा ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया है। बैरवा ने भाजपा की विचारधारा से सहमत न होने की बात कहते हुए भाजपा के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ को इस बाबत पत्र लिखा है। इसी साल लोकसभा चुनाव से पूर्व मार्च में बैरवा कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा था। खिलाड़ीलाल बैरवा पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार में अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष थे। वे सांसद व विधायक रह चुके हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में उनका टिकट काट दिया गया था। तब उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा था मगर बुरी तरह हार गए थे। फिर वो भाजपा में शामिल हो गए थे। भाजपा से इस्तीफा देने के बाद बैरवा ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस दो अलग-अलग विचारधारा हैं। मैं कांग्रेस से लंबे वक्त से जुड़ा था। कांग्रेस पार्टी के कुछ नेताओं द्वारा कुछ ऐसी स्थिति पैदा कर दी गई थी, जिसके कारण मुझे मजबूरन पार्टी छोड़नी पड़ी थी। उन्होंने कहा कि भाजपा में रहते हुए हमने काम करने और जनता की सेवा करने की कोशिश की, लेकिन मैं भाजपा में एडजस्ट नहीं कर पा रहा हूं।
(लेखक राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
लवलीना, मेडल जरूर लाना!
ओलिंपिक २०२४ में भारत का प्रदर्शन अबतक बेहतरीन रहा है। अब तक हिंदुस्थान की झोली में तीन पदक आ चुके हैं। आगे और पदक पाने की उम्मीदें हैं। इस कड़ी में अगर बात करें भारतीय महिला बॉक्सर लवलीना बोर्गोहेन की तो वे इतिहास रचने के बहुत करीब पहुंच गई हैं। इंडियन बॉक्सर ने पेरिस ओलिंपिक्स २०२४ के क्वॉर्टर-फाइनल में प्रवेश कर लिया है। लवलीना ने अपने पहले मुकाबले में नॉर्वे की बॉक्सर सनीवा हाफ्सटेड को हरा दिया। ७५ केजी कैटेगरी में लवलीना ने आसान जीत दर्ज कीं। लवलीना अब मेडल पक्का करने से महज एक जीत दूर हैं। लवलीना ने शुरुआत से ही अपनी विरोधी खिलाड़ी पर हमले शुरू कर दिए। नतीजा ये रहा कि लवलीना ने पहला राउंड ५-० से जीता है। लवलीना रविवार, ४ अगस्त को क्वॉर्टरफाइनल में चीन की लि कियन से भिड़ेंगी। बता दें कि दो बार की ओलिंपिक मेडलिस्ट और टॉप सीड लि कियन लवलीना के लिए बड़ी चुनौती मानी जा रही है। ये मुकाबला ४ अगस्त को खेला जाएगा। अगर लवलीना ये मुकाबला जीतने में सफल रहती हैं, तो दो ओलिंपिक मेडल जीतनेवाली पहली भारतीय बॉक्सर बन सकती हैं। लवलीना ने टोक्यो ओलिंपिक्स के दौरान भी ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया था, वैसे सभी हिंदुस्थानियों की यही ख्वाहिश है कि लवलीना मेडल जरूर लाएं और इस संडे को सुपर संडे बना दें…!
गजल
मांगा तुझे है रब से सनम इस दुआ के साथ
बीते ये जिंदगी मेरी तेरी वफा के साथ
निर्मल हो गंगाजल जैसा बंधन ये प्रीत का
जैसे रहा था राम का उनकी सिया के साथ
ये है दुआ खुदा से मेरी हो खुशी सदा वहां
घर में जहां रहे सभी माता पिता के साथ
मैखने चाहे जितने बुला लो करीब तुम
पैमाना तो बनेगा सिर्फ साकिया के साथ
ये इम्तिहां ही जिंदगी का सोज है कनक
होता है लाल संग भी घिस कर हिना के साथ
-डॉ. कनक लता तिवारी
क्या होगा, क्या पता
कब कहां कैसे क्या होगा क्या पता ।
कौन कब शोषक बनेगा क्या पता ।।
क्या पता कैसे चलेगा कारवां।
कब मिलेगा लक्ष्य हमको क्या पता।।
लोग कुनबे में बंटे हैं आज भी।
तर्क कब विजयी बनेगा क्या पता।।
आदमी के सर चढ़ा है आदमी।
कब उतरकर वह चलेगा क्या पता।।
रोग इतना है कि हम अब क्या कहें।।
दर्द कब काफूर होगा क्या पता।।
कुछ जो लड़ने जा रहे मैदान में।
जीत लेंगे वे समर है क्या पता।।
एकता के हाथ में है फैसला।
एकता कब होगी हमें यह क्या पता।
अब चलो हम सोचते हैं क्या करें।
राह शायद मिल भी जाए क्या पता।।
प्यार से ही जंग जीतेंगे सही।
प्यार शायद हो ही जाए क्या पता।।
वे जो हमको मारते दिन रात हैं।
वे ही शायद डूब जाएं क्या पता।।
वे प्रदूषण ला रहे हैं जोर से।
कैसा बनेगा देश मेरा क्या पता।।
-अन्वेषी
आज फिर तू याद आ गया
खुशियों का यह संसार,
मेरे जीवन की बहार
जब मेरे घर तू आया था
बहारों की हरियाली लाया था।
हम सब खुश थे तेरे आने पर बेटा,
तू हमारी उम्मीदों का सहारा था
बचपन का छोटा-सा बच्चा जब जवान हो गया,
मेरे कन्धों के बराबर खड़ा कदम मिलाकर चलने लगा।
तू हमारी आशा की किरणों का प्रकाश था,
तेरा विश्वास, मेरी उम्मीद थी
पर तू एक दिन अचानक मुझे अकेला छोड़,
दुनिया से अलविदा कर गया।
आज जब तेरा जन्मदिन है,
हम तुम्हें नहीं भूल पाते।
फिर पुरानी यादों के सहारे जी रहे हैं अकेले,
आज फिर तू याद आ गया…॥
– हरिहर सिंह चौहान, इंदौर