८ वर्षों तक एक-दूसरे को डेट करनेवाले आसिया काजी और गुलशन नैन ने अंतत: विवाह कर ही लिया। इस मौके पर आशिया लाल रंग के जोड़े में तो गुलशन नैन ब्ल्यू शेरवानी में नजर आए।
शर्लिन नहीं बन सकती हैं मां
दूसरी औरतों की तरह अभिनेत्री शर्लिन चोपड़ा मां बनना चाहती हैं, वो भी एक दो नहीं, पूरे तीन-चार बच्चों की। लेकिन बुरा हो इस बीमारी का, सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस ऑटोइम्यून डिसऑर्डर से जूझ रही शर्लिन को डॉक्टरों ने सलाह दी है कि वो मां बनने के बारे में बिल्कुल भी न सोचें क्योंकि यह उनके और बच्चे दोनों के लिए जानलेवा है। २०२१ में उनकी किडनी भी फेल हो गई थी। डॉक्टर ने शर्लिन को बताया कि बीमारी पर कंट्रोल रखने के लिए उन्हें ताउम्र दवाइयां खानी होंगी। एक हालिया इंटरव्यू में शर्लिन ने बताया कि दूसरी औरतों की तरह वो भी मां बनना चाहती हैं और इसके लिए वे दूसरे विकल्पों की भी तलाश में हैं। शर्लिन को उन विकल्पों से तीन-चार बच्चों के होने की उम्मीद है। ‘ए’ अक्षर से शुरू होनेवाले नाम से लगाव होने के कारण शर्लिन चाहती हैं कि उनके बच्चों के नाम भी ‘ए’ अक्षर से शुरू हों। बच्चों के बारे में सोचकर ही खुश होनेवाली शर्लिन कहती हैं कि उन्हें लगता है कि उनका जन्म मां बनने के लिए ही हुआ है। उनका कहना है कि बच्चों के आने से पहले ही जब मैं इतनी खुश हूं तो सोचिए उनके आने के बाद मेरा क्या हाल होगा।
रायसा के रेज्यूमे से छिड़ी बहस
वैसे तो नेपोटिज्म या दूसरे शब्दों में कहें तो भाई-भतीजावाद कहां नहीं है, लेकिन फिल्म इंडस्ट्री इसके लिए खासी बदनाम है। जाने-माने अभिनेता चंकी पांडे की बेटी और अनन्या पांडे की छोटी बहन रायसा का रेज्यूमे क्या वायरल हुआ नेपोटिज्म पर एक बार फिर बहस छिड़ गई। रियलिटी शो ‘द फैबुलस लाइव्स ऑफ बॉलीवुड वाइव्स-२’ में अपनी मां भावना पांडे के साथ नजर आर्इं रायसा अमेरिका में फिल्म मेकिंग का कोर्स कर रही हैं। वायरल हुए रेज्यूमे में चार महीने के लिए शाहरुख खान और गौरी खान की ‘रेड चिलीज एंटरटेनमेंट’ के साथ, एक महीने फरहान अख्तर और रितेश सिधवानी की ‘एक्सेल एंटरटेनमेंट’ और एक महीने के लिए जोया अख्तर और रीमा कागती की ‘टाइगर बेबी’ के साथ रायसा द्वारा की गई इंटर्नशिप का जिक्र किया गया है। रायसा के रेज्यूमे को शेयर करते हुए एक यूजर ने लिखा, ‘ओह अच्छा! पुराना नेपोटिज्म है।’ वहीं दूसरे यूजर ने लिखा, ‘अगर मैं नेपोटिज्म का फायदा उठा सकता हूं तो मैं तो उठाऊंगा ही।’
दोबारा चोटिल हुए शमी
