मां से रिश्ता

कर्ज तेरा है मेरे जीवन पर
ए मां सलाम तुझे,
मां की ममता की गाथा
जितनी गाएं वो लगतीं कम उतनी,
तेरा रहा न्यौछावर तन मन पर,
अपने बच्चों की खातिर ही,
सांसे है महफूज गर तो
मां तेरे ही तो कारण ही,
नमन तेरी ममता पर है
और सलाम त्याग को तेरे,
अपने उच्च विचारों से तूने
लाडलों को अपने ऊंचा मुकाम दिया,
एहसान चुका न पांऊगा तेरा
ए प्यारी मां सलाम तुझे !
गर्भ काल की हर तकलीफ को
हिम्मत से तूने खाक किया,
जीवन की हर पीड़ा को
हंसते हंसते सह लिया,
अदम्य साहस से वाकिफ हैं
मानव की समस्त कौम सभी,
अचम्भित है तेरे हाड मॉस से
प्रकृति मे विद्यमान गण सभी,
इक जन्म भी कम है मेरा
त्याग तेरे का हिसाब चुकाने में,
त्याग ममता से ही संभव
जीत जीवन यात्रा मे हर कदम,
धन्य है मां महान,
आंचल में सुंदर पाठ पढाया जिसने,
एहसान चुका न पांऊगा तेरा
ए प्यारी मां सलाम तुझे!
-मुनीष भाटिया
कुरुक्षेत्र

चुप रहना

मौन हो जाना चेतना नहीं जड़ता है
आंखें बंद करना एक डर है
मुंह बंद रखना सहमति है
चुप रहना जीत नहीं कायरता है
सच से विमुखता पराजय है
प्रतिरोध नियति नहीं एक न्याय है
प्रतिशोध! एक अपराध है
सच सर्वश्रेष्ठ है।
-प्रभुनाथ शुक्ल

कुदरत का करिश्मा

भोर भये आकाश पर सूरज उगता है
धरती को भी चमकाता है
शाम को जब ठंडी हवा के झोंके चलते हैं
दोपहर की जलती धूप को जैसे पतझड़ से बहार बनाते हैं
सूरज भी सांझ ढलते अपनी करवट बदलता है
रात को गहरी सांसें लेता है
अगले दिन की तैयारी में जुट जाता है
अम्बर पर जब बादल छाते हैं
आपस में टकराते हैं
समीर भी रागनी गाती है
सावन बरसने लगता है
ऊंचे ऊंचे पर्वतों पर बर्फ गिरती है
बर्फ पर सुनहरी धूप पड़ती है
बर्फ पिघल कर बिखर जाती है
अदभुत सा नजारा होता है
स्वर्ग का जैसे इशारा होता है
गगन पर तारे निकलते हैं
सप्तऋषि भी नजर आते हैं
रात को चांद निकलता है
कभी आधा तो कभी पूरा होता है
ये दृश्य भी बहुत निराला है
कभी पूर्णिमा तो कभी अमावस्या आता है।

-अन्नपूर्णा कौल, नोएडा

कैसे बढ़िया दीप जलाएं

क्या दखें क्या तुम्हें बताएं।
कैसे शब्द जुबां पर लाएं।।
मौसम बिल्कुल सड़ा हुआ है।
कैसे इस पर बात चलाएं।।
खामोशी भी बोल रही है।
कैसे सत्य सामने लाएं।।
भाषा में आ गई गिरावट।
कैसे आज उन्हें समझाएं।।
सीमाएं सब टूट चुकी हैं।
कितना हम अवमूल्यन गाएं।।
उम्मीदों ने धोखा खाया।
कैसे हम उत्साह जगाएं।।
इतने घने अंधेरे में हम।
कैसे बढ़िया दीप जलाएं।
आओ एक बार हम सोचें।
सपने को साकार बनाएं।।
एक साथ हम करें एकता।
मौसम का हम पता लगाएं।।
आजादी के लिए जोर का।
धक्का देकर काम बनाएं।।
बागडोर हाथों में लेकर।
कर्ज मुक्ति का बिगुल बजाएं।।
केवल एक लक्ष्य हो अपना।
जनता में हरियाली लाएं।।
खुशियां चहंक उठें बागों में।
जीवन को हम सफल बनाएं।।
भारतमाता के चेहरे पर।
किसी तरह खुशहाली लाएं ।।

