‘मिर्जापुर’ में मुन्ना भैया-सचिव जी की टक्कर

आज चर्चित क्राइम वेब सीरीज मिर्जापुर का तीसरा सीजन लॉन्च हो रहा है। इसमें ‘पंचायत’ वाले सचिव जी की एंट्री की खबर पर दर्शकों में खासा उत्साह है। अब खबर है कि इसमें मुन्ना भैया (दिव्येंदु शर्मा) भी नजर आएंगे। अब मसला ये है कि दूसरे सीजन में मुन्ना की मौत बताई गई थी तो फिर वे जीवित कैसे हो सकते हैं? सो मुन्ना की मौत पर सस्पेंस बना हुआ है। इधर मुन्ना ने ‘एक्स’ पर अपने फैंस को गुड मॉर्निंग विश कर धड़कनें बढ़ा दी हैं। मुन्ना कह रहे हैं कि हम अमर हैं। इस पोस्ट के बाद लोग कयास लगा रहे हैं कि शायद वे तीसरे सीजन में भी नजर आएंगे। अब यूजर्स इस पूरे मामले पर इसे मुन्ना का भौकाल बताने से नहीं चूक रहे हैं।

आज मुंबई में बीबर का बवाल

पॉप सिंगर जस्टिन बीबर के दुनिया में करोड़ों फैन हैं। मुंबई में भी एक वर्ग विशेष में वे काफी लोकप्रिय हैं। अब आज बीबर मुंबई में धमाल मचाने वाले हैं। असल में जस्टिन बीबर अनंत अंबानी व राधिका मर्चेंट के संगीत समारोह में परफॉर्मेंस देने के लिए मुंबई आए हैं। कल सुबह वे मुंबई पहुंचे। अब आज ५ जुलाई को अनंत-राधिका का संगीत समारोह का आयोजन है। बहरहाल, आज बीबर जो धमाल करेंगे वह काफी गिने-चुने दर्शकों के बीच ही होगा। जी हां, जो इस समारोह में आमंत्रित किए गए होंगे। ऐसे में सिर्फ कुछ खास लोग ही उसका मजा ले पाएंगे। बाकी उनके आम पैâन सिर्फ इसी बात से खुश हो सकते हैं कि उनका प्यारा सिंगर मुंबई में कहीं गा रहा है।

हिना का हाल देख रो पड़ी मां

टीवी की सबसे आकर्षक अभिनेत्री इन दिनों काफी मुश्किलों से जूझ रही हैं। बात हिना खान की हो रही है। उन्हें ब्रेस्ट कैंसर हो गया है और वे खुद इसका अपडेट देती रहती हैं। अब उनके एक अपडेट ने उनकी मां को रुला दिया है। असल में हिना ने इंस्टाग्राम पर अपने बाल कटवाने का एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें वह अपनी मां से कह रही हैं, ‘रो नहीं मां।’ हिना ने इंस्टाग्राम पर लिखा, ‘खुद से बाल झड़ने से पहले ही मैंने बाल कटवाने का फैसला किया…मैं इन कटे बालों का इस्तेमाल अच्छी विग बनाने के लिए करूंगी।’ अब इतनी गंभीर बात को इस तरह हंसते-हंसते कहने के लिए वाकई हिना को सैल्यूट करना चाहिए।

जिम्बाब्वे से `जंग’ जीतनी है!

