मुख्यपृष्ठस्तंभमेहनतकश : शारदा तुझे सलाम!

मेहनतकश : शारदा तुझे सलाम!

आनंद श्रीवास्तव

कहते हैं परिस्थितियां इंसान को सब कुछ सिखा देती हैं। जिस दर्द से इंसान गुजरा हो उस दर्द को करीब से देखने का तजुर्बा उसके पास होता है। पुणे की शारदा पांडुरंग आमले की कहानी भी बेहद प्रेरणादायी है। पुणे में अपना बचपन बिताने के बाद शादी कर नई मुंबई रहने आई शारदा पांडुरंग आमले के मेहनत की दास्तां जिसने भी सुनी हैरान रह गया। एक समय परिस्थितियों के चलते अपनी पढ़ाई पूरी न कर पानेवाली शारदा आज कई जरूरतमंद बच्चों की पढ़ाई में मदद कर रही हैं। शारदा के माता-पिता किसान थे। उन्होंने पुणे में ही दूध और दुग्ध पदार्थों का छोटा-सा व्यवसाय शुरू किया था। वह अपने माता-पिता के साथ इस व्यवसाय में हाथ बटाती थीं। साथ ही साथ वे अपनी पढ़ाई भी करती थीं। शादी के बाद वह नई मुंबई के सानपाड़ा में आ गईं। उनके पति पांडुरंग आमले सानपाड़ा में समाजसेवक के रूप में चर्चित हैं। शारदा अपने पति के साथ समाजसेवा में जुड़ गईं। उन्होंने अपने छात्र जीवन में जो भी संघर्ष देखा था उसे ध्यान में रखकर छात्रों को आगे की पढ़ाई के लिए मदद करने का पैâसला उन्होंने किया। इसमें उनके पति भी सहयोग करते रहे। इसके अलावा शारदा आमले ने महिलाओं से जुड़ी कई समस्याओं का भी समाधान किया। इस तरह शारदा आमले ने महिलाओं और छात्राओं के विकास के लिए शुरू सभी योजनाओं को ज्यादा-से-ज्यादा जरूरतमंदों तक पहुंचाया। शारदा आमले कहती हैं कि पुणे में रहते हुए उन्होंने छात्र जीवन के दौरान कई लोगों को मुसीबत से घिरे देखा था। खुद भी पढ़ाई के साथ माता-पिता के व्यवसाय को संभाला था। इसलिए अब जब वह स्थापित हो गई हैं तब वह ऐसे ही लोगों की सहायता करने में जुट गई हैं। इस कार्य के लिए उनके पति पांडुरंग आमले उन्हें पूरा सहयोग करते हैं। हालांकि, उनके पति एक राजनीतिक पार्टी से जुड़े हैं, लेकिन शारदा आमले अपनी संस्था के माध्यम से समाज कार्य करती हैं। उनका कहना है कि मदद के अभाव में किसी का जीवन अंधकारमय नहीं होना चाहिए। सभी को पढ़ाई का अधिकार है।
वह ‘साईभक्त महिला फाउंडेशन’ के माध्यम से नई मुंबई के अलावा पुणे में भी कोई-न-कोई सामाजिक कार्य करती रही हैं। आज इस फाउंडेशन के तहत १७ बचत गट कार्यरत हैं और सभी कोई-न-कोई कार्य कर रहे हैं।

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