बताओ यार

कुछ तो सही बताओ यार।
अपना अनुभव गाओ यार।।
हमने तो अपना कह डाला।
तुम भी कुछ बतलाओ यार।।
कहां गया आदर्श हमारा।
उसका पता लगाओ यार।।
नैतिकता की मृत्यु हो गई।
कुछ तो शोक मनाओ यार।।
मूल्य हमारे बिखर गए हैं।
थोड़ा तो समझाओ यार।।
ऊपरवाले क्या कहते हैं।
नीचे तक मत लाओ यार।।
भाषा में आ गई गिरावट।
तुम भी प्रश्न उठाओ यार।।
विश्व गुरु का प्यारा तमगा।
हमको जरा दिखाओ यार।।
बहुत बड़े थे मान रहा हूं।
अब क्या हैं बतलाओ यार।।
कर्जखोर हमको कहते हैं।
इसका अर्थ बताओ यार।।
मानवता बीमार पड़ी है।
चलकर उसे बचाओ यार।।
अच्छा दिन कैसा आया है।
जल्दी इसे हटाओ यार।।
बहुत हो चुका अब तो आकर।
सारा दर्द मिटाओ यार ।।
-अन्वेषी

आज श्रावणी आमावस्या के पर्व पर जननी प्रणम्य दिवस विठुर आश्रम में संपन्न

सामना संवाददाता / कानपुर

श्री रामानुग्रह आश्रम विठुर कानपुर में आज श्रावणी आमावस्या के पावन पर्व पर महामंडलेश्वर स्वामी श्री श्री १००८ विनयस्वारूपा नंद सरस्वती ने पृथ्वी पर अपना ७५वां अवतरण दिवस “जननी प्रणम्य दिवस” के रूप में मनाया। स्वामी जी ने जननी प्रणम्य दिवस की व्याख्या करते हुए कहा कि धन्य है वह मं, जिसने हमें जन्म देकर इस योग्य बनाया। आज उस जननी को (जन्म देने वाली मां) को प्रणाम करता हुआ उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं और आज का दिन मैं उनके प्रति समर्पित करता हूं। उक्त जन्मोत्सव पर्व पर शहर के सभी प्रतिष्ठित मठों के मठाधीस दण्डी आश्रम के प्रभारी स्वामी उदितानन्द ब्रम्हचारी जी, सिद्धनाथ धाम के मठाधीस स्वामी अरुणपुरी चैतन्य जी महराज, पनकी हनुमान मंदिर के प्रसिद्ध महामंडलेश्वर स्वामी कृष्णदास जी महाराज, हरिहर आश्रम विठुर कें संस्थापक साध्वी आनंद भारती जी, इसी कार्यक्रम के दौरान हिमांचल प्रदेश से पधारे हुए स्वामी संतोषानंद गिरि महाराज, आशादेवी मंदिर के श्री महंत स्वामी आशुतोष गिरि जी महाराज आदि शहर के अन्य गणमान्य विशिष्ट नागरिकजनों व भक्तों के मध्य में आज जननी प्रणम्य दिवस में यह पर्व हर्षोल्लास के साथ भंडारा सहित सपन्न हुआ। यथा योग्य सभी संतों का सम्मान किया गया।

पुलिस के हत्थे चढ़े मोबाइल चोर…59 मोबाइल बरामद…3 गिरफ्तार

सामना संवाददाता / मुंबई

मुंबई पुलिस ने मोबाइल फोन चोरी करने के आरोप में एक महिला समेत गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है और उनके पास से ५९ हैंडसेट बरामद किए हैं। एक पुलिस अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि सूचना मिली थी कि संदिग्ध अपराधी अंधेरी के मेगा मॉल के सामने एक पुल से नीचे उतर रहे हैं, जिसके आधार पर जाल बिछाया गया और आरोपियों को हिरासत में ले लिया गया। गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान अफजल मुश्ताक शाह (१९), साबिर इरफान खान (३०) और उर्मिला प्रकाश मौर्या उर्फ ​​पिंकी (३५) के रूप में हुई है। उन्होंने बताया कि गिरोह ने कथित तौर पर शहर में अलग-अलग जगहों पर ऐसी चोरी की है। पुलिस ने उनके कब्जे से ५९ मोबाइल फोन बरामद किए हैं। आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है और आगे की जांच जारी है।

