मुंबई: गुरुतेग बहादुर नगर सायन कोलीवाडा महानगरपालिका के क.दा. गायकवाड मराठी शाला की वरिष्ठ शिक्षिका निलिमा विलास चौधरी के स्वेच्छा सेवानिवृत्ति समारोह में प्रशासकीय अधिकारी किसन पावडे पाटील, समाजसेवी शिक्षाविद् चंद्रवीर बंशीधर यादव, कनिष्ठ पर्यवेक्षक मधुकर माली, विभाग निरीक्षिका पूजा पाटील , मुख्याध्यापक विष्णू सातपुते, प्रिंसिपल राजेश बारी ने उनका शाल, श्रीफल पुष्पगुच्छ एवं अभिनंदन पत्र देकर सत्कार किया।
उपेंद्र राय का सेवा संपूर्ति सम्मान समारोह संपन्न
मुंबई: सायन-पूर्व स्थित जोगेलकरवाडी मनपा हिंदी स्कूल (शाला) में शिक्षा के आधार स्तंभ शिक्षक सेना के कार्याध्यक्ष उपेंद्र राय की सेवानिवृत्ति (सेवा के अंतिम दिवस) पर विद्यालय परिवार द्वारा भव्य समारोह आयोजित किया गया। जिसकी अध्यक्षता पूर्व उपशिक्षणाधिकारी अशोक मिश्र, प्रमुख अतिथि प्रशासकीय अधिकारी किसन पावडे पाटील एवं अतिथियों के रूप में भवन निर्माता रामसेवक पांडे, साहित्यकार एवं पत्रकार शिवपूजन पांडे, बीटऑफिसर मोहिनी कावले, समाजसेवी शिक्षाविद् चंद्रवीर बंशीधर यादव, डॉ. अमर यादव एवं मुख्याध्यापिका नीलम पांडे सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे। सभी ने सत्कारमूर्ति का शाल, श्रीफल और पुष्प गुच्छ देकर सत्कार किया। विद्यालय परिवार ने श्री राय के संबंध में अपने विचार व्यक्त किए।इस अवसर पर स्नेह भोजन का सभी ने आस्वाद लिया।संचालन राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त शिक्षक हवलदार सिंह ने किया। अतिथियों का आभार आलोक सिंह ने व्यक्त किया।
कोचिंग का सीईओ व कोऑर्डिनेटर गिरफ्तार…दिल्ली कोचिंग हादसे में धरपकड़ हुई तेज
– पुलिस पूछताछ में स्वीकारी लापरवाही की बात
रमेश ठाकुर / नई दिल्ली
राजधानी में हुए दर्दनाक कोचिंग हादसे के बाद शासन-प्रशासन की ओर से बड़ा एक्शन और धरपकड़ तेज हुई है, जिस कोचिंग की बेसमेंट में पानी भरने तीन छात्रों की मौत हुई थी, उसके सीईओ को पुलिस ने देर रात गिरफ्तार कर लिया। आरोपी गिरफ्तारी से बचने के लिए पुलिस के साथ घटना के बाद से ही आंख-मिचौली का खेल खेल रहे थे। अपनी ऊपरी पहुंच की धौंस दिखाकर पुलिस प्रशासन को गुमराह कर रहे थे।
सीईओ की गिरफ्तारी के करीब एक घंटे बाद कोचिंग के कोऑर्डिनेटर को भी पुलिस ने धर लिया। दोनों ने फिलहाल लापरवाही की बात स्वीकार की है। कोचिंग के अन्य कर्मचारी अभी भी फरार हैं। पुलिस के मुताबिक, अभी और गिरफ्तारियां होनी हैं। आरोपियों से पूछताछ में पता चला है कि उनके पास अग्निशमन, वाटर सप्लाई, आपदा प्रबंधन जैसे किसी भी विभाग की एनओसी नहीं थी। आरोपितों ने यह भी स्वीकारा कि वो छात्रों से