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मनपा की बढ़ी मुश्किलें…गणेशभक्तों की जय-जय!.. हाई कोर्ट ने हटाई पीओपी मूर्तियों से पाबंदी

सामना संवाददाता / मुंबई

राज्य के गणेश मंडलों को मुंबई हाई कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। पीओपी (प्लास्टर ऑफ पेरिस) की गणेश मूर्तियों पर लगी रोक हटा दी गई है। अब इन मूर्तियों को बनाना और बेचना प्रतिबंधित नहीं रहेगा। हालांकि, इन मूर्तियों का विसर्जन केवल कृत्रिम तालाबों में ही किया जा सकेगा, यह शर्त पूर्ववत लागू रहेगी। ऐसे में हाई कोर्ट के निर्णय से मनपा की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
इस पैâसले पर न्यायालय में दोनों पक्षों ने सहमति जताई है। कुछ दिन पहले ही मुंबई हाई कोर्ट ने पीओपी मूर्तियों पर प्रतिबंध लगाया था, लेकिन अब वह प्रतिबंध हटा लिया गया है।
राज्य सरकार को निर्देश
कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह तीन हफ्तों के भीतर एक समिति गठित करे और पीओपी मूर्तियों के विसर्जन को लेकर क्या उपाय किए जाएंगे, इसकी विस्तृत और गहन जानकारी अदालत के समक्ष प्रस्तुत करे।

पीओपी की मूर्तियों का नहीं कर सकते विसर्जन!

पीओपी मूर्तियों पर लगी रोक हटा ली गई है। इस मामले में कल मुंबई हाई कोर्ट ने कहा है कि पीओपी से बनी मूर्तियां बनाई जा सकती हैं। मगर इसका विसर्जन कृत्रिम तालाबों में करना होगा। इस निर्णय से मूर्तिकारों को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि किसी भी स्थिति में पीओपी मूर्तियों का विसर्जन प्राकृतिक जल स्रोतों में करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। कोर्ट ने कहा कि पीओपी मूर्तियां बनाई जा सकती हैं, लेकिन उन्हें प्राकृतिक जल स्रोतों में विसर्जित नहीं किया जा सकता।
-२२ साल पहले खोया था पति अब बेटे की गई जान!

-बदनसीब मां का रो-रोकर बुरा हुआ हाल

मुंब्रा रेलवे स्टेशन के पास हुई रेल दुर्घटना में १३ यात्री लोकल ट्रेन से नीचे गिर गए, जिनमें से चार यात्रियों की मौत हो गई। इस दुर्घटना में किसी ने पिता खोया तो किसी ने पति। ऐसी ही एक महिला ने इस दुर्घटना में अपना बेटा खो दिया है। जबकि ठीक २२ साल पहले इसी तरह दुर्घटना में उसने अपना पति खो दिया था। ४४ वर्षीय मयूर अपने सपनों का घर डोंबिवली में लेने के लिए जा रहे थे। जाते समय वे लोकल ट्रेन से गिर पड़े और उनकी मौत हो गई। इस हादसे के बाद उनकी बदनसीब मां का रो-रोकर बुरा हाल है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस हादसे में ४४ वर्षीय इस मृतक का नाम मयूर शाह बताया जा रहा है। मयूर शाह पेशे से आईटी इंजीनियर थे। मयूर शाह ठाणे के घोड़बंदर इलाके में अपनी मां के साथ रहते थे। उनके पिता का निधन २२ साल पहले हो चुका था। मयूर की दो बहनें हैं, जिनकी शादी हो चुकी है। मयूर अविवाहित थे और विद्याविहार इलाके में काम करते थे। वे डोंबिवली में एक फ्लैट खरीदने की प्रक्रिया में थे, जिससे वे यह फ्लैट खरीदने वाले थे, वह व्यक्ति डोंबिवली में ही रहता है। इसलिए मयूर संभवत: उसी से मिलने डोंबिवली जा रहे थे, ऐसा उनके परिवार का अनुमान है।

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