कनाडा में टोरंटो प्राइड परेड २०२४ विवादों में घिर गई है। इस परेड में कई वयस्क प्रतिभागियों ने नग्न होकर मार्च किया और सार्वजनिक रूप से यौन व्यवहार में शामिल हुए। परेड की वीडियो ऑनलाइन सामने आने के बाद इंटरनेट यूजर्स में गुस्से की लहर दौड़ गई है। वीडियो देखकर कई सोशल मीडिया यूजर्स ने सवाल उठाया कि क्या आप अपने बच्चों को इस मार्च में ले जाएंगे? बता दें कि परंपरागत रूप से प्राइड परेड में परिवार और बच्चे भी शामिल होते हैं। ऐसे में कई लोगों ने कहा कि सार्वजनिक जगह पर इस तरह का यौन प्रदर्शन अनुचित है। कई लोगों ने इस घटना पर नाराजगी व्यक्त की है। उनका कहना है कि इस तरह का स्पष्ट यौन सामग्री एक परिवार के अनुकूल कार्यक्रम के लिए अनुपयुक्त है।
क्लीन बोल्ड : हार्दिक चुंबन
अमिताभ श्रीवास्तव
पूरे फाइनल और उसके पुरस्कार समारोह के बीच जो एक वाकया हुआ उसने न केवल क्रिकेट दुनिया का दिल जीत लिया, बल्कि वो भविष्य की जिम्मेदारी के लिए भी बहुत बड़ा प्यार साबित हुआ है। यह वो क्षण था, जब भावनाएं प्रमुख बनी थीं। वो सारी अफवाहें, विवाद जो आईपीएल में बनी उन सबका तिरोहित हो जाना था, क्योंकि बीच इंटरव्यू में आकर रोहित शर्मा द्वारा हार्दिक पंड्या को चूमना इस बात का संकेत था कि हार्दिक ही था, जिसने रोहित का असल में साथ दिया अन्यथा फाइनल का यह क्षण देखने को नहीं मिलता। रोहित जैसे कप्तान कभी नहीं मिलेंगे। पहला और एकमात्र ऐसा कप्तान है, जिसने खिलाड़ी सदस्यों के साथ-साथ दर्शकों को भी हाथ जोड़कर धन्यवाद अर्पित किया, जिसने अपने दोस्त, अपने जूनियर हार्दिक पंड्या को बीच मैदान जाकर चूम लिया। ये वाकया तब हुआ जब हार्दिक पंड्या मैच के बाद तिरंगा झंडा लिए एक इंटरव्यू दे रहे थे। जीत की खुशी में कप्तान रोहित शर्मा भी वहां जा पहुंचे और हार्दिक पंड्या को चूमते हुए गले से लगा लिया। ये वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। क्रिकेट फैंस इस वीडियो पर जमकर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। इससे बेहतर भावनाओं से भरा क्षण और कहां देखने को मिलेगा जिसमें बड़े भाई की तरह प्यार देखने को मिला।
तिलंगो की विदाई
सैल्यूट के साथ विदा। यदि दो महान बल्लेबाज रोहित और विराट अंतर्राष्ट्रीय मैचों में नहीं दिखेंगे तो कोच राहुल द्रविड़ भी नहीं दिखेंगे। उन्होंने भी विदाई ले ली है, यानी तीन महान शख्सियतों का यह अद्भुत विदाई क्षण है, जब टीम और तिरंगा पूरे विश्व में लहरा रहा है। रोहित शर्मा के टी-२० इंटरनेशनल में सबसे ज्यादा रन हैं। उन्होंने १५९ मैचों में ४,२३१ रन बनाए हैं। वह टी-२० में सबसे ज्यादा शतक जमानेवाले बल्लेबाज भी हैं। उन्होंने टी-२० इंटरनेशनल में पांच शतक लगाए हैं। रोहित ने दो बार टी-२० वर्ल्डकप जीता है। साल २०१० में जिम्बाब्वे के खिलाफ विराट कोहली ने हरारे में टी-२० डेब्यू किया था। वह अब तक १२४ टी-२० इंटरनेशनल मैच खेल चुके हैं और ४,११२ रन बनाए हैं। कोहली के नाम इस फॉर्मेट में एक शतक और ३७ अर्धशतक दर्ज हैं। कोहली इस दौरान ३१ बार नाबाद रहे हैं। टी-२० में उनका औसत ४८.२२ का रहा है। वह इस फॉर्मेट में ४ विकेट भी हासिल कर चुके हैं। द्रविड़ ने टीम इंडिया को २०२३ एशिया कप का चैंपियन बनवाया लेकिन बड़े आईसीसी टूर्नामेंट में हार ही मिली। टेस्ट विश्व चैंपियनशिप २०२३ का फाइनल, वनडे वर्ल्डकप २०२३ का फाइनल हारे, जबकि टी-२० वर्ल्डकप २०२२ के सेमीफाइनल में नाकाम रहे और इसी तरह एशिया कप २०२२ में भी फाइनल तक नहीं पहुंच सके थे। लेकिन राहुल द्रविड़ के कोचिंग कार्यकाल का आखिरी दिन कमाल रहा। टीम इंडिया टी-२० वर्ल्डकप जीती और अब वो वर्ल्ड चैंपियन कोच कहलाए जाएंगे।
किसकी वजह से जीते?
