पिछले साल दो लाख से ज्यादा लोगों द्वारा भारतीय नागरिकता छोड़ने की जानकारी सामने आई है। फिर ये जानकारी खुद केंद्र सरकार ने, वो भी संसद में दी है। पिछले कुछ वर्षों से देश के नागरिकों द्वारा अपना देश छोड़कर दूसरे देशों की नागरिकता स्वीकार करने का ‘ट्रेंड’ देखने में आया है। विलफुल डिफॉल्टर उद्योगपतियों और अरबपतियों के विदेश भागने के भी उदाहरण हैं। नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, विजय माल्या जैसे कई लोगों ने भारतीय बैंकों को अरबों रुपए का चूना लगाया और केंद्र सरकार की आंखों के सामने भारत से भाग गए। आज वे दूसरे देशों के नागरिक बनकर ऐशो-आराम से रह रहे हैं और भारत सरकार उनकी ‘संपत्ति जब्ती’ का राग आलाप रही है। बीच-बीच में कुछ ऐसी हवा चलाई जाती है जैसे कि उन्हें तुरंत भारत लाया जा रहा है। लेकिन ऐसी हवाएं सिर्फ इसलिए चलाई जाती हैं ताकि उस हवा से उड़ने वाली धूल से आम लोगों की आंख में धूल झोंकी जा सके। केंद्र के वर्तमान शासक ऐसी धूल झोंकने में कुशल हैं। इसलिए देश से भागे लोग तो वापस भारत नहीं आते, उल्टे भारत में भारतीय नागरिकता छोड़कर दूसरे देशों में जाने वाले लोगों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। यह जानकारी खुद विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने गुरुवार को संसद में दी। मंत्री महोदय ने कहा, पिछले साल लगभग २ लाख १६ हजार २१९ लोगों ने भारतीय नागरिकता त्याग कर देश छोड़ दिया। २०२२ में यह संख्या करीब सवा दो लाख थी। २०२३ का आंकड़ा थोड़ा कम है। लेकिन ये साफ है कि मोदी राज में किस तरह लोगों का देश छोड़ने का सिलसिला जारी है। २०२१ में १ लाख ६३ हजार ३७० लोगों ने भारतीय नागरिकता का त्याग किया। २०१९ में यही संख्या १ लाख ४० हजार थी। इसका मतलब यह है कि पिछले कुछ सालों में देश छोड़ने वाले लोगों की संख्या में बिल्कुल भी कमी नहीं आई है। इसके विपरीत अब यह संख्या दो लाख से ऊपर हो गई है। पिछले महीने विदेशी निवेश फर्म ‘हेन्ली एंड पार्टनर्स’ की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि २०२४ में ४,००० से अधिक भारतीय करोड़पति देश छोड़ देंगे। यह सब भयानक है। मोदी सरकार दस साल से ‘सबका साथ, सबका विकास’ की शेखी बघार रही है। वहीं भारतीय नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है, इसे वैâसा विकास कहा जा सकता है? हालांकि, नागरिकता छोड़ने के कारण हर व्यक्ति में अलग-अलग होते हैं, लेकिन बढ़ती दर चिंताजनक है। बड़ी संख्या में लोगों का भारतीय नागरिकता छोड़ना और साथ ही भारतीय नागरिकता की स्वीकार्यता में कमी आना मोदी सरकार की ‘नीति’ और ‘नीयत’ पर सवालिया निशान है। यह मोदी सरकार के कथित विकास का घिनौना चेहरा है। मोदी कहते हैं कि दुनिया भर के निवेशकों की नजर इस समय भारत की ओर लगी है, लेकिन फिर घरेलू अरबपतियों की नजरें विदेशों की ओर क्यों लगी हैं? भारतीय नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या क्यों बढ़ रही है? प्रधानमंत्री देश के उद्योगों से ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को