“एल” वार्ड में विज्ञान प्रदर्शन का आयोजन

सामना संवाददाता / मुंबई

आज के आधुनिक एवं डिजिटल युग में विद्यार्थियों में कल्पना शक्ति, प्रयोग, निष्कर्ष व वैज्ञानिक दृष्टिकोण की क्षमता विकसित हो इसलिये प्रत्येक वर्ष मुंबई के तीनों शिक्षण विभाग में विज्ञान प्रदर्शन का आयोजन किया जाता है। इसी क्रम में एल वार्ड में दिनांक 3 दिसंबर 2024 से दिनांक 5 दिसंबर 2024 तक 52 वें तालुका स्तरीय विज्ञान प्रदर्शन का आयोजन स्वामी विवेकानंद  हाई स्कूल एवं जूनियर कॉलेज तथा विवेकानंद इंग्लिश हाई स्कूल  नेहरूनगर, कुर्ला (पूर्व) में किया गया है। इस प्रदर्शन का उद्‌घाटन लाधाराम नागवानी (मैनेजिंग ट्रस्टी, बी.ई. एस) विशेष अतिथि मंगेश कुडाळकर (विधायक, कुर्ला) सुरेश मलकानी (अध्यक्ष वी ई एस) राजेश गेहामी सचिव (बी-ई-एस.)डॉ.प्रकाश लुल्ला (खजिनदार बी-ई-एस.) इत्यादि प्रमुख मान्यवरों की उपस्थिति में हुआ।
सुनिल कांबले (वैज्ञानिक आई. एम. डी.), माननीय नंदा कुलकर्णी (G.M. HRD. RCF) इस अवसर पर उपास्थित रहकर विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया।

“शाश्वत भविष्य के लिए विज्ञान एवं तंत्रज्ञान” विषय पर आधारित प्रकल्पों की की प्रदर्शनी शिक्षक एवं विद्यार्थियों द्वारा की गई। पालक व विद्यार्थियों ने लाभ उठाया।इसमें डॉ.मुश्ताक शेख (शिक्षण निरीक्षक, बृहन्मुंबई उत्तर विभाग) ,गणेश खाडे (शिक्षण उपनिरीक्षक, एल वार्ड) विद्या फलके (मुख्य समन्वयक, एल वार्ड) , गीता सिंह  प्रणिता मित्रा व रामजीत यादव की उपस्थिति से सभी गौरांवित हुए।

टीएमयू एमबीए के ऋषभ इंग्लिश स्पीचमास्टरी में अव्वल

सामना संवाददाता / मुरादाबाद

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के सेंटर फॉर टीचिंग, लर्निंग एंड डवलपमेंट- सीटीएलडी की भाषण प्रतियोगिता- स्पीचमास्टर 2.0 में मैनेजमेंट से एमबीए थर्ड ईयर के ऋषभ अग्रवाल विजेता रहे। इंजीनियरिंग से बीटेक थर्ड ईयर के संयम जैन ने द्वितीय और विधि संकाय से बीए एलएलबी ऑनर्स थर्ड ईयर की वर्षा अग्रवाल ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। विजेताओं को प्रतियोगिता के तीन राउंड- हिट द ग्राउंड, बर्न द फ्लोर और द बैटलफील्ड की कड़ी प्रक्रिया से गुजरना पड़ा। निर्णायक मंडल में बोन ऐनी पब्लिक स्कूल की प्राचार्या श्रीमती सुनीता भटनागर और पीएमएस पब्लिक स्कूल के प्राचार्य श्री मैथ्यू पी. एलनचेरिल शामिल रहे। इससे पूर्व ऑडी में टीएमयू के वीसी प्रो. वीके जैन ने बतौर मुख्य अतिथि, गेस्ट्स के संग सीटीएलडी के डायरेक्टर प्रो. (डॉ.) पंकज कुमार सिंह आदि ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके शुभारम्भ किया। स्पीचमास्टर 2.0 में 317 छात्रों में से 38 छात्रों ने फाइनल राउंड में ऑन-द-स्पॉट स्पीच दी।