बोल बम और हर हर महादेव के नारों से गूंजा संगमनगर

सामना संवाददाता / मुंबई

ईश्वर चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संगमनगर के शिव मंदिर से बाबुलनाथ मंदिर तक भव्य कांवड़ यात्रा निकाली गई, जिसमें मुंबई कांग्रेस के सचिव अमित शेट्टी, सचिव राकेश पांडे, जिल्हा उपाध्यक्ष राधेश्याम गुप्ता, गुड्डू पांडे, मायनॉरिटी के शानुर शेख, महामंत्री अशोक कुर्मी, प्रमोद सिंह, शिव मंदिर के पुजारी गिरी महाराज समेत सैकड़ों महिला, पुरुष श्रद्धालुओं ने भाग लिया।

विंध्यवासिनी देवी मंदिर की ओर से भव्य कावड़ यात्रा

सामना संवाददाता / मुंबई

सावन का महीना हिंदू धर्म में भगवान शिव के प्रति भक्ति और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। हर साल की भांति इस वर्ष भी सायन-कोलीवाड़ा स्थित मां विंध्यवासिनी देवी मंदिर ट्रस्ट की ओर से भव्य कांवड़ यात्रा का आयोजन किया गया है।
मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष भरत शुक्ल के अनुसार, सोमवार सुबह ८.३० बजे से मालाबार हिल के पवित्र बाणगंगा से करीब ५०० से अधिक महिला व पुरुष श्रद्धालु जल भरकर पैदल चलते हुए सायन-कोलीवाड़ा के विन्धेश्वर महादेव मंदिर (मां विंध्यवासिनी देवी मंदिर) पर दोपहर करीब २ बजे भगवान शिव को अर्पित करेंगे।
भरत शुक्ल ने कहा कि कांवड़ यात्रा सिर्फ एक तीर्थयात्रा नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक एकता, सद्भाव और भाईचारे का प्रतीक भी है। शिवभक्तों के लिए मंदिर पर करीब एक महीने पहले ही इसकी तैयारियां शुरू हो जाती हैं। इसके अलावा यहां प्रत्येक रविवार को सप्ताहिक सुंदरकांड व महाप्रसाद का कार्यक्रम होता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति रहती है।

संकट को हराकर ‘चलो जीतें’…पुणे की शिवसंकल्प सभा में शिवसेना का दृढ़संकल्प …अमित शाह हैं अहमद शाह अब्दाली के राजनीतिक उत्तराधिकारी! -गरजे उद्धव ठाकरे

किसी को लगा कि मैं उन्हें बोल रहा हूं। मुझसे मत उलझो, मुझसे उलझने के लायक तुम नहीं हो!
जिस तरह औरंगजेब को यहीं गाड़ दिया गया था, उसी तरह उन्हें भी यहीं गाड़ दो।

सामना संवाददाता / पुणे
भाजपा नेता अमित शाह, अहमद शाह अब्दाली के राजनीतिक उत्तराधिकारी हैं। विधानसभा चुनाव में उनकी पीठ पर इतना वार करो कि उनकी मस्ती ही बंद हो जाए। जिस तरह औरंगजेब को यहीं गाड़ दिया गया था, उसी तरह उन्हें भी यहीं गाड़ दो। कल शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने जनता से ऐसा आह्वान किया।
सभा को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने भाजपा पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि मैं पुणे में एक सार्वजनिक सभा करना चाहता था, क्योंकि अब जनता की लड़ाई हॉल में नहीं बल्कि मैदान में होगी। मैंने मुंबई के शिवसैनिकों से कहा, ‘अब तुम रहोगे या फिर मैं।’ कुछ लोगों को लगा कि मैंने उन्हें चुनौती दी है। मैं किसी को चुनौती नहीं दे रहा हूं। तुम्हें यह समझना चाहिए कि मैं कौन हूं और तुम कौन हो? मैं सुसंस्कृत महाराष्ट्र और तुम मतलब लुटेरों की पूरी पार्टी, जो महाराष्ट्र को लूट रही है। धमकाने वाले कभी भी चुनौती नहीं पाना चाहते, वे अंगूठे से कुचल जाना चाहते हैं। किसी को लगा कि मैं उन्हें बोल रहा हूं। मुझसे मत उलझो, मुझसे उलझने के लायक तुम नहीं हो, ऐसा तंज कल उद्धव ठाकरे ने कसा।
कल पुणे में आयोजित शिवसेना की शिवसंकल्प सभा में उद्धव ठाकरे ने गरजते हुए विरोधियों की बोलती बंद कर दी। इस दौरान शिवसेना नेता व सांसद संजय राऊत, शिवसेना नेता विनायक राऊत, शिवसेना नेता व विधायक भास्कर जाधव, उपनेता शशिकांत सुतार, उपनेता सुषमा अंधारे, उपनेता-जिला संपर्कप्रमुख सचिन अहीर और सहसंपर्कप्रमुख आदित्य शिरोडकर समेत पुणे जिले के पदाधिकारी भी भारी संख्या में उपस्थित थे।