हासिल करने में योगदान देने की अपील करते हैं, लेकिन क्या वाकई देश में ऐसा माहौल है? पिछले दस वर्षों में देश का राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक वातावरण धूमिल हो गया है। फिर भी प्रधानमंत्री मोदी अपनी आदतानुसार हमेशा की तरह ‘विकसित भारत’ के गुब्बारे उड़ाते रहते हैं। जनता को पांच ट्रिलियन अर्थव्यवस्था का सपना दिखा रहे हैं। लेकिन जिन भारतीयों के लिए आप विकास के ये रंग-बिरंगे गुब्बारे उड़ा रहे हैं, वे बड़ी संख्या में इस देश को क्यों छोड़ रहे हैं? स्वदेश के बजाय पराए देश को अपना मानने वालों की संख्या क्यों बढ़ रही है? वे आपके ‘विकसित भारत’ में रहें, उन्हें ऐसा क्यों नहीं लगता? आपके तथाकथित विकास का लाभ न तो देश के गरीबों को हो रहा है और न ही अमीरों को, क्या इस पलायन का मतलब भी यही नहीं है? गरीबों के पास भारत में रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है और अमीरों के लिए यह संभव है इसलिए वे पराए देश को ‘अपना’ मान रहे हैं। क्या एक शासक के रूप में आपको यह तकलीफदेह नहीं लगता? इन सब की वजह क्या है, क्या आप कभी इस बात का आत्ममंथन करेंगे? सवाल कई हैं और इनका जवाब तो मोदी को ही देना है। बेशक, मणिपुर और कई अन्य ज्वलंत राष्ट्रीय मुद्दों पर मौन रहने वाले हमारे प्रधानमंत्री भारतीय नागरिकता छोड़ने वाले लोगों की बढ़ती संख्या के मसले पर अपना मुंह खोलेंगे, इसकी संभावना कम ही है।
विरार-दहानू रोड चौहरीकरण की धीमी चाल … ७ महीनों में मात्र ५ प्रतिशत काम
– यात्रियों का सुहाने सफर का बढ़ा इंतजार
– २०२६ तक पूरा करने का लक्ष्य मुश्किल
अभिषेक कुमार पाठक / मुंबई
मुंबई और उसके आस-पास की प्रमुख रेल परियोजनाएं धीमी प्रगति के कारण गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही हैं। दिसंबर २०२३ तक की प्रगति और जुलाई २०२४ तक के नए अपडेट्स ने इन परियोजनाओं की धीमी रफ्तार और समस्याओं को उजागर किया है। विरार-दहानू रोड रेल लाइन का चौहरीकरण होना मुंबई और दहानु रोड के यात्रियों के लिए बहुत जरूरी है।
बता दें कि विरार-दहानु रोड चौहरीकरण पालघर, दहानू रोड और बोईसर जैसे पश्चिम रेलवे के दूर-दराज के लोकल स्टेशनों के यात्रियों लिए बेहद जरूरी है। इस परियोजना में हो रही देरी और धीमी प्रगति से मुंबई और उसके आसपास के यात्रियों को भविष्य में और अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। वित्तीय चुनौतियां और स्थानीय विरोध भी इन परियोजनाओं की समय पर पूर्णता में बाधा बन रहे हैं। यदि जल्द ही इन समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो तय समय-सीमा पर परियोजनाओं का पूरा होना कठिन हो सकता है।