टी-२० वर्ल्डकप २०२४ की चैंपियन बनने के बाद टीम इंडिया स्वदेश लौट आई है और इसके बाद भारत को कल यानी ६ जुलाई से जिम्बाब्वे के खिलाफ ५ मैचों की टी-२०आई सीरीज में हिस्सा लेना है। टी-२० वर्ल्डकप २०२४ की ऐतिहासिक जीत के बाद देशवासियों में जीत की आदत लग गई है। यही वजह है कि टी-२० वर्ल्डकप के बाद शुभमन गिल की अगुवाई में टीम इंडिया को `जिम्बाब्वे से `जंग’ भी जीतनी ही होगी…! बता दें कि रोहित शर्मा की कप्तानी में जिस टीम ने भारत को वर्ल्ड चैंपियन बनाया है, उसमें से ज्यादातर प्लेयर जिम्बाब्वे दौरे पर नहीं गए हैं। कोहली, रोहित और जडेजा पहले ही टी-२०आई प्रारूप से संन्यास ले चुके हैं, ऐसे में जाहिर है कि वो इस सीरीज का हिस्सा नहीं हैं, जबकि अन्य खिलाड़ियों को आराम दिया गया है। कुछ खिलाड़ी जिन्हें जिम्बाब्वे जाना था, जिसमें यशस्वी जायसवाल, संजू सैमसन, शिवम दुबे शामिल हैं, वो चूंकि वेस्टइंडीज से भारत देर से लौटे हैं, ऐसे में ये सभी खिलाड़ी जिम्बाब्वे दौरे पर देर से जाएंगे। ५ मैचों की सीरीज के लिए इस बार जिम्बाब्वे दौरे के लिए शुभमन गिल को कप्तान बनाया गया है, जो आईपीएल में इस बार गुजरात टाइटंस के कप्तान थे। जिम्बाब्वे दौरे पर टीम इंडिया में लगभग सभी युवा खिलाड़ी हैं और उनके पास खुद को साबित करने का बड़ा मौका है। इस टीम में कई ऐसे खिलाड़ी हैं, जो पहली बार टी-२०आई प्रारूप में खेलते हुए भी नजर आएंगे। अब भारत की इस टीम के खिलाफ पहला मैच ६ जुलाई को खेलना है, ऐसे में शुभमन गिल किस प्लेइंग इलेवन से साथ मैदान पर उतरेंगे, इस पर सस्पेंस बना हुआ है।

पाकिस्तानी एक्टर की फिर घुसपैठ

बॉलीवुड में पाकिस्तानी कलाकारों के काम करने पर अक्सर उंगलियां उठती रहती हैं। इसकी वजह है कि आतंकवाद को खाद -पानी देनेवाले देश से किसी भी तरह के संबंध की खिलाफत। हिंदुस्थान और पाकिस्तान के बीच खराब रिश्तों के बीच पाकिस्तानी कलाकार भी बॉलीवुड से विदा हो गए थे। मगर अब चुपके से एक पाकिस्तानी वाया लंदन बॉलीवुड में एंट्री मारनेवाले हैं। ये हैं फवाद खान। ये वैसे पहले भी बॉलीवुड में काम कर चुके हैं। अब ये ८ साल बाद फिर से बॉलीवुड में वापसी करेंगे। इनकी नायिका होंगी वाणी कपूर। पता चला है कि इस फिल्म की शूटिंग जल्द ही लंदन में शुरू होगी। वर्ष २०१६ के बाद से पाकिस्तानी ऐक्टर्स ने भारतीय प्रोजेक्ट्स पर काम करना बंद कर दिया था। अब देखना है फवाद के काम करने के मामले में सरकार का क्या रुख रहता है।

