ब्रिजेश पाठक
सोमवार सुबह मध्य रेलवे की चलती लोकल ट्रेन से कुछ यात्री मुंब्रा व ठाणे के बीच गिर गए। रेलवे के मुताबिक, अधिक भीड़ होने की वजह से यात्री लोकल के गेट पर लटककर यात्रा कर रहे थे, जिस वजह से यह अनहोनी हुई। इस घटना के बाद रेलवे ने एक बार फिर नौटंकी शुरू कर दी है। यह नौटंकी है बंद दरवाजे की यानी लोकल ट्रेन के दरवाजे चलते समय बंद हो जाएंगे, जिससे यात्री ट्रेन में सुरक्षित रहेंगे। बता दें कि रेलवे का यह जुमला नया नहीं है। कई वर्षों से बंद दरवाजे की बात चलती रहती है, लेकिन हकीकत में अब तक कुछ नहीं हुआ है।
पिछले २० वर्षों में ५१ हजार से अधिक यात्रियों ने ट्रेन से गिरकर अपनी जान गंवाई है। लगातार बढ़ते हुए हादसोें को देखते हुए मुंबई हाई कोर्ट ने रेलवे को फटकार लगाई थी और कुछ उपाय सोचने को कहा था। इस पर रेलवे द्वारा बंद दरवाजे का प्रस्ताव लाया गया था, जो अब तक पूरा नहीं हो सका। रेलवे विशेषज्ञों की मानें तो बंद दरवाजों में यात्रियों को कुछ दिक्कतें आ सकती हैं, जिसमें पहला है ऑक्सीजन की कमी। प्रचुर मात्रा में अगर ऑक्सीजन नहीं होगा तो यात्रियों को दिक्कत हो सकती है। वहीं दूसरी समस्या है गर्मी की। दरवाजे बंद होने की वजह से कोच में बाहरी हवा कम हो जाएगी जिस वजह से गर्मी बढ़ सकती है। पीक समय में यह समस्या गंभीर हो सकती है। इसके अलावा रेलवे सूत्रों का कहना है कि लोकल ट्रेन के फुटबोर्ड पर ४ से पांच व्यक्ति यात्रा करते हैं। ट्रेन के हर डिब्बे को मिला दें तो यह आंकड़ा ७० से ८० यात्रियों का है जो फुटबोड (ट्रेन के दरवाजे) पर यात्रा करते हैं। ऐसे में दरवाजे बंद होने की वजह से यात्रियों की संख्या घट जाएगी। गौरतलब है कि कल हुई दुर्घटना के बाद रेलवे एक बार फिर बंद दरवाजे का जुमला यात्रियों को परोस रहा है। इस पैâसले पर कब तक अमल होगा इसको लेकर रेलवे अधिकारी अभी साफ बात नहीं कर रहे हैं।