३,५७८ करोड़ रुपए की लागत से मंजूर इस परियोजना का २०२६ तक पूरा करने का लक्ष्य है, लेकिन दिसंबर २०२३ तक केवल २३ प्रतिशत काम ही पूरा हो पाया है। अब तक कुल ८२५.२७ करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं, जबकि १०० फीसदी भूमि अधिग्रहण का दावा किया गया है। हालांकि, प्रगति की धीमी गति से परियोजना की समय समाप्ति पर सवाल उठ रहे हैं। विरार-दहानु रोड खंड का चौहरीकरण, जो उपनगरीय और लंबी दूरी की ट्रेन सेवाओं को अलग करने के लिए चल रहा है, वह भी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है। दिसंबर २०२३ तक इस परियोजना का केवल २३ फीसदी काम ही पूरा हो पाया था, जो अब जुलाई २०२४ में २८ प्रतिशत तक पहुंचा है। मुंबई रेलवे विकास निगम द्वारा संचालित इस परियोजना का भी लक्ष्य २०२६ तक पूरा करना है, लेकिन मौजूदा प्रगति की रफ्तार से यह मुमकिन नहीं लगता।
दहानू रोड से मुंबई के लिए सीमित ट्रेन सेवा
दहानू रोड से मुंबई के लिए दिनभर में मात्र ३० लोकल ट्रेन सेवाओं के कारण यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। बता दें कि इनमें से कई ट्रेन विरार में ही रुक जाती हैं। कुछ ही ट्रेन हैं, जो चर्चगेट तक यात्रियों को सेवा देती हैं। लंबी दूरी की ट्रेनों और उपनगरीय ट्रेनों के एक ही ट्रैक पर चलने के कारण यात्री लंबे समय तक इंतजार करने को मजबूर हैं। धीमी गति से चल रही विरार-दहानू रोड चौहरीकरण परियोजना ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है।
राहुल गांधी का बड़ा आरोप : मेरे खिलाफ रेड की प्लानिंग! …‘अंदरूनी लोगों’ ने दी जानकारी
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर एक बड़ा आरोप लगाया है। शुक्रवार को उन्होंने कहा कि संसद में उनके ‘चक्रव्यूह’ भाषण के बाद ईडी उन पर छापेमारी करने की प्लानिंग कर रही है। कांग्रेस सांसद ने दावा किया कि ईडी के ‘अंदरूनी लोगों’ ने इस बारे में जानकारी दी है। ‘एक्स’ पर एक पोस्ट शेयर करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि जाहिर है कि टू इन वन को मेरा चक्रव्यूह भाषण पसंद नहीं आया। ईडी के ‘अंदरूनी लोगों’ ने मुझे बताया कि छापेमारी की योजना बनाई जा रही है। मैं बांह पैâलाकर ईडी का इंतजार कर रहा हूं, चाय और बिस्कुट मेरी तरफ से। इतना ही नहीं राहुल ने अपने इस पोस्ट में प्रवर्तन निदेशालय के आधिकारिक एक्स हैंडल को टैग भी किया है।
६ लोग कर रहे कंट्रोल
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने यह भी कहा था कि चक्रव्यूह में अभिमन्यु को फंसाकर छह लोगों ने मारा। उन्होंने चक्रव्यूह को पद्मव्यूह बताते हुए कहा कि ये एक उल्टे कमल की तरह होता है। एक नया चक्रव्यूह तैयार हुआ है। वो भी लोटस की शेप में है, जिसको आजकल पीएम मोदी छाती पर लगाकर घूमते हैं। अभिमन्यु को ६ लोगों ने मारा था, जिनके नाम द्रोण, कर्ण, कृपाचार्य, कृतवर्मा, अश्वस्थामा और शकुनी थे। आज भी चक्रव्यूह के बीच में ६ लोग हैं। चक्रव्यूह के बिल्कुल सेंटर में ६ लोग कंट्रोल करते हैं, जैसे उस टाइम ६ लोग कंट्रोल करते थे, वैसे आज भी ६ लोग कंट्रोल कर रहे हैं।
स्पीकर ने राहुल गांधी को टोका
राहुल गांधी के इस बयान पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला उन्हें टोकते हुए याद दिलाते हैं कि जो शख्स इस सदन का सदस्य नहीं है, उसका नाम न लिया जाए। इस पर राहुल गांधी ने कहा कि अगर वो चाहते हैं कि वो अजीत डोभाल, अडानी और अंबानी का नाम न लें तो वो नहीं लेंगे।
राहुल गांधी ने क्या बोला था?
