मुख्यपृष्ठस्तंभझांकी : भाजपा हटाओ, देश बचाओ

झांकी : भाजपा हटाओ, देश बचाओ

अजय भट्टाचार्य

पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के शोर के बीच बिहार की राजधानी पटना में ‘भाजपा हटाओ, देश बचाओ’ रैली की तैयारी चल रही हैं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) की ओर से दो नवंबर को पटना के गांधी मैदान में ‘भाजपा हटाओ, देश बचाओ’ रैली होने जा रही है। इसमें जदयू नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार सहित इंडिया गठबंधन के कई बड़े नेता शामिल होंगे। मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने रैली को संबोधित करने की अपनी सहमति दे दी है। रैली में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद को भी आमंत्रित किया गया है। भाकपा ने उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, राजद के राज्य अध्यक्ष जगदानंद सिंह, जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश प्रसाद कुशवाहा, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह को भी आमंत्रित किया है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव डी राजा, राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान सहित कई वरिष्ठ नेता रैली को संबोधित करेंगे। २०२४ के लोकसभा चुनाव में केंद्र की जन विरोधी बीजेपी सरकार को सत्ता से हटाने के लिए रैली आयोजित की जा रही है। रैली की तैयारी पूरे राज्य में जोर-शोर से चल रही है।

कुशलगढ़ की पहेली
राजस्थान में एक बार फिर से कांग्रेस सरकार वापसी का दावा कर रही है, वहीं प्रदेश में एक ऐसी विधानसभा सीट भी है, जहां पिछले १४ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा को जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा। मध्य प्रदेश और गुजरात की सीमा से सटे कुशलगढ़ विधानसभा क्षेत्र से अभी तक कांग्रेस और भाजपा को एक ही बार विधायक मिला है। कांग्रेस को यहां पर १९८५ में वीर सिंह के नाम से विधायक मिला था, जिन्होंने मात्र ३१२ मतों से विजय प्राप्त की थी। १९८० के चुनाव में पहली बार जनता पार्टी के फतेह सिंह यहां से विधायक बने थे, इसके बाद १९८५ में हुए चुनाव में फतेह सिंह को टिकट नहीं मिलने पर कांग्रेस के वीर सिंह को टिकट मिला और उन्हें महज ३१२ मतों से विजय हासिल हुई। १९५७ में निर्दलीय हीरा भाई ने १९६२ में भी संयुक्त समाजवादी पार्टी के बैनर तले फिर से जीत हासिल की। उसके बाद १९७२ और १९७७ में समाजवादी विचारक जिथिंग भाई यहां से जीते। १९९० से २००८ तक जनता ने मामा बालेश्वर दयाल के शिष्य जदयू के फतेह सिंह पर विश्वास जताया और विधायक के रूप में चुना। २०१३ में पहली बार भाजपा की टिकट पर भीमा भाई विधायक बने। भाजपा ने उन्हें फिर से टिकट दिया है, जबकि २०१८ में यहां से जीतीं निर्दलीय प्रत्याशी रमिला खड़िया को कांग्रेस का टिकट देने जा रही है। रमिला ने कांग्रेस सरकार में बगावत के दौरान कांग्रेस सरकार को बचाने में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का साथ दिया था।

सवाल ७५० करोड़ नकद का
तेलंगाना के गडवाल में मंगलवार की रात साढ़े दस बजे राष्ट्रीय महामार्ग पर तैनात पुलिसकर्मियों को एक ट्रक दिखा, जिसे रोककर चेक किया तो हर कोई हैरान रह गया। इस ट्रक में पुलिस को ७५० करोड़ रुपए नकदी मिली। गडवाल से गुजरने वाला राजमार्ग जो आमतौर पर तस्करों के लिए एक बड़ा माध्यम माना जाता है। कुछ घंटों के सस्पेंस के बाद, बिना किसी शोर-शराबे के साथ यह मामला थम गया क्योंकि नकदी यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की थी, जिसे केरल से हैदराबाद स्थानाांतरित किया जा रहा था। अगली सुबह तेलंगाना के मुख्य निर्वाचन अधिकारी विकास राज ने सभी अटकलों पर विराम लगाते हुए कहा कि बैंक अधिकारियों से पुष्टि के बाद ट्रक को आगे की यात्रा के लिए छोड़ दिया गया। यहां एक सवाल यह उठता है कि इतनी बड़ी रकम बिना शासकीय सुरक्षा के वैâसे स्थानांतरित की जा रही थी? यदि पुलिस पार्टी के वेश में तस्करों/लुटेरों ने यह ट्रक रोका होता तो क्या होता? चुनाव के चलते कानून प्रवर्तन एजेंसियों की कड़ी निगरानी के कारण राज्य में प्रवेश करनेवाले प्रत्येक वाहन का सावधानीपूर्वक निरीक्षण किया जा रहा है। चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करने से पहले हैदराबाद की अपनी हालिया यात्रा के दौरान, मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने राज्य चुनाव अधिकारियों से गोवा और अन्य स्थानों से महबूबनगर से हैदराबाद के रास्ते तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए कहा था। वह राज्य पुलिस द्वारा ‘कम’ नकदी जब्ती से भी परेशान थे। विपक्षी दलों की शिकायतों के बाद चुनाव आयोग ने शीर्ष आईपीएस अधिकारियों, चार कलेक्टरों और वरिष्ठ अधिकारियों का तबादला भी कर दिया। जांच के बाद दस्तावेजों और बैंक तथा भारतीय रिजर्व बैंक से परामर्श के बाद, गडवाल पुलिस के साथ ट्रक ने हैदराबाद की यात्रा जारी रखी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)

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