मनचाही फीस वसूलते थे। बता दें कि दिल्ली सरकार अवैध कोचिंग संस्थाओं पर बड़ा एक्शन ले रही है। दो दर्जन से भी अधिक कोचिंग सेंटर बंद किए गए हैं। सरकार जल्द कोई कठोर नियम भी बनाएगी, जिसके तहत ही भविष्य में कोचिंग सेंटर संचालित होंगे। दिल्ली की मेयर डॉ. शैली ओबरॉय ने ‘दोपहर का सामना’ से बात करते हुए कहा कि कोचिंग चलाने को लेकर विधानसभा में हमारी सरकार सख्त नियम बनाएगी, जिसमें फीस से लेकर सुरक्षा संबंधी प्रस्ताव शामिल होंगे।
आरोपियों ने बताया कितनी लेते थे फीस
पुलिस की पूछताछ में आरोपियों ने कई बातों का खुलासा किया। किस कोर्स के लिए कितनी फीस लेते थे, सभी का विस्तार से जवाब दिया। दिल्ली में ‘राव आईएएस कोचिंग सेंटर’ यूपीएससी की तैयारी कराने वाला जाना-माना संस्थान है, जहां सामान्य अध्ययन (प्रारंभिक और मुख्य) इंटीग्रेटेड फाउंडेशन कोर्स की ऑफलाइन फीस 1,75,500 रुपए और लाइव-ऑनलाइन फीस 95,500 रुपया है। छह महीने के वैकल्पिक विषयों के कोर्स की फीस ऑफलाइन 55,500 रुपए और लाइव-ऑनलाइन 45,500 रुपए है। तीन महीने के सिविल सर्विस एप्टीट्यूड टेस्ट कोचिंग कोर्स की फीस ऑफलाइन 18,500 रुपए और लाइव-ऑनलाइन 12,500 रुपए है। इसके अलावा छात्रों से रहने-खाने का पैसा अलग से वसूला जाता था।
हार्बर लाइन सैंडहर्स्ट रोड तक! …रेलवे कर रही है १० लाख यात्रियों पर गाज गिराने की तैयारी
मध्य रेलवे बना रहा है नया प्लान
विकल्प -१
सीएसएमटी जानेवालों को टैक्सी और दूसरे वाहनों से करना पड़ेगा सफर
विकल्प -२
कुर्ला में उतरकर मेन लाइन से करना पड़ेगा सफर
अभिषेक कुमार पाठक / मुंबई
लोकल ट्रेन को मुंबई की लाइफ लाइन कहा जाता है। यह लाखों लोगों को तेजी से अपने गंतव्य तक पहुंचा देती है। मुंबई में करीब ७० लाख लोग रोजाना पश्चिम, मध्य व हार्बर लाइन की सेवाओं का लाभ उठाते हैं। हार्बर लाइन की सेवाएं मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) से शुरू होकर गोरेगांव-अंधेरी व पनवेल तक जाती हैं। करीब १० लाख यात्री इस रूट से रोजाना सफर करते हैं। पर अब मध्य रेलवे जिस नए प्लान पर विचार कर रही है उसकी गाज १० लाख यात्रियों पर गिरेगी।
हार्बर लाइन के नए प्लान के मुताबिक, सीएसएमटी की ओर आनेवाली गाड़ियों को सैंडहर्स्ट रोड पर ही खत्म कर दिया जाएगा। ऐसे में सीएसएमटी जानेवाले यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। उन्हें या तो वहां से टैक्सी पकड़नी पड़ेगी या फिर वाशी की तरफ से आनेवाले यात्रियों को कुर्ला उतरकर मेन लाइन की लोकल पकड़नी पड़ेगी। इससे यात्रियों की परेशानी काफी बढ़ जाएगी।
हार्बर लाइन के नए प्रस्ताव से कुर्ला स्टेशन पर बढ़ जाएगी भारी भीड़!