मुख्य अतिथि वीसी प्रो. वीके जैन ने प्रभावी पब्लिक स्पीकिंग के महत्व और करियर में इसके योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला। सीटीएलडी के डायरेक्टर प्रो. पंकज कुमार सिंह ने कहा, सार्वजनिक भाषण करना और श्रोताओं को अपनी बात से जोड़ना एक अद्वितीय कौशल है। स्पीचमास्टर 2.0 ने छात्रों को न केवल अपने विचारों को बेहतर तरीके से व्यक्त करने का मौका दिया, बल्कि उन्हें आत्मविश्वास और संचार कौशल में निपुण बनने की दिशा में प्रेरित किया। प्रतियोगिता के जरिए छात्रों को आत्मविश्वास के साथ मंच पर अपनी बात रखने और ग्लोसोफोबिया- पब्लिक स्पीकिंग का डर पर विजय प्राप्त करने का अवसर मिला। कार्यक्रम में प्रोग्राम कोर्डिनेटर एवम् सीटीएलडी के मास्टर ट्रेनर श्री अंकित शर्मा मौजूद रहे। उल्लेखनीय है, प्रत्येक प्रतिभागी को मंच पर जाने से मात्र चार मिनट पहले स्पीच का विषय दिया गया, इसका मकसद प्रतिभागी की सोचने और त्वरित विचार प्रस्तुत करने की क्षमता का परीक्षण करना रहा।

संपादकीय : किसान आंदोलन : कान उमेठे; क्या इससे फायदा होगा?

अपनों की लताड़
देश में किसानों की समस्याओं और उसके लिए बार-बार किए जानेवाले आंदोलन को लेकर अब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने ही मोदी सरकार को आईना दिखाया है। एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने दिल्ली-नोएडा सीमा पर किसानों द्वारा शुरू किए गए आंदोलन को लेकर मोदी सरकार को खूब खरी-खोटी सुनाई। किसानों को दोबारा सड़कों पर आना पड़ा है इस बाबत उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार ने किसानों से संवाद क्यों नहीं साधा? उनसे चर्चा क्यों नहीं? क्या किसानों और सरकार के बीच बाड़ बनाने की कोशिश हो रही है? उन्होंने बहुत सारे सवालों की झड़ी लगा दी।
मोदी की बकैती
दस साल पहले मोदी सरकार ने किसानों को लेकर कई वादे किए थे, लेकिन वे सभी बकैती साबित हुए। इसके उलट इस सरकार की नीतियों के कारण देश के आम किसान का अब एक ही काम रह गया है आसमानी-सुल्तानी आपदाओं का सामना करना, जैसे-तैसे खेतों में फसल उगाना, खराब मौसम से होने वाले नुकसान को सहना और बची-खुची शक्ति फसलों के उचित मूल्य पाने के लिए शासकों के खिलाफ लड़ने में खर्च करना। दस साल पहले मोदी सत्ता में आए थे, कृषि को एमएसपी ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ देने के लिए बहुत सारे वादे किए थे। उस समय मोदी हर भाषण में कहते थे कि वह किसानों की आय दोगुनी करेंगे और कृषि उपज को ‘गारंटी मूल्य’ देंगे, लेकिन सत्ता में आने के बाद वह आज तक इस बारे में ‘मुंह में दही जमाए बैठे’ हैं। इसके उलट, मोदी सरकार ने हर तरह से ‘कृषि सुधार कानूनों’ का दोष पीड़ित पर मढ़ने की कोशिश की, लेकिन दिल्ली सीमा पर किसानों के लंबे विरोध प्रदर्शन और उनकी एकजुटता के चलते मोदी सरकार को अंतत: इन काले कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।
दमनकारी सरकार
बेशक, एमएसपी से लेकर कई अन्य अधिकारों की मांगों को लेकर किसानों के जो सवाल दस साल पहले थे, वही सवाल आज भी हैं। इसीलिए हजारों किसान फिर से सड़कों पर उतरने को मजबूर हो गए हैं। लेकिन मोदी सरकार ने हमेशा की तरह दमन शुरू कर दिया है। किसान नेता राजेश टिवैâत समेत करीब ७०० आंदोलनकारी किसानों को गिरफ्तार कर लिया गया है। इसीलिए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने केंद्र के सत्ताधारियों को आड़े हाथों लिया है। किसानों के सड़कों पर उतरने से पहले सरकार ने उनसे बातचीत क्यों नहीं की? यही सवाल उपराष्ट्रपति ने सरकार से पूछा है। वह सही हैं, लेकिन शुरू से ही मोदी सरकार और संवाद का छत्तीस का आंकड़ा है। तीन साल पहले भी किसानों ने इन्हीं मांगों को लेकर दिल्ली बॉर्डर पर जोरदार प्रदर्शन किया था। ठंड ने कई किसानों की जान ले ली। फिर भी मोदी सरकार का दिल नहीं पसीजा, बल्कि सरकार द्वारा इस आंदोलन की ‘खालिस्तानवादी’ साबित करने के कुत्सित प्रयास किए गए। यह सच है कि सरकार ने तीन साल पहले किसान आंदोलन के दबाव में कृषि सुधार कानूनों को वापस ले लिया था, लेकिन सरकार ने किसानों से संवाद करने का शिष्टाचार न तब दिखाया, न बाद में और न अब। इसीलिए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अब केंद्र सरकार के कान उमेठे हैं और हुक्मरानों को किसानों की जायज मांगों को मानने के लिए उनसे संवाद करने की याद दिलाई है।
किसानों से महत्वपूर्ण फिल्म
बेशक, क्या यह उपयोगी होगा? क्या हुक्मरानों को अपने दिखाए आईने में अपना चेहरा देखने की हिम्मत होगी? ये सवाल हैं ही। क्योंकि जब किसान अपने अधिकारों की मांग के लिए फिर से दिल्ली की सड़कों पर उतरे, तो प्रधानमंत्री मोदी और उनका मंत्रिमंडल संसद के बालयोगी हॉल में फिल्म ‘द साबरमती रिपोर्ट’ की विशेष स्क्रीनिंग का आनंद लेने में मशगूल थे! मोदी सरकार किसान विरोधी है इसका आपको और क्या सबूत चाहिए?

