गजल

बेसबब हमसे रूठने वाले
बैठ कर आग सेंकने वाले।
करते उम्मीद लौट आने की,
रास्ता यार देखने वाले।
बेवफाई भरी है नस-नस में,
दिल को हर बार तोड़ने वाले।
अपनी मर्जी के लोग हैं, मालिक,
कौन होते वह रोकने वाले।
भूल जाऊं तुम्हें वही अच्छा,
बीच में हाथ छोड़ने वाले।
फिक्र अपनी करों, नहीं मेरी,
अपने वादों को मोड़ने वाले।
तुम भरोसे के हो नहीं लायक़,
प्यार की भीख मांगने वाले।
-नागेंद्र नाथ गुप्ता,
ठाणे, मुंबई

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