वर्ल्ड कप-२०२३ के बाद से चोटिल होने के कारण टीम इंडिया से बाहर चल रहे भारतीय टीम के अनुभवी तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी ने रणजी ट्रॉफी में चोट से रिकवर करने के बाद वापसी की थी, लेकिन सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में एक बार फिर चोटिल हो गए। लोग कयास लगा रहे थे कि शमी जल्द ही टीम इंडिया को बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के लिए ऑस्ट्रेलिया में जॉइन कर सकते हैं, लेकिन शमी के दोबारा चोटिल होने से भारतीय टीम और शमी के फैंस को एक बड़ा झटका लगा है। सौराष्ट्र के निरंजन शाह स्टेडियम में मध्य प्रदेश के खिलाफ बंगाल के सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी मैच के दौरान गेंदबाजी करते हुए शमी गेंद रोकने के प्रयास में इस तरह गिरे कि तुरंत अपनी कमर पकड़कर बैठ गए। चोट लगने के बाद शमी को मेडिकल टीम ने थोड़ा ट्रीटमेंट दिया। इसके बाद शमी अपना ओवर पूरा करने में सफल रहे।
हरमन के हाथों नई जर्सी का अनावरण
भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर और भारतीय क्रिकेट बोर्ड के सचिव जय शाह ने बोर्ड मुख्यालय में नई जर्सी का अनावरण किया, जिसे भारतीय महिला क्रिकेट टीम वेस्टइंडीज के खिलाफ २२ दिसंबर से वडोदरा में खेली जानेवाली तीन मैचों की एकदिवसीय शृंखला के दौरान पहनेगी। इस मौके पर हरमनप्रीत ने कहा, ‘जर्सी का अनावरण करना सम्मानजनक है। मुझे खुशी है कि हमारी पहली टीम है, जो वेस्टइंडीज के खिलाफ यह जर्सी पहनने जा रही है। मुझे यह जर्सी बहुत अच्छी लगी और यह वास्तव में खुशी की बात है कि हमें वनडे के लिए विशेष जर्सी मिली है।’ वेस्टइंडीज के खिलाफ घरेलू शृंखला से पहले हरमनप्रीत की अगुवाई वाली भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया का दौरा करेगी, जहां वह ५ से ११ दिसंबर तक तीन मैचों की वनडे शृंखला खेलेगी। हरमनप्रीत ने कहा, ‘मैं चाहती हूं कि भारतीय प्रशंसक भी यह जर्सी पहन कर गर्व महसूस करें।’
`ये सरकार की तानाशाही है’ …संभल जाने से रोकने पर योगी सरकार पर भ़ड़के सपा सांसद …अखिलेश यादव ने भी साधा निशाना
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार की सुबह यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे के नेतृत्व में एक सपा प्रतिनिधिमंडल को संभल जाने से रोके जाने पर कड़ी नाराजगी जताई है। प्रतिनिधिमंडल को संभल जाने से रोकने के लिए शनिवार सुबह लखनऊ में माता प्रसाद पांडे के घर के बाहर पुलिस बल तैनात कर दिया गया। वहीं सपा सांसद हरेंद्र मलिक ने कहा कि संभल में हमारे परिचितों ने जो जानकारी दी और सरकार जो जानकारी दे रही है वो अलग हैं, जन प्रतिनिधियों के तौर पर यह हमारा दायित्व है कि हम वहां जाकर हकीकत जानें, हम यदि वहां जाएंगे तो लोगों में विश्वास बढ़ेगा। उन्होंने गलती किसी भी पक्ष की हो, लेकिन उन्हें एहसास होगा कि उन्होंने गलत किया है। हमें न जाने देना तानाशाही है, सरकार अपने अफसरों के कृत्यों को छुपाने की कोशिश कर रही है। आप हमारे साथ वीडियोग्राफर लगा दीजिए, अगर हमने कुछ गलत किया तो मुकदमे दर्ज कर दीजिए।
सपा प्रमुख ने भी भारतीय जनता पार्टी सरकार पर निशाना साधते हुए सोशल नेटवर्किंग साइट `एक्स’ पर लिखा कि प्रतिबंध लगाना भाजपा सरकार के शासन, प्रशासन और सरकारी प्रबंधन की नाकामी है। ऐसा प्रतिबंध अगर सरकार उन पर पहले ही लगा देती, जिन्होंने दंगा-फसाद करवाने का सपना देखा। उन्मादी नारे लगवाए तो संभल में सौहार्द-शांति का वातावरण नहीं बिगड़ता।