हार्बर लाइन से यात्रा करनेवाले नई मुंबई के यात्रियों के लिए बुरी खबर है। मध्य रेलवे ने हार्बर लाइन की लोकल सेवाओं को सैंडहर्स्ट रोड पर समाप्त करने का प्रस्ताव रखा है। इस पैâसले से कुर्ला स्टेशन पर भारी भीड़ बढ़ सकती है, जो वर्तमान में अतिरिक्त यात्रियों को संभालने के लिए सक्षम नहीं है। परिणामस्वरूप, यात्रा का समय भी काफी बढ़ सकता है, जिससे लाखों यात्रियों को रोजाना कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। बता दें कि हार्बर रूट के रोजाना लगभग १० लाख यात्री सफर करते हैं।
प्रस्तावित योजना के तहत हार्बर लाइन की दो ट्रैक को मुख्य लाइन की धीमी गति वाली ट्रेनों के लिए उपयोग में लाया जाएगा, जबकि वर्तमान में फास्ट ट्रेनों के लिए उपयोग में आने वाली ट्रैक को लंबी दूरी की ट्रेनों के लिए समर्पित किया जाएगा। यह कदम इसलिए विचाराधीन है क्योंकि इससे मस्जिद बंदर और सैंडहर्स्ट रोड स्टेशनों के बीच के पूर्वी हिस्से में भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता नहीं होगी, जो कि कमर्शियल और आवासीय भवनों से घिरा हुआ है। हालांकि, सैंडहर्स्ट रोड स्टेशन वर्तमान में भारी भीड़ को संभालने में सक्षम नहीं है। यहां तक कि अगर एक होल्डिंग एरिया बनाया भी जाता है, तो भी यात्री इंतजार करने को तैयार नहीं होंगे। इसलिए इस प्रस्ताव में सुविधाओं के लिए अतिरिक्त भूमि का अधिग्रहण करना बेहतर हो सकता है, भले ही लोगों का पुनर्वास करना पड़े। बता दें कि सीएसएमटी एक महत्वपूर्ण स्टेशन है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यहां प्रतिदिन १०० से अधिक लंबी दूरी की ट्रेनें आती-जाती हैं और यात्रियों को इस स्टेशन तक आसानी से पहुंचने की उम्मीद होती है। यह प्रस्ताव यात्रियों के लिए असुविधा और परेशानी का सबब बन सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जो नियमित रूप से हार्बर लाइन पर यात्रा करते हैं। यह योजना अभी विचाराधीन है, लेकिन यदि इसे लागू किया जाता है तो नई मुंबई के यात्रियों को गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। रेलवे प्रशासन को इस मामले में संवेदनशीलता दिखाते हुए यात्रियों की सुविधाओं का ध्यान रखना चाहिए।
सरकार द्वारा पब्लिक ट्रांसपोर्ट सर्विस को इसलिए दिया जाता है, ताकि ट्रैफिक कम हो और यात्रा में असुविधा न हो। मुंबई में बन रहे मेट्रो का भी यही उद्देश्य है। लेकिन ऐसी ट्रेनों को सैंडहर्स्ट रोड पर खत्म करने से शहर में और ट्रैफिक बढ़ेगा। सीएसएमटी टर्मिनस है, ९० फीसदी यात्री सीएसएमटी पहुंचने के लिए यात्रा करते हैं। यह निर्णय पूरी तरह से गलत है।
-राजन विचारे, पूर्व सांसद (शिवसेना)
हार्बर लाइन लोकल को सैंडहर्स्ट रोड पर खत्म करना बिल्कुल गलत विचार है। आखिर क्यों हार्बर लाइन को ही हमेशा बिना किसी कारण के सौतेला व्यवहार मिलता है। सबसे पहले तो वे नई रेक नहीं दे रहे हैं, इसका पुरजोर विरोध किया जाना चाहिए।
-अरिंदम महापात्रा, यात्री
संपादकीय : धनखड़कृत संघ की वकालत!
