मुस्लिमों का मनोबल गिराने की कोशिश कर रही योगी सरकार …संभल हिंसा को लेकर शिवपाल ने घेरा

सामना संवाददाता / लखनऊ
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव ने रविवार को संभल हिंसा को लेकर योगी सरकार को घेरा। शिवपाल ने कहा कि सरकार द्वारा जांच के लिए गठित की गई टीम पर उन्हें भरोसा नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार की जांच टीम पर उनको विश्वास नहीं है। यह सरकार बेईमान है। सपा नेता शिवपाल यादव हापुड़ में सपा के जिला उपाध्यक्ष अय्यूब सिद्दकी के यहां एक विवाह समारोह में भाग लेने पहुंचे थे। उन्होंने प्रदेश सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि संभल में जो भी घटना हुई वह सरकार द्वारा प्रयोजित थी।शिवपाल ने कहा कि बीजेपी सरकार इस तरह से मुस्लिमों का मनोबल गिराना चाहती है। भाजपा सरकार विकास के नाम पर कुछ नहीं कर रही है और अपराधियों को संरक्षण देकर दंगा- फसाद कराने का कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि काम कहीं हो नहीं रहा है, सुबह से शाम तक केवल झूठ बोले जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि संभल की घटना पर सरकार द्वारा गठित जांच टीम पर उन्हें भरोसा नहीं है। उन्होंने मांग की कि इस घटना की मौजूदा जज से कराई जाए न्यायिक जांच। उप चुनाव पर उन्होंने कहा कि सरकार ने शासन प्रशासन के बल पर कहीं पर भी जनता को वोट नहीं डालने दिया। अपराधियों को एकत्र करके पुलिस के संरक्षण में जनता को वोट डालने से रोका गया। इसी तरीके से गन्ना समिति के चुनावों में भी किसी को नामांकन दाखिल नहीं करने दिया गया। अगर किसी ने नामांकन कर लिया तो उसका एसडीएम के द्वारा पर्चा रद्द करा दिया गया। जनता पूरी तरह से सरकार से नाराज है।

भ्रष्टाचार में लिप्त है सरकार
शिवपाल ने कहा कि भाजपा सरकार पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त है। सरकार महंगाई, बेइमानी और भ्रष्टाचार को दबाना चाहती है। सुबह से शाम तक झूठ बोलते हैं। बिजली ज्यादा महंगी है। सरकार ने १८ से २४ घंटे बिजली देने का वायदा किया था, लेकिन कहीं भी इतनी बिजली नहीं दी जा रही है।

 

 

बांग्लादेश में पूछ-पूछकर हिंदुओं पर हो रहे हमले! …युवक ने सुनाई आपबीती

पड़ोसी देश बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हमलों की खबरों के बीच कोलकाता से सटे बेलघरिया के एक युवक ने दावा किया है कि ढाका में अज्ञात लोगों को जब पता चला कि वह भारतीय हिंदू है तो उन्होंने उसकी बेरहमी से पिटाई की। पीड़ित युवक ढाका में अपने दोस्त के घर गया था। उसके सिर पर कई टांके लगे हैं। उसके मुंह पर भी चोट आई है। चाकू की नोक पर उसका मोबाइल फोन और बटुआ भी छीन लिया। उसने यहां के स्थानीय थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई है। पीड़ित के स्वजनों ने कोलकाता स्थित बांग्लादेश उप उच्चायोग में भी इसकी शिकायत की है। २२ वर्षीय सायन घोष ने बताया कि वह २३ नवंबर को बांग्लादेश गया था और एक मित्र के यहां ठहरा था। २६ नवंबर की देर शाम जब वह अपने दोस्त के साथ टहलने निकला तो चार-पांच युवकों के एक समूह ने उसे घेर लिया। उन्होंने उससे उसकी पहचान पूछी। जब उसने बताया कि वह भारत से है और हिंदू है तो उन्होंने उसे लात-घूंसे मारना शुरू दिए।

हाई कोर्ट ने १५ अगस्त की छुट्टी पर लगाई रोक
बांग्लादेश में अगस्त में तख्तापलट के बाद ताबड़तोड़ अंदाज में फैसले बदले जा रहे हैं। अब एक नए आदेश के तहत बांग्लादेश में १५ अगस्त को घोषित किए गए सार्वजनिक अवकाश पर रोक लगा दी गई है। देश के सुप्रीम कोर्ट के अपीलीय प्रभाग ने हाई कोर्ट के उस पैâसले पर रोक लगा दी है, जिसमें १५ अगस्त को राष्ट्रीय शोक दिवस के रूप में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया था।

