अरुण कुमार गुप्ता
कानपुर में लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा को बड़ा झटका लगा है। कानपुर लोकसभा सीट से भाजपा नेता प्रकाश शर्मा ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन फॉर्म भरा है। प्रकाश शर्मा ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर नामांकन कर न सिर्फ कानपुर की सियासत को हवा दी है, बल्कि उन्होंने भाजपा की मुश्किलें बढ़ाने का काम किया है। भारतीय जनता पार्टी ने कानपुर लोकसभा सीट से रमेश अवस्थी को चुनाव मैदान में उतारा है। प्रकाश शर्मा शुरुआत से ही उनके प्रत्याशी बनाए जाने का विरोध कर रहे थे। भाजपा नेता प्रकाश शर्मा ने पीएम मोदी को लिखे लेटर में कहा में कहा है कि कानपुर में प्रत्याशी को जिस प्रकार से थोपा गया, वह अचंभित और हतप्रभ कर देने वाला है। पार्टी, विचार, परिवार तो छोड़िए पूरा नगर स्तब्ध है। किंतु भारतीय जनता पार्टी में किसी भी स्तर पर कानपुर या और कहीं भी उनके किसी भी प्रकार के योगदान की जानकारी मेरे पास क्या किसी के पास नहीं है। प्रथम बार नगर आगमन पर रेलवे स्टेशन पर जिन्हें पहचानने में नेता व कार्यकर्ता असमर्थ रहे और दूसरे किसी का स्वागत कर बैठे हैं। चुनावी रणभूमि में जहां अन्य दलों के प्रत्याशी आगे बढ़ गए। हम अभी परिचय में ही फंसे हैं। अब ऐसे में कानपुर के चुनावी रण में भाजपा मुश्किल में घिरी नजर आ रही है।
एक साथ चुनाव, टेंशन में नेता
`एक देश-एक चुनाव’ पर भले ही अभी कोई निर्णय नहीं हो पाया हो, लेकिन श्रावस्ती संसदीय चुनाव देश की सियासी मुहिम का हिस्सा बनने जा रहा है। `एक देश-एक चुनाव’ के मुद्दे के बीच यहां पर लोकसभा के साथ ही विधानसभा का चुनाव कदमताल कर रहा है। इससे देश की सियासत में बदलाव के मसौदे का एहसास जिले के मतदाता करेंगे। यहीं नहीं ५७ साल बाद लोकसभा व विधानसभा के चुनाव एक साथ हो रहे हैं। अवध में श्रावस्ती के साथ ही लखनऊ लोकसभा में एक सीट पर साथ-साथ चुनाव हो रहे हैं। इसी के परिणाम से नई व्यवस्था के युग के आगाज की राह भी आसान होगी। जिले के गैसड़ी विधानसभा क्षेत्र के मतदाता इस बार ऐसे ही अनुभव से रूबरू होंगे। उन्हें एक साथ सांसद और विधायक चुनने का मौका मिला है। लंबे समय बाद यह मौका है, जब यहां एक साथ दोनों पदों के लिए चुनाव हो रहे हैं। इस बार गैसड़ी विधानसभा सीट की स्थिति थोड़ी अलग है। वर्ष २०२२ में यहां से निर्वाचित सपा विधायक डॉ. शिव प्रताप यादव की २६ जनवरी को निधन होने से यह सीट रिक्त हुई थी। अब यहां उपचुनाव होने जा रहा है। २५ मई को यहां लोकसभा के साथ विधानसभा के लिए भी वोट पड़ेंगे। नामांकन की प्रक्रिया २९ अप्रैल से एक साथ होगी। लंबे समय बाद मतदाताओं के लिए ऐसा मौका आया है, जब वह बूथ पर पहुंचेंगे तो एक साथ सांसद और विधायक दोनों के लिए वोट देकर लौटेंगे। उधर एक साथ लोकसभा व विधानसभा चुनाव होने से दलों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं। माना जा रहा है कि मतदाता दलों के साथ ही हो सकता प्रत्याशियों को अलग- अलग पसंद करते हों, तो ऐसे दौर में वोट की चूक हो सकती है। इसे लेकर पार्टियों का पूरा जोर गैसड़ी क्षेत्र में ज्यादा है। ऐसे में विधानसभा और लोकसभा का चुनाव साथ होने पर नेताओं का टेंशन बढ़ गया है।
कठिन हुई कृपा की राह
हाईकोर्ट से बाहुबली धनंजय सिंह की जमानत मिलने की खबर से ही जौनपुर की हवा बदल गई है।खासतौर पर उनके समर्थक, जो अभी तक थोड़े मायूस थे, उनकी खुशी देखने लायक है। धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी भी काफी राहत की सांस ले रही हैं। बसपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरीं श्रीकला रेड्डी अब तक वह अकेले दम पर चुनावी समीकरणों को साधने में जुटी थीं, लेकिन पूरे लोकसभा क्षेत्र की गुणा गणित सेट करने में उन्हें काफी मुश्किलें आ रही थीं।अब साफ हो गया है कि जमानत पर बाहर आने के बाद धनंजय सिंह अपनी पत्नी श्रीकला रेड्डी के लिए प्रचार कर सकेंगे. धनंजय सिंह की पहल पर ही बसपा ने उनकी पत्नी श्रीकला रेड्डी को अपना उम्मीदवार बनाया है. ऐसे में बसपा का कैडर वोट तो उन्हें मिलेगा ही, धनंजय सिंह का खुद का इस जिले में खासा प्रभाव है। खासतौर पर जौनपुर का ठाकुर वोट शुरू से ही उनके पक्ष में रहा है। इसी प्रकार बड़ी संख्या यादव और अन्य जातियों के वोट भी उन्हें मिलते रहे हैं। बाहुबली धनंजय सिंह जमानत मिलने के बाद भले ही चुनाव ना लड़ पाएं लेकिन बसपा के टिकट से चुनावी मैदान में उतरी उनकी पत्नी श्री कला सिंह के लिए रणनीति बनाने के साथ ही ठाकुर वोटरों को साधने में जरूर मदद मिलेगी। ऐसी स्थिति में ठाकुर वोटरों के दम पर मुंबई से जौनपुर जाकर भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे कृपाशंकर सिंह की राह काफी मुश्किल होने वाली है और जिस ठाकुर वोट के दम पर सांसद बनने का सपना पालकर मुंबई से जौनपुर पहुंचे कृपाशंकर सिंह का सपना शायद पूरा नहीं हो।