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का संबंध आखिर कब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा? यह एक शोध का विषय है। धनखड़ का राजनीतिक सफर कल तक कांग्रेस, वी.पी. सिंह की जनता दल, बीच-बीच में अन्य समाजवादी विचारों की पार्टियों जैसा रहा था। कुछ समय के लिए उनके साथ का फायदा शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस को भी मिला। वे राष्ट्रवादी कांग्रेस के राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष थे और बाद में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। पहले पश्चिम बंगाल के राज्यपाल और मौजूदा राज्यसभा के सभापति के पद पर विराजित हुए, लेकिन धनखड़ की जो पहचान है वह है एक जबरदस्त वकील के रूप में। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कई अहम केस लड़े हैं। इतने लंबे सफर के दौरान ऐसा नहीं लगता कि वे कभी संघ के संपर्क में आए हों, लेकिन राज्यसभा में संघ की उनकी वकालत चौंकाने वाली है। धनखड़ ने कहा, ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश के उत्थान के लिए, संस्कृति के संरक्षण के लिए काम कर रहा है और देश में हर किसी को संघ के इस काम पर गर्व होना चाहिए।’ श्रीमान धनखड़ आगे कहते हैं, ‘संसद के सभागृह में संघ के कार्यों का विरोध करनेवाले मुद्दे को उठाना नियम के बाहर है। देश के कल्याण और देश की संस्कृति का जतन करने के लिए संघ योगदान कर रहा है और इस तरह का कार्य करनेवाले किसी भी संगठन के प्रति हर एक को भी गर्व होना चाहिए। संघ का विरोध करना यानी लोकतंत्र का विरोध है।’ श्री धनखड़ ने देश की संसद में इस तरह से दिव्य वकालत की। असल में, क्या धनखड़ को सचमुच संघ के बारे में इतना भव्य प्रवचन देने की जरूरत थी? वह भी संसद में। हमारे उपराष्ट्रपति ने तंज कसते हुए यह बात कही कि विपक्षी दल विरोधक और विभाजनकारी रुख अपनाकर देश और संविधान को नुकसान पहुंचा रहा है और कई लोगों ने इस पर आपत्ति जताई। दरअसल, यह पूरा विषय कहां से आया? सांसद रामजीलाल सुमन ने राज्यसभा में सरकार से सीधा सवाल पूछा। सुमन ने वर्तमान राष्ट्रीय परीक्षाओं की गड़बड़ी के बारे में पूछा, ‘राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) जैसे सरकार नियंत्रित संस्थानों में नियुक्ति का एकमात्र मानदंड यह होता है कि व्यक्ति का संघ से संबंध है या नहीं।’ इस पर धनखड़ ने सुनाया। मूलत: सुमन का प्रश्न सशक्त है और आज की परिस्थितियों के समानुरूप है। राष्ट्रीय परीक्षा संस्थान के प्रमुख प्रदीप जोशी का संबंध संघ से है और मध्य प्रदेश में बहुचर्चित ‘व्यापम’ भर्ती घोटाले में उनका नाम आया था। उन पर और भी गंभीर आरोप थे। ऐसे व्यक्ति को इतने महत्वपूर्ण संवैधानिक पद पर नियुक्त करना कितना उचित है? उनके कारण लाखों छात्रों का भविष्य बर्बाद हो गया। संबंधित व्यक्ति का संघ से संबंधित होना, सिर्फ यही गुणवत्ता इस पद के लिए वैâसे आधार हो सकती है? पुणे में रक्षा अनुसंधान और विकास संस्थान के निदेशक और वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रदीप कुरुलकर को पाकिस्तान के लिए जासूसी करने और गोपनीय दस्तावेज उपलब्ध कराने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। ये कुरुलकर सीधे तौर पर संघ से भी जुड़े हुए हैं, ऐसे कई उदाहरण दिए जा सकते हैं। केंद्र सरकार की ओर से अब सरकारी दफ्तरों के कर्मचारियों और अधिकारियों को ‘संघ कार्य’ की इजाजत दे दी गई है। क्या उनके कार्य इस तरह के ही हैं? न्यायालय, सरकारी संस्थान और राजभवन जैसी जगहों पर नियुक्तियां संघ विचारधारा वाले लोगों की ही की जा रही हैं, कारण उन्होंने देश के लिए बहुत योगदान दिया है, ऐसा कहा जा रहा है। संघ पर अब तक दो बार प्रतिबंध लग चुका है। संघ या प्रधानमंत्री मोदी के प्रिय सरदार पटेल