 

दो माह पूर्व घोषित हुए थे ‘तनखैया’ : सुखबीर सिंह बादल अब करेंगे शौचालय साफ! …अकाल तख्त के जत्थेदार ने सुनाई सजा

सामना संवाददाता / अमृतसर
पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल अब शौचालय साफ करेंगे। असल में उन्होंने सोमवार को स्वीकार किया कि अकाली सरकार के दौरान डेरा प्रमुख राम रहीम को माफी दिलाने में उन्होंने भूमिका निभाई थी। इस पर अकाल तख्त ने उन्हें और अकाली सरकार के दौरान अन्य वैâबिनेट सदस्यों को धार्मिक दुराचार के आरोपों के लिए सजा सुनाई। दो महीने पहले उन्हें अकाल तख्त ने ‘तनखैया’ (धार्मिक दुराचार का दोषी) घोषित किया था। सुखबीर बादल और उनके सहयागियों को स्वर्ण मंदिर में शौचालय व बर्तन साफ ​​करने समेत अन्य धार्मिक दंड दिया गया है।

ज्वाइनिंग से पहले ही दुनिया को अलविदा कहना पड़ा

कर्नाटक में एक युवा आईपीएस अधिकारी रविवार को हासन जिले में अपनी पहली पोस्टिंग लेने के लिए जा रहे थे। सड़क हादसे में उनकी मौत हो गई। २६ साल के आईपीएस अधिकारी हर्ष बर्धन मध्य प्रदेश के रहने वाले थे और कर्नाटक वैâडर के २०२३ बैच के अधिकारी थे। यह सड़क हादसा उस समय हुआ जब पुलिस की गाड़ी का टायर फट गया और ड्राइवर ने कंट्रोल खो दिया। बताया जा रहा है कि गाड़ी सड़क किनारे एक घर और पेड़ से टकरा गई। हर्ष बर्धन के सिर में काफी गंभीर चोटें आई थीं और इलाज के लिए उनको अस्पताल ले जाया गया था। यहीं पर उनकी मौत हो गई। वहीं ड्राइवर को मामूली चोटें आई हैं। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि आईपीएस अधिकारी ने हाल ही में मैसूर में कर्नाटक पुलिस एकेडमी में अपनी चार हफ्ते की ट्रेनिंग खत्म की थी और उन्हें हसन जिले में बतौर एएसपी के तौर पर नियुक्ति मिली थी। उनके पिता एक उप-विभागीय मजिस्ट्रेट हैं। आईपीएस अधिकारी की मौत पर कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने दुख जताया है।

२८ दिन बाद विश्वयुद्ध का आगाज! …बाबा का वचन, दुनिया की तबाही तो पक्की है

दिसंबर की शुरुआत हो चुकी है और अब कुछ ही दिनों में नया साल दस्तक देने को तैयार है। लोग नए साल को सेलिब्रेट करने का प्लान बना रहे हैं। ऐसे में भविष्यवक्ता नए साल में होने वाली घटनाओं के बारे में पूर्वानुमान लगाते हुए भविष्यवाणियां करते हैं। साल के खत्म होते होते इनमें से कुछ भविष्यवाणियां गलत साबित होती हैं, तो कुछ लोगों की बिल्कुल सही होती हैं। साल २०२५ को लेकर भी लोग अपनी-अपनी भविष्यवाणी करते हुए बता रहे हैं कि नव वर्ष वैâसा होगा। ऐसे में बाबा वेंगा द्वारा की गई कुछ भविष्यवाणियां भी वायरल हो रही हैं। यूं तो बाबा वेंगा की मौत २८ साल पहले हो गई थी, लेकिन वह अपने किए गए भविष्यवाणी को लेकर अभी भी चर्चा में रहते हैं। २०२५ और इसके बाद को लेकर की गई कुछ भविष्यवाणियां डराने वाली हैं। बाबा वेंगा के मुताबिक, साल २०२५ से विश्वयुद्ध शुरू हो जाएगा। वहीं, धरती से इंसान के खात्मे और यूरोप में मुस्लिमों के शासन की बात भी की है।
बाबा वेंगा द्वारा की गई भविष्यवाणी के मुताबिक, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एक मजबूत वैश्विक नेता के रूप में उभरेंगे। साथ ही उन्होंने कहा है कि साल २०२५ से तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत होगी। यूरोप में भी बड़ा संघर्ष छिड़ जाएगा, जिसकी चपेट में धीरे-धीरे पूरी दुनिया आ जाएगी। इसकी वजह से मानव जाति का जो विनाश शुरू होगा, वह बढ़ता ही जाएगा।