९ जुलाई को लोकसभा में केंद्रीय बजट पर बोलते हुए राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर हमला किया था। राहुल गांधी ने कहा था कि २१वीं सदी में एक और चक्रव्यूह तैयार किया गया है, जो अभिमन्यु के साथ हुआ, वही हिंदुस्थान के साथ किया जा रहा है। जिस तरह से अभिमन्यु को चक्रव्यूह में फंसाया गया था, उसी तरह हिंदुस्थान को फंसा दिया गया है। ‘इंडिया’ गठबंधन इस चक्रव्यूह को तोड़ेगा। जो ‘चक्रव्यूह’ बनाया है, इससे करोड़ों लोगों को नुकसान हुआ है। इसे तोड़ने का सबसे बड़ा तरीका जाति जनगणना है, जिससे आप सब डरते हैं। ‘इंडिया’ इस सदन में गारंटीकृत कानूनी एमएसपी पारित करेगा। इसी सदन में जाति जनगणना हम पास करके आपको दिखाएंगे।
अमेरिका के कारण भारतीय शेयर मार्केट धड़ाम … एक ही दिन में निवेशकों के रु. ४.५६ लाख करोड़ डूबे
ऑटो, ऊर्जा और आईटी शेयरों में आई गिरावट
सामना संवाददाता / मुंबई
भारतीय शेयर बाजार में शुक्रवार को आई जबरदस्त गिरावट के कारण निवेशकों के एक ही दिन में ४.५६ लाख करोड़ रुपए डूब गए। सेंसेक्स करीब ८८६ अंक गिरकर ८०,९८१.९५ पर बंद हुआ, वहीं निफ्टी में भी करीब २९३ अंकों की गिरावट आई। यह २४,७१७.७० अंक पर बंद हुआ। भारतीय शेयर बाजार में आई इस गिरावट का सबसे बड़ा कारण अमेरिका है। दरअसल, अमेरिका में इस समय मंदी के बादल छाए हुए हैं, वहीं अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई में भी गिरावट आई है। साथ ही यहां बेरोजगारों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। इस कारण कल अमेरिकी शेयर मार्केट में भी गिरावट आई थी, इसका असर भारतीय शेयर मार्केट में देखने को मिला और चौतरफा बिकवाली हुई। इससे भारतीय शेयर मार्केट में गिरावट आ गई।
कल ऑटो, ऊर्जा और आईटी शेयरों में गिरावट देखने को मिली। इस गिरावट के कारण बीएसई पर सूचीबद्ध सभी कंपनियों का बाजार पूंजीकरण ४.५६ लाख करोड़ रुपए घटकर ४५७.०६ लाख करोड़ रुपए रह गया। फार्मा और हेल्थकेयर को छोड़कर सभी प्रमुख क्षेत्रीय सूचकांकों में गिरावट दर्ज की गई। निफ्टी रियल्टी, ऑटो, मेटल और आईटी में सबसे अधिक गिरावट आई। इनके शेयर २ज्ञ् से ३.५ज्ञ् के बीच गिरे। व्यापक, घरेलू स्तर पर केंद्रित निफ्टी स्मॉलकैप १०० और निफ्टी मिडकैप १०० में क्रमश: ०.८% और १% की गिरावट आई।
एशियाई बाजारों में भी गिरावट
अमेरिका में आई गिरावट का असर एशियाई मार्केट पर भी पड़ा। इससे एशियाई शेयर बाजारों में गिरावट आई, जिससे आर्थिक परिदृश्य के बिगड़ने की आशंका बढ़ गई। जापान के निक्केई शेयर औसत में कल लगभग ६ज्ञ् की गिरावट आई और यह चार साल से अधिक समय में सबसे खराब सत्र रहा। अमेरिकी, यूरोपीय और अन्य एशियाई बाजारों में भारी बिकवाली के कारण भी भारतीय शेयर मार्केट में गिरावट आई।
तीस हजार से अधिक व्यक्ति अंगों के लिए लड़ रहे हे जंग! … किडनी रोगियों की संख्या अधिक
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
महाराष्ट्र समेत पूरे देश में अंगदान के प्रति जन जागरूकता की कमी है। दूसरी तरफ महाराष्ट्र सरकार के स्वास्थ्य विभाग की सुस्ती ने अंगदान की रफ्तार को धीमा कर दिया है। ऐसे में अंग की प्रतीक्षा में तीस हजार मरीज जिंदगी की जंग लड़ रहे है।
प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में चार सालों में महज १.४१ फीसदी यानी ४२८ लोगों ने अंगदान किया है। इसकी तुलना में ९६.९६ फीसदी यानी ३०,३४३ जरूरतमंद मरीज विभिन्न अंगों की प्रतीक्षा कर रहे हैं, यह संख्या हर साल बढ़ती जा रही है। इनमें किडनी मरीजों की वेटिंग लिस्ट सबसे ज्यादा लंबी है। इसी तरह इस अवधि में केवल ४.०४ फीसदी यानी १,२२८ रोगियों में अंगों का ट्रांसप्लांट किया गया है। वेटिंग लिस्ट का यह आंकड़ा चिंतित करनेवाला है।