जबसे हिंदुस्थान विश्वकप फाइनल जीता है क्रिकेट जगत में तरह-तरह की बातें हो रही हैं। कोई कह रहा इंडिया सूर्यकुमार के कैच से जीता है तो कोई कह रहा है अक्षर के उन ४७ रनों से जीता जो विराट कोहली के साथ बनाए थे। कोई कह रहा रोहित की कप्तानी के कारण जीता तो कोई कह रहा बुमराह की गेंदबाजी के कारण जीता। कोई यह भी कह रहा है कि विराट के रहते जीत दर्ज हो पाई तो कोई कह रहा अर्शदीप के १९वें ओवर के कारण फाइनल जीते। कोई कोच राहुल द्रविड़ के कारण विजयश्री बता रहा है तो कोई हार्दिक पंड्या के आखिरी ओवर को दिमागी ओवर बता रहा है। दरअसल, टीम इंडिया किसी एक कारण से नहीं जीती है बल्कि पूरी टीम इसकी हकदार है। अव्वल किसी भी जीत के लिए जो जरूरी एलिमेंट होता है वो है कप्तान को टीम सदस्यों का साथ। रोहित शर्मा ने जब यह कहा कि लड़कों ने मेरा साथ दिया तो कई सारी बातें खुलकर सामने आ खड़ी हुईं। ये जो साथ देने की बात है वो होती है जीतने की इच्छा शक्ति से, जिद से और अपना शत-प्रतिशत देने से। टीम के हर एक खिलाड़ी ने अपना पूरा योगदान दिया है। पंत को भूल नहीं सकते, कोहली को नजरअंदाज किया ही नहीं जा सकता। शिवम दुबे की आलोचना भले हो, मगर फाइनल में उनकी भागीदारी अहम रही। कुलदीप यादव को परे रख ही नहीं सकते। जडेजा को कैसे भूल सकते हैं। कुल मिलाकर टीम का कोई एक खिलाड़ी महत्वपूर्ण बनकर नहीं निकला, बल्कि पूरी टीम महत्वपूर्ण बनी और विजेता ऐसे ही बना जा सकता है।
(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार व टिप्पणीकार हैं।)
श्राद्ध की चल रही थी तैयारी… युवक गर्लफ्रेंड के साथ पकड़ाया!