मैं ठाकुर हूं, रात में घर में घुसकर… अखिलेश ने उठाई योगी की पुलिस के खिलाफ आवाज
सामना संवाददाता / लखीमपुर
मैं जाति का ठाकुर हूं। बहुत बदतमीज किस्म का हूं। ब्राह्मणों का पैर छूता हूं, लेकिन पैर पकड़कर पटकता भी हूं। रात २ बजे तुम्हारे घर में घुसुंगा और बेइज्जत करूंगा। धमकी भरी ये बातें एक ऑडियो क्लिप में वायरल हो रही हैं। महिला को फोन पर धमकी भरे अंदाज में बातें करनेवाला शख्स पुलिस का दारोगा बताया जा रहा है। सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पुलिसवाले की तस्वीर के साथ ऑडियो क्लिप को शेयर करके भाजपा सरकार पर हमला बोला है। अखिलेश ने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर ऑडियो क्लिप साझा करते हुए लिखा है कि ये है भाजपा की ‘नारी वंदना’ का सच। एक स्त्री को धमकी देनेवाले दारोगा जी को उ.प्र. के माननीय जी अगर बर्खास्त नहीं करेंगे तो यह माना जाएगा कि सबकुछ उनकी वजह से ही हो रहा है।
स्वीसी संडे : आपका पहला किस…!
राज ईश्वरी
हम आपसे एक सवाल पूछते हैं…अटपटा जरूर लगेगा आपको…, लेकिन अन्यथा मत लीजिएगा। क्या आपको याद पड़ता है आपका पहला किस? बेशक रोमांटिक! हम में से अधिकांश लोग अपने फर्स्ट किस को साफतौर पर रिकलेक्ट कर सकते हैं, लेकिन चुंबन रोमांटिक रिश्तों का हिस्सा कब बन गया?
पिछले दिनों एक रिसर्च टीम को रोमांटिक चुंबन का सबसे पहला रिकॉर्ड मिला है ४,५०० साल पहले का! इसे पिछले स्टडीज से १,००० साल पहले का बताया जा रहा है यानी कि किस की उत्पत्ति और पुरानी हो गई है! हालांकि, पहले इसे एशिया की देन कहा जाता था, बेशक इसमें भारतीय महाद्वीप का बहुत बड़ा योगदान था संस्कृत के ग्रंथों में इनका ‘किस’ यानी चुंबन का वर्णन है।
अब इसकी उत्पत्ति को इराक और सीरिया से जोड़ दिया गया है, जहां कट्टरवाद अपने चरम पर है इसको नाम दिया गया है ‘मेसोपोटामिया किस’
कोपेनहेगन विश्वविद्यालय और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की टीम ने प्राचीन मेसोपोटामिया (आधुनिक इराक और सीरिया) की कई मिट्टी की टैबलेट का अध्ययन किया। उन्हें कुछ मेसोपोटामिया समाजों के साहित्य में ‘किस’ के साक्ष्य मिले।
पहले, इतिहासकारों का मानना था कि इंसानों में चुंबन सबसे पहले ३,५०० साल पहले दक्षिण एशिया में शुरू हुआ, फिर अन्य क्षेत्रों में पैâल गया। यह भारतीय उपमहाद्वीप के संस्कृत ग्रंथों में चुंबन के संदर्भ पर आधारित था।
क्यूनिफॉर्म लेखन प्रणाली में लिखी गई मेसोपोटामिया की मिट्टी की पट्टियों के चलते चुंबन की क्रिया को दो श्रेणियों में विभाजित किया है। पहला ‘मैत्रीपूर्ण और पारिवारिक स्नेह’ और दूसरा था ‘कामुक क्रिया’।