विधायकों की मंत्री पद के लिए जोरदार लॉबिंग …भाजपा को २०, शिंदे को १० और अजीत पवार गुट को १२ मंत्री पद!

सामना संवाददाता / मुंबई
प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर जारी सस्पेंस खत्म हो गया है। भाजपा के देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री के लिए चुना गया है, लेकिन मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए विधायकों की जबरदस्त लॉबिंग शुरू है। पिछले ६ दिनों से महायुति में शामिल तीनों दलों के विधायक मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए जोरदार लॉबिंग कर रहे हैं। भाजपा गुट के विधायक देवेंद्र फडणवीस के गुडबुक में होने के साथ साथ आरएसएस के लोगों से भी फोन करवा रहे हैं तो दिल्ली में जाकर केंद्रीय नेताओं से सिफारिश करवा रहे हैं। शिंदे गुट के विधायक तो शिंदे के आसपास हैं, वे शिंदे के बेटे श्रीकांत के पास भी जाकर जुगाड़ लगा रहे हैं। हालांकि शिंदे खुद नाराज भी इसीलिए हैं कि उन्हें बंटवारे में कम विभाग मिल रहे हैं। वे १४ से अधिक मंत्रालय मांग रहे हैं लेकिन उन्हें ८ से १० विभाग मिलेंगे। अजीत पवार इन दिनों महायुति में दूसरे नंबर पर चल रहे हैं और देवेंद्र फडणवीस के सबसे करीबी बन गए हैं। उन्होंने भाजपा नेताओं का भी दिल जीत लिया है। ऐसे में उन्हें जहां ७ से ८ विभाग मिलने थे, अब उन्हें १० से १२ विभाग मिल सकते हैं। वे अपने १० से १२ लोगों को मंत्री बनवा पाएंगे।