उल्लेखनीय है कि हिंदुस्थान में डोनर की संख्या बहुत ही कम है, जबकि अंग की प्रतीक्षा कर रहे मरीजों की सूची बढ़ती ही जा रही है। कुछ यही स्थिति महाराष्ट्र की भी है। यहां अंगों की प्रतीक्षा में मरीज तिल-तिल कर मर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक चार सालों में किडनी के २३,८६४, लीवर के ५,६२२, हार्ट के ४९१, फेफड़े के १६९, पैंक्रियाज के १७७ और स्माल बॉउल के १८ रोगी प्रतीक्षा सूची में शामिल हुए हैं। महाराष्ट्र में साल २०२१ से जून २०२४ तक १२२८ लोगों का अंग प्रत्यारोपण हुआ, वहीं इस साल अब तक २३९ लोगों में ऑर्गन ट्रांसप्लांट कर उनकी जिंदगी बचाई गई है। इसके साथ ही अंग की प्रतीक्षा कर रहे पांच सालों में ३,५८३ मरीजों की मौत हुई है। इसमें साल २०२३ में ७५२ मरीजों की मौत हुई है। हालांकि, साल २०११ से २०१८ के बीच मरीजों की मौत का शिंदे सरकार के पास कोई आंकड़ा नहीं है, जो सरकार की लापरवाही को उजागर कर रही है।
अंगदान के लिए मनाना चुनौतीपूर्ण
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक ब्रेन डेड मरीज की पहचान करना तो आसान है, लेकिन शोक में डूबे मरीज के परिजन को अंगदान के लिए मनाना काफी चुनौतीपूर्ण है। अंगदान को लेकर लघु फिल्मों, संचार माध्यम व दूसरे रचनात्मक तरीकों को अपनाकर समाज व लोगों में जागरूकता पैदा करने और बढ़ाने की जरूरत है। इस संबंध में नागरिकों में जितनी तेजी से सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होगा, उतनी ही शीघ्रता से अंगदान को बढ़ावा मिलेगा। मानव अंगों में ट्रांस प्लांटेशन के लिए सबसे ज्यादा किडनी की मांग होती है। वैसे तो कोई भी शख्स अंगदान कर सकता है, लेकिन यदि कोई नाबालिग अंगदान करने की इच्छा रखता है तो इसके लिए उसे जरूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा।
लोकसभा में भाजपा की कुर्सी में आग लगानेवाले मशाल चिह्न पर ही लड़ेंगे चुनाव! … संजय राऊत ने किया स्पष्ट
सामना संवाददाता / मुंबई
शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली हिंदूहृदयसम्राट शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना मशाल चिह्न पर ही महाराष्ट्र और देश में सभी चुनाव लड़ेगी। इस मशाल चिह्न ने ही लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी की कुर्सी में आग लगाई है। इस तरह तंज कसते हुए शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता व सांसद संजय राऊत ने जोरदार हमला किया।
मीडिया से बात करते हुए संजय राऊत ने कहा कि मशाल चिह्न ने ही सभी को पराजित किया है। मशाल, तुरही बजानेवाला व्यक्ति ही हमारा चिह्न है और साथ में कांग्रेस का हाथ भी है। उन्होंने कहा कि हम एक साथ चुनाव लड़ेंगे। हालांकि, शिवसेना की चिह्न अब धनुष-बाण नहीं मशाल है। धनुषबाण चोरों के हाथों में है। लोकसभा चुनाव में उन्होंने धनुष-बाण के नाम पर कुछ हद तक चोरियां कीं, लेकिन विधानसभा में यह नहीं चलेगा। इस तरह की चेतावनी भी संजय राऊत ने दी। भाजपा की तरफ से हिंदुओं का वोट बटोरने के लिए ३६ निर्वाचन क्षेत्रों में खास रणनीति तैयार करनेवाले सवाल का जवाब देते हुए संजय राऊत ने कहा कि कब तक हिंदू वोटों का राग अलापते रहेंगे। फिर आप इतने सालों से सत्ता में क्या रह रहे हो। आपको आज भी हिंदू वोटों के लिए योजना और रणनीति बनानी पड़ रही है। फिर आपने काम क्या किया? इस तरह के सवाल करते हुए संजय राऊत ने तंज कसते हुए कहा कि भाजपा हिंदुत्व को समर्थन नहीं करती, केवल राजनीति करती है।