तीन महीने इंतजार करो मैं हिसाब-किताब करने आ रहा हूं! -उद्धव ठाकरे की चेतावनी

जहां तक ​​मुझे पता है, राम मंदिर और नया संसद भवन दोनों लीक हो रहे हैं। जहां तक ​​मेरी जानकारी है, वही ठेकेदार नदी में ड्रेजिंग का काम कर रहा है, जिसने इस संसद भवन का निर्माण किया है। उनके प्रिय ठेकेदार को आर्थिक लाभ देने के लिए नदी को बंद करना होगा। पैसा ठेकेदार की जेब में होना चाहिए। मैं इन ठेकेदारों से भी कह रहा हूं तीन महीने इंतजार करो, मैं हिसाब-किताब करने आ रहा हूं। कल पुणे में आयोजित शिवसंकल्प सभा को संबोधित करते हुए शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने ये चेतावनी दी।
इस अवसर पर अमित शाह की ओर इशारा करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि इतिहास पर नजर डालें तो शाइस्ता खान की तीन उंगलियों को देखा जा सकता है। पुणे में उसकी तीन उंगलियां कट गर्इं और वह कभी महाराष्ट्र वापस नहीं आया। अब अमित शाह, उनके नेता अहमद शाह अब्दाली के राजनीतिक वंशज। अहमद शाह अब्दाली भी शाह थे। वो अहमद शाह थे, ये अमित शाह हैं। अहमद शाह अब्दाली का यह राजनीतिक वंशज यहां घूमने आया था। हिंदुत्व हमें सिखाता है। अरे नवाज शरीफ का केक खाने वाले, क्या तुम हमें हिंदू धर्म सिखाना चाहते हो? शिवसेना ने हिंदुत्व छोड़ा, क्या हम हिंदुत्व छोड़ेंगे? किसलिए छोड़ें? शंकराचार्य ने कहा कि देशद्रोही हिंदू नहीं हो सकता। तुमने हमें धोखा दिया। शंकराचार्य ने कहा कि जो गद्दारी करता है वह हिंदू नहीं होता। तो फिर आपने हमें धोखा दिया तो आप हिंदू हैं या नहीं? ऐसा उद्धव ठाकरे ने कहा।
इस अवसर पर पर्यावरण के बारे में बोलते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि पुणेवासियों के लिए यह एक महत्वपूर्ण विषय है। कुछ पर्यावरण विशेषज्ञ रिवर प्रâंट परियोजना का अध्ययन कर रहे हैं, कल मेरी उनसे मुलाकात हुई। आप सभी को कल्पना करनी चाहिए कि कुछ दिन पहले पुणे में जो बाढ़ आई थी, वो सिर्फ एक हिस्से में आई बाढ़ नहीं थी। हजारों लोगों का जीवन नष्ट हो गया है। पिछले कुछ दिनों में पूरे देश में कई जगहों पर बाढ़ आ रही है, चाहे वो वायनाड हो या फिर केदारनाथ हो। भूस्खलन हो रहा है और हम इसे सिर्फ प्रकृति पर थोप नहीं सकते, हम कुछ चीजों में गलत हैं। मैं गलत नहीं हूं ये कहकर घटनाएं घट रही हैं। इन अपराधियों को फांसी पर लटकाने के लिए हमें जीतना ही होगा। इसे फांसी पर नहीं बल्कि उलटा लटकाया जाना चाहिए। मैं सभी पुणेकरों से अनुरोध करूंगा कि यह पूरा मामला पुणेकरों का है। यहां जॉगिंग ट्रैक होगा, यहां साइकिलिंग ट्रैक होगा, ये सही है। लेकिन यह भी देखिए कि उसके लिए आपके शहर को क्या नुकसान होगा? मैं आपको सिर्फ दो तस्वीरें दिखाने जा रहा हूं। यह पहली फोटो गूगल मैप से है, मुंबई में आई बाढ़ की तरह कुछ जगहों पर तो उपाय किए गए, लेकिन कुछ जगहों पर पानी जमा रहा, क्योंकि मुंबई में अनगिनत अनियोजित मेट्रो कार्य चल रहे हैं। कई जगहों पर सीवेज का पानी मुंबईकरों के पानी में मिल रहा है। पेट संबंधी बीमारियां उत्पन्न हो रही हैं।

रोखठोक : मुंबई दहेज में देंगे, पर किसको? …धारावी का बैटलफिल्ड!

