मुख्यपृष्ठधर्म विशेषविष्णु सहस्रनाम का पाठ सुनने से समय होने लगेगा अनुकूल!

विष्णु सहस्रनाम का पाठ सुनने से समय होने लगेगा अनुकूल!

काशी के सुप्रसिद्ध ज्योतिर्विद
 डॉ. बालकृष्ण मिश्र
विद्यावारिधि (पी.एच.डी-काशी)

गुरुजी, मेरा करियर और भविष्य कैसा होगा?
-रौनक प्रणव मेहता
(जन्म- १८ जनवरी २००१, समय- ९.०४ दिन में, स्थान- कांदिवली, मुंबई)
रौनक जी, आपका जन्म गुरुवार के दिन विशाखा नक्षत्र के द्वितीय चरण में हुआ है। आपकी राशि तुला बन रही है। अगर लग्न के आधार पर हम बात करें तो कुंभ लग्न में आपका जन्म हुआ है। कुंभ लग्न का स्वामी शनि है और वो सुख भाव पर बैठकर सुख की वृद्धि तो कराएगा लेकिन आपकी कुंडली में सप्तम भाव का स्वामी सूर्य है और वह बुध ग्रह के साथ में १२वें भाव पर बैठकर बुधादित्य योग बना रहा है। इस बुधादित्य योग के कारण जीवन में उतार-चढ़ाव तो बनाएगा लेकिन करियर आपका अच्छा होगा क्योंकि करियर का विचार दशम भाव से किया जाता है। दशम भाव का स्वामी मंगल आपकी कुंडली में भाग्य भाव पर बैठ करके केंद्र त्रिकोण राजयोग बना रहा है लेकिन पंचम भाव पर राहु और लाभ भाव पर केतु बैठ करके मेहनत के आधार पर पूरी तरह से बेनिफिट प्राप्त नहीं करने दे रहा है क्योंकि आपकी कुंडली में कालसर्प योग भी बना हुआ है। जीवन को विस्तार से जानने के लिए आपको संपूर्ण जीवन दर्पण बनवाना चाहिए।
गुरुजी, मैं बहुत परेशान हूं। परेशानी समाप्त करने के लिए कोई उपाय बताएं? – हरिश्चंद्र मेहदावल
(जन्म- १ जनवरी १९७०, समय- १० बजे, स्थान- मुंबई)
हरिश्चंद्र जी, आपका जन्म गुरुवार के दिन हस्त नक्षत्र के तृतीय चरण में हुआ है और आपकी राशि कन्या बन रही है। कन्या राशि के लोग ८-९ महीने से बहुत ज्यादा परेशान थे लेकिन २०२४ में उनकी परेशानी धीरे-धीरे दूर होने लगेगी। अपनी परेशानियों को दूर करने के लिए प्रतिदिन आपको संकटनाशन गणेश स्तोत्र एवं विष्णु सहस्रनाम का पाठ सुनना चाहिए। यदि आप यह दोनों उपाय कर रहे हैं तो निश्चित आपका समय अनुकूल होने लगेगा।
गुरुजी, मैं एक्टर बनना चाहता हूं। फिल्मों में मेरा भविष्य क्या है? – विनोद
(जन्म- २१ मार्च १९७९, समय- १७.३० बजे, स्थान- मुंबई)
विनोद जी, आपका जन्म बुधवार के दिन मूल नक्षत्र के तृतीय चरण में हुआ है और आपकी राशि धनु बन रही है। अगर लग्न के आधार पर हम बात करें तो सिंह लग्न में आपका जन्म हुआ है। सिंह लग्न का स्वामी सूर्य आपकी कुंडली में अष्टम भाव पर बुध ग्रह के साथ बैठा हुआ है। सिंह लग्न के लोग पुरुषार्थी एवं मेधावी होते हैं। मंगल ग्रह आपकी कुंडली में भाग्य भाव का स्वामी हो करके सप्तम भाव पर बैठ करके अपनी पूर्ण दृष्टि से दशम भाव को देख रहा है। एक्टर तो आप बन सकते थे लेकिन आपने बहुत विलंब कर दिया है। अभी आपकी उम्र ४४ प्लस होने जा रही है इसलिए उसमें सहयोगियों के रूप में काम करते हुए आप अपने जीवन को आगे बढ़ा लें।
गुरुजी, मेरा समय वैâसा चल रहा है। व्यापार ठीक से क्यों नहीं चलता, कृपा करके बताएं? – मनीष पोरवाल
(जन्म- २७ जुलाई १९७८, समय- ५.१०, स्थान- औरैया, उत्तर प्रदेश)
मनीष जी, आपका जन्म गुरुवार के दिन अश्विनी नक्षत्र के चतुर्थ चरण में हुआ है। आपकी राशि मेष बन रही है। लग्न के आधार पर अगर हम बात करें तो कर्क लग्न में आपका जन्म हुआ है और कारक लग्न का स्वामी दशम भाव पर बैठा हुआ है। आपकी कुंडली को अगर हम देखें तो भाग्य भाव का स्वामी बृहस्पति १२वें भाव पर बैठ करके आपके व्यापार में पूरी तरह से लाभ नहीं प्राप्त करने दे रहा है क्योंकि आपकी कुंडली में कालसर्प योग भी बना हुआ है। कालसर्प योग के साथ-साथ अंगारक योग भी बना हुआ है और भाग्य ग्रहण दोष भी बना हुआ है। इसलिए आपके जीवन में उतार-चढ़ाव बना हुआ है। जीवन को विस्तारपूर्वक जानने के लिए आपको संपूर्ण जीवन दर्पण बनवाना चाहिए।
गुरुजी, मेरी राशि क्या है और समय वैâसा चल रहा है, बताएं? – शालिनी गुप्ता
(जन्म- २ मार्च १९८३, समय- १२.२५ दिन में, स्थान- फिरोजाबाद, उत्तर प्रदेश)
शालिनी जी, आपका जन्म बुधवार के दिन चित्रा नक्षत्र के द्वितीय चरण में हुआ है और आपकी राशि कन्या बन रही है। यदि लग्न के आधार पर हम बात करें तो मिथुन लग्न में आपका जन्म हुआ है। मिथुन लग्न का स्वामी बुध है और वह बुध आपकी कुंडली में अष्टम भाव पर बैठा हुआ है। इससे यह संकेत दिखाई दे रहा है कि आपकी मैरिज के बाद पति के कार्यक्षेत्र में किसी-न-किसी प्रकार का विकास भी हुआ है और आपकी कुंडली में मैं देख रहा हूं कि दशम भाव पर मंगल बैठा हुआ है। दशम भाव पर यदि मंगल बैठता है तो कुल दीपक नामक योग बनता है और आपकी कुंडली में मालव्य नामक योग भी बना हुआ है इसलिए आप भाग्यशाली हैं। मैरिज के बाद में ससुराल पक्ष का भी विकास हुआ होगा और जन्म के बाद में पिता पक्ष का भी विकास हुआ होगा।

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