ने गांधीजी की हत्या के बाद सबसे पहले संघ पर प्रतिबंध लगाया था। पटेल ने संघ पर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में संघ के योगदान की एक बूंद भी नजर नहीं आती। इसके उलट, जब कांग्रेस और आम जनता अंग्रेजों को ‘चले जाओ’ कहने के लिए खून बहा रही थी, तो संघ विचारधारा के श्यामाप्रसाद मुखर्जी प. बंगाल में मुस्लिम लीग सरकार में शामिल थे और अंग्रेजों को पुलिस बल का उपयोग करके ‘चले जाओ’ राष्ट्रीय आंदोलन को कुचलने की सलाह दे रहे थे। यदि भारतीय लोकतंत्र और संस्कृति में संघ का यही योगदान है, तो हम संघ के इन ‘वकीलों’ को दंडवत प्रणाम ही करते हैं! उपराष्ट्रपति का कहना है कि राष्ट्रीय कार्य में संघ का योगदान है। तो क्या वे देश की आजादी की लड़ाई में शामिल कांग्रेस के योगदान को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं? वामपंथी विचारधारा के लोग भी स्वतंत्रता की लड़ाई में सहयोगी थे। संघ विचारधारा वाले लोग आज सत्ता में हैं और उन्होंने लोकतंत्र, संविधान, राष्ट्रीय एकता को लेकर दावा ठोका है। मोदी-शाह ने केंद्रीय जांच एजेंसियों का असंवैधानिक तरीके से इस्तेमाल कर लोकतंत्र पर ही हमला किया। विरोधियों को जेल में डाल दिया। चुनाव भ्रष्टाचार के पैसे से लड़े गए। हिंदू और मुसलमान में झगड़े लगाए। उन्होंने देश में आतंक का माहौल बनाया और चुनाव आयोग, अदालतों, जांच एजेंसियों और राष्ट्रीय परीक्षा संस्थाओं में अपने लोगों को बिठाकर स्वतंत्रता और निष्पक्षता को खत्म कर दिया। यदि यही संघ का राष्ट्रीय अभिमान है, तो श्रीमान धनखड़ की वकालत योग्य है। जब देश अराजकता और एकाधिकारशाही के गर्त में हो तो उपराष्ट्रपति पद पर बैठे व्यक्ति को ऐसा चश्मा पहनना चाहिए जो सत्य देख सके। संघ को ‘चार सौ पार’ करके संविधान बदलना ही था, लेकिन जनता के समझदार और निर्भय हो जाने से यह संकट टल गया। देश की संस्कृति की रक्षा करने के लिए जनता समर्थ है!
एमएमआरडीए बन रहा है रियल इस्टेट अॅथॉरिटी! …लाभ के लिए लीज पर दे रही है जमीन
अभिषेक कुमार पाठक / मुंबई
महानगर की विकास योजनाओं के नाम पर जमीन अधिग्रहण करनेवाला एमएमआरडीए (मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण) अब रियल इस्टेट अॅथॉरिटी बनता नजर आ रहा है। हाल ही में एमएमआरडीए ने ४२,७९३ स्क्वायर मीटर जमीन के ७ प्लॉट बेचने के लिए टेंडर जारी किया है। यह कदम सवालों के घेरे में है, क्योंकि यह जमीन किसी प्रोजेक्ट या जरूरी कामों के लिए अधिग्रहित की गई थी, मगर अब इसका इस्तेमाल मुनाफा कमाने के लिए किया जा रहा है।
विकास योजनाओं में होनी चाहिए इस्तेमाल
मुंबई जैसे शहर में जमीन अधिग्रहण अपने आप में एक बड़ी बात होती है। एमएमआरडीए जैसी संस्थाओं को यह जिम्मेदारी दी जाती है कि वे जमीन का सही उपयोग करें और इसे विकास योजनाओं में लगाएं। मगर जब इन्हीं जमीनों को बेचने का फैसला किया जाता है, तो यह दर्शाता है कि मुनाफे के चक्कर में सार्वजनिक हितों की अनदेखी की जा रही है। इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जब ये जमीनें अधिग्रहित की गई थीं, तब इन्हें प्रोजेक्ट और जरूरी कामों के लिए क्यों नहीं इस्तेमाल किया गया? एमएमआरडीए के इस कदम से साफ जाहिर होता है कि उसने अपने असली उद्देश्य से भटक कर जमीन का व्यापार करना शुरू कर दिया है।
मुंबई के बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए इस्तेमाल होनी चाहिए
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ये जमीनें सही तरीके से उपयोग की जातीं, तो मुंबई जैसे महानगर में बुनियादी ढांचे में सुधार और विकास की संभावनाएं काफी बढ़ सकती थीं। मगर एमएमआरडीए के इस पैâसले ने लोगों के मन में संदेह पैदा कर दिया है कि क्या यह संस्था अब सार्वजनिक भलाई के बजाय अपने मुनाफे पर ध्यान केंद्रित कर रही है। एमएमआरडीए का यह कदम न केवल उसके ऊपर सवाल उठाता है, बल्कि अन्य सरकारी एजेंसियों के लिए भी एक चिंताजनक संकेत है। अगर जमीन अधिग्रहण का उद्देश्य मुनाफा कमाना ही रह गया है, तो आम जनता की भलाई और विकास की दिशा में की जा रही योजनाओं का क्या होगा? यह एक गंभीर विषय है, जिस पर विचार करना आवश्यक है।