सूत्रों की मानें तो महायुति के इस नए मंत्रिमंडल में पुराने और नए चेहरों को शामिल किए जाने की संभावना है। भाजपा, शिंदे गुट और अजीत पवार गुट के विधायक पिछले कुछ दिनों से अपने-अपने नेताओं से मुलाकात कर मंत्रिपद के लिए लॉबिंग कर रहे हैं। भाजपा से मंत्री बनने के लिए संभावित नामों में चंद्रशेखर बावनकुले, आशीष शेलार, नितेश राणे, गणेश नाईक, राहुल नार्वेकर, अतुल भातखलकर, शिवेंद्रराजे भोसले, गोपीचंद पडलकर, माधुरी मिसाल का नाम शामिल हैं तो अजीत पवार गुट से धनंजय मुंडे, छगन भुजबल, हसन मुश्रीफ, दिलीप वलसे पाटील, अदिति तटकरे, धर्मरावबाबा आत्राम का नाम शामिल है, वहीं शिंदे गुट से दीपक केसरकर, उदय सामंत, शंभुराज देसाई, गुलाबराव पाटील को मौका मिल सकता है।

सूत्रों की मानें तो भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने मंत्री पद के लिए सख्त मापदंड तय किए हैं। केंद्रीय नेताओं ने विधायकों का रिपोर्ट कार्ड मांगा है। लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन, पार्टी के प्रति निष्ठा, मंत्री पद पर उनकी पिछली कार्यशैली और विवादों से दूरी जैसे पहलुओं को ध्यान में रखा जा रहा है। हालांकि मुख्यमंत्री के साथ दो उपमुख्यमंत्री तो शपथ लेंगे, लेकिन अभी तक यह भी तय नहीं है कि मंत्री पद के लिए कितने लोग शपथ लेंगे।

पीएम मोदी भी होंगे शपथ कार्यक्रम में शामिल
महाराष्ट्र में महायुति सरकार का शपथ ग्रहण समारोह ५ दिसंबर को शाम ५:३० बजे आजाद मैदान में आयोजित होगा। इस भव्य कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उपस्थित रहेंगे। देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे, जबकि २ उपमुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों के नाम पर भी जल्द मुहर लगने की संभावना है।

 

अब भी ‘गृह’ के लिए जिद पर अड़े शिंदे! …फडणवीस के आग्रह पर भी नहीं दिया जवाब …उपमुख्यमंत्री बनने पर सस्पेंस बरकरार

सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र में महायुति को पूर्ण बहुमत मिल तो गया है, लेकिन सत्ता की स्थापना को लेकर उनके बीच सामंजस्य नहीं बन पा रहा है। किसी तरह से सीएम पद के लिए देवेंद्र फडणवीस का नाम घोषित किया गया है तो अब प्रदेश की राजनीति में नया सस्पेंस देखने को मिल रहा है। महायुति सरकार के गठन को लेकर जारी चर्चाओं के बीच देवेंद्र फडणवीस के एक बयान ने माहौल और गर्म कर दिया है। देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि हमने एकनाथ शिंदे और उनके विधायकों से सरकार में शामिल होने का आग्रह किया है।
फडणवीस के बयान से ही साबित हो गया कि शिंदे की नाराजगी दूर नहीं हुई है। लेकिन यह सवाल सभी के मन मे है कि शिंदे को खुश करने की दवा (गृह मंत्रालय) कौन देगा और कब मिलेगी।
दरअसल शिंदे उपमुख्यमंत्री बनने को तैयार नहीं हैं, क्योंकि उन्हें गृहमंत्रालय नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में शिंदे गृहमंत्रालय के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। महायुति के नेताओं ने कल महाराष्ट्र के राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन से मुलाकात कर सरकार गठन का दावा पेश किया। भाजपा, शिंदे गुट और अजीत पवार गुट के प्रमुख नेताओं क्रमश: देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे, और अजीत पवार ने मिलकर राज्यपाल को पत्र सौंपा। इसके बाद ५ दिसंबर (आज) शपथ ग्रहण समारोह का समय निर्धारित किया गया है। देवेंद्र फडणवीस ने इस दौरान कहा कि हमने एकनाथ शिंदे से मंत्रिमंडल में बने रहने की विनति की है। उनके विधायकों ने भी यही इच्छा व्यक्त की है। हमें उम्मीद है कि उनका सकारात्मक जवाब मिलेगा। इस बयान ने इस बात पर सस्पेंस बढ़ा दिया है कि क्या एकनाथ शिंदे उपमुख्यमंत्री पद ग्रहण करेंगे या नहीं।