राज की बात : ईवीएम से दूरी अब है जरूरी

द्विजेंद्र तिवारी
मुंबई

महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों पर सब हैरान हैं। जो जीता, वह भी, जो हारा, वह भी। वोट देनेवाली जनता हैरान है और यकीन मानिए भले ही भक्त और लाभार्थी ऊपरी तौर पर कुछ भी कहें, हैरान तो वे भी हैं। इसीलिए यह सवाल उठना लाजिमी है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से ऐसे नतीजे कैसे निकले।
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन लोकतांत्रिक व्यवस्था में एक विवादास्पद विषय बन गई है। दिलचस्प बात यह है कि कई देशों ने एक बार ईवीएम को अपनाने के बाद या तो उनका उपयोग बंद कर दिया है या पारंपरिक पेपर बैलट के साथ बने रहने का विकल्प चुना है।
किसी भी लोकतांत्रिक चुनाव की पहचान पारदर्शिता है और मतदाताओं को प्रक्रिया व परिणामों पर पूरा भरोसा होना चाहिए। पारंपरिक मतदान प्रणालियों में, प्रक्रिया के हर चरण-मतपत्र की छपाई से लेकर गिनती तक की जांच और ऑडिट किया जा सकता है। इसके विपरीत ईवीएम जटिल इलेक्ट्रॉनिक उपकरण हैं, जो ‘ब्लैक बॉक्स’ की तरह काम करते हैं। मतदाता स्वतंत्र रूप से यह सत्यापित नहीं कर सकते हैं कि उनका वोट सही तरीके से दर्ज किया गया था या गिना गया था।
तमाम आलोचनाओं के बाद वोटर-वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) शुरू हुआ, लेकिन यह भी समस्या को पूरी तरह से हल नहीं करता है, क्योंकि विभिन्न मामलों में इलेक्ट्रॉनिक और पेपर रिकॉर्ड के बीच विसंगतियां देखी गई हैं।
कोई भी तकनीक हैकिंग से सुरक्षित नहीं है और ईवीएम कोई अपवाद नहीं है। साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने कई बार यह दिखाया है कि वैâसे ईवीएम के नतीजों को बदलने के लिए हेर-फेर किया जा सकता है, जबकि चुनाव आयोग अक्सर तर्क देता है कि ईवीएम बिना इंटरनेट कनेक्शन के स्टैंडअलोन डिवाइस है, लेकिन इससे विनिर्माण, परिवहन या यहां तक ​​कि मतदान केंद्रों पर छेड़छाड़ का जोखिम समाप्त नहीं होता है। २००९ में अमेरिका के प्रिंसटन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के एक समूह ने दिखाया कि वैâसे एक ईवीएम को एक मिनट से भी कम समय में हैक किया जा सकता है।
कई लोकतांत्रिक देशों ने पारदर्शिता और सार्वजनिक विश्वसनीयता पर चिंताओं का हवाला देते हुए जानबूझकर ईवीएम को नहीं अपनाने का पैâसला किया। २००९ में जर्मनी के संघीय संवैधानिक न्यायालय ने पैâसला सुनाया कि ईवीएम से जर्मन मूल कानून के तहत पारदर्शिता के सिद्धांतों का उल्लंघन होता है। नतीजतन, जर्मनी कागज के मतपत्रों पर लौट आया।
कभी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग में अग्रणी रहे नीदरलैंड ने २००७ में ईवीएम का इस्तेमाल बंद कर दिया, जब रिपोर्ट में उनकी मशीनों में कमजोरियों का पता चला। जांच से पता चला कि उपकरणों द्वारा उत्सर्जित संकेतों को दूर से रोका जा सकता है, जिससे मतदाता गोपनीयता भंग होती है।
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में लगभग पांच करोड़ यूरो का निवेश करने के बाद, आयरलैंड ने २००९ में उनका उपयोग बंद करने का फैसला किया। व्यापक सार्वजनिक परामर्श और परीक्षण से पता चला कि ईवीएम मतदाताओं के बीच पर्याप्त विश्वास पैदा नहीं कर पाया। ईवीएम से जुड़ी चुनौतियों का सामना करने के बाद कई देशों ने पेपर बैलट का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। विश्व के सबसे पुराने लोकतंत्र और तकनीकी तौर पर सबसे ज्यादा विकसित देश अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव पेपर बैलट से होते हैं। इटली ने धोखाधड़ी और हेर-फेर के जोखिम का हवाला देते हुए लगातार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग को अस्वीकार किया है। इटली पारदर्शिता और सार्वजनिक विश्वास सुनिश्चित करने के लिए विशेष रूप से पेपर बैलट का उपयोग करता है।
इंटरनेट वोटिंग और ईवीएम के साथ प्रयोग करने के बाद नॉर्वे ने २०१४ में उनका उपयोग बंद कर दिया, यह कहते हुए कि वे मतदाता की गोपनीयता और सुरक्षा की गारंटी नहीं दे सकते।
भारत की ही तरह वेनेज़ुएला और फिलीपींस जैसे देशों में ईवीएम का उपयोग करके वोटों में हेरा-फेरी के आरोपों ने चुनावों की विश्वसनीयता को धूमिल किया है। इससे लोकतांत्रिक संस्थाओं में जनता का विश्वास कम होता है और राजनीतिक अस्थिरता पैदा होती है। ब्राजील में भी दशकों से ईवीएम का उपयोग किया जा रहा है। वहां भी इसका विरोध बढ़ रहा है और आरोप है कि इस प्रणाली में पारदर्शिता का अभाव है। चुनाव परिणामों को लेकर हाल ही में हुए विवादों के कारण प्रक्रिया में विश्वास बहाल करने के लिए वहां भी पेपर बैलट की मांग हो रही है।
ईवीएम भक्त कुल मिलाकर पुराने समय की बूथ वैâप्चरिंग का हवाला देते हैं, जो छिटपुट होती थी। उससे बड़े पैमाने पर नतीजे नहीं बदलते थे। अगर ऐसा होता तो कांग्रेस कभी नहीं हारती और भाजपा उस दौरान कभी नहीं जीतती। आज के दौर में सोशल मीडिया व व्यापक सुरक्षा बंदोबस्त में बूथ वैâप्चरिंग संभव नहीं है। कागजी बैलट भले ही मतगणना में ज्यादा समय लेते हैं, पर ये बेजोड़ पारदर्शिता प्रदान करते हैं। प्रत्येक वोट प्रत्यक्ष, सत्यापन योग्य और ऑडिट करने योग्य होता है। पेपर बैलट की सरलता अशिक्षित वर्ग सहित सभी पृष्ठभूमि के मतदाताओं के लिए आसान होती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने के लिए किसी विशेषज्ञता की आवश्यकता नहीं है।
इसके अतिरिक्त पेपर बैलट में बड़े पैमाने पर हेर-फेर का जोखिम नहीं होता। एक इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को हैक करने की तुलना में बड़े पैमाने पर पेपर बैलट के नतीजों को बदलना बहुत मुश्किल है।
अमेरिका, जर्मनी, नीदरलैंड, आयरलैंड जैसे देशों के अनुभव प्रौद्योगिकी में अंधविश्वास रखने के खतरों को उजागर करते हैं। चूंकि दुनियाभर के लोकतंत्र बढ़ती चुनौतियों का सामना कर रहे हैं इसलिए ध्यान उन प्रणालियों पर होना चाहिए, जो जनता के विश्वास को मजबूत करती हैं, न कि उन प्रौद्योगिकियों पर जो संदेह पैदा करती हैं। अब समय आ गया है कि चुनावों में ईवीएम की भूमिका पर पुनर्विचार किया जाए और लोकतंत्र की पवित्रता को अन्य सभी चीजों से ऊपर प्राथमिकता दी जाए।
(लेखक कई पत्र-पत्रिकाओं के संपादक रहे हैं और वर्तमान में राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय हैं)