चलो जीत की ओर… शिवसेना का कल पुणे में शिवसंकल्प सम्मेलन …उद्धव ठाकरे करेंगे मार्गदर्शन
सामना संवाददाता / मुंबई
लोकसभा चुनाव में जबरदस्त जीत के बाद शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) अब विधानसभा चुनाव के लिए तैयार हो गई है। इसी पृष्ठभूमि में तीन अगस्त को पुणे में शिवसेना की ओर से शिवसंकल्प सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। इस सम्मेलन का शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे मार्गदर्शन करेंगे। इस सम्मेलन में चलो जीत की ओर का संकल्प लिया जाएगा। लोकसभा में जीत हासिल करने के बाद विधानसभा में फिर से भगवा लहराने की चाहत में प्रदेश भर के शिवसैनिकों ने तैयारी शुरू कर दी है। हाल ही में मुंबई में शिवसेना पदाधिकारियों का सम्मेलन बांद्रा के रंगशारदा सभागार में आयोजित किया गया था। शनिवार को शिवसंकल्प सम्मलेन पुणे के स्वारगेट स्थित गणेश कला-क्रीड़ा मंदिर में सुबह १० बजे आयोजित किया जाएगा। इस सम्मेलन में पुणे जिले के शिवसेना पदाधिकारी और कार्यकर्ता शामिल होंगे। शिवसेना नेता, सांसद संजय राऊत, शिवसेना नेता विनायक राऊत, विधायक भास्कर जाधव, विधान परिषद में विरोधी पक्षनेता अंबादास दानवे, उपनेता व पुणे जिला संपर्कप्रमुख सचिन अहिर, सुषमा अंधारे, उत्तर महाराष्ट्र समन्वयक रवींद्र मिर्लेकर, शिवसेना सचिव व विधायक मिलिंद नार्वेकर, सहसंपर्कप्रमुख आदित्य शिरोडकर, महिला जिला संपर्क संगठक स्नेहल आंबेकर आदि भी इस सम्मेलन में उपस्थित रहेंगे। इस तरह की जानकारी शिवसेना मध्यवर्ती कार्यालय से दी गई है।
आंतरिक सर्वे का आतंक! : ५५ से ६५ सीटों पर सिमटेगी भाजपा!… विधानसभा चुनाव में होगा सूपड़ा साफ
सामना संवाददाता / मुंबई
विधानसभा चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं और भाजपा की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में भाजपा की बुरी गत हुई थी। अब विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के लिए बुरी खबर आ रही है। भाजपा ने हाल ही में एक आंतरिक सर्वे कराया है, जिसके अनुसार, भाजपा राज्य में ५५ से ६५ सीटों पर सिमट जाएगी। अब भाजपा नेता भले ही मीडिया के सामने कुछ भी बोल रहे हों पर इस आंतरिक सर्वे के आतंक ने उनकी परेशानियां काफी बढ़ा दी हैं।
छोड़ना पड़ेगा दादा का साथ!
संघ ने पहुंचाया भाजपा को संदेश
मुंबई के राजनीतिक गलियारों में इस बात की अटकलें तेज हैं कि भाजपा को आगामी विधानसभा चुनाव में बड़ा नुकसान होनेवाला है। पिछले दिनों लोकसभा चुनाव में भी भाजपा की सीटों में गिरावट दर्ज की गई थी। हाल ही में अजीत पवार को लेकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा के बीच खाई के और गहरी होने की खबर आई थी। चर्चा है कि संघ ने भाजपा को संदेश भेज दिया है कि अजीत पवार का साथ छोड़ो तभी चुनाव में कुछ उम्मीद जग सकती है।
बता दें कि ‘न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा अपने प्रदर्शन को लेकर काफी चिंतित नजर आ रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा की तरफ से कराए गए आंतरिक सर्वे संकेत दे रेह हैं कि पार्टी २८८ विधानसभा सीटों में से सिर्फ ५५ से ६५ सीटों पर जीत हासिल कर सकती है। जबकि, २०१४ में आंकड़ा १२२ और २०१९ में १०५ था। रिपोर्ट के अनुसार, संघ भाजपा और अजीत पवार के साथ के पक्ष में नहीं है। इससे पहले भी ‘ऑर्गेनाइजर’ में लोकसभा चुनाव में भाजपा की खराब प्रदर्शन की वजह अजीत पवार को बताया गया था। हाल ही में संघ समर्थित पत्रिका ‘विवेक’ में भी इसी तरह की बात की गई थी। कहा जा रहा है कि संघ का मानना है कि अजीत पवार के साथ गठबंधन के फैसले ने भाजपा की छवि को भारी नुकसान पहुंचाया है। खबरें हैं कि संघ और भाजपा के कई कार्यकर्ता भी अलग-थलग महसूस कर रहे हैं और काम करने से इनकार कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने भाजपा को संदेश पहुंचा दिया है कि अजीत पवार गुट के साथ संबंध खत्म कर लेने चाहिए।
