सामना संवाददाता / जम्मू
भारतीय जनता पार्टी के लिए इस बार कश्मीर की फिजा बिल्कुल विपरीत है। संभवत: इसी डर से २० वर्षों में पहली बार ऐसा हो रहा है कि भाजपा चुनावी मैदान से दूर है। कश्मीर घाटी की तीन लोकसभा सीटों पर २५ मई को मतदान होंगे जबकि १९ अप्रैल को नामांकन दाखिल करने का अंतिम दिन था, लेकिन भाजपा इनमें से किसी भी सीट से अपने उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतारे। घाटी में चुनाव से दूर रहने पर जानकारों का कहना है कि विशेष राज्य का दर्जा खत्म होने से यहां के लोग काफी नाराज हैं। लोगों की इसी नाराजगी को भांपते हुए भाजपा ने चुनाव से दूर रहने में ही भलाई समझी, क्योंकि यदि चुनाव में उतरने के बाद शिकस्त मिलती है तो यह भाजपा के लिए काफी शर्मिंदगी भरा होगा।
उल्लेखनीय है कि पिछले महीने यानी अप्रैल में जम्मू के पलौरा इलाके में एक चुनावी रैली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने भाषण में कहा था कि मैं घाटी के मेरे बहनों-भाइयों से कहना चाहता हूं, हमें कोई जल्दी नहीं, जब आपका प्यार मिलेगा, तब घाटी में कमल जरूर खिलेगा। उन्होंने आगे कहा कि हम कश्मीर को जीतने नहीं जा रहे हैं जैसा कि हमारे विरोधियों ने अनुमान लगाया है। हम कश्मीर के हर दिल को जीतना चाहते हैं। उनके भाषण के बाद से ही यह कयास लगने लगे कि कश्मीर घाटी में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए भारतीय जनता पार्टी कोई खास प्रयास नहीं कर रही है।
कश्मीरियों के लिए अस्वीकार्य भाजपा
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि घाटी में भाजपा के लिए प्रतिकूल स्थिति है। जब से भाजपा ने जम्मू-कश्मीर को लेकर विशेष राज्य का दर्जा खत्म किया है। लोगों में उसके प्रति गुस्सा है और उसकी लोकप्रियता के गिरावट में भी काफी इजाफा हुआ है। राजनीतिक जानकार आगे कहते हैं कि भाजपा को संभवत: एहसास हो गया है कि कश्मीरी उन्हें अस्वीकार कर देंगे। यह मोदी और शाह के लिए शर्मिंदगी की बात होगी। वहीं जम्मू-कश्मीर में भाजपा प्रमुख रविंदर रैना ने कहा कि मुस्लिम बहुल कश्मीर घाटी की तीन सीटों पर चुनाव लड़ने से बचने का पार्टी का निर्णय ‘एक बड़ा लक्ष्य हासिल करना’ था।
घाटी में भाजपा का एक भी उम्मीदवार नहीं
बता दें कि १९ अप्रैल को अनंतनाग-राजौरी संसदीय सीट के लिए नामांकन दाखिल करने का आखिरी दिन था। यह उन तीन लोकसभा सीटों में से पहली सीट है, जहां २५ मई को मतदान होने हैं, जबकि इस सीट के लिए कुल २५ उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया है, हैरान करनेवाली बात यह है कि उनमें से कोई भी सीट से भारतीय जनता पार्टी का उम्मीदवार नहीं है।