आज शपथ विधि
राज्यपाल से मुलाकात के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि शपथ ग्रहण समारोह आज शाम ५:३० बजे होगा। महायुति में भाजपा, शिंदे गुट, अजीत गुट के अलावा जनसुराज्य, स्वाभिमान, रासप और निर्दलीय विधायक शामिल हैं।

फडणवीस ने शिंदे को खुश करने के लिए कहा मंत्रिमंडल में पद महज तकनीकी पहलू है, लेकिन हमारी टीमवर्क पर आधारित सरकार रहेगी। फडणवीस ने आगे कहा हमने अतीत में भी तीनों ने मिलकर निर्णय लिए हैं और आगे भी इसी तरह से काम करेंगे। राज्य को विकास के रास्ते पर ले जाना हमारी प्राथमिकता है।

 

गुजरात-उत्तर महाराष्ट्र के मालरान क्षेत्रों में मिली आकर्षक छिपकली …ठाकरे वाइल्डलाइफ फाउंडेशन का नया रोमांचक शोध

सामना संवाददाता / मुंबई
दुर्लभ वन्यजीव प्रजातियों पर शोध के लिए विश्वभर में प्रशंसा पाने वाले ‘ठाकरे वाइल्डलाइफ फाउंडेशन’ ने एक और बड़ी सफलता हासिल की है। फाउंडेशन के शोधकर्ताओं ने गुजरात और उत्तर महाराष्ट्र के मालरान (सूखी घास के मैदानों) में १० साल से लंबे शोध को जारी रखा है। यहां शोध में एक नई आकर्षक छिपकली की प्रजाति का पता लगा है। ‘ओफीसॉप्स’ प्रजाति की छिपकली की इस खूबसूरत नई प्रजाति का नाम ‘ओफीसॉप्स वेनस्टस’ रखा गया है।
तेजस ठाकरे की टीम को बड़ी सफलता
‘ठाकरे वाइल्डलाइफ फाउंडेशन’ के माध्यम से तेजस ठाकरे के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की एक टीम ने ‘ओफीसॉप्स वेनस्टस’ की खोज की। शोधकर्ताओं में तेजस ठाकरे के साथ हर्षिल पटेल, सेवानिवृत्त वैज्ञानिक राजू व्यास, जर्मनी से झिशान मिर्जा, लंदन से शौनक पाल शामिल हैं। उनके शोध पर ‘टैप्रो बॉनिका’ जैसी प्रसिद्ध पत्रिका में स्थान मिला है। यह शोध न केवल भारतीय जैव विविधता को समझने में मदद करेगा, बल्कि वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में भारत की भूमिका को और मजबूत करेगा।

इस नई छिपकली ओफीसॉप्स वेनस्टस का स्वरूप सुंदर और मनमोहक है। सुंदर होने की वजह से नई प्रजाति की छिपकली का नाम ‘ओफीसॉप्स वेनस्टस’ रखा गया है। यह छिपकली ‘स्नेक-आइज’ ग्रुप से संबंधित है। यह छिपकली समुद्र तल से ८०० मीटर की ऊंचाई पर घास के मैदानों में पाई जाती है।