इस्लाम की बात : शिक्षा, रोजगार और मुसलमान

सैयद सलमान
मुंबई

उत्तर प्रदेश से आए एक आलिम साहब से मुलाकात हुई। वे पारंपरिक रूप से दीन, दुनिया और इस्लाम के अकायद पर गहरी बातें रख रहे थे। जब उनका बयान खत्म हुआ और अनौपचारिक चर्चा शुरू हुई तो हमने उनसे मुसलमानों की बदहाली पर सवाल किया। वे कुछ देर खामोश रहे, फिर उसी पुराने ढर्रे पर आ गए कि मुसलमान ने दीन का दामन छोड़ दिया है, वगैरह-वगैरह। वे बातों को उलझा रहे थे और हम बातों की कड़ी खोलना चाह रहे थे कि आखिर वर्तमान में मुसलमानों की सबसे बड़ी समस्या क्या है और उसका निदान क्या है? वह कहने लगे मुसलमान मस्जिदों से दूर हो गया है। हमने स्वीकार किया। फिर कहा उसमें इस्लाम को लेकर कोई जज्बा नहीं रहा। हमने कहा क्या सड़कों पर उतर कर नारेबाजी ही इस्लाम के प्रति जज्बा दिखाने का तरीका है? उन्हें शायद बात बुरी लगी और वह इजाजत लेकर चलते बने। बचे हुए लोगों को भी शायद बात अखर रही थी, लेकिन कहने से हिचकिचा रहे थे। मुसलमान आज भी मस्जिदों का रुख करता है। उसे करना चाहिए। इस्लाम के लिए जज्बा होना चाहिए, लेकिन वह सलामती और अमन के लिए क्योंकि इस्लाम का अर्थ ही सलामती और शांति है, लेकिन मौलवी हजराज दीन के नाम पर जितना मुसलमानों को उलझाते हैं, उतना ही वह खुले जेहन का होने से कतराता है।
देखा जाए तो आज मुसलमानों की सबसे बड़ी समस्या अशिक्षा है। गरीबी, बेरोजगारी और व्यवस्था में कम हिस्सेदारी जैसी परेशानियों का मूल कारण अशिक्षा है। मुस्लिम समाज को आजादी के इतने वर्षों बाद भी शिक्षा से दूर रहकर कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इस समस्या का निदान मुस्लिम समुदाय में शिक्षा को बढ़ावा देना है। मुसलमानों में बौद्धिक वर्ग का अभाव है, क्योंकि उनके लिए राजनीति सबसे पहले आती है। कुछ बौद्धिक लोग राजनीति की डगर पर चलकर मुसलमानों को गुमराह करते हैं। मुसलमानों की शैक्षिक स्थिति बेहद खराब है। एक अनुमान के अनुसार मुसलमानों की ४३ प्रतिशत आबादी एकदम अनपढ़ है, जो एससी / एसटी समुदाय से भी कम है। मुस्लिम महिलाएं सबसे कम शिक्षित हैं। मुस्लिम स्कूल ड्रॉप आउट सबसे अधिक हैं। उच्च शिक्षा में मुसलमान बहुत पीछे हैं। गरीबी उच्च शिक्षा की सबसे बड़ी बाधा है। डिप्लोमा हासिल करने में भी मुसलमान पिछड़े हुए हैं। उत्तर भारत में स्कूलों की कमी के कारण मुसलमान उच्च शिक्षा में पीछे हैं, जबकि दक्षिण भारत की स्थिति अलग है। आखिर हैं तो दोनों ही मुसलमान तो फिर यह फर्क वैâसा?
मुसलमानों की एक बड़ी समस्या गरीबी और बेरोजगारी भी है। मुसलमानों में गरीबी और शिक्षा की कमी बेरोजगारी का प्रमुख कारण है। शहरी क्षेत्रों में मुस्लिम युवाओं की बेरोजगारी दर अन्य धर्मों के मुकाबले ज्यादा है। इससे उनकी कमाई भी अन्य की तुलना में कम हो जाती है। सरकारी नौकरियों में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व बेहद कम है। सरकार को उन्हें नौकरियों में शामिल करने के लिए कदम उठाने चाहिए। कॉर्पोरेट क्षेत्र में भी मुसलमानों को उचित अवसर नहीं मिलते। इस दिशा में भी सुधार की आवश्यकता है। मुसलमानों में बेरोजगारी एक जटिल समस्या है, जिसका समाधान समाज और सरकार के सहयोग से ही संभव है। ऐसे मौलवी हजरात जो महफ़िलों में बयानात देते हैं, उन्हें मुसलमानों में जागरूकता लाने के लिए प्रेरित करना चाहिए। शिक्षा, रोजगार में समानता और भेदभाव मुक्त माहौल के लिए सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे।
मुसलमानों के शैक्षिक और कौशल विकास को सुनिश्चित करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने की जरूरत है। मुस्लिम जनप्रतिधि इस दिशा में सरकार से तालमेल बिठाकर मुसलमानों को आगे बढ़ने में मदद कर सकते हैं। हां, अगर महज वोट बैंक बनाकर रखना है तो अशिक्षित, गरीब और बेरोजगार मुसलमान ही काम का है। मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में स्कूलों और कॉलेजों की संख्या बढ़ाकर शिक्षा की पहुंच को बेहतर बनाना एक अच्छा कदम हो सकता है। मुस्लिम छात्रों के लिए छात्रवृत्ति और वित्तीय सहायता बढ़ाना चाहिए। मुस्लिम महिलाओं के लिए विशेष शिक्षा कार्यक्रम शुरू कर उनकी शिक्षा दर को बढ़ाना चाहिए। मुसलमानों के लिए कौशल विकास के कार्यक्रम शुरू करना चाहिए। मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में कौशल विकास केंद्रों की स्थापना कर रोजगार के अवसर पैदा किए जा सकते हैं। मुस्लिम युवाओं को उद्यमिता के लिए प्रोत्साहित करके स्वरोजगार के अवसर देना चाहिए। आर्थिक रूप से पिछड़े मुस्लिम युवाओं को सरकारी नौकरियों में आरक्षण देकर रोजगार के अवसर बढ़ाना भी मुसलमानों के लिए फायदेमंद होगा। मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में व्यावसायिक शिक्षा और कला-कौशलों की शिक्षा को बढ़ावा देना मुसलमानों के विकास के नए द्वार खोलेगा। कुल मिलाकर मुस्लिम समुदाय में कौशल विकास के लिए सरकार और समाज को मिलकर प्रयास करने होंगे। शिक्षा, रोज़गार और कौशल विकास के माध्यम से ही मुस्लिम समाज का समग्र विकास संभव है। तभी किसी मौलवी की रटी-रटाई बातों का जवाब दिया जा सकता है।
(लेखक मुंबई विश्वविद्यालय, गरवारे संस्थान के हिंदी पत्रकारिता विभाग में समन्वयक हैं। देश के प्रमुख प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं।)