संजय राऊत – कार्यकारी संपादक

धारावी पुनर्वसन के नाम पर मुंबई की नीलामी शुरू हो गई है। धारावी पुनर्वसन के नाम पर महाराष्ट्र सरकार उद्योगपति अडानी को मौके के २० भूखंड दे रही है। ये मुंबई की लूट है। धारावी की युद्धभूमि पर मुंबई के अस्तित्व की लड़ाई शुरू है। मुंबई दहेज में दोगे, पर किसको? कीमत क्या है? एक बार पता तो चलने दो।

लोकसभा चुनाव के नतीजों ने दिल्ली को महाराष्ट्र का पानी पिला दिया। २०२४ के विधानसभा चुनाव में क्या होगा, ये सवाल इससे सुलझ गया है। दिल्ली पर दस साल से मोदी-शाह का शासन है। ऐसे में उन्होंने अपने व्यापारिक स्वभाव के अनुसार महाराष्ट्र में दलालों और लाचारों की फौज खड़ी कर दी है। मुंबई को हड़पना जारी ही है। मुंबई की मौजूदा स्थिति को देखकर पोर्तुगीजकालीन मुंबई की याद आती है। पुर्तगालियों ने अपने सौ वर्षों के शासन में मुंबई के गौरव को पूरी तरह से नष्ट कर दिया। १६६५ में, जब हम्प्रâी कुक ने पुर्तगालियों से मुंबई द्वीप को अपने कब्जे में ले लिया, तब मुंबई शिलाहारों की गौरवशाली राजधानी नहीं रही। वह यादवों का स्वर्ग नहीं रहा। यह एक बेसहारा द्वीप था, जिसे कट्टरपंथियों ने विध्वंस कर दिया था, पुर्तगालियों ने तबाह कर दिया था। महालक्ष्मी के चले जाने के बाद, यह जैसे ‘अवदसेची मिरास’ की भूमि बन गई थी। आगे चलकर उस मुंबई को गौरवशाली बनाने का काम अंग्रेजों ने किया और बाद में मराठी लोगों के पसीने से मुंबई को गौरव प्राप्त हुआ। वो मुंबई क्या पुर्तगाली युग में वापस चली जाएगी और अपना गौरव खो देगी?
शिंदे को चिंता नहीं
शिवसेना से अलग हुए एकनाथ शिंदे जैसे लोगों को अब मुंबई और महाराष्ट्र के स्वाभिमान से कोई लेना-देना नहीं है। मुख्यमंत्री शिंदे कहते हैं, ‘‘चुनाव आते ही शिवसेना को याद आता है कि मुंबई को महाराष्ट्र से काट दिया जाएगा और वे ऐसा हल्ला मचाते हैं।” उनका इस तरह की बातें करना ये केवल पक्षांतर न होकर एक तरह से धर्मांतरण भी है। महाराष्ट्र के निर्माण के बाद से ही मुंबई पर तलवार लटकती रही है और शिंदे-फडणवीस काल में यह तलवार और भी धारदार होकर नीचे आ गई है। मुंबई को हड़पने में आसानी हो, इसलिए मुख्यमंत्री पद पर शिंदे को मौजूदा दिल्लीश्वरों ने नियुक्त किया। शिंदे और उनके लोगों को केवल पैसे से मतलब है और यह पैसा उन्हें गुजरात के उद्योगपतियों से मिलता है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी से दिल्ली में मुलाकात हुई। ‘‘मुख्यमंत्री शिंदे एमएमआरडीए के माध्यम से बड़ी परियोजनाओं की घोषणा करते हैं और उन कार्यों के आदेश और टेंडर निकलने से पहले ही गुजरात के ठेकेदारों से सीधे ४० प्रतिशत लेते हैं। कई हजार करोड़ का यह कारोबार शुरू है।’’ पालघर, रायगढ़, अलीबाग जैसे क्षेत्रों को एमएमआरडीए के अधीन लाना विकास नहीं, बल्कि मुंबई सहित आधे महाराष्ट्र को परप्रांतीय अमीरों को बेचने की चाल है। मुंबई का अस्तित्व ही खतरे में आ सकता है। इसमें अब धारावी का मुद्दा गरमाने लगा है।
धारावी किसकी?
धारावी अब मुंबई के लिए संघर्ष का मुद्दा बन गया है। अगर धारावी मराठी लोगों के हाथ में रही तभी हम मुंबई में स्वतंत्र रूप से रह पाएंगे। धारावी अब से मुंबई की युद्धभूमि बननेवाली है। क्योंकि धारावी पुनर्वास परियोजना की सारी मलाई भाजपा, शिंदे और गुजरात के प्रिय उद्योगपति खाने जा रहे हैं। धारावी को राज्य के गृहनिर्माण विभाग द्वारा विकसित किया जा सकता था। महाराष्ट्र के विकासकों को एकत्र करके ‘क्लस्टर’ तरीके से धारावी का पुनर्निर्माण किया होता, तो महाराष्ट्र की संपत्ति महाराष्ट्र में ही रहती और धारावी के आठ लाख लोगों को ५०० फुट का आवास मिला होता, लेकिन धारावी पुनर्वास के नाम पर मुंबई को एक-दो उद्योगपतियों की झोली में डालने की योजना खतरनाक है। धारावी पुनर्वसन का काम कोई धर्मादाय नहीं है। बिल्डरों का वो धंधा ही है। धारावी पुनर्वसन के ‘मेहनताने’ के रूप में अडानी को सरकार ने मुंबई में इफरात टीडीआर दिया। इस टीडीआर से उन्हें बदहजमी ही होगी।