हम महाराष्ट्र के दुश्मनों को सबक सिखाएंगे … संजय राऊत ने बीजेपी पर साधा निशाना

सामना संवाददाता / मुंबई
गिरगांव की घटना पर बेहद चिंता जताते हुए शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता और सांसद संजय राऊत ने मुंबई में मराठी लोगों पर हो रहे कथित हमलों को लेकर बीजेपी पर कड़ा प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि मुंबई में मराठी लोगों को मराठी में बात न करने और गुजराती, मारवाड़ी में बात करने की धमकियां दी जा रही हैं। गिरगांव में एक घटना का जिक्र करते हुए राऊत ने इसे मराठी अस्मिता पर हमला बताया।
संजय राऊत ने कहा कि मुंबई मराठी लोगों के संघर्ष और त्याग से बनी है। यहां की हर जमीन पर मराठी लोगों का खून और बलिदान बसा है।
राऊत ने गिरगांव की घटना पर चिंता जताई, जिसमें एक मराठी महिला को एक मारवाड़ी व्यापारी ने मराठी में बात न करने के लिए धमकाया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री इस पर कोई कदम नहीं उठा रहे हैं, जो बेहद शर्मनाक है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी मराठी लोगों की विरासत को मिटाकर मुंबई को मराठी विरोधियों के हाथ में सौंपने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के भविष्य के लिए यह बेहद खतरनाक तस्वीर है।
उन्होंने आरोप लगाया कि इस चुनाव में बीजेपी ने गुजराती, मारवाड़ी और जैन समुदायों के नाम पर मराठी लोगों के खिलाफ माहौल बनाया। राऊत ने चेतावनी देते हुए कहा कि सत्ता में न होने के बावजूद, हमने मुंबई और महाराष्ट्र के लिए लड़ाई लड़ी है और आगे भी लड़ते रहेंगे। मराठी लोगों की लड़ने की ताकत को कोई खत्म नहीं कर सकता। हम महाराष्ट्र के दुश्मनों को सबक सिखाएंगे।

संजय राऊत ने यह भी स्पष्ट किया कि शिवसेना ने हमेशा माना है कि मुंबई सभी समुदायों को साथ लेकर चलती है। उन्होंने कहा कि हमने कभी हिंदी भाषी, गुजराती, मारवाड़ी, जैन, पारसी या सिंधी लोगों को धमकी नहीं दी, लेकिन मुंबई पर पहला हक मरा’ी लोगों का है, यही हमारी भूमिका रही है। राऊत ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि भाजपा ने मुंबई को बिल्डरों के हवाले कर दिया है।

गृहमंत्री के सामने गिड़गिड़ाए थे शिंदे … ६ महीने का ही सीएम बना दो! …अमित शाह ने बेरहमी से ठुकरा दी थी मांग

सामना संवाददाता / मुंबई
रूठने-बिफरने और बीमार पड़ने का कोई दांव कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के काम नहीं आया। आज भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस आजाद मैदान में मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे हैं। चुनाव नतीजों में बहुमत पाने के बाद महायुति को अपना सीएम चुनने में १० दिनों का वक्त लग गया। इसी से समझा जा सकता है कि महायुति में सीएम पद की खींचतान कितनी जबरदस्त तरीके से चल रही थी। शिंदे कुर्सी छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे। हालत यह थी कि जब दिल्ली में गत २८ नवंबर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के घर पर बैठक हुई तो शिंदे वहां अमित शाह के सामने गिड़गिड़ाए कि उन्हें कम से कम ६ महीने तक सीएम बने रहने दिया जाए। मगर अमित शाह ने बड़ी बेरहमी से शिंदे की मांग को ठुकरा दिया था।
बता दें कि मुंबई में मामला नहीं सुलझने के बाद गत २८ तारीख को एकनाथ शिंदे ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा नेतृत्व से मुलाकात की थी। बैठक में उनके साथ भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस, दादा गुट से खुद अजीत पवार, प्रफुल्ल पटेल और प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे भी मौजूद थे।

शिंदे का हर दांव हुआ फेल!
-देर रात तक रूठने-मनाने का सिलसिला रहा जारी

शिंदे ने विधानसभा चुनाव से पहले के एक कथित वादे को याद दिलाया, जिसमें कहा गया था कि अगर बहुमत मिलता है तो वही मुख्यमंत्री रहेंगे। मगर भाजपा ने कहा कि पार्टी ने लगभग बहुमत हासिल कर लिया है। ऐसे में सीएम पद देना गलत है।