कोविड-१९ खत्म होने के बाद भी संसद की कवरेज के लिए मीडिया पर `रोक’ जारी!

मनमोहन सिंह

कोविड-१९ संबंधी प्रोटोकॉल के चलते संसदीय कार्यवाही तक पत्रकारों की ‘पूर्ण’ पहुंच पर लगी रोक को हटाने को लेकर एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने स्पीकर को पत्र लिखा है। साथ ही एडिटर्स गिल्ड ने इस बाबत नवनिर्वाचित लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को भी आग्रह किया है कि सदन की कार्यवाही को कवर करने वाले पत्रकारों पर लगा प्रतिबंध हटाया जाए। एडिटर्स गिल्ड द्वारा ये पत्र प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और दोनों सदनों में सभी दलों के नेताओं के साथ भी साझा किए गए हैं।
गौरतलब है कि मीडिया पर ये प्रतिबंध उस वक्त लगाए गए थे, जब कोविड-१९ प्रोटोकॉल लागू किए गए थे, जिसमें स्थायी मान्यता प्राप्त लोगों सहित मीडिया कर्मियों के लिए सीमित पहुंच थी। महामारी के नियंत्रण में आने के साथ गिल्ड ने संसदीय कार्यवाही की पारदर्शी रिपोर्टिंग सुनिश्चित करने के लिए पूर्ण पहुंच बहाल करने के लिए अनुरोध है।
पत्र के मुताबिक, `देश ने इस संकट से लड़ाई लड़ी है तथा आगे बढ़ गया है और हमें उम्मीद है कि पहुंच को सीमित करने की नीति भी समाप्त हो जाएगी। पत्रकारों को बेरोकटोक पहुंच प्रदान करने का निर्णय संविधान सभा के समय से ही चलन में था और पहली संसद द्वारा इसे जारी रखा गया। इसका उद्देश्य लोगों को उनके प्रतिनिधियों के काम, सदन के अंदर के घटनाक्रम और बाहर की गतिशीलता से मीडिया के माध्यम से अवगत कराना था, जो संसदीय लोकतंत्र में महत्वपूर्ण है।’
यह पहली दफा नहीं है कि संसद रिपोर्टिंग में लगे प्रतिबंध की बहाली को लेकर पत्र लिखा गया है। २०२१ में भी लोकसभा अध्यक्ष को संबोधित एक पत्र में प्रेस क्लब ऑफ इंडिया और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने मांग की थी कि वरिष्ठ पत्रकारों के लिए संसद के केंद्रीय कक्ष तक पहुंच बहाल की जानी चाहिए। उस वक्त प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने ट्वीट किया था, `हमारा मानना ​​है कि मीडिया लोगों और संसद के बीच एक महत्वपूर्ण इंटरफेस प्रदान करता है। लोकसभा और राज्यसभा दोनों में होने वाली घटनाओं पर रिपोर्टिंग करके वे सरकार, हमारे प्रतिनिधियों को अधिक जवाबदेह बनाते हैं और हमारे लोकतंत्र को अधिक महत्व देते हैं।’ प्रेस क्लब का मानना था कि सिनेमा हॉल और अन्य स्थानों द्वारा सामाजिक दूरी के मानदंडों में ढील दे दी गई है इसलिए पत्रकारों का पुन: प्रवेश `जीवन को सामान्य बनाने’ के सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप होगा। हांलाकि, पीसीआई ने सदन में मीडिया की पहुंच को आंशिक रूप से बहाल करने में स्पीकर के हस्तक्षेप का उल्लेख किया, लेकिन बताया कि यह महामारी नियमों का हवाला देते हुए सीमित था। प्रेस एसोसिएशन, दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स एंड वर्किंग न्यूज वैâमरामैन एसोसिएशन, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, एडिटर्स गिल्ड और अन्य ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को एक पत्र लिखा था और उनसे सेंट्रल हॉल तक पूरी पहुंच बहाल करने का आग्रह किया था।