बिहार के वैशाली में ऐसा मामला सामने आया है, जिसे सुनकर पुलिस से लेकर परिजन भी हैरान हैं। जिले के गंगा ब्रिज थाना क्षेत्र में पिछले सप्ताह जिस युवक का शव मिलने के बाद परिजनों ने थाना के बाहर हंगामा किया और उसका अंतिम संस्कार कर श्राद्ध कर्म की तैयारी कर रहे थे, वो युवक अपनी प्रेमिका के साथ जिंदा बरामद हुआ है। दोनों को जिंदा देख परिवार के लोग हैरान रह गए। मिली जानकारी के अनुसार, बीते १८ जून को २१ वर्षीय युवक अचानक लापता हो गया। इसके तीन दिन बाद २१ जून को किसी ने सूचना दी कि सन्नी की हत्या कर शव को जलाकर समस्तीपुर जिले के मोहनपुर थाना क्षेत्र में फेंक दिया गया है। परिजनों ने थाना पहुंचकर शव की शिनाख्त भी की, जिसके बाद परिजनों ने बेटे की हत्या की एफआईआर दर्ज कराई और आरोप लड़की के घर वालों पर लगाया। युवक की मौत के बाद २१ जून को हाजीपुर कोनहारा घाट पर उसका दाह संस्कार कर दिया था। उसी दौरान हाजीपुर से लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर दूर बक्सर में युवक अपनी गर्लफ्रेंड से शादी करने के बाद जिंदगी की नई शुरुआत करने जा रहा था। युवक की तलाश में जुटी पुलिस को सूचना मिली उसके बाद दोनों को पकड़ लिया। फिलहाल, पुलिस सारे तथ्यों के आधार पर मामले की तहकीकात करने में जुटी है।
राजस्थान का रण : राजस्थान में आया पोपाबाई राज!
गजेंद्र भंडारी
भजनलाल सरकार पर लगातार कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा हमलावर हैं। डोटासरा ने बीजेपी को जमकर घेरा। उन्होंने भजनलाल सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि राजस्थान में तो पोपाबाई राज आ गया। यहां किसी मंत्री को नहीं पता कि क्या चल रहा है? डोटासरा ने सरकार पर युवाओं को नौकरी न देने पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि सरकार ने ७ महीने में खुद की निकाली भर्ती में ७ लोगों को नौकरी नहीं दी और सीएम खुद ही अपनी पीठ थपाथपा रहे हैं। भजनलाल सरकार को लेकर डोटासरा ने कहा कि सरकार में खींचतान बनी हुई है। यहां ६ महीने में खींचतान शुरू हो गई। डोटासरा ने कहा कि यहां कौन मंत्री रहेगा, कौन मुख्यमंत्री ढूंढ़ने में १० दिन लगा दिए थे, लेकिन अब काम नहीं कर पा रहे हैं। झुंझुनू में यमुना के पानी को लेकर सीएम ने आश्वासन दिया। इस पर डोटासरा ने कहा कि सीएम कह रहे हैं कि यमुना का पानी लाएंगे, कब ला देंगे, ला दीजिए, पता नहीं कब पर्ची बदल जाए और दिल्ली से फरमान आ जाए। डोटासरा ने तंज कसते हुए कहा कि जो करना है कर दीजिए, अगर पानी ऐसे नहीं आ रहा तो एक मटका भरकर ला दीजिए। डोटासरा ने कहा कि कुंभाराम परियोजना को आगे बढ़ाए बिना यमुना का पानी नहीं आएगा।
दिलावर ने मारी पलटी
आदिवासी समाज को लेकर शिक्षामंत्री मदन दिलावर के बयान के बाद सियासत कम नहीं हो रही है। रविवार को जयपुर में बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत ने मदन के आवास पहुंचकर डीएनए के लिए ब्लड सैंपल देने का प्रयास किया। हालांकि, उन्होंने पुलिसकर्मियों की मदद से अपना ब्लड सैंपल सौंपा। इसी बीच पूरे मामले को लेकर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने एक बार फिर आदिवासियों को लेकर बयान देते हुए कहा कि इस देश में रहने वाले सभी लोग आदिवासी हैं और आदिवासी सबसे श्रेष्ठ हैं। दिलावर ने कहा कि इस देश में रहने वाले सभी जाति के लोग आदिवासी रहे हैं, इस देश में अनादि काल से रहने वाले लोग आदिवासी हैं और मैं भी आदिवासी हूं। मदन दिलावर ने कहा कि इस देश में रहने वाले ब्राह्मण, राजपूत और सभी वर्ग आदिवासी रहे हैं और आदिवासी हमेशा से ही पूजनीय रहे हैं और देश में रहने वाले सभी आदिवासियों का हम सम्मान करते हैं। पहले शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने अपने एक बयान में कहा था कि जो आदिवासी खुद को हिंदू नहीं मानते उन्हें डीएनए टेस्ट करवा लेना चाहिए कि उनका बाप कौन है, जिसके बाद मामला काफी गरमा गया और आदिवासी पार्टी ने इस बयान पर आपत्ति जताते हुए मदन दिलावर से माफी मांगने को कहा। इसके बाद शनिवार को आदिवासी पार्टी की ओर से विरोध प्रदर्शन कर शिक्षा मंत्री से इस्तीफा की मांग रखी गई।