देवेंद्र फडणवीस आज सीएम पद की शपथ ले रहे हैं। एकनाथ शिंदे खुद सीएम बनना चाह रहे थे और इसके लिए उन्होंने एड़ी-चोटी का जोर लगाया था, पर उनका हर दांव फेल हो गया। कल देवेंद्र फडणवीस को नए मुख्यमंत्री के रूप में चुन लिया गया मगर इसके बाद भी देर रात तक शिंदे के रूठने-मनाने का सिलसिला चलता रहा।
बता दें कि भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के हवाले से आई मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि भाजपा नेतृत्व के सामने एकनाथ शिंदे ने छह महीने के लिए सीएम बनाने का प्रस्ताव रखा था। उन्होंने कहा कि अगर पूरे कार्यकाल सीएम पद देना संभव नहीं है तो शुरुआती छह महीने तक यह पद दिया जाए। अमित शाह ने बातचीत के दौरान ही शिंदे के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि इससे गलत मिसाल कायम होगी। यह गलत निर्णय होगा और इसका प्रशासन पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा। भाजपा नेतृत्व ने कहा कि छह महीने के लिए सीएम नियुक्त करने की कोई व्यवस्था नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक, शिंदे ने विधानसभा चुनाव से पहले के एक कथित वादे को याद दिलाया, जिसमें कहा गया था कि अगर बहुमत मिलता है तो वही मुख्यमंत्री रहेंगे। मगर भाजपा ने कहा कि पार्टी ने लगभग बहुमत हासिल कर लिया है। ऐसे में सीएम पद देना गलत है।

जवाब सुनकर शिंदे हो गए अवाक
भाजपा नेता के अनुसार, एकनाथ शिंदे से कहा गया कि वह अपने आपको भाजपा अध्यक्ष की जगह पर रख कर देखें। इसके बाद भाजपा नेतृत्व ने कहा कि अगर आपको स्पष्ट बहुमत मिला होता तो क्या सीएम पद छोड़ देते? भाजपा का यह जवाब सुनकर शिंदे बिल्कुल अवाक रह गए। बता दें कि दिल्ली में भाजपा नेतृत्व से मुलाकात के अगले दिन ही एकनाथ शिंदे सातारा जिले में स्थित अपने पैतृक गांव चले गए थे। तब उनके गुट के नेताओं ने उनके खराब स्वास्थ्य का हवाला दिया था। वहां से लौटने के बाद वह ठाणे पहुंचे। ठाणे के एक अस्पताल में जांच के बाद शिंदे मंगलवार को मुबंई स्थित अपने आवास पहुंचे। यहां भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस से उनकी करीब आधे घंटे तक मुलाकात हुई थी।

जब नहीं मिली नौकरी तो उच्च शिक्षित बेरोजगार बन गए ड्रग्स तस्कर!

-पकड़े गए तीन आरोपियों की पूछताछ में हुआ खुलासा
-कोई कंप्यूटर इंजीनियर है तो कोई बी.ए. पास

फिरोज खान / मुंबई
भाजपा सरकार के राज में बेरोजगारी हद से ज्यादा बढ़ चुकी है। हालत यह है कि उच्च शिक्षित युवकों को भी नौकरी नहीं मिल रही है। ऐसे में ये युवक पेट पालने और अपना घर चलाने के लिए गलत रास्ते पर जा रहे हैं। हाल ही में कुछ ऐसे उच्च शिक्षित युवकों को पकड़ा गया है, जो नौकरी नहीं मिल पाने के कारण ड्रग्स तस्कर बन गए। ये लोग मुंबई और पुणे में नशीले पदार्थों का कारोबार कर रहे थे।

पढ़ाई कंप्यूटर की
कारोबार ड्रग्स का

नारकोटिक्स सेल ने मुंबई और पुणे से कई युवाओं को नशीले पदार्थों की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि उन्होंने उच्च शिक्षा हासिल की है, लेकिन बेरोजगारी के चलते उन्होंने नशे का कारोबार अपनाया।

बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी ने शिक्षित बेरोजगार युवाओं को अपराध की दुनिया में कदम रखने के लिए मजबूर कर दिया है। हालत यह है कि अब कंप्यूटर की पढ़ाई करनेवाले छात्र भी ड्रग्स बेच रहे हैं। इसके साथ ही कॉलेज के छात्रों को लग्जीरियस लाइफ का लालच देकर गैंगस्टर अपनी तरफ आकर्षित कर रहे हैं तो कहीं ड्रग्स के तस्कर शिक्षित बेरोजगार युवाओं को खौफनाक तस्करी की दुनिया में शामिल कर रहे हैं। इस बात का खुलासा तब हुआ, जब नारकोटिक्स सेल ने मुंबई और पुणे से कई युवाओं को नशीले पदार्थों की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि उन्होंने उच्च शिक्षा हासिल की है, लेकिन बेरोजगारी के चलते उन्होंने नशे का कारोबार अपनाया।
मिली जानकारी के मुताबिक, नारकरोटिक्स विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए मुंबई और पुणे से कई युवाओं को नशे का कारोबार करते हुए पकड़ा है। पकड़े गए चार आरोपियों में से तीन आरोपी उच्च शिक्षित हैं। नारकोटिक्स विभाग के अधिकारी के मुताबिक, एक आरोपी ने कंप्यूटर से डिग्री प्राप्त की है और दूसरा आरोपी बीए पास है, जबकि तीसरा आरोपी एक एयरलाइंस कंपनी में कार्यरत था। पुलिस के मुताबिक, सूचना के आधार पर कार्रवाई की गई, जिसमें अंशुल मिश्रा (२७), आर्श उदय व्यास (२५) और पीयूष शरद इंगले (२२) को ड्रग्स बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया है। आरोपियों के पास से २५१ ग्राम ओजीकुश गांजा, १५ ग्राम मफेड्रोन और ६२ मिली ग्राम एलएसडी जब्त किया गया है, जिसकी कीमत १९.४५ लाख रुपए बताई जा रही है। पुलिस के मुताबिक, जब आरोपियों से सख्ती से पूछा गया तो यह जानकर हैरानी हुई कि तीनों आरोपी उच्च शिक्षित हैं। मुंबई से पकड़ा गया युवक आर्श व्यास पहले एक निजी एयरलाइंस कंपनी में कार्यरत था। नौकरी जाने के बाद नशे के कारोबार में शामिल हो गया। दूसरा आरोपी अंशुल मिश्रा बीए डिग्री होल्डर है और बुलढाणा का रहनेवाला है तथा तीसरा आरोपी पीयूष शरद इंगले पुणे के पिंपरी-चिंचवड का रहनेवाला है। इसी तरह पुणे में एक २५ साल के बेरोजगार युवक को ८ नवंबर के दिन सिंथेटिक ड्रग्स और एमडी के साथ गिरफ्तार किया था, जिसकी कीमत १६ लाख रुपए थी और २८ साल के बॉबी सुरवसे १४ लाख रुपए के ड्रग्स के साथ ३० नवंबर को पुणे स्थित लक्ष्मी नगर यरवडा से गिरफ्तार किया गया था।

शिंदे गुट के तीन मंत्रियों पर रिपोर्ट कार्ड की लटकी तलवार! …संजय राठौड़, अब्दुल सत्तार व तानाजी सावंत के फिर मंत्री बनने पर संकट

-तीनों दागी नेताओं पर लगे हैं भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप
-नए मंत्रिमंडल में जगह मिलने की उम्मीद काफी कम

सुनील ओसवाल / मुंबई
आज देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे हैं। नई सरकार में शिंदे गुट के भी चेहरे मंत्री के रूप में शामिल होनेवाले हैं। मगर शिंदे गुट के तीन पुराने मंत्रियों का पत्ता कट सकता है, क्योंकि उनके ऊपर रिपोर्ट कार्ड की तलवार लटक रही है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इन तीन मंत्रियों में संजय राठौड़, अब्दुल सत्तार और तानाजी सावंत के नाम शामिल हैं। इनके मंत्री बनने पर संकट मंडरा रहा है। विश्वस्त सूत्रों से जानकारी मिली है कि महायुति की नई सरकार में दागी चरित्र और भ्रष्टाचार के आरोपी पूर्व मंत्रियों के शामिल नहीं किए जाने की पूरी संभावना है। बता दें कि संजय राठौड़ पर बंजारा समुदाय की एक युवती की आत्महत्या मामले में गंभीर आरोप है। इसी तरह अब्दुल सत्तार पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे हैं। इन आरोपों की जांच के लिए एक कमेटी नियुक्त की गई है। तानाजी सावंत के विभाग के कामकाज में वित्तीय गड़बड़ी के आरोप लगे हैं। ऐसे में इन तीन मंत्रियों के नए मंत्रिमंडल में शामिल होने पर अनिश्चय के बादल मंडरा रहे हैं।