क्लीन बोल्ड : स्वागत, बारिश और भांगड़ा

अमिताभ श्रीवास्तव

ऐसा स्वागत सिकंदर का भी नहीं हुआ होगा, जो टीम इंडिया का देश आगमन पर हुआ। आखिरकार विश्वकप जो जीत कर लौटे हैं। तूफान में फंसने के बाद विशेष रूप से स्वदेश वापसी में दिल्ली से लेकर मुंबई तक जश्न ही जश्न रहा। कल रोहित शर्मा की अगुवाई वाली क्रिकेट टीम सुबह दिल्ली पहुंची। दिल्ली एयरपोर्ट से लेकर आईटीसी मौर्य होटल तक टीम इंडिया के खिलाड़ियों का जबरदस्त स्वागत हुआ। इंद्र देवता भी मानो प्रसन्न थे, रिमझिम बारिश के मध्य सड़कों पर फैस का हुजूम उमड़ा था। दिल्ली की धरती पर खिलाड़ियों का स्वागत भांगड़े के साथ हुआ। टीम इंडिया के स्टार कैप्टन रोहित शर्मा और स्टार खिलाड़ी सूर्यकुमार यादव ने जब भांगड़ा बजते देखा तो वे खुद को रोक नहीं पाए। सूर्यकुमार यादव ने तो भांगड़े की बीट पर धांसू डांस किया। मनभर नाचे और क्या खूब नाचे। सूर्यकुमार यादव के फाड़ू डांस को देखकर सब हैरान रह गए। दिल्ली पुलिसवाले भी हक्का-बक्का रह गए। इस वीडियो में देखा जा सकता है कि वह कैसे मस्ती में लीन होकर डांस कर रहे हैं।

इस देश के साथ क्रिकेट नहीं
क्रिकेट ने हमेशा से देश के द्विपक्षीय संबंधों के आधार पर अपने पैर पसारे हैं। दरअसल, यह खेल जनमानस पर प्रभाव डालता रहा है इसीलिए इसे राजनैतिक कवच में लपेट दिया गया है। जैसे हिंदुस्थान-पाकिस्तान के मध्य कड़वे संबंधों के कारण क्रिकेट प्रभावित हुआ है तो अब ऑस्ट्रेलिया ने घोषणा की है कि वो अफगानिस्तान के साथ क्रिकेट नहीं खेलेगा। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने दोहराया है कि महिलाओं के अधिकारों के संबंध में तालिबान सरकार के रुख के कारण ऑस्ट्रेलिया अफगानिस्तान के साथ द्विपक्षीय क्रिकेट नहीं खेलेगा। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के मुख्य कार्यकारी निक हॉकले ने कहा कि इस मामले पर अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड के साथ नियमित बातचीत होती रही है और उम्मीद है कि दोनों टीमें भविष्य में कभी न कभी एक-दूसरे के साथ खेलना शुरू करेंगी। ऑस्ट्रेलिया ने महिलाओं और लड़कियों के मानवाधिकारों में गिरावट का हवाला देते हुए तीन बार अफगानिस्तान के साथ द्विपक्षीय सीरीज खेलने से अपना नाम वापस ले लिया है, लेकिन आईसीसी इवेंट में उनके खिलाफ खेल रहे हैं। ऐसा ही टीम इंडिया भी करती है।