असल में धारावीकरों को ५०० वर्ग फुट का घर मिलना ही चाहिए। धारावी नोटिफाइड विभाग का विकास करके धारावीकरों को घर और विकासक अडानी को भरपूर लाभ पहले ही हो रहा है। फिर भी मोदी-शाह के मित्र अडानी ने बदहजमी की चिंता किए बगैर मुंबई के कम से कम २० बड़े प्लॉट को निगलने की जो कोशिश शुरू की है, वो समझ से परे है। धारावी पुनर्वास के नाम पर अडानी को मुंबई में १,३०० एकड़ मौके की जमीन ‘बिदागी’ के तौर पर मिलेगी। धारावी के लिए जो निविदा निकाली गई, उस मूल निविदा में इन १,३०० एकड़ भूखंडों का उल्लेख ही नहीं है। तो यह भूखंड का श्रीखंड आया कहां से? धारावीकरों का पुनर्वसन वे जहां हैं, वहीं किया जाना चाहिए। मूल भूखंड पर ही वो होना चाहिए। धारावी की जगह ५९० एकड़ की है। उस पर एफएसआई, इसके अलावा १,३०० एकड़ की दक्षिणा। इस बिदागी की पान-सुपारी के रूप में अडानी को कुर्ला स्थित मदर डेयरी की २१ एकड़ जमीन, मुलुंड जकात नाका के लिए आरक्षित भूखंड भी मिला है। वडाला-मुलुंड के सॉल्टपेन की जमीन भी इस पान-सुपारी में शामिल है। धारावी पुनर्वास के बदले में महाराष्ट्र सरकार अडानी और उनके बिल्डरों की टीम को कौन से भूखंड देने जा रही है, इस पर मुंबईकरों को एक बार नजर डालनी चाहिए। इसकी सूची निम्नलिखित है