उन्होंने जो पट्टियां देखीं वे २,५०० ईसा पूर्व की थीं ट्रॉल्स पंक आर्बोल, रिसर्च टीम के लेखक के मुताबिक मेसोपोटामिया में प्राचीन काल में ‘किस’ को रोमांटिक अंतरंगता का एक हिस्सा माना जाता था, लेकिन चुंबन दोस्ती और परिवार के सदस्यों के संबंधों का हिस्सा हो सकता है।
मजेदार बात यह है कि सिर्फ इंसान नहीं जानवर भी ‘किस’ करते हैं। हालांकि, यह चुंबन का सबसे पुराना रिकॉर्ड है, कोई नहीं जानता कि यह व्यवहार कब शुरू हुआ। बोनोबोस और चिंपैंजी (हमारे निकटतम जीवित रिश्तेदार! डार्विन के सिद्धांत अनुसार) के व्यावहारिक अध्ययन से पता चलता है कि दोनों चुंबन करते हैं। इससे पता चलता है कि यह एक मौलिक व्यवहार है और यह समझा सकता है कि चुंबन को इतनी सारी विभिन्न संस्कृतियों द्वारा क्यों साझा किया जाता है। आर्बोल का मानना है कि उनके दांतों की मैल के विश्लेषण के आधार पर इस बात के भी सबूत हो सकते हैं कि ‘निएंडरथल’ (हमारे लाखों साल पुराने पूर्वज) ने चुंबन किया था, लेकिन अन्य वैज्ञानिकों ने ऐसे दावों का खंडन किया है। विलियम जानकोविआक ने २०१५ में शिकारियों पर एक अध्ययन पूरा किया और इन समाजों में चुंबन का कोई सबूत नहीं मिला। जानकोविआक का मानना था कि किस की शुरुआत समय के साथ आनंद प्राप्त करने के लिए सामाजिक अभिजात वर्ग के बीच हुई।
खैर, सच तो यह है कि चुंबन की उत्पत्ति कब, कहां और वैâसे हुई कोई नहीं जानता! समय-समय पर होनेवाले रिसर्च के मुताबिक, भले ही इसकी उत्पत्ति को लेकर, इसके वक्त और इलाकों को लेकर बदलाव रिकॉर्ड किए जाते हैं, लेकिन चुंबन के इमोशन में शायद ही कोई बदलाव नजर आता है! जैसे-जैसे इंसान की उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे इमोशन भी बदलते चले जाते हैं! चुंबन के सांस्कृतिक अर्थ व्यापक रूप से भिन्न होते हैं। चुंबन कई इमोशंस को दर्शा सकता है, जैसे कि प्यार, दुलार, स्नेह, आदर, अभिवादन, मित्रता, अमन, खुशकिस्मती, जुनून, प्रणय, यौन आकर्षण, कामुक गतिविधि, कामोत्तेजना आदि आदि… अब इतने सारे इमोशंस से आप तो गुजरे ही होंगे और बेशक आपको अपने पहले चुंबन यानी किस की याद आ ही गई होगी! और यह आपका निजी मामला है।
तड़का : ऊंट पहाड़ के नीचे
कविता श्रीवास्तव
महाराष्ट्र में फिर से मुख्यमंत्री बनने के एकनाथ शिंदे के मंसूबों पर भारतीय जनता पार्टी के हाई कमान ने फिलहाल पानी फेर दिया है। ढाई साल पहले शिवसेना से गद्दारी करके एकनाथ शिंदे ने भारतीय जनता पार्टी से हाथ मिलाया था। उस समय भाजपा महाराष्ट्र में सत्ता वापस पाने के लिए व्याकुल थी। भारतीय जनता पार्टी से हाथ मिलाकर शिंदे उनके लाडले बन गए। इतने लाडले कि उस समय भी उनके मुकाबले अधिक विधायकों की संख्या रखने वाली भाजपा ने उन्हें अपना लाडला मुख्यमंत्री बना दिया। उसके बाद लाडली बहन, लाडला भाई, लाडले वरिष्ठ नागरिक आदि का राग अलापते हुए शिंदे शायद यह भूल गए कि उनके कंधों के सहारे भारतीय जनता पार्टी ने स्वयं को स्थापित करके उनसे कहीं ज्यादा बड़ी ऊंची उड़ान भर ली है। कहते हैं न कि किसी खींची हुई एक लकीर को छोटा करने के लिए उस लकीर से छेड़खानी नहीं की जाती है, बल्कि उसके बगल में उससे बड़ी लकीर खींच दी जाती है। उस बड़ी लकीर के सामने पहले वाली लकीर छोटी सी लगने लगती है। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री बनकर इतरा रहे शिंदे की हालत आज उस छोटे लकीर जैसी हो गई है। हाल ही में बीते विधानसभा चुनावों में सर्वाधिक सीटें जीतकर भारतीय जनता पार्टी ने स्वयं को सबसे बड़ी पार्टी बना लिया है। इतनी बड़ी की आज उन्हें शिंदे के सहयोग की गरज भी नहीं है। परिणाम यह है कि अब शिंदे की आवाज थमी हुई है। वे सरेंडर की स्थिति में पहुंच गए हैं। अब वे एकदम नतमस्तक की स्थिति में हैं। उनकी निर्भरता दिल्ली के पैâसले पर आश्रित रह गई है। अब वे हक मांगने नहीं उसकी राह देखने की स्थिति में हैं। संभवत: इसी को कहते हैं न `मरता, क्या न करता!’ खैर, राजनीति में यह कोई नई बात नहीं है। चुनाव परिणाम के बाद राजनीतिक परिस्थितियां बदलती हैं। महाराष्ट्र में किसानों की जबरदस्त समस्याएं हैं। बेरोजगारी से युवा वर्ग परेशान है। महंगाई घर-घर में चिंता का कारण बनी हुई है। अडानी को धारावी व अन्य कई सरकारी जगहें देने की चर्चाएं हैं। महाराष्ट्र को लाभ देने वाली योजनाओं का गुजरात में स्थानांतरण किए जाने के आरोप हैं। इन सबके बावजूद आखिर महाराष्ट्र में कोई एक पार्टी कैसे सबसे बड़ी पार्टी बन जाती है, यह निश्चित तौर पर महाराष्ट्र के राजनीतिक धुरंधरों के लिए आत्मचिंतन और शोध का विषय है।
‘बेस्ट’ का घाटा नहीं हुआ पूरा! … मनपा ने ५ सालों में दिए ८,५९४ करोड़
– बेस्ट ने मांगे और २,८१२ करोड़
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई की दूसरी लाइफलाइन कही जाने वाले ‘बेस्ट’ उपक्रम को पिछले पांच वर्षों में पालिका की ओर से ८,५९४ करोड़ रुपए की सहायता दी गई है, इसके बावजूद बेस्ट ने इस वर्ष २,८१२ करोड़ रुपए की अतिरिक्त मांग मनपा से की है। बेस्ट के अनुसार, इस धनराशि का प्रयोग नई बसों को खरीदने और प्रशासनिक खर्चों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। बेस्ट ने परिवहन उपक्रम में २,१३२.५२ करोड़ रुपए घाटे का बजट पालिका आयुक्त एवं प्रशासक भूषण गगरानी को प्रस्तुत किया है। बेस्ट की इस स्थिति से यह स्पष्ट है कि इसकी वित्तीय स्थिति अभी भी डगमगाई हुई है। बेस्ट ने पालिका प्रशासक को जो बजट पेश किया है, उसके अनुसार वित्तीय वर्ष २०२५-२६ में बिजली आपूर्ति विभाग की शेष राशि ४६.१८ करोड़ रुपए प्रस्तावित है, जिसे बिजली विभाग के पूंजीगत खर्च के लिए इस्तेमाल करने की योजना है। साथ ही परिवहन विभाग का अनुमानित राजस्व घाटा २,१३२.२६ करोड़ रुपए है, जिसे पालिका से अनुदान के रूप में मिलने पर ही संतुलित बजट प्रस्तुत किया गया है। इस वर्ष के बजट में मनपा ने बेस्ट को ८०० करोड़ रुपए का अनुदान देने का निर्णय लिया है, जिसमें से ६०० करोड़ पहले ही दिए जा चुके हैं।