राहुल गांधी के महाराष्ट्र चुनाव में ‘मैच फिक्सिंग’ का आरोप लगाते ही भारतीय जनता पार्टी के शरीर में आगिया वेताल प्रवेश कर गया है। आगिया वेताल एक पिशाच होता है, जो अपने पूरे शरीर में आग लगाता है और दूसरों के घरों में आग लगाता है। यह एक तरह का संकटपूर्ण गठबंधन होता है। जैसे ही राहुल गांधी ने चुनाव आयोग की धोखाधड़ी पर हमला किया, यह वेताल भाजपा के शरीर में प्रवेश कर गया। राहुल गांधी ने लोकतांत्रिक तरीकों से महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव पर अपनी राय व्यक्त की। इसके लिए उन्होंने देश के कई अखबारों में लेख लिखे और इसमें विस्तार से जानकारी दी कि कैसे चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र का चुनाव चुराया। महाराष्ट्र ने लोकसभा चुनाव में मोदी एंड कंपनी को बुरी तरह से हरा दिया। ‘अबकी बार चार सौ पार’ का सपना महाराष्ट्र की वजह से खो गया था। महाराष्ट्र का संकल्प इतना मजबूत था। उसके बाद छह महीने के भीतर विधानसभा चुनाव हुए। हालांकि, इस चुनाव में कांग्रेस, राष्ट्रवादी और शिवसेना को मिलाकर पचास सीटें भी नहीं मिलीं। लोकसभा चुनाव के बाद सिर्फ छह महीने में ऐसा उलटफेर कैसे हो सकता है? क्या कोई इस पर विश्वास कर सकता है? इसे समझ सकता है? राहुल गांधी ने अपने लेख में खुलासा किया कि कैसे चुनाव आयोग की मदद से महाराष्ट्र चुनाव में ये सब मैच फिक्सिंग हुई, कैसे ये सब लोकतंत्र के लिए हानिकारक है और कैसे महाराष्ट्र के बाद बिहार विधानसभा चुनाव में भी ‘मैच फिक्सिंग’ का यही पैटर्न लागू होगा। मोदी सरकार ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को नियंत्रित करने के लिए कई चालें चलीं, जिसमें चुनाव आयोग में अपनी मर्जी का भी पैनल बनाना शामिल है। राहुल गांधी ने वोटर लिस्ट में घोटाले, शाम ५ बजे के बाद ६०-७० लाख वोट बढ़ने पर सवाल उठाए। राहुल गांधी की
मांग सरल है।
उनकी पहली मांग है महाराष्ट्र समेत सभी राज्यों के लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए एक एकत्रित डिजिटल मशीन-पठनीय मतदाता सूची प्रकाशित करना और दूसरी मांग महाराष्ट्र में शाम ५ बजे के बाद मतदान केंद्रों के सभी सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक करना है। राहुल गांधी के सवालों का सीधा जवाब देने की बजाय चुनाव आयोग ने भाजपा नेताओं को बतौर वकील नियुक्त किया है। चूंकि राहुल गांधी ने एक लेख लिखा था इसलिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री फडणवीस ने एक लेख लिखकर राहुल गांधी को जवाब देने की कोशिश की। एक राजनीतिक दल के लिए चुनाव आयोग की वकालत करना गंभीर मामला है। फिर फडणवीस ने इसके लिए उर्दू शायरी का सहारा लिया। चूंकि महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे डकैती थे और इस डवैâती के मुख्य लाभार्थी फडणवीस, इसलिए उनके शरीर में आगिया वेताल ने प्रवेश कर लिया और उर्दू में बोलने लगे।
‘ताउम्र आप यही गलती करते रहे
धूल चेहरे पे थी और
आप आईना पोंछते रहे’
यह फडणवीस ने राहुल गांधी के बारे में कहा है। यह वैसा ही है, जैसे नागपुर का अब्दुल्ला चुनाव आयोग की बेगानी शादी में दीवाने की तरह नाच रहा हो। राहुल गांधी का तीर फडणवीस और अन्य लोगों के कलेजे के आर-पार हो गया है। चुनाव आयोग ने संविधान की हत्या कर दी है। महाराष्ट्र में सत्ता हासिल करने के लिए अमित शाह ने दो क्षेत्रीय दलों शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस को तोड़ा, विभाजित किया और उस विभाजन को दलबदल विरोधी अधिनियम की १०वीं अनुसूची की परवाह किए बिना मंजूरी दी गई। यह सब संविधान के खिलाफ है। मूल दल शिवसेना को धनुष-बाण चुनाव चिह्न के साथ
‘बाहरी’ ऐरे-गैरे
एकनाथ शिंदे के हाथों सौंपना और उसी तरह शरद पवार के जीवनकाल में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को अजीत पवार की जेब में डालना, यह महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव को चुराने की साजिश का हिस्सा था। इस संगठित अपराध में चुनाव आयोग ने हिस्सा लिया। अब चुनाव आयोग राहुल गांधी को अपनी आपत्तियों के बारे में लिखित शिकायत दर्ज कराने की सलाह दे रहा है। यह अपने चेहरे से कीचड़ साफ करने की कायरतापूर्ण कोशिश है। दरअसल, भारतीय जनता पार्टी के लोग ही चुनाव आयोग के चेहरे से गंदगी साफ करते नजर आ रहे हैं। हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा के नतीजों के बाद चुनाव आयोग में कई शिकायतें और आपत्तियां दर्ज की गई हैं। उन पर कार्रवाई करने के बारे में चुप रहनेवाला चुनाव आयोग राहुल गांधी के आरोपों पर कह रहा है, ‘राहुल अपने आरोप लिखित में दें। फिर देखेंगे।’ राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता के तौर पर देश के संवैधानिक पद पर बैठे हैं। जब मोदी-शाह के हाथ में था तो उन्होंने कांग्रेस को विपक्ष के नेता का पद नहीं मिलने दिया, लेकिन इस बार जनता ने राहुल गांधी को ताकत दी और वे विपक्ष के नेता बन गए इसलिए इन शिकायतों को आधार मानकर चुनाव आयोग को ‘सूओ मोटो’ कार्रवाई करनी चाहिए, लेकिन क्या मोदी-शाह इसकी इजाजत देंगे? यही सवाल है। राहुल गांधी ने भारतीय जनता पार्टी और हमारे महान चुनाव आयोग के भ्रष्ट गठबंधन का मुखौटा उतार फेंक दिया है। इससे फडणवीस जैसे लोगों का ‘मेकअप’ खराब हो गया है। दूसरों के चेहरे से धूल झाड़ने से पहले उन्हें आईने में अपना चेहरा देखना चाहिए। अब मेकअप पूरी तरह उतर चुका है।