अपनों से ही परेशान
लोकसभा चुनाव के बाद एक बार फिर दौसा में सियासत का टेंपरेचर हाई हो गया है। वैâबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के इस्तीफा देने वाले बयान पर राजनीति अभी थमी भी नहीं थी कि दौसा बीजेपी के पूर्व जिला अध्यक्ष अमर सिंह कसाना के बयान ने हलचल मचा दी है। कसाना ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखकर विधानसभा उपचुनाव से पहले सियासत को गरमा दिया है। उन्होंने कहा है कि दौसा जिला भाजपा अध्यक्ष समेत पूरे संगठन को लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार को देखते हुए नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए। इनको पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है। अगर इन्होंने समय रहते हुए इस्तीफा नहीं दिया तो आने वाले विधानसभा उपचुनाव में दौसा की सीट पर बीजेपी को भारी नुकसान होगा। कसाना ने पार्टी के शीर्ष पदाधिकारियों को अपील करते हुए लिखा कि मैं प्रदेश नेतृत्व और राष्ट्रीय नेतृत्व से आग्रह करना चाहता हूं कि भाजपा की दौसा में स्थिति बहुत खराब है इसलिए संगठन पर विशेष ध्यान दें। दौसा सीट पर बैरवा, गुर्जर या मीना को टिकट दिया तो भाजपा की जीत होगी अन्यथा जातीय समीकरणों के आधार पर भाजपा की हार लगभग तय है। दौसा सीट परिणाम में कांग्रेस के मुरारी लाल मीणा ने दौसा लोकसभा क्षेत्र से जीत दर्ज की और बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा। अब हार के बाद पूर्व जिला अध्यक्ष द्वारा सोशल मीडिया पर लिखी गई पोस्ट ने बीजेपी नेताओं में हलचल पैदा कर दी है।
मेहनतकश : गरीबी से निकल जगा रहे शिक्षा की अलख
सगीर अंसारी
कहते हैं शिक्षा किसी की मोहताज नहीं होती। शिक्षा के बल पर इंसान फर्श से अर्श तक पहुंच जाता है। इसी कड़ी में डॉक्टर सत्तार खान ने भी गरीबी झेलते हुए शिक्षा ग्रहण की और आज उच्च मुकाम तक पहुंच गए हैं। वे जब छोटे थे तब अपनी मां के साथ वर्ष १९७४ मैं मुंबई आए। यहां आने के बाद वे कुर्ला इलाके में अपने मामा के घर पर रहकर चौथी कक्षा से पढ़ाई शुरू की। बाद में चेंबूर के मुक्तानंद हाई स्कूल से दसवीं की परीक्षा देने के बाद वे यशवंत राव चव्हाण मुक्त विद्यापीठ से बीए तक की शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से एमए किया। इसी तरह वर्ष २०१८ में एलएलबी भी पूरा किया। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी में प्रवेश किया। डॉ. सत्तार खान के अनुसार, उन्होंने सबसे पहले तत्कालीन विधायक व महाराष्ट्र राज्य के शिक्षा मंत्री प्रो. जावेद खान के साथ कार्यकर्ता के रूप में काम शुरू किया। इसी दौरान सत्तार खान की शादी हुई और वे चार बच्चों के पिता बने, जिनमें दो पुत्र और दो पुत्री हैं। डॉक्टर सत्तार खान ने उन्हें भी उच्च शिक्षा दिलाई। अपने बच्चों की परवरिश के साथ-साथ डॉ. सत्तार खान ने समाज में अनेक बच्चों की शिक्षा के लिए भी काम किया, जिनमें से कुछ इंजीनियर तो कुछ एडवोकेट बनकर कार्य कर रहे हैं। सामाजिक कार्यों के दम पर डॉ. सत्तार खान को साल २०१८ में कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट (पीएचडी) की उपाधि मिली। शिक्षा व सामाजिक कार्यों में रुचि रखनेवाले डॉ. सत्तार खान को दिल्ली स्थित वर्ल्ड ह्यूमन राइट यूनिवर्सिटी की तरफ से वर्ष २०२२ में दोबारा पीएचडी से नवाजा गया। एडवोकेट के तौर पर अदालत में प्रैक्टिस करनेवाले डॉक्टर सत्तार खान ने कांग्रेस पार्टी के रोजगार एवं स्वयंरोजगार सेल के मुंबई महासचिव पद पर रहकर अनेक बेरोजगार युवाओं को रोजगार दिलवाया। उनके इस कार्य में मुंबई कांग्रेस कमेटी अध्यक्षा प्रो. वर्षा गायकवाड का भी काफी सहयोग मिला, साथ ही पार्टी में रहकर उन्होंने स्थानीय रहिवासियों की समस्याओं को लेकर अधिकारियों व नेताओं के