पर्वत

पर्वतों को शोभित करती उसकी
आकाश छूती रुपहली चोटियां।
शुद्ध प्राणवायु, नयनाभिराम दृश्य
सदाबहार आरण्य,वृक्ष,दुर्वा।
हरितमा का मंजुल आभास
सुवासित पुष्पों वाली लरजती लताएं।
गौमुख से जन्म ले उछलती, कूदती,
हंसती,छलकती छोटी बड़ी धाराएं
बनती पवित्र जीवन दायिनी सरिताएं।
पर्वतों से झरते शोर मचाते
कूदते फांदते दूधिया झरने
मन हर लेते लगते सपने ।
कभी छुपती कभी छुपाती
जादूगरी का खेल दिखाती
कभी बर्फीली कभी पथरीली
पहाड़ी पगडंडियां
गन्तव्य तक पहुंचाती ।
जलधरों से होती पर्वतों की धक्का मुक्की
तभी छलक जाती उनकी गगरी
बरसता असीमित जल
शोभा निखर जाती पर्वतांचलों की।
बहुरंगी पखेरुओं का कलरव
पर्वतों पर वन्य जीवों का विचरण
सबकुछ दिखता आलोकिक
यही हे पर्वतों का मोहक जीवन।
बेला विरदी।

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