चुनाव के बाद लाडली बहनों को कुछ नहीं मिलेगा
राज्य का खजाना खाली है और ठेकेदारों के पैसे बकाए हैं। इसके बाद भी लाडली बहन, लाडला भाई योजना चलाई जा रही है। इस पर भी संजय राऊत ने तीखा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में दो महीने बचा है और उसके बाद लाडली बहनों को कुछ भी नहीं मिलेगा। लाडली बहनों का ध्यान महाविकास आघाड़ी के मुख्यमंत्री को ही रखना पड़ेगा। एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस, अजीत पवार को लाडली बहनों की चिंता केवल चुनाव तक ही सीमित है। दो महीने उनके खातों में पैसे डालेंगे, महाराष्ट्र पर कर्ज का बोझ बढ़ाएंगे और भाग खड़े होंगे।
राहुल गांधी ने शुक्रवार की सुबह ट्वीट करते हुए दावा किया कि हम पर ईडी छापा मारेगी। इस पर बोलते हुए संजय राऊत ने कहा कि राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष हैं। वे जिस तरीके से महीने भर से सरकार पर हमला कर रहे हैं और आइना दिखा रहे हैं, उसने मोदी-शाह को परेशान कर दिया है। इसलिए उन्हें और हमें भी फिर से कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। संजय राऊत ने कहा कि हमारी तैयारी है, लेकिन यह इतना आसान नहीं है, क्योंकि अब विरोधी दल मजबूत है। हालांकि, भाजपा ने लोकसभा में बहुमत खो दिया है, फिर भी केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग की लत नहीं छूट रही है। दाऊद की तरह दिल्ली, गुजरात से महाराष्ट्र में चल रहा गिरोह संजय राऊत ने कहा कि जितेंद्र आव्हाड और अमोल मिटकरी महाराष्ट्र विधानमंडल में सदस्य हैं और उन्हें अपना पक्ष रखने का अधिकार है।
राहुल गांधी पर हमले की आशंका
सांसद संजय राऊत ने कहा कि लोकसभा में राहुल गांधी लोकतंत्र की आवाज बुलंद कर रहे हैं। इसलिए राहुल गांधी और इंडिया गठबंधन में शामिल हम सभी लोगों के खिलाफ एक कुटिल साजिश रची जा रही है। यह साजिश यहां नहीं, बल्कि विदेशी धरती पर पक रही है और राहुल गांधी पर हमला होने की संभावना है। मोदी और अमित शाह को राहुल गांधी ने पस्त कर दिया है। उन्होंने इस सरकार की नींद उड़ा दी है। हालांकि, फिर भी गुंडों की मदद से हम पर हमला हो सकता है।
चलो जीत की ओर… गद्दारों को चित करने, महाराष्ट्रद्रोहियों को धूल चटाने का शिवसंकल्प …उद्धव ठाकरे आज पुणे में दागेंगे तोप
स्थल- गणेश कला क्रीडा मंदिर, स्वारगेट
समय- सुबह १० बजे
सामना संवाददाता / मुंबई
जनता को न्याय देने, महाराष्ट्र धर्म को बनाए रखने, महाराष्ट्रद्रोहियों को धूल चटाने और गद्दारों को चित करने का संकल्प करते हुए शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने अब विधानसभा की दिशा में कूच किया है। ‘चलो जीत की ओर…’ की गर्जना करते हुए शिवसेना का शिवसंकल्प सम्मेलन आज पुणे में हो रहा है। इस सम्मेलन में शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे की तोप दगेगी।
विधानसभा चुनाव की पृष्ठभूमि पर शिवसेना ताकत के साथ काम पर लग गई है। पुणे के स्वारगेट स्थित गणेश कला क्रीड़ा मंदिर में आज सुबह १० बजे शिवसंकल्प सम्मेलन आयोजित हो रहा है। उद्धव ठाकरे द्वारा पिछले कुछ दिनों में लगातार किए जा रहे जबरदस्त हमलों से भारतीय जनता पार्टी और घाती सरकार भयभीत हो गई है इसलिए आज शिवसंकल्प सम्मेलन में उद्धव ठाकरे क्या बोलेंगे, इस पर सभी का ध्यान टिका हुआ है।