सामने आवाज बुलंद की। लोगों की चाहे छोटी समस्या हो या बड़ी, वे कभी भी सहायता करने से पीछे नहीं हटे। लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर उनके हक की लड़ाई लड़ी। कई शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े हुए डॉ. सत्तार खान ने शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई सामाजिक संस्थाओं के साथ जुड़कर अपने काम को अंजाम दे रहे हैं। गोवंडी और चेंबूर रेलवे स्टेशन के बीच में रेलवे लाइन पार करने के दौरान कई विद्यार्थियों और नागरिकों की जान चली जाती थी, इस जगह पर पादचारी पुल के निर्माण को लेकर उन्होंने ७ वर्षों तक संघर्ष किया। आखिरकार, वहां पुल बनवाकर ही दम लिया।
बैड न्यूज जुड़वां बच्चों के दो बाप!
क्या ऐसा संभव है कि किसी महिला को जुड़वां बच्चे पैदा हों और उन दोनों बच्चों के बाप अलग-अलग यानी दो हों? कोई भी यही कहेगा कि ऐसा संभव नहीं है। अब विक्की कौशल जो अगली फिल्म करने जा रहे हैं वह इसी विषय पर आधारित है। और जवाब है कि हां जुड़वां बच्चों के दो बाप हो सकते हैं। असल में एक ही ओव्यूलेशन पीरियड के दौरान जब महिला अलग-अलग लोगों से यौन संबंध स्थापित करती है तो उसके चलते उनके स्पर्म सेल्स से दो अंडे फर्टिलाइज हो जाते हैं और उसे ‘हेट्रोपेटरनल सुपरफेकंडेशन’ कहते हैं। यह एक दुर्लभ घटना है जिससे जुड़वां बच्चों का जन्म होता है पर उनके पिता अलग-अलग होते हैं। विक्की कौशल की फिल्म ‘बैड न्यूज’ इसी विषय पर आधारित है। अब देखना है कि विक्की इस विषय के साथ किस तरह न्याय कर पाते हैं।
डेटिंग ऐप के इश्क में लगा झटका
डेटिंग ऐप के जरिए इश्क की तलाश में जुटे एक युवक को जोरदार झटका लगा है। दिल्ली में रहने वाले युवक को एक हजार रुपए के खाने का बिल एक लाख रुपए चुकाना पड़ा है। दरअसल, दिल्ली में एक डेटिंग ऐप के माध्यम से लोगों को लूटने वाला गैंग सक्रिय है। इस गैंग की जानकारी दिल्ली पुलिस को तब चली, जब २४ जून को एक शिकायतकर्ता जो यूपीएससी की तैयारी कर रहा होता है, वो दिल्ली के शकरपुर थाने में पहुंचता और बताता है कि उसकी दोस्ती डेटिंग ऐप पर एक २४ साल की लड़की से हुई थी, जिसने अपना नाम वर्षा बताया था। उस लड़की ने शिकायतकर्ता को विकास मार्ग के एक रेस्तरां में बुलाया, जहां पर उसे बंधक बनाकर सवा लाख रुपए का बिल वसूला गया है। पीड़ित की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने ठगी और आपराधिक षड्यंत्र की साजिश के तहत एफआईआर दर्ज की और जांच में जुट गई। पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है। फिलहाल, पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस गैंग ने कितने और लोगों को अपनी ठगी का शिकार बनाया है।
सियासतनामा : मजलूम बनाम जालिम
सैयद सलमान मुंबई
लोकसभा चुनाव के पहले इंडिया गठबंधन में शामिल दो राज्यों के मुख्यमंत्री जेल पहुंचा दिए गए। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तो अभी भी जेल में हैं। निचली अदालत से जमानत मिलने के बावजूद जेल से रिहा होने से पहले ही उन्हें उच्च न्यायालय में अपील कर जेल से निकलने नहीं दिया गया। दूसरी तरफ झारखंड के मुख्यमंत्री रहते हुए हेमंत सोरेन भी केंद्रीय जांच एजेंसियों के रडार पर आए थे। हालांकि, उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री पद सौंप दिया। आखिर उनकी गिरफ्तारी हुई और वो हाल ही में जेल से जमानत पर बाहर आए। विपक्ष का आरोप है कि अरविंद केजरीवाल और हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी बदले और राजनीतिक दुर्भावना से की गई। हेमंत सोरेन जमानत मिलने के बाद फिर से सक्रिय हो गए हैं। बहुत जल्द झारखंड में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। उनके बाहर आने से विपक्ष के हौसले बुलंद हुए हैं। विपक्ष को लग रहा है कि जल्द ही केजरीवाल को भी जमानत मिल जाएगी। सोरेन और केजरीवाल को अगर मजलूम बनाकर पेश करने में इंडिया गठबंधन कामयाब होता है तो भाजपा को जालिम होने का तमगा मिल जाएगा।