घोड़े पर इतिहास
यह हिंदुस्थान का तिरंगा है, जो आज ऐसे खेलों में भी लहराने लगा है, जिनमें जीतने की कभी कल्पना की जाती थी। यह एक ऐतिहासिक दिन था, जब देश की श्रुति वोरा ने थ्री-स्‍टार ग्रांपि इवेंट जीतकर इतिहास रच दिया। वो ये कारनामा करनेवाली हिंदुस्थान की पहली घुड़सवार बनीं। वोरा ने अपने घोड़े मेगनेनिमस के साथ सीडीआई-थ्री इवेंट एफईआई ड्रेसेज वर्ल्डकप में रिकॉर्ड ६७.७६१ अंक हासिल किए, जिसका आयोजन पिछले महीने स्‍लोवेनिया के लिपिका में हुआ था। हालांकि, इतिहास रचने के बावजूद श्रुति वोरा आगामी पेरिस ओलिंपिक्‍स २०२४ के लिए क्‍वालीफाई करने में नाकाम रहीं। इक्‍वीस्‍ट्रीयन फेडरेशन ऑफ इंडिया ने अनुष अग्रवाल को समर गेम्‍स में श्रुति वोरा पर तरजीह देते हुए चुना। यह चयन कार्यकारी परिषद और अध्‍यक्ष द्वारा किया गया। हालांकि, इतिहास रचने के बावजूद श्रुति वोरा आगामी पेरिस ओलिंपिक्‍स २०२४ के लिए क्‍वालीफाई करने में नाकाम रहीं।

(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार व टिप्पणीकार हैं।)

दिल तो बच्चा है जी…

टीम इंडिया के कप्तान रोहित शर्मा की बल्लेबाजी तो आप सभी ने देखी होगी, उनके डांस से भी आप बखूबी वाकिफ होंगे, लेकिन क्या कभी आपने उनकी मस्ती मूड को देखा है। नहीं ना..! लेकिन स्वदेश लौटते समय रोहित का बचपना देखने को मिला। दरअसल, बीसीसीआई ने एक स्पेशल वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है, जिसमें सभी स्पेशल फ्लाइट के अंदर काफी ट्रॉफी के साथ मस्ती करते हुए दिख रहे हैं, जिसमें सबसे आगे कप्तान रोहित शर्मा ही हैं। फ्लाइट के अंदर कप्तान रोहित शर्मा का मस्ती भरा अंदाज इस वीडियो के दौरान देखने को मिला, जिसमें उन्होंने अपनी खुशी को भी जाहिर किया। वैसे रोहित का यह बच्चे वाला अंदाज सभी को बड़ा पसंद आया। इसके अलावा जसप्रीत बुमराह ने अपने बेटे अंगद के साथ ट्रॉफी को हाथ में उठाते हुए इस वीडियो में दिखाई दिए तो वहीं अर्शदीप सिंह अपने परिवार के साथ फ्लाइट में थे। बता दें कि टीम इंडिया ने २९ जून को बारबाडोस के केनिंग्सटन ओवल मैदान पर खेले गए टी-२० वर्ल्डकप २०२४ के फाइनल मुकाबले में साउथ  अफ्रीका की टीम को ७ रन से मात दी थी। इसके बाद वहां पर चक्रवाती तूफान आने की वजह से टीम इंडिया तय कार्यक्रम के अनुसार देश रवाना नहीं हो सकी थी। भारतीय टीम वहां से एयर इंडिया के स्पेशल प्लेन से ३ जुलाई को सीधे दिल्ली के लिए चली थी।