पिता के खोने जैसा दुख हो रहा है! … वायनाड में पीड़ितों से मिलकर बोले राहुल गांधी
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
केरल के वायनाड में हुए भूस्खलन ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। लैंडस्लाइड की वजह से चार गांव पूरी तरह तबाह हो चुके हैं और अभी तक २८९ लोगों के मारे जाने की खबर है। कांग्रेस नेता एवं वायनाड से पूर्व सांसद राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा गुरुवार को केरल पहुंचे। दोनों ने वायनाड जिले के भूस्खलन प्रभावित इलाकों में बनाए गए विभिन्न राहत शिविरों का दौरा किया और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। इस दौरान राहुल ने कहा कि यह वायनाड के लिए, केरल के लिए और देश के लिए एक भयानक त्रासदी है।
पीड़ितों से मिलने के बाद राहुल ने कहा कि आज उन्हें वैसा ही दुख महसूस हो रहा है जैसा अपने पिता राजीव गांधी की मौत पर हुआ था। उन्होंने कहा कि मेरी दिलचस्पी इस वक्त राजनीति में नहीं वायनाड के लोगों में है। कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा, ‘हम यहां स्थिति को देखने आए हैं। यह देखना दर्दनाक है कि कितने लोगों ने अपने परिवार के सदस्यों और अपने घरों को खो दिया है। राहुल और प्रियंका दोनों रात को वायनाड में ही रुके।
गड्ढों के विरोध में मुंबई यूथ कांग्रेस का ‘लाडला गड्ढा योजना’ मनपा में तालाबंदी आंदोलन … सरकार और मनपा कमीशनखोर – अखिलेश यादव
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई की सड़कों पर गड्ढों के विरोध में मुंबई यूथ कांग्रेस द्वारा गुरुवार को जोरदार धरना-प्रदर्शन किया गया। इस दौरान उपनगर कांदिवली-पश्चिम स्थित आर/दक्षिण मनपा में तालाबंदी आंदोलन किया गया। प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मुंबई महानगरपालिका के कार्यालय पर ताला लगाने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया। धरना-प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने ५०० रुपयों के नकली नोट हवा में फेंक कर विरोध जताया। आंदोलन के दौरान जिला यूथ कांग्रेस के जिलाअध्यक्ष अल्पेश चौहान, चारकोप तालुका अध्यक्ष आशीष सरोज, मीडिया चेयरमैन नीलेश दुबे, अजय मिश्र सहित बड़ी संख्या में पदाधिकारी और कार्यकर्ता उपस्थित थे।
इस मौके पर मुंबई यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि सड़कों पर गड्ढों के खिलाफ हमने ‘लाडला गड्ढा योजना’ अभियान शुरू किया है। उनहोंने आगे कहा कि मनपा सड़कों के गड्ढों को भरने में नाकाम साबित हुई है। मनपा निकम्मी और कामचोर है। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस कमीशनखोर हैं। गड्ढों की वजह से मुंबईकरों की मौत हो रही है। जनता टैक्स देती है, इसके बावजूद उन्हें सड़कों पर गड्ढें मिलते हैं। सीएम शिंदे को मुंबई की जनता की तकलीफ दिखाई नहीं दे रही है। बता दें कि बीते दिनों शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता आदित्य ठाकरे ने मुंबई समेत राज्य की सड़कों पर गड्ढों को लेकर सीएम शिंदे पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा था कि दो साल में मुंबई गड्ढों से मुक्त हो जाएगी। उसका क्या हुआ? पांच साल में ६,००० करोड़ रुपए का कॉन्ट्रैक्ट चालू करने की क्या जरूरत थी?