उल्हासनगर में अवैध पोस्टरों की भरमार! …कोर्ट के आदेश की हो रही अवहेलना

सामना संवाददाता / उल्हासनगर
उल्हासनगर में मनपा की अनुमति के बगैर जगह-जगह बड़ी संख्या में अवैध पोस्टर-बैनर लगे हैं, जोकि शहर को बदरूप तो बना ही रहे हैं, साथ ही दुर्घटनाओं को न्यौता और पर्यावरण को भी चुनौती दे रहे हैं। आलम यह है कि राजनीतिक दबंगई के खिलाफ कार्यवाही करने में मनपा प्रशासन तक डरता है। हालांकि, कोर्ट के सख्त आदेश पर बोर्ड, बैनर-पोस्टर के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश मनपा आयुक्त द्वारा दिए गए हैं। अब देखना ये है कि आयुक्त विकास ढाकने के आदेश का पालन करने में विभाग कितना सफल होता है।
सहायक आयुक्त मनीष हिवरे ने बताया कि मनपा के चारों प्रभागों के अधिकारियों को इन अवैध बैनरों पर कार्रवाई करने के निर्देश दे दिए गए हैं। उल्हासनगर मनपा आयुक्त ने बताया कि अनुमति देने के लिए विशेष विभाग बनाए जाने की आवश्यकता है, जिससे नियमों का पालन हो। इसके अलावा, होर्डिंग और बैनरों के आकार को लेकर भी स्पष्ट निर्देश जारी किए गए हैं।

यूपी का नया जिला बना महाकुंभ मेला!