इनमें से कम से कम १५ भूखंडों का धारावी से संबंध नहीं है। मुंबई के भूखंड ही नहीं, बल्कि पूरी मुंबई ही अडानी और उनके लोगों को किस तरह दहेज में दी जा रही है, अब यह स्पष्ट हो गया है। धारावी तो बस निमित्त है। पूरी मुंबई महाराष्ट्र के हाथ से जा रही है।
टॉवर्स की मस्ती
मुंबई के मिलों की अधिकांश जगहों पर ऊंचे टॉवर्स खड़े हो गए हैं। यहां का मराठी माणुस दूर चला गया। इन टॉवर्स में अब मराठी लोगों को प्रवेश नहीं है। क्योंकि वे मांसाहारी हैं। यह महाराष्ट्र के गौरव का अपमान है। शिवाजी महाराज, डॉ. आंबेडकर कभी शाकाहारी नहीं थे और महाराष्ट्र आज भी उन्हीं के विचारों पर चल रहा है। अगर भाजपा के लोढ़ा ने मुंबई के सारे भूखंड हासिल कर लिए और अडानी ने सरकारी कृपा से मुंबई की जमीनें ले ली तो मराठी लोगों के हाथ में क्या बचा? टॉवर्स का मतदाता महाराष्ट्र से प्रेम नहीं करता। वह मुंबई की दौलत से प्यार करता है और चुनावों में मराठी लोगों को हराने के लिए ही टॉवर्स से उतरता है। यह एक समस्या है। आखिरकार, यह मुंबापुरी किसके लिए है, ये सुनिश्चित किए बिना यह समस्या हल नहीं होगी। मुंबई में हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी का पुनर्वसन और निर्माण नए सिरे से हो रहा है। यहां भी पुन: टॉवर्स का ही राज। इन टॉवर्स में भी आखिर कौन आएगा? इन सभी इमारतों में कम से कम ६० प्रतिशत जगह मराठी मध्यमवर्गियों को, सरकारी कर्मचारियों को मिले, यह कानूनन सुनिश्चित किया जाना चाहिए। तभी मुंबई से बिल्डरों का शासन और राजनीति के पैसों की अकड़ कम होगी। मुंबई के बीकेसी स्थित अंतरराष्ट्रीय आर्थिक केंद्र का भूखंड मोदी ने सीधे बुलेट ट्रेन को सौंप दिया और मुंबई के अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्र को उठाकर गुजरात ले गए। इस केंद्र से मुंबई में आर्थिक कारोबार बढ़ गया होता। आम लोगों को यह समझना चाहिए कि मुंबई में अंतरराष्ट्रीय वित्त केंद्र वास्तव में क्या है। लंदन, न्यूयॉर्क, टोक्यो, सिंगापुर, हांगकांग, बहरीन, बेरूत, ज्यूरिख, बहामास ये आज ऐसे धन केंद्र हैं। पैसों का व्यवहार और विदेशी मुद्रा लेन-देन (यानी अंतरराष्ट्रीय स्तर की धोखाधड़ी) सिर्फ यहीं होता है, ऐसा नहीं है, बल्कि इसके कई फायदे भी हैं। ऐसे अंतरराष्ट्रीय धन केंद्र में सभी के बैंक खातों को गोपनीय रखने का काम होता है। सिंगापुर, हांगकांग, बहरीन, बेरूत, न्यूयॉर्क इन सभी ‘मनी सेंटर्स’ में विदेशी मुद्रा का कोई भी प्रतिबंध नहीं है। इसीलिए ऐसा लगता है कि मुंबई का यह अंतर्राष्ट्रीय धन केंद्र गुजरात के व्यापारियों के लिए गुजरात ले जाया गया है।
अमीरों के महंगे फ्लैट्स
मुंबई को अब अमीरों का शहर बनाया जा रहा है। मुंबई में हर फ्लैट १८० करोड़ में बिक रहा है। ये काला बाजार और काला धन के अड्डे बन गए हैं। गरीब मराठी माणुस फुटपाथ पर चलता है। उसे अमीरों की गाड़ियां उड़ाकर आगे बढ़ जाती हैं। इस लड़ाई में गिरगांव, दादर, परेल, पारले पहले ही ढह चुके हैं। मुलुंड, भायखला, बांद्रा, धारावी में ढहने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। मुंबई की सीमा पालघर, अलीबाग से आगे तक बढ़ा दी गई। इसमें बिल्डरों और अमीरों का ही फायदा है। मुंबई में और समुद्र के पार भी कोई मराठी नहीं है, इस तस्वीर से जिसके हृदय में पीड़ा न हो, उसे भला मराठी माणुस वैâसे कहा जाए? धारावी के निमित्त मुंबई की मौके की जमीनें निगलकर डकारनेवालों के साथ आज महाराष्ट्र का शासन खड़ा है। क्योंकि उन्हें लूट का हिस्सा मिल रहा है। यह हिस्सा कितना है? महाराष्ट्र पर वर्तमान में जितना कर्ज है, उतना हिस्सा मुंबई बेचने की दलाली करनेवालों को मिलेगी।
मुंबई गिर रही है!
पुर्तगालियों के समय जो हुआ था, वही अब हो रहा है!