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उत्तर की उलटन-पलटन : कहीं भाजपा नेताओं की नो एंट्री …तो कहीं मतदान का बहिष्कार!

श्रीकिशोर शाही

लोकसभा के इस चुनाव में भाजपा का प्रमुख नारा है, अबकी बार ४०० पार। ४०० सीटों का आंकड़ा पार करना आसान नहीं है, मगर भाजपा नेता इसका माहौल बना रहे हैं। अब देश के अलग-अलग हिस्सों से जो खबरें आ रही हैं, वह विकास के नाम पर वोटरों के छले जाने की कहानी बता रही हैं और यह कोई एक-दो जगह नहीं, बल्कि कई जगहों की कहानी है। अब उत्तराखंड का ही मसला ले लीजिए। राज्य के चमोली जिले में नेपाल सीमा पर ६,००० फीट की ऊंचाई पर दुमक गांव है। गढ़वाल क्षेत्र के लोग इस इलाके में बरसों से सड़क बनाने की मांग कर रहे हैं। देश में चारों तरफ विकास की डुगडुगी बज रही है। बताया जाता है कि मोदी सरकार ने देश में सड़कों का जाल बिछा दिया है, मगर आपको आश्चर्य होगा कि इस सरहदी क्षेत्र में १७ साल से सड़क का वादा अधूरा है। ३२ किलोमीटर लंबा रोड प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनना था। यह सड़क २००७-०८ में शुरू हुई थी, जो अभी तक आधी भी नहीं बन पाई है। ऐसे में गांव वालों का गुस्सा जायज है। अब यहां के लोगों का कहना है कि सड़क नहीं तो वोट नहीं। यह कहानी विकास के दावे की पोल खोलती है। अब आप सोच रहे होंगे कि एक मामले से क्या होता है तो आप गलत हैं। इस तरह के नजारे और भी हैं।
नेपाल से सटे बहराइच के चार गांव भी मतदान का बहिष्कार कर रहे हैं। उन्होंने बोर्ड भी लगाकर प्रदर्शन भी किया है। उनका कहना है कि डिजिटल इंडिया के इस युग में उनके गांव में नेटवर्क ही नहीं है। इसी तरह बिहार और यूपी के जंगल वाले दुर्गम एरिया के करीब ५० गांव नेपाल से निकलने वाली गंडक नदी की बाढ़ से परेशान रहते हैं। बरसात में उनका शहर मुख्यालय जाना दूभर हो जाता है। वे लोग भी वर्षों से उस एरिया में पुल बनाने की मांग कर रहे हैं, आज तक उनकी मांग किसी ने नहीं सुनी है। ऐसे में इन गांवों के लोगों ने भी मतदान का बहिष्कार करने की धमकी दे दी है। अब कलेक्टर साहब भाग-दौड़ करके उन्हें मनाने की कोशिश कर रहे हैं। इसी तरह कुछ माह पूर्व पूर्वांचल से जुड़े २६ गांवों की खबर आई थी कि वहां पर सड़क निर्माण के लिए गांव वालों की भूमि ली गई थी पर उन्हें मुआवजे की रकम काफी कम दी गई। इस पर गांव के लोगों ने भी मतदान के बहिष्कार की धमकी दे दी। गांव के लोगों ने भाजपा नेताओं के लिए नो एंट्री का बोर्ड भी लगा दिया। हालांकि, बाद में पुलिस ने वहां पहुंचकर उस बोर्ड को हटा दिया। इसी तरह पंजाब में भी भाजपा को किसानों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। वहां किसानों ने कई गांवों में विरोध प्रदर्शन किया है। मुक्तसर साहिब क्षेत्र में लोगों की तरफ से भाजपा के नेताओं की एंट्री बैन के बोर्ड लगा दिए गए हैं। वहां गांव के बॉर्डर पर बोर्ड पर लिखा है, `गांव भारू की तरफ से भाजपा का पूर्ण तौर पर बायकॉट किया जाता है। कोई भी भाजपा नेता गांव में न आए।’ साथ ही लिखा गया है, `अगर कोई भाजपा नेता गांव में आता है तो उसकी जवाबी कार्रवाई का वह खुद जिम्मेदार होगा।’ अब इन बातों का क्या अर्थ लगाया जाए। कहीं न कहीं लोगों में असंतोष है, जो चुनाव के समय प्रकट होकर बाहर आ रहा है। देश का शासन चलाने वालों के लिए ये अच्छे संकेत नहीं हैं। राष्ट्र में रामराज का दावा तो तभी सही साबित हो सकता, जब देश का हर नागरिक खुशहाल रहे।

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