भीड़ का हिस्सा
बिहार में नीतीश कुमार को लेकर हमेशा संशय बना रहता है। उनकी राजनीतिक चालों को समझना आसान नहीं होता। कभी भाजपा और कभी राजद के साथ मिलकर सरकार बनाने का अनूठा रिकॉर्ड उनके नाम है। हालिया संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में वो भाजपा के साथ थे। एनडीए सरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल में उन्हें ज्यादा महत्व मिलने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, फिर भी वो भाजपा के साथ बने हुए हैं। लेकिन उनका मन कचोट तो रहा ही होगा कि कहां वो कभी इंडिया गठबंधन के सूत्रधार थे और कहां एनडीए की भीड़ का हिस्सा बनकर रह गए हैं। अब उन्होंने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा या विशेष पैकेज का मुद्दा उठाकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश की है। जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इस आशय का प्रस्ताव लाकर उन्होंने यह दिखाने का प्रयास किया है कि वो बिहार को लेकर गंभीर हैं। हालांकि, चर्चा है कि भाजपा अब उन्हें रास्ते से हटाकर किसी भाजपा नेता या चिराग पासवान को प्रोजेक्ट करने की रणनीति बना रही है। सुशासन बाबू की चतुराई की असल अग्निपरीक्षा अभी बाकी है।
अगला निशाना जेजेपी
जिन पार्टियों के साथ भी भाजपा पहले गठबंधन करती है उसे बाद में निपटा देती है। उसका अगला निशाना हरियाणा की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) है। हालांकि, जेजेपी ने लोकसभा चुनाव से पहले ही भाजपा से अलग होने का एलान कर दिया था। इसके बाद हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को इस्तीफा देना पड़ा था। तब भाजपा ने निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बना कर अपनी साख बचाई थी। नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया था। लेकिन लोकसभा चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि हरियाणा में सरकार के खिलाफ माहौल बन चुका है। खासकर किसान और जाटों का जबरदस्त विरोध है। ऐसे में भी भाजपा ने हरियाणा में अगला विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने की घोषणा कर दिया है। यह किसी और को नहीं, बल्कि जेजेपी को खत्म करने का मंसूबा है। जेजेपी को अलग-थलग कर वह अपने राष्ट्रीय नेताओं की इमेज भुनाकर जेजेपी के वोट बैंक पर कब्जा करना चाहती है। अब जेजेपी की भूमिका पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं।
योगी और सहयोगी
नौकरियों में ओबीसी और एससी-एसटी आरक्षण को लेकर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अब अपने ही लोगों के निशाने पर है। हालिया लोकसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस गठबंधन से पिछड़ने के बाद राज्य में भाजपा के सहयोगियों की नाराजगी सामने आई है। पहले केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल व अब निषाद पार्टी के मुखिया और यूपी में कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने ओबीसी रिजर्वेशन को लेकर योगी सरकार को घेरा है। दोनों ने योगी सरकार पर आरक्षण जैसे संवेदनशील मुद्दे को ठीक से हैंडल नहीं करने का आरोप लगाया है। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में जिस तरह से विपक्ष ने संविधान और आरक्षण का मुद्दा उठाया, उसके आगे भाजपा की राम मंदिर, सांप्रदायिक भेदभाव, बुलडोजर या अपराधियों को ढेर करने वाली कोई रणनीति काम नहीं आई। भाजपा को अपनी इन्हीं उपलब्धियों पर नाज था, जबकि जनता को रोजी-रोटी की आस थी। भाजपा और योगी आदित्यनाथ जनता की इस नब्ज को अपने अहंकार के कारण पकड़ नहीं पा रहे। नतीजतन भाजपा के छोटे-छोटे सहयोगी दलों की भी अब जुबान खुल गई है।
(लेखक मुंबई विश्वविद्यालय, गरवारे संस्थान के हिंदी पत्रकारिता विभाग में समन्वयक हैं। देश के प्रमुख प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं।)
बारिश से बचने के लिए कार बनी घर!
उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने अपने सोशल मीडिया पर एक लड़की का वीडियो शेयर किया है, जो बारिश से बचने के लिए अपनी गाड़ी को ही घर बना देती है। लड़की के इस कारनामे को देखकर उद्योगपति आनंद महिंद्रा भी शॉक्ड हो गए और उन्होंने खुद इस अपार्टमेंट को किराए पर लेने की मांग कर दी। ये वीडियो उन्होंने एक्स पर शेयर किया है। इस वीडियो में दिख रहा है कि एक लड़की आउटडोर वैंâपिंग करती है। सबसे पहले लड़की एक टेंट लगाती है, जिसे वो अपनी गाड़ी से अटैच करती है। इसके बाद वो टेंट को अपने कमरे की तरह सजाती है। इसी के साथ वो टेंट में एक अलग से डाइनिंग एरिया भी बनाती है। गाड़ी के पास ही एक दूसरा टेंट लगाती है, जिसमें बाथरूम की सुविधा होती है। गौरतलब है कि लड़की ने अपनी गाड़ी को जिस तरह से एक घर में बदला है, ऐसे में उसके टैलेंट को देखकर सोशल मीडिया पर लोग लड़की की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं। लोगों को वैंâपिंग का ये अनोखा तरीका काफी पसंद आ रहा है।
चेंबूर रेलवे स्टेशन के शेड से पानी का रिसाव!
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई में मानसून पूर्व किए गए बड़े-बड़े दावे धाराशायी हो चुके हैं। सड़कोें पर जमा होने वाले पानी से लोग परेशान तो हैं ही, साथ ही अब रेलवे स्टेशन पर भी लोग टपकते पानी से भीगने को मजबूर हैं। तेज बरसात के दौरान चेंबूर रेलवे स्टेशन की छत लीक होने लगी, जिसकी वजह से कई यात्री भीग गए, तो कई यात्रियों को प्लेटफॉर्म पर ही छाता खोलने के लिए मजबूर होना पड़ा। चेंबूर रेलवे स्टेशन को महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन के रूप में जाना जाता है। इस क्षेत्र में मेट्रो, मोनो, सांताक्रूज-कुर्ला लिंक रोड, ईस्ट एक्सप्रेसवे द्वारा जल्दी पहुंचा जा सकता है। यही वजह है कि चेंबूर क्षेत्र की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। फिलहाल, चेंबूर स्टेशन कुर्ला, गोवंडी, मानखुर्द स्टेशन की छत से पानी टपक रहा है। चेंबूर रेलवे स्टेशन के खंभों और छतों में भी दरारें पड़ गई हैं और कुछ जगहों पर जंग लग गई है इसलिए बारिश का पानी सीधे प्लेटफार्म पर गिरता है। हर साल मानसून के सीजन की शुरुआत में रेलवे स्टेशन के रखरखाव के लिए रेलवे लाखों रुपए खर्च करता है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से हो रही बारिश के कारण रेलवे प्रशासन की लापरवाही सामने आई है।