शिवसेना नेता, सांसद व पुणे जिला संपर्क नेता संजय राऊत, शिवसेना नेता विनायक राऊत, विधायक भास्कर जाधव, विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे, उपनेता व पुणे जिला संपर्कप्रमुख सचिन अहिर, सुषमा अंधारे, उत्तर महाराष्ट्र समन्वयक रवींद्र मिर्लेकर, शिवसेना सचिव व विधायक मिलिंद नार्वेकर, सहसंपर्कप्रमुख आदित्य शिरोडकर, महिला जिलासंपर्क संगठक स्नेहल आंबेकर आदि की भी इस सम्मेलन में उपस्थिति है। इस तरह की जानकारी शिवसेना मध्यवर्ती कार्यालय से साझा की गई है।
-नेटिजन्स को पसंद आ रहा शिवसेना का टीजर
इस शिवसंकल्प सम्मेलन के निमित्त शिवसेना की तरफ से कल एक टीजर भी जारी किया गया। ‘महाराष्ट्र हा लेचापेच्यांचा नाही मर्दांचा देश आहे आणि जो महाराष्ट्राला नडेल त्याला महाराष्ट्र गाडेल…’ ये उद्धव ठाकरे के इस टीजर में इस्तेमाल किए गए शब्द विरोधियों के रोंगटे खड़े कर देनेवाले हैं। यह टीजर शिवसैनिकों और शिवसेनाप्रेमियों सहित अनगिनत नेटिजन्स को भी पसंद आ रहा है और यह सोशल मीडिया पर भी आंधी की तरह वायरल हुआ है।
२०४७ तक भारत विकसित देश नहीं! …७५ साल का सफर तय करना होगा
-पुराने ढर्रे पर चल रहा है हिंदुस्थान
-विश्व बैंक की रिपोर्ट आई सामने
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने पहले ही कार्यकाल में इस बात का दावा किया था कि वर्ष २०४७ तक हिंदुस्थान विकसित देश बन जाएगा। इसे लेकर मोदी ने नीतियों की व्याख्या भी की थी, लेकिन अब विश्व बैंक ने अपनी एक नई रिपोर्ट में बताया है कि हिंदुस्थान अभी भी पुराने ढर्रे पर चल रहा है। भारत को वर्तमान दर से अमेरिका की जीडीपी का एक चौथाई हिस्सा हासिल करने में ७५ साल लग सकते हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत, चीन, ब्राजील और दक्षिण अप्रâीका सहित १०० से अधिक देशों को आने वाले दशकों में उच्च आय का दर्जा हासिल करने में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। इस रिपोर्ट में विकासशील देशों को ‘मध्यम आय के जाल’ से बाहर निकलने के लिए एक व्यापक रोडमैप भी दिया गया है।
पुरानी रणनीतियों पर ही चल रहे
विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री इंदरमीत गिल का कहना है कि कई मध्यम आय वाले देश पिछली सदी की पुरानी रणनीतियों पर ही चल रहे हैं। ये देश मुख्य रूप से निवेश बढ़ाने वाली नीतियों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। गिल का मानना है कि अगर ये देश पुराने तरीके अपनाते रहे तो इस सदी के मध्य तक ज्यादातर विकासशील देश एक अच्छे समाज बनाने की दौड़ हार जाएंगे। नीति आयोग ने कहा है कि भारत की वर्तमान जीडीपी ३.३६ ट्रिलियन डॉलर है, जिसे ९ गुना बढ़ाकर ३० ट्रिलियन डॉलर करना होगा। साथ ही प्रति व्यक्ति आय को मौजूदा २,३९२ डॉलर से बढ़ाकर ८ गुना यानी १८,००० डॉलर सालाना करना होगा। दूसरी तरफ विश्व बैंक का कहना है कि भारत समेत मध्यम आय वाले देशों की अर्थव्यवस्था की बढ़त धीमी पड़ रही है। जैसे-जैसे इन देशों की आय बढ़ रही है, वैसे-वैसे उनकी आर्थिक वृद्धि की रफ्तार कम होती जा रही है।
छोटी कंपनियां और विकास की राह
रिपोर्ट में कहा गया है कि बहुत सारी छोटी-छोटी कंपनियां हैं जो बहुत सालों से चल रही हैं, ये कंपनियां बड़ी बन ही नहीं पातीं। छोटी होने के बावजूद ये कंपनियां इसलिए चल पाती हैं क्योंकि बाजार में कुछ गड़बड़ है, यानी सब कुछ सही तरीके से नहीं चल रहा है। अगर बाजार में सब कुछ सही तरीके से चलता तो शायद ये छोटी कंपनियां इतने सालों तक नहीं चल पातीं।