राजस्थान का रण : कांग्रेस का समर्थन

गजेंद्र भंडारी

राजस्थान में ६ जनवरी को जब डॉ. किरोड़ी लाल मीणा मंत्री बने थे, तब कहा था कि हम २० साल का वनवास काटकर आए हैं, लेकिन ६ महीने में इस्तीफा देकर फिर से किरोड़ी लाल मीणा वनवास पर निकल गए। इस मामले पर गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा है कि बीजेपी ने किरोड़ी लाल मीणा का अपमान किया है। हालांकि, आपको याद दिला दें कि डोटासरा ने पहले कहा था कि मैं किरोड़ी लाल मीणा को जानता हूं, वो थूककर चाटने वालों में नहीं हैं। अपनी बात के पक्के हैं। अगर उन्होंने इस्तीफा देने की घोषणा की है तो जरूर ही देंगे। वहीं रतनगढ़ विधायक पूसाराम गोदारा बोले- किरोड़ी लाल मीणा हर बार इसी तरह मंत्री पद से इस्तीफा देकर ड्रामा करते हैं। कांग्रेस पार्टी के निर्धारित कार्यक्रम के हिसाब से हम सदन में सरकार को घेरेंगे। किरोड़ी लाल मीणा ने मंत्री पद से इस्तीफा क्यों दिया, इस पर भी जवाब लेंगे। बीजेपी की ४ सीटों भरतपुर, धौलपुर-करौली, दौसा और टोंक-सवाईमाधोपुर में चुनावों में हुई हार के बाद से विरोधियों की तरफ से किरोड़ी को उनके वचन याद दिलाए गए थे और इस्तीफा देने की मांग की जा रही थी। दरअसल, किरोड़ी को चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी ने दौसा समेत ७ सीटों की जिम्मेदारी दी थी, लेकिन यहां हार मिली।
अपनी-अपनी तैयारी
लोकसभा चुनाव के बाद कुछ विधायकों के सांसद बनने से राजस्थान की ५ विधानसभा सीटें खाली हुई हैं, जिन पर आने वाले महीनों में उप चुनाव होने हैं। ऐसे में उप चुनाव को लेकर प्रदेश की सियासत में हलचल तेज हो गई है। इन सीटों में हनुमान बेनीवाल की खींवसर सबसे हॉट सीट है, जहां से जीतना इस बार बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए बड़ी चुनौती है। हालांकि, अभी उप चुनाव की तारीखों को लेकर कोई एलान नहीं हुआ है। दरअसल, माना जा रहा है कि खींवसर समेत राजस्थान की ५ विधानसभा सीटों पर नवंबर के आस-पास चुनाव हो सकते हैं। इसे लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां तैयारी में जुट गई हैं। इस बार बहुजन समाज पार्टी भी उपचुनाव के मैदान में उतरने वाली है, जिससे मुकाबला त्रिकोणीय और दिलचस्प होने वाला है। हाल में राजस्थान में होने वाले उप चुनाव को लेकर बीजेपी की बैठक हुई। इसमें इन ५ विधानसभा सीटों पर चिंतन और मंथन हुआ। कयास लगाया जा रहा है कि बीजेपी इस बार संगठन में काम करने वाले या किसी पुराने चेहरे को ही टिकट देगी, क्योंकि पार्टी के पॉपुलर नेताओं को नजरअंदाज करने का नुकसान पार्टी लोकसभा चुनाव में उठा चुकी है। खासकर, खींवसर सीट पर जातिगत समीकरण को देखते हुए भी पार्टियां रणनीति बनाने में जुटी हुई हैं।
माइक बंद करने की राजनीति
राजस्थान विधानसभा का बजट सत्र शुरू होते ही स्थगित हो गया। सदन की कार्रवाई शुरू होने के साथ ही कांग्रेस के विधायकों ने नारेबाजी की। नाराजगी इस बात को लेकर थी कि बिना राज्यपाल के अभिभाषण के सत्र की शुरुआत की गई। वहीं कांग्रेस ने लोकसभा के बाद अब विधानसभा में भी माइक बंद करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष की आवाज दबाना शर्मनाक है। लोकसभा और राज्यसभा के बाद विधानसभा में माइक बंद किया जा रहा है। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली का माइक बंद करके उन्हें जनता की आवाज उठाने से रोका गया। इधर जूली ने भी सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि अध्यक्ष जी, लोकसभा में माइक बंद कर देते हैं और यहां मेरा भी माइक बंद कर रहे हैं। क्या यही भाजपा का लोकतत्र है? क्या आमजन की आवाज उठाना अपराध है? क्या दलित-पिछड़ों की पैरवी करना गलत है? सदन की ये परंपरा गैर लोकतांत्रिक है।