उत्तर प्रदेश का नया जनपद महाकुंभ मेला बना दिया गया है, इस तरह से कुल जिलों का आंकड़ा यूपी में ७६ पहुंच चुका है। असल में महाकुंभ का आयोजन और ज्यादा प्रभावशाली तरीके से हो सके, सभी व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जा सके, इसी बात का ध्यान रखते हुए महाकुंभ मेला को नया जिला बना दिया गया है। अब क्योंकि नए जिले का एलान कर दिया गया है, ऐसे में यहां पर एक नए डीएम की नियुक्ति भी तत्काल प्रभाव से कर दी गई है। महाकुंभ जिले में विजय किरन आनंद को नया डीएम बनाया गया है, वहीं राजेश द्विवेदी एसएसपी की भूमिका निभाने वाले हैं। बड़ी बात यह है कि जिला कलेक्टर के पास कानून के मुताबिक, कई शक्तियां व अधिकार आनेवाले हैं। वैसे एक समझने वाली बात यह है कि जिस नए जिले का एलान किया गया है, यह सिर्फ अस्थाई समय के लिए रहने वाला है।

चंकी की एक्स्ट्रा कमाई

हर व्यक्ति ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाना चाहता है, फिर चाहे वो आम आदमी हो या फिल्म स्टार। फिल्मों के अलावा इवेंट के जरिए एक्स्ट्रा कमाई करनेवाले चंकी पांडे एक बार एक्स्ट्रा कमाई के चक्कर में अंतिम संस्कार में पहुंच गए थे। चंकी ने बताया कि एक दिन उन्हें आयोजक का फोन आया और उसने पूछा, क्या कर रहे हो। चंकी ने बताया कि शूटिंग के लिए ‘फिल्मसिटी’ निकल रहा हूं। इस पर आयोजक ने कहा, भाई रास्ते में १० मिनट का इवेंट है, अच्छे पैसे मिलेंगे। बस सफेद सूट पहनकर आना। सफेद सूट में इवेंट वाली जगह पर पहुंचते ही वहां उपस्थित लोगों ने चंकी को देखकर कहा, चंकी आए हैं। इसके बाद चंकी ने वहां एक शव देखा। भोले-भाले चंकी को लगा कि शायद उनके पहुंचने से पहले आयोजक की मौत हो गई, लेकिन जब उनकी नजर वहां एक कोने में खड़े आयोजक पर पड़ी तो आयोजक ने उनसे कहा, पैकेट उनके पास है और परिवारवालों का कहना है कि अगर वो रोएंगे तो और अधिक पैसे मिलेंगे। खैर, अब चंकी वहां पैसों की खातिर दहाड़े मारकर रोये या नहीं, ये तो चंकी जानें या फिर आयोजक!

तृप्ति ने लिए बाइक के मजे

कहते हैं जहां आग होती है, धुआं वहीं उठता है। फिल्म ‘एनिमल’ से अपनी एक अलग पहचान बनानेवाली ‘नेशनल क्रश’ तृप्ति डिमरी हाल ही में अपने रूमर्ड बॉयप्रâेंड के साथ मुंबई में बाइक राइडिंग का मजा लेती नजर आर्इं। फिल्म ‘एनिमल’ से लगातार चर्चा में बनी रहनेवाली तृप्ति डिमरी अनीस बज्मी के निर्देशन में बनी हालिया रिलीज फिल्म ‘भूल भुलैया-३’ में भी नजर आई थीं। अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ को लेकर सुर्खियों में बनी रहनेवाली तृप्ति डिमरी का एक ऐसा वीडियो विरल भयानी ने सोशल मीडिया पर शेयर किया है, जिसमें तृप्ति अपने कथित बॉयफ्रेंड  सैम मर्चेंट के साथ बाइक राइडिंग करती नजर आ रही हैं। इस वीडियो के वायरल होते ही तृप्ति और सैम को लेकर एक बार फिर अफवाहों का बाजार गर्म हो गया है, क्योंकि दोनों को अकसर साथ देखा जाता है। बता दें कि सैम मर्चेंट एक बिजनेसमैन के साथ ही मॉडल हैं। दोनों ने अपनी रिलेशनशिप को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक बयान तो नहीं दिया है, लेकिन जस्ट वेट एंड वॉच… यहां कुछ भी हो सकता है!