चक्कर तो लगाने ही पड़ेंगे… पंडाल की अनुमति में मनपा का गोलमाल
-यथा स्थिति में जटिल शर्तें
-तत्काल करो सुधार, समन्वय समिति की मांग
सामना संवाददाता / मुंबई
पिछले दस सालों से सरकार के नियम-शर्तों और कानून का पालन करते हुए गणेशोत्सव मनानेवाले गणेशोत्सव मंडलों को मनपा ने इस साल एक साथ पांच वर्षों के लिए अनुमति देने की घोषणा की है। इस बीच सहूलियत के नाम पर उत्सव के लिए पंडाल की अनुमति के नियम और शर्तें यथा स्थिति में बरकरार होने की सच्चाई सामने आई है। मनपा ने भले ही सहूलियतों की घोषणा कर दी है, लेकिन फिर भी मंडलों को पुलिस और मनपा से एनओसी लेने के लिए चक्कर लगाने ही पड़ेंगी। यह सच्चाई सामने आने के बाद सार्वजनिक गणेशोत्सव समन्वय समिति ने मांग की है कि इस मामले में मनपा हस्तक्षेप करे और सरकार के पिछले साल के पैâसलों के अधीन रहते हुए बिना किसी नियमों और शर्तों के सभी मंडलों को लगातार तीन वर्षों के लिए यह अनुमति दे।
मुंबई मनपा ने इस वर्ष पर्यावरण-अनुकूल गणेशोत्सव मनाने के लिए उपाय करने शुरू कर दिए हैं। यह भी घोषणा की गई है कि मंडप के निर्माण के लिए केवल १०० रुपए का मामूली शुल्क लिया जाएगा। दिलचस्प बात यह है कि मनपा की ओर से दी गई सहूलियत में इस बात का जिक्र किया गया है कि पिछले दस वर्षों में कानून के तहत त्योहार मनानेवाले मंडलों को लगातार पांच वर्षों तक केवल एक बार मंडप के लिए अनुमति लेनी होगी। इसके लिए मंडलों को इस संबंध में स्वघोषित शपथ पत्र देना होगा, लेकिन मार्च २०२० में कोरोना काल में त्योहार मनाने पर कई तरह की पाबंदियां लग गर्इं। बृहन्मुंबई सार्वजनिक गणेशोत्सव समन्वय समिति के अध्यक्ष नरेश दहिबावकर ने कहा है कि इससे मंडल प्रभावित होंगे। इसके अलावा, उन्होंने यह भी बताया है कि अन्य शर्तों के कारण लगातार अनुमति लाभकारी नहीं होगी। इस संबंध में उन्होंने मनपा आयुक्त प्रशासक भूषण गगरानी को ज्ञापन भी दिया है।
असंवैधानिक मुख्यमंत्री के काफिले को मराठा समाज के लोगों ने दिखाए काले झंडे … किया जोरदार प्रदर्शन
– आंदोलनकारियों को पुलिस ने हिरासत में लिया
सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र के असंवैधानिक मुख्यमंत्री का काफिला जैसे ही छत्रपति संभाजीनगर के सिल्लोड तहसील के भवन गांव में पहुंचा, उनके काफिले को काले झंडे झंडा दिखाते हुए मराठा समाज के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। इस बीच पुलिस ने बल प्रयोग करते हुए मराठा समाज के प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया। मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे कल से छत्रपति संभाजीनगर जिले के दौरे पर हैं। इस बीच पालकमंत्री अब्दुल सत्तार के सिल्लोड विधानसभा क्षेत्र में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे। उनका काफिला जैसे ही तहसील के भवन गांव में पहुंचा गांव के मराठा समाज के दत्तात्रय पांढरे, सोमीनाथ कलम, रमेश काकडे समेत कई कार्यकर्ताओं ने काले झंडे दिखाते हुए विरोध किया। इस दौरान पुलिस ने मराठा समाज के इन कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया।
आंदोलनकारियों ने कहा कि मराठा समाज मुंबई में पैदल जा रहा थी। उस समय मराठा आरक्षण के लिए आंदोलनरत मनोज जरांगे पाटील को नई मुंबई के वाशी में रोक दिया गया था। उस स्थान पर छत्रपति शिवाजी महाराज की शपथ लेकर आरक्षण देने का आश्वासन दिया गया था। हालांकि, शपथ लेने के बावजूद मुख्यमंत्री ने अपने वादे को पूरा नहीं किया। इसलिए मुख्यमंत्री को काले झंडे दिखाए गए।